-
CENTRES
Progammes & Centres
Location
भारतीय सेना विगत कुछ सप्ताह और महीनों में अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोग को लेकर काफी व्यस्त रही हैं. भारतीय सेना ने जिन देशों के साथ संयुक्त और बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास किया है, उसकी संख्या काफी प्रभावशाली है. इसे सुरक्षा सहयोग के क्षेत्र में भारत की बढ़ती सहजता का उल्लेखनीय संकेतक माना जाएगा. भले ही यह उसके रणनीतिक साझेदारों के साथ आरंभिक चरण में ही क्यों न हो.
भारत और अमेरिका (यूएस) के बीच गहराती रणनीतिक और सुरक्षा साझेदारी को प्रतिबिंबित करते हुए, नवंबर के मध्य में, भारतीय और अमेरिकी सेनाओं ने भारत और चीन के बीच वास्तविक सीमा अर्थात वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के करीब ‘‘युद्ध अभ्यास’’ का अभ्यास किया था. इस युद्ध अभ्यास के 18वें पड़ाव, ‘युद्ध अभ्यास 22’ का आयोजन उत्तराखंड के औली में किया गया था. भारतीय रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी किए गए एक बयान के अनुसार इसका लक्ष्य सर्वोत्तम प्रथाओं, रणनीति, तकनीकों और प्रक्रियाओं को साझा करने का था. 11वीं एयरबोर्न डिवीजन की सेकेंड ब्रिगेड में शामिल यूएस आर्मी सोल्जर्स अर्थात सेना के सैनिकों तथा भारतीय सेना की असम रेजिमेंट के सैनिकों ने इसमें हिस्सा लिया था. इस अभ्यास में शांति स्थापना और शांति प्रवर्तन के साथ-साथ मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) संचालन पर ध्यान केंद्रित किया गया था, ताकि प्राकृतिक आपदा में ‘‘त्वरित और समन्वित राहत प्रयास’’ किए जा सके. अभ्यास के फील्ड ट्रेनिंग एक्सरसाइज अर्थात क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास घटक में ‘‘एकीकृत युद्ध समूहों का सत्यापन, फोर्स मल्टीप्लायर्स अर्थात बल गुणक, निगरानी ग्रिड की स्थापना और कामकाज, परिचालन रसद का सत्यापन, पर्वतीय युद्ध कौशल, हताहत अथवा घायलों की निकासी और प्रतिकूल इलाके और जलवायु परिस्थितियों में चिकित्सा सहायता का मुकाबला करना शामिल था’’. इसे लेकर भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने ट्वीट किया था कि, ‘‘युद्ध अभ्यास जैसा संयुक्त सैन्य अभ्यास हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है. इसकी वजह से अंतर-क्षमता में सुधार होता है और यह अभ्यास अमेरिका-भारत के बीच की रक्षा साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाता है.’’
भारतीय सेना ने जिन देशों के साथ संयुक्त और बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास किया है, उसकी संख्या काफी प्रभावशाली है. इसे सुरक्षा सहयोग के क्षेत्र में भारत की बढ़ती सहजता का उल्लेखनीय संकेतक माना जाएगा.
यह युद्ध अभ्यास चल ही रहा था कि भारतीय सेना ने अपने एक अन्य सामरिक साझेदार ऑस्ट्रेलिया के साथ एक और अभ्यास शुरू कर दिया. पाकिस्तान की सीमा से लगे भारत के पश्चिमी राज्य राजस्थान में भारतीय सेना और ऑस्ट्रेलियाई सेना की टुकड़ियों के बीच अभ्यास ‘‘ऑस्ट्रा हिंद’’ का आयोजन 28 नवंबर से दो सप्ताह के लिए किया गया था. ऑस्ट्रा हिंद सैन्य अभ्यास की नई श्रृंखला के इस पहले अभ्यास का आयोजन महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में किया गया था. ऑस्ट्रेलियाई पक्ष का प्रतिनिधित्व सेकेंड अर्थात द्वितीय डिवीजन की 13वीं ब्रिगेड के सैनिकों ने किया, जबकि भारत की ओर से इस अभ्यास में डोगरा रेजिमेंट ने हिस्सा लिया था. इस संयुक्त सैन्य अभ्यास का लक्ष्य सकारात्मक सैन्य संबंधों को विकसित करने के साथ ही सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करते हुए ‘‘संयुक्त राष्ट्र शांति प्रवर्तन जनादेश के तहत अर्ध-रेगिस्तानी इलाके में बहु-डोमेन अर्थात बहु-क्षेत्रीय संचालन कर एक साथ काम करने की क्षमता को बढ़ावा देना’’ था. भारतीय रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी किए गए एक बयान में बताया गया है कि यह अभ्यास ‘‘स्नाइपर्स, निगरानी और संचार उपकरण समेत नई पीढ़ी के उपकरण और अन्य विशेषज्ञ हथियारों के साथ प्रशिक्षण पर केंद्रित था, ताकि दुर्घटना प्रबंधन, दुर्घटना निकासी और बटालियन और कंपनी स्तर पर रसद की योजना बनाने के अलावा उच्च स्तर की स्थितिजन्य जागरूकता प्राप्त की जा सके.’’
