Issue BriefsPublished on Oct 04, 2023
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जैव-विविधता (बायो-डायवर्सिटी) के संरक्षण में हरित बुनियादी ढांचे की भूमिका!

  • Aeshna Kharbanda
  • Gagan Deep Sharma
Attribution:

एट्रिब्यूशन: गगन दीप शर्मा और ऐशना खरबंदा, “द रोल ऑफ ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर इन बायोडायवर्सिटी कंज़रवेशन,” T20 पॉलिसी ब्रीफ, जून 2023

टास्क फोर्स 6: एक्सिलरेटिंग एसडीजीज़: एक्सप्लोरिंग न्यू पाथवेज़ टू द 2030 एजेंडा  


सार

G20 वैश्विक विकास की संरचनात्मक बुनियादों को मज़बूत करने, उन्हें ज़्यादा टिकाऊ बनाने और उसके नकारात्मक प्रभावों की रोकथाम करने की कोशिशें कर रहा है, और बुनियादी ढांचा, G20 की इन क़वायदों के केंद्र में है. बुनियादी ढांचे का जैव विविधता पर अनेक रूपों से प्रभाव हो सकता है. इन प्रभावों में मौजूदा बुनियादी ढांचों की छाप के भीतर सीधे तौर पर रिहाइश का नुक़सान, इकोसिस्टम की विशिष्टताओं में बदलाव, और जैविक संसाधनों का विखंडन और उनका क्षय शामिल है. हरित बुनियादी ढांचा (GI), एक ऐसी रणनीति है जिसे इन चुनौतियों के निपटारे की क्षमता समेटकर लाने वाले कारक के रूप में परिभाषित किया गया है, और इसका क्रियान्वयन प्राकृतिक रुझानों और प्रक्रियाओं की बहाली का साधन है. साथ ही इसके ज़रिए ऊर्जा और सामग्रियों के प्रवाह को न्यूनतम किया जा सकता है. बहरहाल, पर्यावरण को लेकर सटीक नियमनों के अभाव में हरित बुनियादी ढांचे का विकास वैश्विक जैव-विविधता और पारिस्थितिकी (इकोलॉजिकल) सेवाओं को कमज़ोर कर देते हैं. शहरी विकास की नई परियोजनाओं में स्थायी निर्माण की क़वायदों में निम्न-कार्बन वाली इमारतों और हरित बुनियादी ढांचे को शामिल किया जाना चाहिए. शहरी विकास योजनाओं में जैव-विविधता, स्वास्थ्य को आगे बढ़ाती है; सरकारों को डेवलपर्स, बिल्डर्स और समुदायों को निश्चित रूप से शिक्षित, सशक्त और प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि वो अपने परिदृश्य में हरित निर्मित पर्यावरणों को एकीकृत कर सकें.

चुनौतियां

पारिस्थितिकी तंत्रों की सेहत और मानव कल्याण के लचीलेपन के लिए जैव-विविधता अनिवार्य है. हालांकि, मानवीय गतिविधियां जैवविविधता को ख़तरे में डालती हैं. इन गतिविधियों में रिहाइश की तबाही, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं. इस संदर्भ में हरित बुनियादी ढांचा (GI) जैव विविधता के संरक्षण और बहाली में प्रकृति आधारित समाधानों के रूप में उभरता है. प्राकृतिक और अर्ध-प्राकृतिक तत्वों को समेटने वाला हरित बुनियादी ढांचा, तमाम तरह की पारिस्थितिकी सेवाएं उपलब्ध कराता है, जो विविध प्रजातियों और इकोसिस्टम्स को सहारा देती हैं. इन तत्वों में पार्क, जंगल, जलीय क्षेत्र और हरित इलाक़े शामिल हैं. निश्चित रूप से बुनियादी ढांचे को प्रभावी रूप से प्रबंधित करने और जैव-विविधता संरक्षण के लिए G20 समूह के देशों को राष्ट्रीय के साथ-साथ वैश्विक स्थायित्व रणनीति को अमल में लाना चाहिए.

