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खारकीव क्षेत्र के करीब बढ़ने की दिशा में जैसे-जैसे रूस की सेना का डोनबास, ज़ेपोरिज़िया और खेरसॉन में आगे बढ़ना जारी है, वैसे-वैसे यूक्रेन कमज़ोर बुनियाद पर आगे बढ़ रहा है.
Image Source: Getty
रूस के आक्रमण के ख़िलाफ़ यूक्रेन की रक्षा करने का संकल्प दिखाते हुए, और कुर्स्क में रूस के द्वारा उत्तर कोरिया के सैनिकों की तैनाती बिना चुनौती खड़ी किये बगैर न करने देने को सुनिश्चित करते हुए अमेरिका ने UK और फ्रांस के साथ मिलकर यूक्रेन को नवंबर महीने की शुरुआत में रूस पर हमला करने के लिए लंबी दूरी के हथियारों का इस्तेमाल करने की इजाज़त दे दी. अनुमति मिलने के 24 घंटे के भीतर यूक्रेन ने ब्रायंस्क में 6 ATCAMS मिसाइलें दागी और इसके अगले दिन कुर्स्क में स्टॉर्म शैडो क्रूज़ मिसाइल से हमला किया. इसके जवाब में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने परमाणु डॉक्ट्रिन (नीति) में बदलावों को मंज़ूरी दे दी. इसी साल सितंबर में परमाणु नीति में बदलाव का प्रस्ताव पेश किया गया था.
संशोधित परमाणु नीति के तहत परमाणु हथियारों के उपयोग की सीमा कम की गई है. इसके अलावा रूस ने नई हाइपरसोनिक इंटरमीडिएट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल ओरेशनिक का परीक्षण करके भी जवाब दिया. इस हमले में यूक्रेन के शहर निप्रो में रक्षा उद्योग के उत्पादन केंद्र को नुकसान हुआ. युद्ध में ये पहला मौका था जब रूस ने मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल किया. इस तरह संघर्ष में एक नया अध्याय खोला गया और ये युद्ध अब परमाणु युद्ध के करीब पहुंच गया है.
रूस की तरफ से आक्रामक रवैया दिखाए जाने के बाद अंत में इन हथियारों के उपयोग के लिए यूक्रेन के अनुरोध को ठुकरा दिया गया. नवंबर में डॉनल्ड ट्रंप की जीत के बाद ऐसा लगने लगा कि युद्ध ख़त्म होने वाला है क्योंकि ट्रंप ने इच्छा जताई कि युद्ध ख़त्म होना चाहिए और यूक्रेन में युद्धविराम होना चाहिए.
यूक्रेन की तरफ से अमेरिकी ATCAMS और UK-फ्रांस की स्टॉर्म शैडो एवं स्कैल्प मिसाइल इस्तेमाल करने के अनुरोध पर अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने सितंबर में पहली बार विचार किया था. लेकिन जब रूस की सुरक्षा परिषद ने अपनी परमाणु नीति में बदलाव का प्रस्ताव रखा तो यूक्रेन के अनुरोध पर कोई जवाब नहीं दिया गया. रूस की तरफ से आक्रामक रवैया दिखाए जाने के बाद अंत में इन हथियारों के उपयोग के लिए यूक्रेन के अनुरोध को ठुकरा दिया गया. नवंबर में डॉनल्ड ट्रंप की जीत के बाद ऐसा लगने लगा कि युद्ध ख़त्म होने वाला है क्योंकि ट्रंप ने इच्छा जताई कि युद्ध ख़त्म होना चाहिए और यूक्रेन में युद्धविराम होना चाहिए. लेकिन बाइडेन प्रशासन अमेरिका को शामिल रखने के लिए प्रतिबद्ध बना हुआ है और इस तरह ये संभावना है कि वो अगले प्रशासन को यूक्रेन की रक्षा करने में घसीट रहा है.
निप्रो पर रूस के हमले के बाद यूक्रेन ने कुर्स्क में एक आधुनिक वायु रक्षा प्रणाली को निशाना बनाया. 25 नवंबर को कुर्स्क इलाके के खलीनो में ATCAMS मिसाइल की झड़ी लगा दी. यूक्रेन के पास अब ये क्षमता है कि वो रूस के क्षेत्र में 300 किमी. भीतर तक हमला कर सकता है. इस तरह स्मोलेंस्क, कलुगा, तूला, कुर्स्क, ब्रायंस्क, ओरियोल, वोरोनेझ और रोस्तोव-ऑन-दोन यूक्रेन की मिसाइलों की रेंज में हैं. इन क्षेत्रों में सैन्य ठिकाने, एयरफील्ड और बड़ी संख्या में सैनिक मौजूद हैं.
