म्यांमार जब धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लौटने की तैयारी कर रहा था, कोविड-19 महामारी के मामलों में अचानक बढ़ोत्तरी ने काफ़ी विनाशकारी स्थिति पैदा कर दी है. 19 सितंबर 2020 के आंकड़े 81 मौतों के साथ 4,870 मामले बता रहे थे. पहला स्थानीय मामला 16 अगस्त को रखाइन प्रांत में सामने आया था. तब से, मरीज़ों की संख्या चौगुना हो गई है. इसके चलते लोगों के घरों के अंदर रहने की नए सिरे से नीति बनाई गई है जिसने नागरिकों के दिलों में फिर से बीमारी का डर पैदा हो.
मौजूदा हालात में, कहा जा रहा है कि दूसरी लहर ज़्यादा घातक है, क्योंकि यह बहुत कम समय में पहले ही हजारों लोगों को संक्रमित कर चुकी है. बेचैनी की एक वजह मौतों की संख्या में कई गुना की बढ़ोत्तरी है. इसके साथ ही, कई कारक दूसरी लहर को और बदतर बना सकते हैं. उदाहरण के लिए, लोगों की रहन-सहन आदतों में बदलाव, इम्युनिटी का निम्न स्तर और वायरस स्ट्रेन में ख़ास म्यूटेशन (उत्परिवर्तन). लोगों द्वारा बचाव के उपायों के प्रति लापरवाही को संक्रमण के फैलाव के प्रमुख कारणों में से एक माना गया है.
जून में, देश ने अपनी कुछ कोविड -19 पाबंदियों को ढीला करना शुरू कर दिया था. रेस्तरां, होटल और स्कूल फिर से खुल गए. देश में यात्राएं फिर से शुरू हो गईं, हालांकि, धर्मस्थलों पर जाने पर रोक है. वैसे, पिछले कुछ हफ़्तों में देखा गया है कि लोग बिना मास्क लगाए, या सोशल डिस्टेंसिंग मानकों का पालन किए अपने नियमित कामकाज कर रहे हैं. फ्लाइट की छूट मिलने से सैलानियों ने भी क्षेत्र में आना शुरू कर दिया है.
जून में, देश ने अपनी कुछ कोविड -19 पाबंदियों को ढीला करना शुरू कर दिया था. रेस्तरां, होटल और स्कूल फिर से खुल गए. देश में यात्राएं फिर से शुरू हो गईं, हालांकि, धर्मस्थलों पर जाने पर रोक है. वैसे, पिछले कुछ हफ़्तों में देखा गया है कि लोग बिना मास्क लगाए, या सोशल डिस्टेंसिंग मानकों का पालन किए अपने नियमित कामकाज कर रहे हैं.
यहां तक कि स्टेट काउंसलर (प्रधानमंत्री) द्वारा अपने सोशल मीडिया हैंडल पर देश भर में लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है और सुरक्षा उपायों का पालन नहीं करने पर दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है, फिर भी लोगों ने सलाह पर ध्यान नहीं दिया. जुलाई के लगभग एक महीने के अंतराल के बाद, वायरस ने 16 अगस्त को रखाइन में कोविड ने एक युवक को चपेट में ले लिया और फिर वायरस फैलना शुरू हो गया.
नया एपिसेंटर
रखाइन प्रांत की राजधानी सितवे नई लहर का केंद्र बन गई है. रखाइन पिछले कुछ समय से आंतरिक संघर्ष से जूझ रहा है. महामारी अपने चरम पर होने के बावजूद, अराकान सेना और तत्मादाव (सशस्त्र बल) के बीच लड़ाई जारी है, जिससे आंतरिक रूप से बहुत से लोग विस्थापित हुए हैं और संपत्ति व जिंदगियों का नुकसान हो रहा है. अगर हम क़रीब से देखें तो रखाइन म्यांमार का दूसरा सबसे ग़रीब प्रांत है. यहां कुछ सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में हेल्थ वर्कर की अनुपलब्धता के साथ स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हैं.