G20 के अध्यक्ष के रूप में भारत के पास वैश्विक हरित बुनियादी ढांचा एजेंडा पर समूह की प्रगति को जारी रखने का अद्वितीय अवसर है. जैव-विविधता संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक क़रारों के एक अच्छे-ख़ासे आंकड़ों को क्रियान्वित किया गया है. हालांकि इन समझौतों के बावजूद जैव-विविधता का क्षय और नुक़सान जारी है. प्रदूषण, प्रजातियों का सीमा से ज़्यादा शोषण, जलवायु परिवर्तन और सबसे अहम, ज़मीनी परिदृश्यों का बढ़ता विखंडन अलग-थलग और कमज़ोर इकोसिस्टम्स से लैस है, जो जैव विविधता के नुक़सान को हवा दे रहे हैं. ये सभी नकारात्मक शक्तियां प्राकृतिक संसाधनों के बेतहाशा दोहन से फलती-फूलती हैं. साथ ही विकास और उपभोग के मौजूदा रुझान को टिकाऊ बनाने के लिए भूमि के इस्तेमाल में किए जा रहे बदलावों से भी इन्हें बढ़ावा मिलता है. आकलनों के मुताबिक जैव-विविधता का नुक़सान पहले ही इंसान द्वारा बर्दाश्त की जा सकने वाली सीमाओं से परे जा चुका है, जिससे मानव विकास के लिए दूरगामी असर हो रहे हैं (सलोमा, केट्टूनेन, और एपोस्टोतोपोउलोउ 2016). चित्र 1- उन अड़चनों को दर्शाता है जो हरित बुनियादी ढांचे की स्वीकार्यता को रोकते हैं

चित्र 1: हरित बुनियादी ढांचे की स्वीकार्यता को प्रभावित करने वाली चुनौतियां

स्रोत: ख़ुद लेखक के

निर्माण गतिविधियों के अनेक प्रकार (विशाल पैमाने की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से घरों में आम मरम्मतों और साज-सज्जा के कामकाज तक) प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव डालते हैं. इस तरह, जैव-विविधता नुक़सान को टालने में निर्माण क्षेत्र एक अहम किरदार बन जाता है. ऐसा कोई भी बुनियादी ढांचा, हरित बुनियादी ढांचा (GI) है जिसका लक्ष्य विकास के नकारात्मक प्रभावों को कम करना और/या पारिस्थितिकी सेवाएं मुहैया कराना है. इनमें प्रवाह प्रबंधन, हवा के तापमान में कमी, कार्बन की छंटाई और रिहाइश का संरक्षण शामिल हैं. बहरहाल, इन संभावित फ़ायदों के बावजूद हरित बुनियादी ढांचे को अब तक व्यापक रूप से नहीं अपनाया गया है (टायोग और गागने 2016).

डिज़ाइन और निर्माण की अग्रिम लागतों के साथ-साथ प्राकृतिक प्रणालियों के संरक्षण की अनिवार्यता के चलते मुख्यधारा में GI को अपनाए जाने की दर धीमी रही है. इस दिशा की अन्य अड़चनों में असंगत क़ानूनी ढांचे, सामुदायिक भागीदारी का अभाव और ये परिकल्पना शामिल है कि हरित बुनियादी ढांचा मुख्य रूप से आंधी-तूफ़ान में साथ आने वाले पानी के नियंत्रण से जुड़ा उपकरण है (एंडरसन और गफ 2022).

दुनिया की अस्सी प्रतिशत आबादी शहरी क्षेत्रों में निवास करती है, जिसके चलते शहरी बुनियादी सुविधाओं के विस्तार की अनिवार्यता हो जाती है. इन सुविधाओं में उद्योग, वाणिज्य, निवास और मनोरंजन के क्षेत्र शामिल हैं. पार्क, खेल के मैदान, जलीय निकाय, आवासीय उद्यान, आंगन और राजमार्ग हरित बुनियादी ढांचे के आवश्यक घटक हैं, जो लोगों को प्रकृति से जोड़ते हैं. GI में हरित इमारतें शामिल हैं और इसकी प्रमुख तकनीकों में स्टॉर्म वॉटर मैनेजमेंट, गर्मी के दबाव में कमी, जलवायु अनुकूलनशीलता, हवा की बढ़ी हुई गुणवत्ता, सतत विकास, स्वच्छ जल और स्वस्थ मिट्टी और जीवन की गुणवत्ता में सुधार शामिल हैं. जब टिकाऊ परिवहन और जल निकास प्रणालियों पर ध्यान दिया जाता है, तब शहरी हरित बुनियादी ढांचे (UGI) को “कम कार्बन वाले बुनियादी ढांचे” के तौर पर भी पुकारा जा सकता है (पटेल और रंगरेज 2021).