इसी बीच भारत और सिंगापुर की सेनाओं ने अपनी ‘‘एक्सरसाइज अग्नि वॉरियर’’ अर्थात ‘‘अभ्यास अग्नि योद्धा’’ के अपने 12वें संस्करण का आयोजन भारतीय राज्य महाराष्ट्र के देवलाली में किया था. भारत और सिंगापुर की सेनाओं के बीच इस द्विपक्षीय अभ्यास की शुरुआत 13 नवंबर को हुई और यह 30 नवंबर को समाप्त हुआ. भारतीय रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार यह अभ्यास ‘‘दोनों सेनाओं की आर्टिलरी अर्थात तोपखाना की संयुक्त गोलाबारी योजना, निष्पादन और नई पीढ़ी के उपकरणों के उपयोग’’ को प्रदर्शित करने का एक अवसर था. दोनों सेनाओं ने अपने संयुक्त प्रशिक्षण चरण के दौरान ‘‘आला तकनीक और आर्टिलरी ऑब्जर्वेशन सिमुलेटर अर्थात तोपखाना निगरानी अनुकारक’’ का उपयोग किया था. सिंगापुर की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि इस द्विपक्षीय अभ्यास में दोनों सेनाओं के कुल 270 सैन्यकर्मी शामिल हुए थे. इस अभ्यास के महत्व को समझाते हुए सिंगापुर सशस्त्र बल के मुख्य आर्टिलरी अधिकारी, कर्नल देवीश जेम्स ने कहा कि यह अभ्यास ‘‘हमारे गनर्स अर्थात तोपची को मैदान में एक साथ प्रशिक्षित होने का मौका देता है. जटिल और यथार्थवादी प्रशिक्षण के संचालन के लिए सिंगापुर आर्टिलरी को विशाल प्रशिक्षण स्थलों की जरूरत होती है. इसके लिए ही हम इस तरह के प्रशिक्षण आयोजित करने का मौका उपलब्ध करवाने के लिए भारतीय सेना की ओर से मिलने वाले दीर्घकालिक समर्थन की गहराई से सराहना करते हैं.’’ इस द्विपक्षीय अभ्यास की शुरुआत 2004 में सेनाओं के बीच हुए द्विपक्षीय समझौते के बाद हुई थी. अब अभ्यास के माध्यम से होने वाली लगातार बातचीत, कर्मचारी संवाद, सैन्य आदान-प्रदान और एक-दूसरे के पाठ्यक्रमों में सैनिकों की मौजूदगी यानी क्रॉस अटेंडेंस अर्थात आदान-प्रदान का एक लंबा इतिहास बन चुका है.
भारत ने दक्षिणपूर्व एशिया के अपने एक अन्य पड़ोसी और सहयोगी इंडोनेशिया के साथ भी सैन्य अभ्यास का आयोजन किया था. 21 नवंबर से लगभग दो सप्ताह तक भारतीय और इंडोनेशियाई विशेष बलों के बीच ‘‘गरुड़ शक्ति अभ्यास’’ आयोजित किया गया था. इस द्विपक्षीय संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास का आयोजन इंडोनेशिया के करावांग में स्थित सांगा बुआना प्रशिक्षण क्षेत्र में किया गया था. अभ्यास गरुड़ शक्ति के बैनर के तहत द्विपक्षीय अभ्यासों की श्रृंखला का यह आठवां संस्करण था. अन्य सामरिक सहयोगियों की तरह ही गरुड़ शक्ति अभ्यास का लक्ष्य दोनों सेनाओं के विशेष बलों के ‘‘बीच समझ, सहयोग और अंतर परिचालन’’ को बढ़ावा देना है. संयुक्त अभ्यास के दायरे में विशेष बलों के कौशल को उन्नत करने के लिए उन्मुखीकरण, हथियार, उपकरण, नवाचार, रणनीति, तकनीकी और प्रक्रियाओं पर जानकारी साझा करना था. इस अभ्यास के माध्यम से ‘‘दोनों देशों की जीवन शैली और संस्कृति में परिज्ञान प्राप्त करने’’ के अलावा बुनियादी और अग्रिम विशेष बलों के कौशल को एकीकृत करने वाले अभ्यास का सत्यापन शामिल है. यह संयुक्त अभ्यास दोनों सेनाओं को एक-दूसरे को बेहतर तरीके से जानने और दोनों देशों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध सुनिश्चित करने और क्षेत्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में अजिर्त की गई दिशा में हासिल की गई एक महत्वपूर्ण उपलिब्ध है.’’ इसके पहले जून में दोनों देशों ने भारतीय नौसेना और इंडोनेशियाई नौसेना के बीच भारत-इंडोनेशिया समन्वित गश्ती (इंड-इंडो कॉरपेट) का 38वां संस्करण 13 से 24 जून 2022 तक आयोजित किया था. इसमें अंडमान और निकोबार कमान (एएनसी) तथा इंडोनेशियाई नौसेना ने अंडमान सागर और मलक्का जलसंधि में 13 जून से दस दिनों से ज्यादा की अवधि तक हिस्सा लिया था. तीन वर्ष पूर्व महामारी आरंभ होने के बाद यह पहला अवसर था जब कॉरपेट का आयोजन किया गया था. यह एक ओर जहां भारत और इंडोनेशिया के बीच बढ़ते आपसी विश्वास का एक और उदाहरण हैं, तो दूसरी ओर भारत की सुरक्षा और सैन्य आउटरीच अर्थात पहुंच से जुड़ी संलग्नताओं की सहजता का भी प्रमाण है.
पिछले कुछ माह में दक्षिण पूर्व एशिया काफी अहम रहा है. भारत ने नवंबर-दिसंबर के दौरान तीसरे दक्षिणपूर्वी एशियाई देश, मलेशिया के साथ भी संयुक्त सैन्य अभ्यास में हिस्सा लिया था. 2012 से आरंभ हुआ यह अभ्यास 28 नवंबर से 12 दिसंबर के बीच मलेशिया स्थित क्लांग के पुलाई में आयोजित किया गया था. भारतीय सेना की गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट और मलेशियाई सेना की रॉयल मलय रेजिमेंट ने बटालियन स्तर और कंपनी स्तर के फील्ड ट्रेनिंग एक्सरसाइज (एफटीएक्स) पर एक कमांड प्लानिंग एक्सरसाइज (सीपीएक्स) को शामिल करते हुए ‘‘वन क्षेत्र में विभिन्न अभियानों की योजना और निष्पादन में इंटर ऑपरेबिलिटी अर्थात अंतर-संचालनीयता’’ को मजबूत करने का लक्ष्य लेकर अभ्यास में हिस्सा लिया था. भारतीय रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, हरिमऊ शक्ति अभियान का आयोजन ‘‘भारत और मलेशियाई सेना के बीच रक्षा सहयोग के स्तर को और बढ़ाने’’ के लक्ष्य के साथ किया गया था.
मध्य एशिया के अपने एक अन्य सहयोगी कज़ाख़िस्तान के साथ भारत ने ‘‘एक्स काजिंद’’ के तहत सैन्य अभ्यास किया था. 2016 में आरंभ इस अभ्यास के छठे संस्करण का आयोजन 15 से 28 दिसंबर, 2022 तक उमरोई (मेघालय) में किया गया था. अन्य अभ्यासों के साथ ही एक्स काजिंद में सैनिक संयुक्त योजना, संयुक्त सामरिक अभ्यास, विशेष हथियार कौशल, एचएडीआर और होस्टाइल टार्गेट अर्थात शत्रुतापूर्ण लक्ष्य पर हमला करने से लेकर विभिन्न मिशनों का अभ्यास किया गया. इसी प्रकार भारत और नेपाल की सेनाओं के बीच भारत-नेपाल संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास का 16वां संस्करण ‘‘सूर्य किरण XVI’’ का 16 से 29 दिसंबर 2022 तक नेपाल में सलझंडी के नेपाल आर्मी बैटल स्कूल में आयोजित किया गया था. इसमें संयुक्त राष्ट्र के शासनादेश के तहत पहाड़ी इलाकों में जंगल युद्ध तथा आतंकवाद रोधी अभियानों में मानवीय सहायता एवं आपदा राहत कार्यों में अंतर-क्षमता बढ़ाने का लक्ष्य था.
