Issue BriefsPublished on May 01, 2023
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ब्राज़ील द्वारा अनाज की ख़रीद और संग्रहण योजना: कामयाबी के सबूत और सबक़

कोविड-19 महामारी और यूक्रेन युद्ध ने भुखमरी और कुपोषण से पीड़ित लोगों की तादाद में इज़ाफ़ा कर दिया है. ख़ासतौर से युद्ध ने उन देशों और वाणिज्यिक भागीदारों को प्रभावित किया है जो रूस और यूक्रेन दोनों से आयातित कृषि वस्तुओं पर निर्भर रहते हैं. कृषि से जुड़े कच्चे मालों की क़ीमतों में बढ़ोतरी के चलते उत्पादकों को अपने उत्पादों के वाणिज्यिकरण में दिक़्क़तें पेश आ रही हैं. ब्राज़ील का खाद्य ख़रीद और संग्रहण कार्यक्रम (Programa de Aquisição de Alimentos या PAA) खाद्य पदार्थों की ख़रीद से जुड़ी नीति है, जिसके तहत सरकार छोटे पैमाने के/पारिवारिक किसानों से उत्पादों की सीधी ख़रीद करती है. इसके बाद इन उत्पादों को उन लोगों में वितरित किया जाता है जिनकी इन्हें सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है. कल्याणकारी सेवाओं के ज़रिये ऐसे ज़रूरतमंदों की पहचान की जाती है. साल 2003 से PAA ने पारिवारिक किसान उत्पादों के वाणिज्यिकरण की पूरी गारंटी दी है. इस तरह ऐसे किसान परिवारों की नियमित आय तक पहुंच सुनिश्चित हो सकी है. साथ ही इस कार्यक्रम के तहत खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे परिवारों को पर्याप्त मात्रा में सेहतमंद भोजन मुहैया करवाया जा सका है. इस पॉलिसी ब्रीफ़ में दूसरे देशों द्वारा भी ब्राज़ील के PAA कार्यक्रम जैसी नीति अपनाये जाने की सिफ़ारिश की गई है. ऐसी कोशिश से सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) की ओर प्रगति में रफ़्तार भी भरी जा सकेगी.

कोविड-19 महामारी और यूक्रेन युद्ध ने भुखमरी और कुपोषण से पीड़ित लोगों की तादाद में इज़ाफ़ा कर दिया है. ख़ासतौर से युद्ध ने उन देशों और वाणिज्यिक भागीदारों को प्रभावित किया है जो रूस और यूक्रेन दोनों से आयातित कृषि वस्तुओं पर निर्भर रहते हैं. कृषि से जुड़े कच्चे मालों की क़ीमतों में बढ़ोतरी के चलते उत्पादकों को अपने उत्पादों के वाणिज्यिकरण में दिक़्क़तें पेश आ रही हैं. ब्राज़ील का खाद्य ख़रीद और संग्रहण कार्यक्रम (Programa de Aquisição de Alimentos या PAA) खाद्य पदार्थों की ख़रीद से जुड़ी नीति है, जिसके तहत सरकार छोटे पैमाने के/पारिवारिक किसानों से उत्पादों की सीधी ख़रीद करती है. इसके बाद इन उत्पादों को उन लोगों में वितरित किया जाता है जिनकी इन्हें सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है. कल्याणकारी सेवाओं के ज़रिये ऐसे ज़रूरतमंदों की पहचान की जाती है. साल 2003 से PAA ने पारिवारिक किसान उत्पादों के वाणिज्यिकरण की पूरी गारंटी दी है. इस तरह ऐसे किसान परिवारों की नियमित आय तक पहुंच सुनिश्चित हो सकी है. साथ ही इस कार्यक्रम के तहत खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे परिवारों को पर्याप्त मात्रा में सेहतमंद भोजन मुहैया करवाया जा सका है. इस पॉलिसी ब्रीफ़ में दूसरे देशों द्वारा भी ब्राज़ील के PAA कार्यक्रम जैसी नीति अपनाये जाने की सिफ़ारिश की गई है. ऐसी कोशिश से सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) की ओर प्रगति में रफ़्तार भी भरी जा सकेगी.