अगली चुनौती में ये निर्धारित करना शामिल है कि नए निर्माण और रेनोवेशन परियोजनाओं के जैव विविधता मूल्य को UGI में कैसे शामिल किया जाए. इसके ज़रिए जीवन स्तरों में सुधार के लिए परियोजना स्थलों पर जैव विविधता को बढ़ावा देने वाली क़वायदों का विश्लेषण करके उनकी संरचना तैयार की जा सकेगी. स्थानीय नगरीय निकाय और राष्ट्रीय-क्षेत्रीय पैमाने हरित बुनियादी ढांचे का अलग-अलग उपयोग करते हैं. शहर के पैमाने में ज़िला पार्क, खेल के मैदान, आस-पड़ोस के पार्क, हरित पट्टियां (बफर्स), शहरी नहरें, झीलें, नदियां और बाढ़ के मैदान शामिल हैं. सार्वजनिक और निजी उद्यमों की भागीदारी, शहरों और देशों में अलग-अलग होती है. लिहाज़ा धारणाओं के ग़ैर-मानकीकरण के चलते चुनौतियां पैदा हो जाती हैं.

उपरोक्त अड़चनों के अलावा GI द्वारा मुहैया की जाने वाली पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं (जो टिकाऊ शहरों के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं) की समझ की कमी भी हरित बुनियादी ढांचे को अपनाने में बाधा डालती है.

हरित बुनियादी ढांचे के विकास में जैव विविधता को शामिल करना, सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को पूरा करने की कुंजी है. SDG 9 (लचीला बुनियादी ढांचा, समावेशी और टिकाऊ औद्योगीकरण और नवाचार), SDG 14 (महासागरों, समुद्रों और सामुद्रिक संसाधनों का सतत उपयोग), SDG 15 (स्थलीय इकोसिस्टम्स और जंगलों का सतत उपयोग, लैंड डिग्रेडेशन और जैव विविधता हानि को रोकना और उलटना) और अन्य सतत विकास लक्ष्यों के बीच के सहसंबंध को अक्सर खारिज या नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है (ओपोकू 2019). टेबल 1 हरित बुनियादी ढांचे को अपनाने से संबंधित अंतरालों और संभावित सतत विकास लक्ष्यों को दर्शाता है.

टेबल 1: प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों का तालमेल

संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य संबंधित संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य अंतराल प्रासंगिक अध्ययन

SDG 9

(उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढांचा)

SDG 2 (भूख से पूरी तरह मुक्ति)

लक्ष्य 2.A – ग्रामीण बुनियादी ढांचे में निवेश करें.

SDG 12 (ज़िम्मेदाराना उपभोग और उत्पादन)

लक्ष्य 12.2 – प्राकृतिक संसाधनों का सतत प्रबंधन और उपयोग

· ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास के ज़रिए महिलाओं के रोज़गार में सहायता के लिए नीतियों को लागू किया जाना चाहिए.

· उन सामग्रियों के उपयोग से बचें, जो CO2 पैदा करती हैं और नतीजतन ग्रीनहाउस गैसों (GHGs) का कारण बनती हैं.

 (ओपोकू 2019);

(ओमर और नोगुची 2020)

SDG 14

(पानी के नीचे जीवन)

SDG 7 (किफ़ायती और स्वच्छ ऊर्जा)

लक्ष्य 7 A – स्वच्छ ऊर्जा में शोध प्रौद्योगिकी और निवेश तक पहुंच को प्रोत्साहित करना.

SDG 9 (उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढांचा)

लक्ष्य 9.4 – स्थिरता के लिए सभी उद्योगों और बुनियादी ढांचों को उन्नत करें.

· खुले समुद्र में तट से दूर पवन और तरंग ऊर्जा जैसी नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों का विकास, समुद्री इकोसिस्टम पर ज़बरदस्त प्रभाव डाल सकता है.

· बंदरगाहों, तटीय बुनियादी ढांचों और शिपिंग लेन के विकास का समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर अहम प्रभाव पड़ सकता है.