रखाइन प्रांत में 83,000 की आबादी पर सिर्फ़ एक डॉक्टर है. तमाम रिपोर्टों के अनुसार सितवे का सरकारी अस्पताल ज़्यादा लोगों की देखभाल के लिए अक्षम है. अब शैक्षिक संस्थानों को क्वारंटाइ सेंटर में बदलने की योजना बनाई जा रही है, लेकिन यहां योग्य हेल्थ प्रोफेशनल्स की कमी है. इसके अलावा, यह पाया गया है कि अधिकांश संक्रमित हुए लोगों का अंतरराष्ट्रीय यात्रा या कोविड मरीज़ों के संपर्क में आने का ज्ञात इतिहास नहीं है. इसे लेकर चिंता जताई जा रही है कि राज्य की सीमित स्वास्थ्य सुविधाएं जल्द चरमरा सकती हैं.
रखाइन प्रांत में 83,000 की आबादी पर सिर्फ़ एक डॉक्टर है. तमाम रिपोर्टों के अनुसार सितवे का सरकारी अस्पताल ज़्यादा लोगों की देखभाल के लिए अक्षम है. अब शैक्षिक संस्थानों को क्वारंटाइ सेंटर में बदलने की योजना बनाई जा रही है, लेकिन यहां योग्य हेल्थ प्रोफेशनल्स की कमी है.
शिविरों में रहने वालों को ज़्यादा जोख़िम
ख़तरे का एक और संभावित क्षेत्र आईडीपी (देश के अंदर विस्थापित लोग) शिविर क्षेत्र बने हैं जहां अधिकांशतः विस्थापित रोहिंग्या रहते हैं. अभी तक शिविर क्षेत्रों के भीतर वायरस के प्रसार के बारे में कोई ख़बर नहीं है. हालांकि, चिंता फिर भी बनी हुई है. इन शिविरों में वायरस का प्रसार होता है तो यह बहुत ख़तरनाक होगा.
यह एक सर्वविदित तथ्य है कि सितवे की स्थानीय आबादी की तुलना में कैंप वासियों को वायरस का अधिक ख़तरा है. खुले शेल्टर, ख़राब पानी, साफ़-सफ़ाई की सुविधा या भोजन की व्यवस्था उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमज़ोर बना देते है. इससे भी बड़ी बात यह कि, हेल्थकेयर सुविधाओं और क्षमताओं की अपनी सीमाएं हैं. यहां सीमित संख्या में बेड वाले सरकार द्वारा संचालित सिर्फ़ दो स्वास्थ्य केंद्र हैं, जिन तक दूरदराज के शिविरों में रहने वालों की पहुंच नहीं हैं. यह अक्सर पेशेवर कर्मचारियों के बजाय अप्रशिक्षित चिकित्सा कर्मचारियों की निगरानी में चलते हैं, जो सिर्फ़ मामूली ट्रीटमेंट करते हैं.
यहां सीमित संख्या में बेड वाले सरकार द्वारा संचालित सिर्फ़ दो स्वास्थ्य केंद्र हैं, जिन तक दूरदराज के शिविरों में रहने वालों की पहुंच नहीं हैं. यह अक्सर पेशेवर कर्मचारियों के बजाय अप्रशिक्षित चिकित्सा कर्मचारियों की निगरानी में चलते हैं, जो सिर्फ़ मामूली ट्रीटमेंट करते हैं.
इन केंद्रों में पर्याप्त चिकित्सा उपकरणों और दवाओं का भी अभाव है. अधिकारियों का कहना है कि विस्थापित रोहिंग्याओं की टेस्टिंग की जा रही है, हालांकि, टेस्टिंग की संख्या के बारे में नहीं बताया गया है. आशंका का एक और मामला ताज़ा रिपोर्ट है, जिसमें शिविर क्षेत्रों के भीतर काम कर रहे कुछ हेल्थ वर्कर और गैर-सरकारी संगठनों के कर्मचारियों में पॉजिटिव मामलों की संभावना जताई गई है.