चुनौती

पिछले कुछ दशकों में तेज़ी से विकसित होती प्रौद्योगिकियों के चलते कृषि प्रणालियों का विस्तार हुआ है. इससे खाद्य उत्पादन और आपूर्ति में बढ़ोतरी हुई है. इसके बावजूद भोजन तक पहुंच और पोषण सुरक्षा, अब भी एक चुनौती बनी हुई है. साल 2021 में खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा लगाए गए आकलन के मुताबिक अफ़्रीका में 27.8 करोड़ लोग, एशिया में 42.5 करोड़ और लैटिन अमेरिका के साथ-साथ कैरेबियाई क्षेत्र के 5.65 करोड़ लोग भुखमरी से प्रभावित हैं. ये तादाद दुनिया की आबादी का क्रमश: 20.2, 9.1 और 8.6 प्रतिशत है.[i] इतना ही नहीं FAO के मुताबिक "अति-पोषण" और मोटापे के नए मसले वैश्विक चुनौतियों की लंबी सूची में शुमार हो गए हैं. इनके अलावा कई और चुनौतियों ने इस पूरे परिदृश्य को और जटिल बना दिया है. इनमें उत्पादन प्रणालियों की बढ़ी लागत, उत्पादकों के लिए अपेक्षाकृत कम मेहनताना, प्राकृतिक संसाधनों का सीमित संसाधन आधार और पारिस्थितिकीय असंतुलन शामिल हैं. खाद्य उत्पादकों, ख़ासतौर से किसान परिवारों को कृषि से जुड़े कच्चे माल (जैसे ऊर्वरक) की क़ीमतों में हो रही बढ़ोतरी के मद्देनज़र अपने उत्पादनों को संगठित करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.[ii]

नीतिगत मसले पर इस लेख का मक़सद भुखमरी और कुपोषण से लड़ाई के सिलसिले में ब्राज़ील के खाद्य ख़रीद और संग्रह कार्यक्रम Programa de Aquisição de Alimentos (PAA) को एक औज़ार के तौर पर पेश करना है. इस कार्यक्रम के ज़रिए किसान परिवारों को पहुंचाई जा रही सहायता की भी इस लेख में पड़ताल की गई है. PAA सार्वजनिक नीति से जुड़ा उपकरण है जिसका उद्देश्य किसान परिवारों की बाज़ार तक पहुंच का विस्तार करना और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना है.

ब्राज़ील का खाद्यान्न ख़रीद कार्यक्रम: एक नज़र

ब्राज़ील का खाद्यान्न ख़रीद कार्यक्रम (जिसे पुर्तगाली भाषा में PAA कहते हैं) सार्वजनिक नीति से जुड़ी क़वायद है, जिसका लक्ष्य पारिवारिक कृषि को बढ़ावा देना और खाद्य असुरक्षा से मुक़ाबला करना है. PAA के ज़रिए ब्राज़ील की सरकार किसान परिवारों से सीधे तौर पर और विशिष्ट रूप से उत्पादों की ख़रीद करती है. इसके बाद ज़रूरतमंद समुदायों तक इसकी आपूर्ति की जाती है. इन लोगों की पहचान स्थानीय कल्याणकारी सेवाओं के ज़रिए की जाती है.[iii], [iv]

PAA के ज़रिए ब्राज़ील की सरकार किसान परिवारों से सीधे तौर पर और विशिष्ट रूप से उत्पादों की ख़रीद करती है. इसके बाद ज़रूरतमंद समुदायों तक इसकी आपूर्ति की जाती है. इन लोगों की पहचान स्थानीय कल्याणकारी सेवाओं के ज़रिए की जाती है

2003 में इस कार्यक्रम के आग़ाज़ से पहले ब्राज़ील के किसानों के पास सकल उत्पादन मूल्य वाली कृषि भूमि का बहुत छोटा प्रतिशत मौजूद था और उन्हें बाज़ार तक पहुंच बनाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता था.[v] हालांकि ग्रामीण इलाक़ों में इन परिवारों के पास खेती की सबसे ज़्यादा ज़मीन मौजूद है. कृषि को बढ़ावा देने के उद्देश्य को ध्यान में रखकर और इन किसानों को मद्देनज़र रखते हुए अनेक सार्वजनिक नीतियां[vi] वजूद में थीं लेकिन वो अपर्याप्त और नाकाफ़ी साबित हुईं.[vii] ग्रामीण इलाक़ों के ये किसान भुखमरी और ग़रीबी में जीवन जीने को मजबूर थे.[viii]