(रॉनज़ोन और संजुआन 2020); (रिकुएरो विर्टो 2018)

SDG 15

(ज़मीन पर जीवन)

SDG 6 (स्वच्छ जल एवं स्वच्छता)

लक्ष्य 6.1 – सुरक्षित और किफ़ायती पेयजल

SDG 11 (टिकाऊ शहर और समुदाय)

लक्ष्य 11.3 – समावेशी और सतत शहरीकरण

· निचले प्रवाह पर स्थित समुदायों को स्वच्छ पानी की आपूर्ति करने वाली सभी प्राकृतिक भूमि को टिकाऊ रूप से बरक़रार रखा जाना चाहिए.

· स्थलीय इकोसिस्टम और जैव विविधता पर शहरीकरण के नकारात्मक प्रभाव को कम करना

(मुलिगन आदि 2020); (वर्गास-हर्नांडेज़ और ज़डुनेक-विल्गोलास्का 2021)

 

स्रोत: ख़ुद लेखक के

वित्तीय प्रणालियों को सतत् विकास के साथ जोड़ना एक और चुनौती है. बुनियादी ढांचे में निवेश के सामने कुछ बड़ी बाधाएं खड़ी हैं, जिनका निपटारा किया जाना चाहिए. इन रुकावटों में अपर्याप्त राष्ट्रीय रणनीतियां और क्षमताएं; खंडित अंतरराष्ट्रीय ढांचे; कनेक्टिविटी का अभाव; प्रक्रियाओं और कार्यप्रणालियों में अपर्याप्त मानकीकरण, दक्षता और पारदर्शिता; और इससे संबंधित फाइनेंसिंग/शासन के अहम मुद्दे (एटकिंसन आदि 2019).

हरित बुनियादी ढांचा एक प्रस्तावित दृष्टिकोण है जो इन मसलों को हल कर सकता है. GI की परिकल्पना को लेकर मौजूदा अस्पष्टता के साथ इसकी इकोसिस्टम सेवाओं के जटिल कार्यों (और व्यवहार में इसकी संभावित व्याख्या) के चलते जैव विविधता संरक्षण में योगदान करने की इसकी क्षमता के बारे में चिंताएं पैदा होती है. जैव विविधता को बढ़ावा देने की इसकी क्षमताओं के बावजूद ऐसे सवाल खड़े होते हैं.

  1. G20 की भूमिका

भारत की अध्यक्षता में अंतरराष्ट्रीय समुदाय 4D पर ध्यान केंद्रित कर सकता है: संघर्षों को कम यानी डिएस्कलेट करना; तेज़ रफ़्तार वाले, न्यायसंगत और समावेशी विकास या डेवलपमेंट को सहज बनाने के लिए डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना; और जलवायु संकट से निपटने के लिए डिकार्बनाइज़ेशन को लेकर एक न्यायसंगत ढांचा अपनाना. समावेशन और सतत विकास, सर्वोच्च प्राथमिकताओं के रूप में बरक़रार है.

G20 के अनेक देशों ने अपने क़ानूनों और नीतियों का सतत विकास के साथ तालमेल बिठाने और जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए हरित बुनियादी ढांचे से जुड़े जोख़िमों को कम करने को लेकर पहले से ही उपाय कर लिए हैं (बॉक्स 1). G20 में क़ानूनों और नीतियों की विविधता को देखते हुए, उपायों को प्रत्येक देश की ख़ास ज़रूरतों और स्थितियों के हिसाब से अनुकूलित या कस्टमाइज़ किया जाना चाहिए.

