अमेरिकी राजनीति के लिए बीते कुछ दिन नाटकीय रहे हैं. वहां पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पहले ऐसे अमेरिकी मुखिया बन गए हैं, जिनको कई आपराधिक मामलों का सामना करना पड़ रहा है. उन पर मैनहट्टन अदालत में फर्जीवाड़ा के 34 आरोप लगाए गए हैं. हालांकि, 2016 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले पोर्न स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स को चुपके से पैसे देने के आरोपों में ऐसा कुछ भी नहीं था, जो दुनिया पहले से न जानती थी, लेकिन जिस तरह से सूचनाओं को दबाने के लिए रुपये का लेन-देन किया गया और राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित करने की योजना बनाई गई, वह पिछले कुछ वर्षों में अमेरिकी राजनीति में आई गिरावट की गवाही देती है.
पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पहले ऐसे अमेरिकी मुखिया बन गए हैं, जिनको कई आपराधिक मामलों का सामना करना पड़ रहा है. उन पर मैनहट्टन अदालत में फर्जीवाड़ा के 34 आरोप लगाए गए हैं.
अदालत में खामोश ट्रंप
अदालत में तो ट्रंप खामोश रहे, लेकिन बाहर आकर उन्होंने गरजते हुए कहा कि यह फर्जी मामला है, जिसकी साजिश डेमोक्रेटिक पार्टी ने अगले साल के राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित करने के लिए रची है. डॉनल्ड ट्रंप के मुताबिक, उन्होंने बस एक अपराध किया है कि निडर होकर अपने देश को उन लोगों से बचाने की कोशिश कर रहे हैं, जो इसे तबाह कर देना चाहते हैं. अगले साल जनवरी से इस मामले का ट्रायल शुरू हो सकता है और यदि अदालत के बाहर इसका निपटारा नहीं होता है, तो यह मसला प्राइमरी दौर के चुनाव में सुर्खियों में रह सकता है, जिसमें दोनों पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवार का चयन करती हैं. इस कानूनी लड़ाई में उलझने से जहां ट्रंप पूरी ताकत से चुनावी जंग नहीं लड़ सकेंगे, वहीं रिपब्लिकनों के लिए अजीब स्थिति भी पैदा हो सकती है, जो अब कुछ हद तक ट्रंप का ट्रेडमार्क बन गया है. हालांकि, यह अकेली समस्या नहीं है. कैपिटल हिल पर हमले और 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को प्रभावित करने के प्रयास जैसे मामलों में भी ट्रंप की भूमिका जांची जा रही है. स्पष्ट है, डॉनल्ड ट्रंप के लिए यह कठिन वक्त है, और इससे वह पूरी तरह वाकिफ भी हैं. यही वजह है कि अब उनके बयानों में घबराहट के भाव पढे़ जाने लगे हैं.
सुर्खियों में बने रहने के लिए ट्रंप कानूनी लड़ाई का इस्तेमाल आगे भी करते रहेंगे. इससे दुनिया एक बार फिर एक दिलचस्प कानूनी व राजनीतिक खेल का गवाह बन सकती है.
हालांकि, वह अपने समर्थन में रिपब्लिकन को एक करने में भी कामयाब रहे हैं. रिपब्लिकन पार्टी ने ट्रंप के खिलाफ आपराधिक आरोप को डेमोक्रेटिक पार्टी की ‘राजनीतिक बदले की कार्रवाई’ बताना शुरू कर दिया है. यहां तक कि फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डीसांटिस भी, जो ट्रंप को चुनाव में चुनौती दे सकते हैं, इस मामले में जांच पर सवाल उठा रहे हैं. बेशक इसका आम जनता पर असर का पता अगले कुछ महीनों में चलेगा, लेकिन महत्वाकांक्षी रिपब्लिकनों के लिए ट्रंप का समर्थन करना मानो जहर का घूंट पीना हो गया है. जैसे, डीसांटिस खुद को ऐसे रिपब्लिकन के रूप में पेश करते रहे हैं, जो अराजक स्थिति पैदा किए बिना ट्रंपवाद को आगे बढ़ाना चाहते हैं, पर अब उनके पास भी ट्रंप के ईद-गिर्द खड़े होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. ट्रंप चाह भी यही रहे थे. ऐसे समर्थन से ही वह फिर से राष्ट्रपति चुनाव का कथानक अपने आस-पास बुन सकते हैं.
डेमोक्रेटिक पार्टी चाहे, तो हालात पर चुपचाप नजर रख सकती है, लेकिन उसे भी अपने पत्ते संभालकर खोलने होंगे, क्योंकि ऐसे मौकों का किस तरह से लाभ उठाया जा सकता है, इसमें ट्रंप की महारत को वह बखूबी जानती है.
हालात पर चुपचाप नजर
डेमोक्रेटिक पार्टी चाहे, तो हालात पर चुपचाप नजर रख सकती है, लेकिन उसे भी अपने पत्ते संभालकर खोलने होंगे, क्योंकि ऐसे मौकों का किस तरह से लाभ उठाया जा सकता है, इसमें ट्रंप की महारत को वह बखूबी जानती है. फिर, सवाल यह भी है कि उसे इससे कितना लाभ मिलेगा, क्योंकि वह एक मुश्किल राष्ट्रपति चुनाव में उतरने जा रही है. दरअसल, जो बाइडन की लोकप्रियता अब भी उस स्तर तक नहीं पहुंच सकी है कि उनके दूसरे कार्यकाल को लेकर पुख्ता उम्मीद बांधी जाए. इतना ही नहीं, सदन में उनको रिपब्लिकन की तरफ से हंटर बाइडन के कारोबार, अफगानिस्तान से वापसी, कोविड-19 आदि से जुड़े तमाम मुद्दों पर मजबूत विरोध का सामना करना पड़ रहा है. देखा जाए, तो यह राजनीतिक ध्रुवीकरण ट्रंप मामले में अमेरिकी समाज की सोच का भी संकेत है, जहां 60 फीसदी अमेरिकी ट्रंप पर अदालती कार्यवाही को उचित मान रहे हैं, तो वहीं एक बड़ी आबादी इसे राजनीतिक कदम बताते नहीं थक रही. जाहिर है, सुर्खियों में बने रहने के लिए ट्रंप कानूनी लड़ाई का इस्तेमाल आगे भी करते रहेंगे. इससे दुनिया एक बार फिर एक दिलचस्प कानूनी व राजनीतिक खेल का गवाह बन सकती है.
यह लेख हिंदुस्तान में प्रकाशित हो चुका है.
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