राष्ट्रपति लुइज़ इनेशियो लुला डि सिल्वा के पहले कार्यकाल में PAA की शुरुआत की गई थी. सरकार की प्रमुख रणनीति ('हंगर ज़ीरो') के तहत इस नई क़वायद का आग़ाज़ किया गया था. ये प्लेटफ़ॉर्म दो अलग-अलग रणनीतियों से सार्वजनिक नीति से जुड़े पहलुओं को एकीकृत करता है: 1) किसान परिवारों के उत्पादन को ढांचागत रूप देने के क़ाबिल संस्थागत मांग का निर्माण करना. इसके लिए रणनीतिक भंडार का निर्माण किया जाता है और किसान परिवारों को उत्पादों की ख़रीद की गारंटी देकर उनतक बाज़ार की पहुंच बढ़ाई जाती है और खाद्य आपूर्ति को बढ़ावा दिया जाता है; (2) खाद्यान्न के लिहाज़ से असुरक्षित परिवारों को प्रत्यक्ष अनुदानों के ज़रिए खाद्य तक उनकी पहुंच को बढ़ावा दिया जाता है.[ix]

PAA किसान परिवारों की बाज़ार तक पहुंच का विस्तार करता है. सरकार द्वारा संचालित खाद्यान्न ख़रीद योजना में इनकी भागीदारी सुनिश्चित कर इस क़वायद को अंजाम दिया जाता है. सार्वजनिक ख़रीद पर ब्राज़ील के मौजूदा क़ानून के मुताबिक जब कोई सरकारी संस्थान किसी उत्पाद की ख़रीद करना चाहती है तो बोली प्रक्रिया को अंजाम देना अनिवार्य हो जाता है.[x] हालांकि इसके लिए अफ़सरशाही से जुड़ी कई पेचीदगियों का सामना करना पड़ता है. ये प्रक्रिया किसान परिवारों के लिए महंगी भी है, लिहाज़ा वो भागीदारी को लेकर हतोत्साहित हो जाते हैं. PAA की प्रक्रिया ने बोली प्रक्रिया से छूट दे दी और नई-नवेली PAA प्रबंधन समिति (पुर्तगाली में GGPAA) को पारिवारिक कृषि की उत्पादकता से जुड़ी वास्तविकता को अपनाने की स्वायत्तता दे दी गई. इसके साथ ही क़ीमतों की गणना में स्थानीय संदर्भ देने की सुविधा मिल गई. अतीत में विशाल उत्पादकों को ही इस तरह की सहूलियत मिली हुई थी.[xi]

PAA तक पहुंच बनाकर और बिक्री की गारंटी हासिल कर आपूर्तिकर्ता कृषि कार्य के लिए उपयोग की जाने वाली भूमि में बढ़ोतरी करने लगते हैं. दरअसल, उन्हें पता होता है कि इन उत्पादों का पक्का बाज़ार मौजूद है. ऐसी गारंटी पारिवारिक किसानों को नए और विविधिकृत फ़सलों के उत्पादन में निवेश करने की प्रेरणा देती है ताकि वो PAA की संस्थागत मांग को पूरी कर सकें.

GGPAA एक संस्थानिक निकाय है जिसके क्रियाकलाप स्पष्ट हैं. ये PAA से जुड़े दिशानिर्देशों को परिभाषित करते हैं, जिन्हें उन्हीं क़ानूनों के ज़रिए स्थापित किया गया है जिससे इस कार्यक्रम का आग़ाज़ किया गया था. इसके अंतिम संघटन में सामाजिक विकास मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, आर्थिक मामलों के मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल थे.[xii]

PAA के दो लाभकर्ता हैं: आपूर्तिकर्ता यानी किसान परिवार, जो इस कार्यक्रम के तहत अपने उत्पादों की बिक्री करते हैं; और उपभोक्ता जो लोक-कल्याणकारी सेवाओं के आयोजन से दिए जाने वाले अनुदानों के ज़रिए ऐसे उत्पाद प्राप्त करते हैं. किसान परिवार इस कार्यक्रम में व्यक्तिगत तौर पर या सहकारी संस्थाओं और पारिवारिक कृषि संगठनों के ज़रिए सामूहिक रूप से हिस्सा ले सकते हैं. फ़िलहाल ये कार्यक्रम पांच रूपरेखाओं में कार्य करता है. इनमें से हरेक के अपने कार्यकारी नियामक हैं और क्रियान्वयन सुनिश्चित करने वाली संस्था मौजूद हैं. इसके अलावा किसानों को भुगतान की जाने वाली रकम की सालाना सीमा के साथ-साथ कार्यक्रम तक पहुंच के प्रकार भी मौजूद हैं. (टेबल 1 देखिए)