बॉक्स 1: G20 देशों द्वारा हरित बुनियादी ढांचे को लेकर किए गए उपायों के उदाहरण 

  • ब्राज़ील: ब्राज़ील और यूनाइटेड किंगडम के बीच द्विपक्षीय सहयोग से जुड़ी एक क़वायद का लक्ष्य टिकाऊ बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने के साथ-साथ असमानता को कम करना और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए परियोजनाओं के विकास को सुविधाजनक बनाना है.
  • चीन: पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने ग्रीन बॉन्ड के मानक और ग्रीन बैंकिंग नियम प्रस्तुत किए हैं.
  • फ्रांस: देश के रेज़िलिएंस एंड रिकवरी प्लान के हिस्से के रूप में फ्रांसीसी सरकार ने हरित गतिशीलता को बढ़ावा देने के लिए विशिष्ट उपाय किए हैं. टिकाऊ परिवहन क्षेत्र के अनुरूप परिवहन बुनियादी ढांचे के विकास में यहां की सरकार 55 करोड़ यूरो का निवेश कर रही है.
  • इंडोनेशिया: इंडोनेशियाई वित्त मंत्रालय पहले ही आठ हरित और टिकाऊ बॉन्ड्स जारी कर चुका है, जो इसके हरित बॉन्ड बाज़ार के बुनियादी ढांचे के विकास में मदद कर रहे हैं.
  • भारत: केंद्रीय बजट 2023-2024 ने हरित बुनियादी ढांचे की नींव रखी है. हरित ऊर्जा, हरित इमारतों और हरित उपकरणों के साथ-साथ हरित विकास, फोकस के सात क्षेत्रों में शुमार है, जो सरकार केसप्तऋषि (सात स्तंभों) के रूप में कार्य करते हैं. ये सातों स्तंभ भारत की अमृत काल यात्रा (टिकाऊ भविष्य) को निर्देशित कर रहे हैं.
  • यूनाइटेड किंगडम: नेचुरल इंग्लैंड ने हरित बुनियादी ढांचा रूपरेखा (GIF) की घोषणा की है, जो शहरी आवासीय क्षेत्रों में हरित आवरण की मात्रा को 40 प्रतिशत तक बढ़ाने में मदद करेगा.
  • जर्मनी: 3 जून 2020 को जर्मन सरकार ने 130 अरब यूरो के नए आर्थिक प्रोत्साहन कार्यक्रम की घोषणा की. इसके तहत जर्मनी में ग्रीन रिकवरी और निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए कई ठोस पहलों को शामिल किया गया है.

हरित बुनियादी ढांचे और जैव-विविधता में मौजूदा ज्ञान

चित्र 2: GI और जैव-विविधता में ज्ञान का विषयगत ख़ाका तैयार करना

स्रोत: वेब ऑफ साइंस डेटाबेस

चित्र 2 परिकल्पनात्मक संरचना के प्रासंगिक विषयों का प्रतिनिधित्व करता है. विषयगत ख़ाकों या मानचित्रों को समझने के लिए केंद्रीयता और घनत्व दो बुनियादी पैमाने हैं (कोबो आदि 2015). एक निश्चित विषय द्वारा दूसरों के साथ बनाए गए संबंध के स्तर का प्रतिनिधित्व केंद्रीयता द्वारा किया जाता है जबकि विषयों के भीतर आंतरिक सह-संबंधों के परिमाण के संकेत घनत्व द्वारा दिए जाते हैं (बामेल, उमेश, परेरा, विजय, डेल गिउडिस 2021). चित्र 2 हरित बुनियादी ढांचे और जैव विविधता में उपलब्ध ज्ञान का एक विषयगत मानचित्रण है, जिसमें इस बात का ब्योरा दिया गया है कि किस चतुर्थांश (क्वॉड्रांट) में कौन से विषय प्रचलित हैं.

उच्च केंद्रीयता और घनत्व के साथ विरासत (हेरिटेज) संरक्षण, मुख्य विषय के रूप में सामने आया; सांस्कृतिक विरासत, पर्यावरण नीति, स्थिरता और राष्ट्रीय उद्यान जैसी उप-विषयवस्तुएं आपस में जुड़ी हुई हैं. ये दर्शाता है कि GI, शहरी विरासत के संरक्षण और मूल्यवर्धन को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकता है. विरासत से जुड़े नगरीय स्थान, शहरी विकास के दबाव के कारण अक्सर ख़तरे में रहते हैं. शहरी पार्कों और हरित छतों जैसी GI सुविधाओं को ऐतिहासिक स्थलों में शामिल करके, जलवायु परिवर्तन के प्रति उनकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना, शहरी हीट आइलैंड इफेक्ट को न्यूनतम करना और जैव विविधता को बढ़ाना संभव है.

