ताइवान मामले में भारत ने पहली बार चीन को जमकर लताड़ा है. ताइवान से लेकर श्रीलंका तक चीनी दादागिरी पर भारत ने चीन को आईना दिखाया है. श्रीलंका में चीनी राजदूत के कठोर बयान के बाद कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने चीन को करारा जवाब दिया है. भारत ने पहली बार ताइवान का जिक्र करके चीन के दुखती रग पर जोरदार पलटवार किया. भारत ने ताइवान जलडमरूमध्य में चीन की ओर से किए जा रहे विनाशकारी हथियारों के जमावड़े का उल्लेख किया. भारत के इस बयान से चीन जरूर अचरज में पड़ा होगा. आखिर भारत के बयान के क्या कूटनीतिक मायने हैं.
भारत ने ताइवान जलडमरूमध्य में चीन की ओर से किए जा रहे विनाशकारी हथियारों के जमावड़े का उल्लेख किया. भारत के इस बयान से चीन जरूर अचरज में पड़ा होगा. आखिर भारत के बयान के क्या कूटनीतिक मायने हैं.
1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि ताइवान के मामले में भारतीय नीति ज्यादातर तटस्थता की रही है. यही कारण है कि चीन और ताइवान विवाद पर भारत मौन ही रहता है. इधर, भारत-चीन सीमा विवाद के बाद नई दिल्ली के रुख में बदलाव आया है. भारत ने अब ताइवान विवाद पर एक चीनी नीति का उल्लेख किया है. उन्होंने कहा कि ताइवान को लेकर शायद भारत पहली बार खुलकर बोला है.
2- प्रो पंत ने कहा कि भारत-चीन सीमा विवाद पर नई दिल्ली के रुख में बदलाव के संकेत हैं. भारत की प्रतिक्रिया को इसी रूप में देखा जाना चाहिए. भारत सीमा पर चीन का आक्रामक रुख नई दिल्ली के लिए चिंता का सबब है. ऐसे में भारत ने यह जता दिया है कि ड्रैगन इसे भारत की कमजोरी नहीं समझे, बल्कि पड़ोसियों के साथ बेहतर संबंध बनाने की उसकी इच्छा है. हाल में चीन ने श्रीलंका सरकार पर हंबनटोटा बंदरगाह पर जिस तरह से दबाव बनाने की रणनीति चली उससे भारत निश्चित रूप से आहत हुआ है.
भारत ने अभी तक चीन की इस चाल पर पर्दा डालकर रखा था, लेकिन अब पानी सिर के ऊपर से निकल रहा है.
3- प्रो पंत ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत को चीन को उसकी ही भाषा में समझाना होगा. चीन के प्रति उसकी उदार दृष्टिकोण को वह भारत की कमजोरी समझ रहा है. उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि चीन के प्रति भारत की रणनीति में बदलाव किया जाए. उन्होंने भारत के इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि चीन को सही समय पर करारा जवाब दिया गया है.
4- उन्होंने कहा कि चीन, ताइवान के मामले में जिस तरह से आक्रामक है, उससे यह बात सिद्ध हो जाती है कि इसके बाद वह भारत के खिलाफ भी इस तरह के कदम उठा सकता है. उन्होंने कहा कि वह श्रीलंका, नेपाल और पाकिस्तान को भारत के खिलाफ उकसाने की रणनीति अपनाता रहा है. हालांकि, भारत ने अभी तक चीन की इस चाल पर पर्दा डालकर रखा था, लेकिन अब पानी सिर के ऊपर से निकल रहा है.
भारत को अखर गया चीनी राजदूत का बयान
खास बात यह है कि भारत और चीन के बीच विवाद में ताइवान का जिक्र ऐसे समय पर आया है, जब चीनी सेना का जासूसी जहाज को लेकर कूटनीतिक विवाद चरम पर है. इस क्रम में श्रीलंका में चीन के राजदूत ने अपना बयान देते हुए कहा है कि श्रीलंका अपने उत्तरी पड़ोसी यानी भारत की आक्रामकता का सामना कर रहा है. इस पर पलटवार पर करते हुए भारतीय उच्चायोग ने चीनी राजदूत के बयान को राजनयिक शिष्टाचार का उल्लंघन बताया था.
क्या है भारत का जबाव
1- भारतीय उच्चायोग ने कहा कि हमने चीनी राजदूत की टिप्पणियों पर गौर किया है. बुनियादी राजनयिक शिष्टाचार का उल्लंघन उनका एक व्यक्तिगत गुण हो सकता है या किसी व्यापक राष्ट्रीय रवैये को दर्शाता है. हम उन्हें आश्वस्त करते हैं कि भारत इससे बहुत अलग है. भारत ने कहा कि आज श्रीलंका को मदद की जरूरत है न कि किसी दूसरे देश के एजेंडे को पूरा करने के लिए अवांछित दबाव या अनावश्यक विवादों की जरूरत है.
भारतीय उच्चायोग ने कहा कि हमने चीनी राजदूत की टिप्पणियों पर गौर किया है. बुनियादी राजनयिक शिष्टाचार का उल्लंघन उनका एक व्यक्तिगत गुण हो सकता है या किसी व्यापक राष्ट्रीय रवैये को दर्शाता है. हम उन्हें आश्वस्त करते हैं कि भारत इससे बहुत अलग है.
2- इसके साथ भारत ने यह भी अपील की है कि ताइवान स्ट्रेट में यथास्थिति बदलने के लिए एकतरफा कार्रवाई से बचा जाए. भारत ने कहा है कि ताइवान जलडमरूमध्य में तनाव को कम करने के प्रयास किया जाना चाहिए. इस इलाके में स्थिरता और शांति को बरकरार रखा जाए. 12 अगस्त को भारतीय विदेश मंत्रालय से जब यह पूछा गया कि क्या आप एक चीन नीति को दोहराएंगे जैसाकि चीन की ओर से अनुरोध किया गया है तो तब मंत्रालय ने कहा कि भारत की प्रासंगिक नीतियां सभी जानते हैं और यह लगातार बनी हुई हैं. उच्चायोग ने कहा कि उसे दोबारा उसे दोहराने की जरूरत नहीं है.
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यह लेख जागरण में प्रकाशित हो चुका है
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