इन द्विपक्षीय सैन्य अभ्यासों के साथ ही भारत ने बहुराष्ट्रीय मालाबार अभ्यास, जापान के समुद्र में किया था. भारतीय और अमेरिकी नौसेनाओं के बीच द्विपक्षीय अभ्यान के रूप में शुरू हुआ मालाबार अभ्यास का 2022 में किया गया आयोजन इसकी 30वीं वर्षगांठ भी थी. 2015 से ही जापान इस मालाबार अभ्यास का स्थायी सहयोगी है, जबकि ऑस्ट्रेलिया भी इसमें 2020 से हिस्सा ले रहा है. इस मर्तबा के अभ्यास में भारतीय नौसेना के आईएनएस शिवालिक और आईएनएस कदमत ने हिस्सा लिया, जिसका नेतृत्व फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग ईस्टर्न फ्लीट रियर एडमिरल संजय भल्ला कर रहे थे. यह अभ्यास कई द्विपक्षीय लॉजिस्टिक्स अर्थात रसद समर्थन समझौतों को मान्य करने का एक अवसर भी था, जिस पर भारत ने अन्य सदस्य देशों के साथ हस्ताक्षर कर रखे हैं. मालाबार अभ्यास के प्रत्येक संस्करण का आयोजन इसमें शामिल होने वाले देशों के लिए एक-दूसरे की परिचालन पद्धतियों और रणनीति की समझ को मजबूत करता चला गया है. ऐसे में यह भारत-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री चुनौतियों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने की इन देशों की कोशिशों के लिए मील का पत्थर साबित होगा.
पिछले कुछ माह में दक्षिण पूर्व एशिया काफी अहम रहा है. भारत ने नवंबर-दिसंबर के दौरान तीसरे दक्षिणपूर्वी एशियाई देश, मलेशिया के साथ भी संयुक्त सैन्य अभ्यास में हिस्सा लिया था.
अनेक रणनीतिक साझेदारों के साथ किए जा रहे ये सैन्य अभ्यास, सुरक्षा को लेकर भारत के नए दृष्टिकोण में कुछ अलग-अलग मार्करों अर्थात चिन्हकों को दर्शाने वाले है. पहली बात तो यह है कि इन सैन्य अभ्यासों में हिस्सा लेकर भारत ने इस तरह के अभ्यासों में शामिल होने की अपनी परंपरागत हिचक को दरकिनार कर दिया है. अब सुरक्षा साझेदारों को लेकर किए जा रहे ये अभ्यास, ऐसे अभ्यासों में शामिल होने को लेकर भारत की नई सहजता और विश्वास के स्तर को दर्शाने वाले है. इन कदमों की वज़ह से भारत, चीन से जुड़ी अपनी समस्या का समाधान खोज रहा है. अपने नए सुरक्षा सहयोगियों के साथ किए जा रहे भारत के युद्ध अभ्यास और इन देशों के साथ उसका जुड़ाव एक नए उद्देश्य, परिष्कार और जटिलताओं की अधिक समझ को उजाग़र करते हैं. दूसरी बात यह है कि, पहले यह माना जाता था कि केवल भारतीय नौसेना ही दूसरे देशों में जाकर संयुक्त अभ्यास में शामिल होती है. लेकिन सुरक्षा से जुड़े बदलते परिदृश्य में भारतीय सेना और वायुसेना भी इस तरह के अभ्यासों में समविचारी देशों के साथ सक्रियता के साथ शामिल होने लगी हैं. उदाहरण के तौर पर भारतीय वायु सेना की एसयू-30 एमकेआई तथा दो सी-17 विमानों की एक टुकड़ी ने 19 अगस्त से आठ सितंबर तक ऑस्ट्रेलिया में संपन्न एक्सरसाइज पिच ब्लैक 2022 में हिस्सा लिया था. 2022 के संस्करण में 17 भागीदार देशों के 100 से अधिक विमानों और 2500 वायु सेना कर्मियों ने इसमें हिस्सा लिया था. इस द्विवार्षिक, बहुराष्ट्रीय अभ्यास की मेज़बानी रॉयल ऑस्ट्रेलियाई वायु सेना की ओर से की जाती है. और अंत में, एक ओर जहां इन सैन्य अभ्यासों की संख्या और विशेषज्ञता में वृद्धि हुई है, इसे लेकर कुछ सवाल भी उठ रहे हैं. अब एक यह सवाल उठ रहा है कि क्या इस तरह का सुरक्षा सहयोग भारत की आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त होगा, क्योंकि इसे अभी भी सुरक्षा सहयोग की दृष्टि से काफी सीमित और अल्पविकसित रूप ही कहा जाएगा.
The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.
Dr Rajeswari (Raji) Pillai Rajagopalan was the Director of the Centre for Security, Strategy and Technology (CSST) at the Observer Research Foundation, New Delhi. Dr ...
Read More +