हरित बुनियादी ढांचा, पर्यटकों और निवासियों को सुखद और कार्यात्मक स्थान प्रदान करके ऐतिहासिक स्मारकों के सांस्कृतिक और सौंदर्य मूल्य में भी योगदान दे सकता है. हालांकि, विरासती क्षेत्रों में हरित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की संरचना और कार्यान्वयन की क़वायदों में उनके अद्वितीय ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ स्थानीय निवासियों की ज़रूरतों और आकांक्षाओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए (विलियमसन 2003). सतत संरक्षण (अनुकूल विषय) संकेत करता है कि उप-विषयों की बड़े पैमाने पर खोज की जा रही है, और उपलब्ध साहित्य से भी इसका पता चलता है. पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ पर्यटन में प्रभावशाली उत्पाद-उन्मुख रुख़ से मांग-उन्मुख दृष्टिकोण की ओर फोकस में बदलाव आने से इसके उप-विषय (जैसे टिकाऊ पर्यटन, इको-टूरिज़्म और पर्यावरणीय स्थिरता) रेखांकित हुए हैं. इन्हें पर्यटन उद्योग में पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ क़वायद के लिए लाभ और निवेश को अधिकतम करने में शामिल अंतर्निहित अदला-बदली की रोकथाम करने का प्रस्ताव किया गया है.

ऐसी रणनीति की सफलता, विज़िटर्स यानी आगंतुकों के एक वर्ग की उपस्थिति पर निर्भर करती है, जो ना केवल उस मेज़बान स्थान के प्राकृतिक परिवेश की देखभाल करने के लिए प्रेरित होते हों, बल्कि आर्थिक रूप से आकर्षक बाज़ार खंड का भी गठन करते हों, चाहे वो इकोटूरिज़्म के लिए या सामान्य पर्यटन के संदर्भ में यात्रा कर रहे हों (डोलनिकर और लॉन्ग 2009).

निचली ओर बाएं और दाएं कोनों में, दो विषय-वस्तु हैं जो अनुकूल, उभरती और मोटर थीम के साथ आंशिक रूप से परस्पर व्यापक यानी ओवरलैप हो रही हैं. इस सिलसिले में हम ऐसा हरित बुनियादी ढांचा देखते हैं, जो अनुकूल विषय के करीब पहुंच रहा है, या हम तटस्थ हो सकते हैं क्योंकि इसमें नकारात्मक घनत्व और नकारात्मक केंद्रीयता दोनों हैं. बहरहाल सामाजिक-पारिस्थितिक प्रणाली, शहरी नियोजन और प्रकृति-आधारित समाधान जैसे उप-विषयों में बहुत अधिक संभावनाएं हैं. दरअसल मौजूदा साहित्य, हरित बुनियादी ढांचे के मौजूदा विकास में ज़बरदस्त अंतर को प्रकट करता है. यही वजह है कि हरित बुनियादी ढांचे को ज़बरदस्त कायाकल्प की दरकार है, जो वैश्विक टिकाऊ मानकों से प्रभावी और कुशलतापूर्ण तरीक़े से मेल खाने के लिए पर्यावरण और सामाजिक मानकों को ध्यान में रखे! पारिस्थितिक क्षमता-निर्माण का अन्य विषय समुदायों, और पर्यावरण के संरक्षण में उनकी भागीदारी के अध्ययन पर आधारित है. समूहों और परियोजनाओं के नेटवर्क के ज़रिए इस क़वायद को अंजाम दिया जाता है (जेरोम 2017).

ऊर्जा अनुकूलन एक अन्य प्रमुख विषय है जो कम घनत्व मूल्य के साथ एक स्वतंत्र विषय के रूप में उभरा है. मौलिक विषय-वस्तु चतुर्थांश में तीन विषय-वस्तु हैं; जैव विविधता संरक्षण, टिकाऊ कृषि और सतत विकास लक्ष्य, मोटर थीम की ओर प्रगति. टिकाऊ कृषि के उप-विषय के भीतर, कम घनत्व और आगे के विकास की संभावना है. इसके अलावा, सतत विकास लक्ष्यों ने नवीकरणीय ऊर्जा को ज़बरदस्त रफ़्तार देते हुए नवाचार और विकास का अवसर दिया है (ब्रेज़ोव्स्काया, गुटमैन, और ज़ायत्सेव 2021). विषयगत उभार मानचित्र, आगे अंतरालों की जांच करने और अज्ञात क्षेत्रों का अध्ययन करने में मदद करता है. 

  1. G20 के लिए सिफ़ारिशें

जैव विविधता की हानि ना केवल जीवित प्राणियों, बल्कि पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और समुदायों को भी प्रभावित करती है.