उचित समाधान
हालांकि, देश फिर से महामारी का संक्रमण रोकने और पाबंदियों को लागू करने के लिए कोशिशें कर रहा है, लेकिन व्यवस्था के भीतर ख़ामियां उभर कर सामने आ रही हैं. यांगून में इस समय मरीज़ों की संख्या बढ़ रही है. कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग से यांगून और मोन प्रांत की राजधानी मॉवलमाइन में चार मामलों का पता चला है, जो रखाइन में महामारी से जुड़े हैं. सरकार और मीडिया ने दोषारोपण का खेल शुरू कर दिया है, और पिछले कुछ महीनों में रखाइन से यांगून की यात्रा करने वालों की ट्रेसिंग की जा रही है और उनके नाम तमाम समाचार पत्रों में उछाले जा रहे हैं.
लोगों को खुद स्वेच्छा से पेश होने के लिए कहा जा रहा है, ऐसा नहीं करने पर उनके ख़िलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. यह कलंकित किया जाना ज़्यादा दहशत पैदा कर रहा है और आगे चलकर हिंसा या मॉब लिंचिंग में परिवर्तित हो सकता है. कलंक और डर के बजाय लोगों को पर्याप्त समर्थन, सही इलाज और देखभाल की ज़रूरत है. साथ ही, सरकारी मशीनरी को एकजुटता सुनिश्चित करने की ज़रूरत है ताकि राष्ट्र एक साथ मौजूदा प्रसार पर काबू पाने में कामयाब हो. ज़्यादा डर कम प्रतिक्रिया और इसके चलते देरी का कारण बन सकता है.
घरों के अंदर रहने के आदेशों के अलावा, अधिकारियों को टेस्टिंग क्षमता बढ़ाने की ज़रूरत है. सूचना और सेवाओं का उचित डिस्ट्रीब्यूशन सुनिश्चित करने के लिए रखाइन प्रांत में 4जी इंटरनेट सेवाओं को फ़ौरन बहाल करने की ज़रूरत है.
सरकार को अपने स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे और क्षमता को बढ़ाने की ज़रूरत है. मास्क पहनना, शारीरिक दूरी और स्वच्छता को बनाए रखने सहित लगातार सतर्कता बरतनी होगी. यह समझना ज़रूरी है कि एक वैक्सीन तैयार होने के बाद भी, संभावना है कि इस तरह के बचाव के उपाय आगे कुछ समय के लिए ज़रूरी होंगे, जब तक कि वैक्सीन के असर को सुनिश्चित और स्थायी नहीं किया जाता है. घरों के अंदर रहने के आदेशों के अलावा, अधिकारियों को टेस्टिंग क्षमता बढ़ाने की ज़रूरत है. सूचना और सेवाओं का उचित डिस्ट्रीब्यूशन सुनिश्चित करने के लिए रखाइन प्रांत में 4जी इंटरनेट सेवाओं को फ़ौरन बहाल करने की ज़रूरत है.
इसके विस्थापितों और राष्ट्र-विहीन लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है. यूएनएचसीआर ने राष्ट्र-विहीन और विस्थापित लोगों के समावेशन के उद्देश्य से 94 लाख डॉलर का प्रोग्राम तैयार किया है. समुचित मात्रा में धन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मानवीय सहायता संगठनों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ साझीदारी महत्वपूर्ण होगी. कहने को बहुत कुछ है, मगर संक्रमण की दूसरी लहर का सामना करने में राजनीतिक इच्छाशक्ति और सरकार के कदम उठाने के साथ आम जनता की भागीदारी भी महत्वपूर्ण होगी.
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