Author : Harsh V. Pant

Originally Published नवभारत टाइम्स Published on Dec 12, 2023 Commentaries 0 Hours ago

अक्टूबर में पाकिस्तान ने कहा कि जो लोग वैध दस्तावेजों के बगैर रह रहे हैं, वे खुद लौट जाएं. अगर वे नहीं जाते हैं तो 1 नवंबर के बाद उन्हें जबरन अपने-अपने देश भेजा जाएगा.

पाकिस्तान को भारी पड़ी तालिबान से यारी

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के रिश्ते पहले ही उलझे हुए थे, मगर पिछले कुछ महीनों में ये रसातल में चले गए हैं. अक्टूबर में पाकिस्तान ने कहा कि जो लोग वैध दस्तावेजों के बगैर रह रहे हैं, वे खुद लौट जाएं. अगर वे नहीं जाते हैं तो 1 नवंबर के बाद उन्हें जबरन अपने-अपने देश भेजा जाएगा. पाकिस्तान में अवैध रूप से रहने वालों में सबसे ज्यादा अफगानी ही हैं. इस फैसले के पीछे इस्लामाबाद ने जो मजबूत इरादा दिखाया, वह अभूतपूर्व था.

खाली हाथ पाकिस्तान

बड़ी बात यह है कि पाकिस्तान ने सिर्फ यही फैसला नहीं लिया. इसके साथ ही उसने तस्करी बैन करने के लिए अफगान ट्रांजिट व्यापार समझौते पर भी प्रतिबंध लगा दिया. काबुल पर तालिबान के कब्जे के दो साल के अंदर पाकिस्तान को अफगानिस्तान की ओर से सुरक्षा या रणनीतिक फायदा मिलने की उम्मीद खत्म हो चुकी है.

अक्टूबर में पाकिस्तान ने कहा कि जो लोग वैध दस्तावेजों के बगैर रह रहे हैं, वे खुद लौट जाएं. अगर वे नहीं जाते हैं तो 1 नवंबर के बाद उन्हें जबरन अपने-अपने देश भेजा जाएगा.

अगस्त 2021 से ही तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) पाकिस्तान को टारगेट कर रहा है. 2022 में TTP कुल 262 आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार था. अगस्त 2021 से हुए आतंकी हमलों में 2867 पाकिस्तानी मारे गए हैं. TTP और पाकिस्तानी सेना के बीच झड़पें भी बढ़ गई हैं.

अफगान तालिबान के वफादार

TTP अफगानी तालिबान का वफादार है. वह करीब डेढ़ दशक से पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध लड़ रहा है. दोहा में शांति समझौते के बाद 2020 में उसने फिर सिर उठाया. तबसे पाकिस्तान में इसकी हरकतें कई गुना बढ़ गई हैं. दरअसल, TTP से अपने मजबूत ऐतिहासिक और वैचारिक समानता के चलते तालिबान उसे नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सकता.

तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने के बाद TTP और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता के प्रयास किए, लेकिन इनका कोई फल नहीं निकला. तालिबान ने TTP के हमलों में किसी तरह की भागीदारी से इनकार किया. उसने TTP को पाकिस्तान की अंदरूनी समस्या कहा.

 अक्टूबर में एक सीनियर पाकिस्तानी डिप्लोमैट ने यह भी बताया कि कैसे अफगानिस्तान में शांति आने से पाकिस्तान को इसका कोई फायदा नहीं मिला.

कुछ महीनों से पाकिस्तान में सीमा पार हमले काफी बढ़े हैं. इस्लामिक देशों के नेता पाकिस्तान की चिंता को दूर करने और सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं, पर पाकिस्तान का रुख सख्त बना हुआ है. अक्टूबर में एक सीनियर पाकिस्तानी डिप्लोमैट ने यह भी बताया कि कैसे अफगानिस्तान में शांति आने से पाकिस्तान को इसका कोई फायदा नहीं मिला.

पाकिस्तान के अंतरिम प्रधानमंत्री ने दोनों देशों को मिलकर काम करने की जरूरत पर इस्लामिक अमीरात के कार्यवाहक प्रधानमंत्री को भी लिखा, और दोहा समझौते के उल्लंघन के बावजूद TTP को मिल रहे तालिबानी समर्थन पर विचार करने की अपील की. शरणार्थियों की जबरन वापसी का फैसला तालिबान को कार्रवाई के लिए पाकिस्तान की ओर से दिया गया आखिरी मौका माना जा रहा है.

पाकिस्तान में 40 लाख विदेशियों में से लगभग 38 लाख अफगानी हैं. इनमें से लगभग 17 लाख अवैध रूप से देश में रह रहे हैं. ताजा फैसले का ऐलान करते हुए पाकिस्तान के गृहमंत्री ने 2023 में देश में हुए 24 आत्मघाती बम विस्फोटों में 14 अफगान नागरिकों की भूमिका बताई. पाकिस्तानी पीएम ने फैसले को अफगान तालिबान के असहयोग से भी जोड़ा. पाकिस्तान ने व्यापार की सुविधा को आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक कार्रवाई से जोड़ने की भी कोशिश की है.

फैसले से खफा तालिबान

तालिबान ने इन फैसलों को ‘एकतरफा’, ‘अनुचित’ और ‘अमानवीय’ बताया है और पाकिस्तान के खिलाफ बदले की कार्रवाई की चेतावनी भी दी है. जाहिर है, इससे क्षेत्र में मानवीय स्थिति और खराब हो जाएगी. अफगान शरणार्थी असहज स्थिति में पड़ गए हैं. पाकिस्तान में उनके हालात पहले से ही अच्छे नहीं थे. अफगानिस्तान लौटने के लिए मजबूर होने या पाकिस्तान में हिरासत में लिए जाने के जोखिम ने उनकी मुसीबत बढ़ा दी है.

जाहिर है, शरणार्थियों के निकाले जाने का प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और अफगान आबादी में पाकिस्तान के बारे में और भी नकारात्मक धारणाएं बनेंगी. 

अफगानिस्तान पहले से ही खाने-पीने के सामनों की किल्लत से जूझ रहा है और अंतरराष्ट्रीय मदद के बावजूद वहां भुखमरी की बातें सामने आई हैं. कुछ समय पहले आए भूकंप ने भी वहां इस त्रासदी को बढ़ाया है. ऐसे में पाकिस्तान से लौटने वाले शरणार्थियों की वजह से उसकी मुश्किलें और बढ़ेंगी. रोजाना लगभग 9,000-10,000 शरणार्थी सीमित सामान और नकदी के साथ ट्रकों में बैठकर अफगानिस्तान आ रहे हैं. हालांकि तालिबान ने भोजन, आश्रय और स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ राहत कैंप बनाने का दावा किया है, लेकिन इसे लेकर चिंताएं बनी हुई हैं. कुछ शरणार्थियों को तालिबान की ओर से जवाबी कार्रवाई का भी खतरा है.

TTP या पाकिस्तान

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने तालिबान को उनके और TTP के बीच किसी एक को चुनने का ऑप्शन दिया है. जैसे-जैसे पाक तालिबान पर TTP और बाकी आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रेशर बढ़ा रहा है, उसकी दोहरी नीति ही उसे दिक्कत देने लगी है. यह कोई छुपी हुई बात नहीं है कि वह खुद भी अभी तक चरमपंथी संगठनों का समर्थन करता रहा है. जाहिर है, शरणार्थियों के निकाले जाने का प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और अफगान आबादी में पाकिस्तान के बारे में और भी नकारात्मक धारणाएं बनेंगी.  

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