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अमेरिकी कांग्रेस की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्�
ये दलील दी जाती है कि एक बार ताइवान पर चीन का कब्ज़ा हो जान�
ये दलील दी जाती है कि एक बार ताइवान पर चीन का कब्ज़ा हो जान�
Once Taiwan is taken over, it is argued, the PLA will have a freer hand to deal with India and even recover other disputed territories.
एक स्पष्टतया भिन्न चीन नीति, जो बीजिंग के प्रति कोई रियाय�
There are multiple reasons for African countries to be cautiously optimistic about the new US policy.
चीन की सेनाओं ने हाल ही में जो युद्धाभ्यास किया, उसका मक़स
हाल ही में हुई नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा शी जिनपिंग क�
हाल ही में हुई नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा शी जिनपिंग क�
The clash of the frontier between the US and China is inevitable; Nancy Pelosi’s Taiwan visit has simply brought this truth nearer.
The political compulsion to carve a distinct China policy which is not concessional to Beijing has kept the Biden administration torn.
The recent military drills by the PLA are to ascertain the nature of Taiwan’s response.
अमेरिकी सीनेट की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा
The recent visit by Nancy Pelosi to Taiwan indicates limitations in Xi Jinping’s strategic outreach.
चीन की महायुद्ध की धमकी के बावजूद नैंसी पेलोसी ताइवान की �
नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क
ख़ुद को रूस से ज़्यादा ताक़तवर जताने के लिए बेक़रार चीन न�
ख़ुद को रूस से ज़्यादा ताक़तवर जताने के लिए बेक़रार चीन न�
China, keen to demonstrate that it is more powerful than Russia, has issued dire warnings to Washington against Pelosi’s visit
अमेरिकी कांग्रेस की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान की यात्रा को लेकर भारत ने बहुत संभल कर चल रहा है. भारत की ओर से इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. भारत ने पूरे मामले म�
अगर चीन शक्ति प्रदर्शन के जरिए ताइवान का स्टेटस बदलता है तो हिंद प्रशांत पर तो इसका प्रभाव होगा ही, उससे बड़ा प्रभाव इसका ग्लोबल ऑर्डर पर पड़ेगा.
भारत ने पहली बार ताइवान का जिक्र करके चीन के दुखती रग पर जोरदार पलटवार किया. भारत ने से ताइवान जलडमरूमध्य में चीन की ओर से किए जा रहे विनाशकारी हथियारों के जमावड़े का उल्�
ताइवान बनाम चीन ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर ताइवान ने अपनी सुरक्षा के लिए क्या रणनीति बनाई है. आखिर वह किस महाविनाशक हथियारों के दम पर चीन को चुनौती देता है. आइए जानते हैं
एकदा तैवानवर वर्चस्व प्रस्थापित केले, की पिपल्स लिबरेशन आर्मीला भारताकडे पाहून घेण्यास आणि वादग्रस्त भूभाग परत मिळवण्यास मोकळे रान मिळेल, असा मतप्रवाह आहे.
चीन की महायुद्ध की धमकी के बावजूद नैंसी पेलोसी ताइवान की धरती पर सुरक्षित पहुंच गई है. इससे यह सवाल उठता है कि क्या चीन अमेरिका से डर गया. चीन ऐस मौके पर बैकफुट पर क्यों आ गया. �
अमेरिकी कांग्रेस की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद कई अमेरिकी नेता भी वहां पहुंचे हैं. आखिर नैंसी पेलोसी की यात्रा के बाद चीन की क्या रणनीति है. क्या चीन अमेर�
नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या अमेरिका चीन की सैन्य धमकी से डर गया. आखिर उसने नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर मौन क्यों हो गया. आखिर इसके पीछे �
रशियापेक्षा आपण अधिक सामर्थ्यवान असल्याचे दाखवून देण्यास उत्सुक असलेल्या चीनने पेलोसीच्या भेटीविरुद्ध वॉशिंग्टनला गंभीर इशारे दिले आहेत.