Author : Manoj Joshi

Originally Published दैनिक भास्कर Published on Dec 11, 2023 Commentaries 0 Hours ago

सवाल यह नहीं है कि इस प्रकरण से भारत और अमेरिका के आपसी संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ेगा या नहीं. अमेरिका के रवैये को देखते हुए इसकी संभावना नहीं है. लेकिन इससे भारत की प्रतिष्ठा को क्षति जरूर पहुंचेगी. 

भारत-अमेरिका संबंध: पन्नू मामले में एक नया आरोप, एक नयी चुनौती

आतंकवाद को रोकने और उसका मुकाबला करने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में भारत सबसे आगे रहा है. इसका कारण यह है कि वह आतंकवाद से गंभीर रूप से पीड़ित रहा है. यही कारण था कि नई दिल्ली ने 1996 में यूएन में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन (सीसीआईटी) का प्रस्ताव रखा था.

इसका लक्ष्य आतंकवाद से निपटने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करना था, जो सभी प्रकार के अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को अपराध घोषित करे और आतंकवादियों और उनकी फंडिंग करने वालों को रोके. आतंकियों और उनके सहयोगियों की धन, हथियारों और सुरक्षित ठिकानों तक पहुंच को बाधित करना भी मकसद था.

अमेरिका पर 911 के हमले के बाद यूएन ने रिजोल्यूशन 1373 को अपनाया और वैश्विक खतरे से निपटने के लिए एक आतंकरोधी समिति बनाई. जाहिर है कि भारत ने इस विषय पर सभी प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर और उनका अनुमोदन किया है.

आज भी भारत सीसीआईटी की मांग करने वाली मुख्य आवाज बना हुआ है, हालांकि यूएन के अन्य सदस्य देशों को इससे दिक्कत है. अपनी विदेशी प्रतिबद्धताओं को ध्यान में रखते हुए अमेरिका चाहता है कि शांतिकाल में सैन्य बलों द्वारा किए गए कृत्यों को इस मसौदे से बाहर रखा जाए.

2020 में रिजोल्यूशन 1373 के पारित होने की 20वीं वर्षगांठ पर बोलते हुए भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि हमें दोहरे मानकों को स्वीकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि आतंकवादी केवल आतंकवादी होते हैं; वो अच्छे या बुरे नहीं होते. आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के बीच की कड़ी को भी पहचानने की जरूरत है.

आज भी भारत सीसीआईटी की मांग करने वाली मुख्य आवाज बना हुआ है, हालांकि यूएन के अन्य सदस्य देशों को इससे दिक्कत है. अपनी विदेशी प्रतिबद्धताओं को ध्यान में रखते हुए अमेरिका चाहता है कि शांतिकाल में सैन्य बलों द्वारा किए गए कृत्यों को इस मसौदे से बाहर रखा जाए.

वहीं इस्लामिक देशों के संगठन ने इजराइल-फिलिस्तीन मुद्दे को ध्यान में रखते हुए फिलिस्तीन मुक्ति आंदोलन को इससे बाहर रखने की मांग की है. कुछ लैटिन अमेरिकी देश ‘स्टेट टेररिज्म’ को कवर करना चाहते हैं. इस पर बहुत कम प्रगति हुई है.

2022 में यूएन महासभा की एक बैठक में बोलते हुए एक भारतीय राजनयिक ने कहा था कि आतंकवाद से निपटने और उसके नेटवर्क को खत्म करने के लिए एक समन्वित नीति तैयार करने की बात तो दूर, संयुक्त राष्ट्र को अभी तक इस पर एक सामान्य परिभाषा पर सहमति बनाना भी बाकी है.

प्रधानमंत्री मोदी सीसीआईटी के सबसे सक्रिय प्रचारकों में से एक रहे हैं. प्रधानमंत्री बनने के बाद संयुक्त राष्ट्र में अपने पहले ही भाषण में उन्होंने सभी देशों से मिलकर आतंकवाद से लड़ने का आग्रह किया था और उनसे सीसीआईटी को अपनाने की बात कही थी.

अमेरिका ने एक अभियोग का खुलासा किया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कथित नशीले पदार्थों के तस्कर निखिल गुप्ता के माध्यम से काम कर रहे एक भारतीय सरकारी अधिकारी ने कुछ महीने पहले न्यूयॉर्क में पन्नू को मारने के लिए एक हिटमैन को तैनात किया था.

उन्होंने पाकिस्तान की भूमिका की ओर इशारा करते हुए कहा था कि कुछ देश अपने क्षेत्र में आतंकवादियों को पनाह देते हैं या आतंकवाद को एक नीतिगत साधन के रूप में उपयोग करते हैं. हाल ही में, नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन में बोलते हुए भी उन्होंने सीसीआईटी के विषय पर कहा था, आज भी आतंकवाद से निपटने पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र में आम सहमति की प्रतीक्षा कर रहा है.

क्या है मामला?

इसी पृष्ठभूमि में हमें खालिस्तान के सिख-अमेरिकी वकील गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के प्रयास से संबंधित घटनाक्रम को समझना चाहिए. अमेरिका ने एक अभियोग का खुलासा किया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कथित नशीले पदार्थों के तस्कर निखिल गुप्ता के माध्यम से काम कर रहे एक भारतीय सरकारी अधिकारी ने कुछ महीने पहले न्यूयॉर्क में पन्नू को मारने के लिए एक हिटमैन को तैनात किया था.

इससे पहले यह आरोप भी लगाया गया था कि भारत सरकार के एजेंटों ने खालिस्तान की मांग करने वाले कनाडाई सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कर दी है. दरअसल, अमेरिकी अभियोग में पन्नू साजिश और निज्जर हत्या के बीच एक कड़ी होने का संकेत किया गया था. भारत सरकार ने कनाडा के आरोप को बेतुका बताते हुए खारिज कर दिया था, लेकिन अमेरिकी आरोप पर उसका कहना है कि उसने उच्चस्तरीय जांच बैठा दी है. गुप्ता के विरुद्ध पर्याप्त सबूत पाए गए हैं.

अपने प्रमुख हितों की पूर्ति और साझा मूल्यों की रक्षा के लिए दोनों देशों के लिए अनुकूल शक्ति संतुलन को साधने की दिशा में आगे बढ़ना अपरिहार्य हो गया है. विशेष रूप से हिंद-प्रशांत के वैश्विक राजनीति एवं आर्थिकी के नए केंद्र के रूप में उभरने और चीनी उभार की बढ़ती चुनौती को देखते हुए यह और भी आवश्यक हो चला है.

भारत की प्रतिष्ठा का सवाल?

सवाल यह नहीं है कि इस प्रकरण से भारत-अमेरिका संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ेगा या नहीं. अमेरिका के रवैये को देखते हुए इसकी संभावना नहीं है. लेकिन इससे भारत की प्रतिष्ठा को क्षति जरूर पहुंचेगी. क्योंकि वह एक ऐसा देश है, जिसने आतंकरोधी नीति में दुनिया का नेतृत्व किया है और अब उसी पर एक निहत्थे व्यक्ति को मारने के लिए एक नारकोटिक्स ऑपरेटर का उपयोग करने का आरोप लगा है. यही तो आतंकवाद है, जिसका भारत विरोध करता रहा था!

सवाल यह नहीं है कि इस प्रकरण से भारत और अमेरिका के आपसी संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ेगा या नहीं. अमेरिका के रवैये को देखते हुए इसकी संभावना नहीं है. लेकिन इससे भारत की प्रतिष्ठा को क्षति जरूर पहुंचेगी. 

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