रूस इन हमलों को युद्ध में अमेरिका और यूरोप की भागीदारी के सीधे संकेत के रूप में देखता है क्योंकि इन आधुनिक हथियार प्रणालियों के संचालन के लिए यूक्रेन के सैनिकों को पश्चिमी देशों के सैनिकों से तालमेल की ज़रूरत पड़ेगी. इसके अलावा बाइडेन के द्वारा यूक्रेन को लोगों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल होने वाली बारूदी सुरंग (एंटी पर्सनल माइन) का ट्रांसफर 1997 के ओटावा समझौते के ख़िलाफ़ है जिस पर यूक्रेन ने हस्ताक्षर किए थे. इन घटनाक्रमों के जवाब में रूस ने यूक्रेन पर अपने हमले तेज़ किए हैं. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के अनुसार उनके देश की तरफ से पहली बार लंबी दूरी के हमले के समय से रूस ने यूक्रेन पर 800 KAB बम, 460 ड्रोन और 20 मिसाइल से आक्रमण किया है.
खारकीव क्षेत्र के करीब बढ़ने की दिशा में जैसे-जैसे रूस की सेना का डोनबास, ज़ेपोरिज़िया और खेरसॉन में आगे बढ़ना जारी है, वैसे-वैसे यूक्रेन कमज़ोर बुनियाद पर आगे बढ़ रहा है. कुर्स्क में यूक्रेन अपना क्षेत्र गंवा रहा है. रूस में जिन इलाकों पर यूक्रेन ने कब्ज़ा किया था उसके 40% से अधिक पर रूस की सेना ने फिर से अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया है. इस काम में उत्तर कोरिया के हज़ारों सैनिकों की मौजूदगी ने रूस की सेना का हौसला बढ़ाया है. इस बात की संभावना है कि अमेरिका की मंज़ूरी रूस की सेना के आगे बढ़ने की रफ्तार को धीमा करने और यूक्रेन को अपने और क्षेत्रों को खोने से रोकने का एक अंतिम सांकेतिक प्रयास था.
कुछ अनुमानों के मुताबिक रूस ने अपनी परमाणु क्षमताओं के बारे में 230 से अधिक बार इशारा दिया है. इस तरह रूस ने युद्ध को और तेज़ करने के लिए अपनी तैयारी का इशारा किया है.
बढ़ते हमलों के साथ रूस की नई परमाणु नीति का लक्ष्य पश्चिमी देशों के सामने अपनी लक्ष्मण रेखा पर ज़ोर देना था. नए बुनियादी नियमों में पारंपरिक हमले की स्थिति में रूस के द्वारा परमाणु हथियारों का संभावित उपयोग शामिल है. ये 2020 की परमाणु नीति से हटने का प्रतीक है जिसमें कहा गया था कि रूस परमाणु हथियारों का उपयोग तभी करेगा जब उस पर परमाणु हथियारों से हमला होगा या किसी पारंपरिक हमले की वजह से देश का अस्तित्व ख़तरे में हो. रूस की परमाणु धमकी 2022 में युद्ध की शुरुआत के समय से जारी है. कुछ अनुमानों के मुताबिक रूस ने अपनी परमाणु क्षमताओं के बारे में 230 से अधिक बार इशारा दिया है. इस तरह रूस ने युद्ध को और तेज़ करने के लिए अपनी तैयारी का इशारा किया है.
व्हाइट हाउस में ट्रंप के आगमन का पुतिन बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं क्योंकि ट्रंप की शांति की योजना अमेरिका की नीति में संभावित बदलाव और युद्ध के ख़त्म होने का इशारा कर रही है. इसके परिणामस्वरूप रूस की तरफ से युद्ध में और तेज़ी की संभावना नहीं दिखती है. हाल के घटनाक्रमों को देखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में ट्रंप की पसंद माइकल वॉल्ट्ज़ ने शांति के महत्व को बहाल करते हुए दोनों पक्षों से संयम बरतने और युद्ध में मौजूदा तेज़ी को “ज़िम्मेदाराना अंत” तक लाने की अपील की है. फिर भी, ट्रंप के द्वारा अपने चुनाव अभियान में यूक्रेन युद्ध को ख़त्म करने के वादे के बावजूद ज़मीनी स्तर पर उभरते हालात उन्हें अपने पूर्ववर्ती की तरह की नीति का पालन करने के लिए मजबूर कर सकते हैं और इस तरह यूक्रेन के लिए अमेरिका का समर्थन बना रह सकता है. बाइडेन प्रशासन समेत इस संघर्ष के सभी हितधारक ट्रंप के आने वाले राष्ट्रपति कार्यकाल के विकल्पों को तय करने का लक्ष्य रख रहे हैं.
ये विश्लेषण मूल रूप से NDTV में प्रकाशित हुआ.
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Professor Harsh V. Pant is Vice President – Studies and Foreign Policy at Observer Research Foundation, New Delhi. He is a Professor of International Relations ...
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Rajoli Siddharth Jayaprakash is a Junior Fellow with the ORF Strategic Studies programme, focusing on Russia’s foreign policy and economy, and India-Russia relations. Siddharth is a ...
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