ये पॉलिसी ब्रीफ चार व्यापक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है, जो सार्वभौमिक रूप से प्रासंगिक हैं और चिंता का सबब हैं. इन क़वायदों में हरित बुनियादी ढांचे के लिए आकलन के मानकीकृत तौर-तरीक़ों और सामग्रियों को विकसित और क्रियान्वित करना, और GI संरक्षण के लिए अनुकूली प्रबंधन रणनीतियों को अमल में लाना शामिल है. साथ ही वैश्विक स्तर पर हरित निवेश के लिए बाज़ार तैयार करना और उसे बढ़ावा देना; हरित बुनियादी ढांचे और जैव-विविधता संरक्षण को लेकर इसकी अहमियत के बारे में सार्वजनिक जागरूकता और शिक्षा बढ़ाना; और प्रासंगिक स्टेकहोल्डर्स के बीच सहभागिता और साझेदारी को प्रोत्साहित करना, भी इसी क़वायद का हिस्सा हैं.

हरित बुनियादी ढांचे के लिए आकलन के मानकीकृत तौर-तरीक़ों और सामग्रियों का विकास और कार्यान्वयन, और GI संरक्षण के लिए प्रबंधन की अनुकूलनात्मक रणनीतियों को अमल में लाना.

जैव विविधता, निर्माण के सभी टिकाऊ मानदंडों (ऊर्जा, पानी, स्वास्थ्य और कल्याण) से संबंधित है. लिहाज़ा, जैव विविधता योजनाओं को प्राकृतिक रिहाइशों को एक ओर रख देने की क़वायद से आगे जाना चाहिए. इस कड़ी में किसी परियोजना के उपयोग/दख़ल चरण के दौरान निर्मित संपत्ति और संरक्षित पर्यावरण के बारे में सामुदायिक शिक्षा को शामिल किया जाना चाहिए. निर्माण गतिविधियों के कारण जैव विविधता की हानि, न केवल पौधों और जानवरों पर प्रभाव डालती है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के चलते सामने आने वाली बाढ़, भूस्खलन और जंगल की आग के ख़िलाफ़ निर्मित संपत्तियों की सुरक्षा करने को लेकर इकोसिस्टम की क्षमता पर भी असर डालती है.

पहले से ज़्यादा प्रभावी ढंग से पुनर्निर्माण और जलवायु लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए हरित बुनियादी ढांचे को एक प्रकृति-आधारित उपकरण के रूप में प्रोत्साहित करने से एक केंद्रीकृत दृष्टिकोण की संरचना तैयार करने का अवसर मिलता है, जो हरित बुनियादी ढांचे के अनेक नीति उपकरणों को एकीकृत करता है. पर्यावरणीय नियामक प्रभाव मूल्यांकन, अंतरालों की पहचान करने, विसंगतियों को दूर करने और प्रकृति-आधारित समाधानों के लिए सुसंगत, रणनीतिक और एकीकृत पर्यावरण नीति के विकास को सक्षम बनाता है. वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के रूप में पवन चक्कियों और सोलर पैनल जैसी हरित प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल से कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी और इससे ऊर्जा दक्षता में भी बढ़ोतरी होगी.

G20 को हरित प्रथाओं के मानकीकरण को बढ़ावा देना चाहिए. मिसाल के तौर पर हरेक शहर के जैव विविधता पार्क आत्मनिर्भर हैं. G20 से शुरू करके, दुनिया के तमाम देशों को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि एक मानक मानदंड के अनुसार, हर शहर में एक निश्चित संख्या में जैव विविधता पार्क बरक़रार रखे जाएं. सरकारों को शहरी और क्षेत्रीय योजना में हरित बुनियादी ढांचे को शामिल करने, पारिस्थितिक गलियारों का निर्माण करने, जल क्षेत्रों की सुरक्षा और दोबारा बहाली करने और हरित रोज़गार के निर्माण को प्राथमिकता देनी चाहिए. इस तरह सतत् रूप से स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र और मानव कल्याण को सहारा दिया जा सकेगा.

हरित निवेश के लिए वैश्विक स्तर पर बाज़ार तैयार करना और उसे बढ़ावा देना

हरित निवेश में सार्वजनिक और निजी, दोनों निवेश शामिल हैं. G20, एक ऐसा हरित निवेश कोष स्थापित कर सकता है जो हरित बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की पूंजी का लाभ उठाए. ऐसे कोष नवीकरणीय ऊर्जा, टिकाऊ कृषि या जैव विविधता संरक्षण जैसे विशिष्ट क्षेत्रों को लक्षित कर सकते हैं. अल्प-विकसित देशों में हरित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए रकम जुटाने को लेकर G20 सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देकर और बहुपक्षीय विकास बैंकों के बीच हिस्सेदारी कराकर हरित निवेश पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित कर सकता है.

बहरहाल, ग्रीन बॉन्ड पर्यावरण फाइनेंसिंग के एक नए स्वरूप के तौर पर उभरे हैं, और इन्होंने संरक्षण परियोजनाओं के लिए रकम जुटाने की काफी संभावनाएं दिखाई हैं, जो जैव विविधता और हरित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को संरक्षित करने में मदद करती हैं. G20 के राष्ट्र टैक्स प्रोत्साहन, सब्सिडी या अन्य प्रकार के समर्थन की पेशकश करके GI परियोजनाओं के लिए हरित बॉन्ड में निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित कर सकते हैं. इससे निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा मिल सकता है और वैश्विक पहलों के लिए रकम जुटाने की लागत कम हो सकती है. G20 समूह के सदस्य देश, हरित बॉन्ड के सर्टिफिकेशन (नियामक निकायों द्वारा) का समर्थन कर सकते हैं. इनमें जलवायु बॉन्ड पहल जैसी क़वायद शामिल हैं. इससे ये सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि ग्रीन बॉन्ड विशिष्ट पर्यावरणीय आवश्यकताओं को पूरा करते हों और निवेशकों को बेहतर पारदर्शिता प्रदान करते हों.

हरित बुनियादी ढांचे और जैव विविधता संरक्षण को लेकर इसकी अहमियत के बारे में जन जागरूकता और शिक्षा बढ़ाना

G20 के देश जन जागरूकता पहल के ज़रिए नागरिकों और तमाम स्टेकहोल्डर्स को जैव विविधता संरक्षण और सतत विकास में हरित बुनियादी ढांचे के फ़ायदों और भूमिका के बारे में शिक्षित कर सकते हैं. ऐसे अभियानों के लिए सोशल मीडिया, टीवी, रेडियो और प्रिंट का उपयोग किया जा सकता है. GI परियोजनाओं के बारे में शिक्षित करने में सार्वजनिक संवादों, कार्यशालाओं और सामुदायिक बैठकों से भी मदद मिल सकती है.

प्रासंगिक स्टेकहोल्डर्स के बीच सहभागिता और साझेदारियों को बढ़ावा देना

G20 के राष्ट्र, सरकारी एजेंसियों, वाणिज्यिक क्षेत्र के संगठनों, सिविल सोसाइटी समूहों और स्थानीय समुदायों के लिए मल्टी-स्टेकहोल्डर मंचों की स्थापना कर सकते हैं. ये मंच तमाम स्टेकहोल्डर्स को विचारों, विशेषज्ञताओं और संसाधनों का संचार, समन्वय और आदान-प्रदान करने में सक्षम बना सकेंगे.

मौजूदा वैश्विक चुनौतियों में ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ सक्षमता सुनिश्चित करना, घरेलू अर्थव्यवस्थाओं में दोबारा जान फूंकना और उनका पुनर्निर्माण करना और विषमता के तमाम रूप शामिल हैं. अगर सतत् विकास लक्ष्यों और पेरिस समझौते के उद्देश्यों के लिए 2030 की समय सीमा हासिल करनी है, तो पर्यावरण संरक्षण, आर्थिक विकास और सामाजिक विषमता के लिए नीतियों का तालमेल बिठाने की क़वायद अब पहले से कहीं ज़्यादा अहम हो गई है.


एट्रिब्यूशन: गगन दीप शर्मा और ऐशना खरबंदा, द रोल ऑफ ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर इन बायोडायवर्सिटी कंज़रवेशन,” T20 पॉलिसी ब्रीफ, जून 2023


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Authors

Aeshna Kharbanda

Aeshna Kharbanda

Aeshna Kharbanda Research Scholar University School of Management Studies Guru Gobind Singh Indraprastha University New Delhi India

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Gagan Deep Sharma

Gagan Deep Sharma

Gagan Deep Sharma Professor University School of Management Studies Guru Gobind Singh Indraprastha University New Delhi India

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