टेबल 1. रूपरेखाएं, मूल्यों पर सीमाएं और हिस्सेदार

रूपरेखा विवरण
एक ही समय पर दान से ख़रीद (पुर्तगाली में CDS) कल्याणकारी सेवाओं में तत्काल दान के लिए खाद्य पदार्थों की ख़रीद, जो खाद्य असुरक्षा के हालातों में लोगों की ज़रूरतें पूरी करते हैं.
प्रत्यक्ष ख़रीद PAA प्रबंधन समिति द्वारा परिभाषित विशिष्ट उत्पादों की उन हालातों में ख़रीद जब इनमें से किसी भी उत्पाद के लिए बाज़ार या मूल्य ना हों.
भंडार बिक्री के लिए ज़्यादा पर्याप्त मूल्य हासिल करने के मक़सद से बाद की मियाद में वाणिज्यीकरण के लिए खाद्य भंडार तैयार करना. इसके लिए किसानों के संगठनों और सहकारी संघों को वित्तीय सहायता देना.
दूध के उत्पादन और उपभोग के लिए प्रोत्साहन (PAA-मिल्क) दूध के विशाल उत्पादन और ग्रामीण निर्धनता के ऊंचे स्तरों वाले विशिष्ट क्षेत्रों में दूध की ख़रीद
संस्थागत ख़रीद ख़रीद संस्था की मांग पूरी करने के लिए सार्वजनिक आह्वान के ज़रिए पारिवारिक कृषि उत्पादों (खाद्य पदार्थों और बीजों) की ख़रीद. अस्पतालों, सेना के बैरकों, जेलों और विश्वविद्यालय के आहारगृहों जैसी इकाइयों तक आपूर्ति के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.

स्रोत: पेरिन आदि[xiii]

ऐसी रूपरेखाएं PAA को राष्ट्रीय स्तर पर क्रियान्वित करने की कोशिशों को मुमकिन बना देती हैं. इतना ही नहीं अगर कार्यक्रम की शर्तें पूरी कर ली जाएं तो किसी एक स्थान पर एक ही वक़्त पर एक से ज़्यादा रूपरेखा अमल में लाई जा सकती है. इस लचीलेपन के चलते ज़्यादा से ज़्यादा किसान परिवार अपने उत्पाद बेच सकते हैं. इसी प्रकार खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों की सेहतमंद भोजन तक पहुंच हो जाती है. इस कार्यक्रम में एक पेचीदा संस्थागत ढांचा जुड़ा है जो स्थानीय स्तर पर इन्हें लागू कराने वाली अलग-अलग इकाइयों और स्थानीय प्रबंधन समिति को एकीकृत करता है. इन समितियों पर पूरी प्रक्रिया पर निगरानी रखने की ज़िम्मेदारी होती है.[xiv]

उत्पाद की क़ीमतें राष्ट्रीय आपूर्ति कंपनी (जिसे स्थानीय भाषा में CONAB कहते हैं) द्वारा तय की जाती है.[xv] ये संस्था प्रासंगिक मूल्य तय करने के लिए स्थानीय स्तर पर सर्वेक्षण करती हैं. ये क़ीमतें एक साल के लिए वैध होती हैं. लिहाज़ा बाज़ार क़ीमतों में सालोंभर परिवर्तनों के बावजूद PAA द्वारा ख़रीदे गए उत्पाद के मोल, प्रस्ताव के लागू रहने की मियाद तक एक समान रहते हैं.[xvi] नीति के इस तत्व के चलते किसानों की ओर से शिकायतें सामने आती रही हैं. किसानों की दलील है कि कई बार कार्यक्रम में प्रयोग की जाने वाली मूल्य सूची बाज़ार में प्रचलित क़ीमतों से कम होती हैं.[xvii] हालांकि सिरिनो और लिबानियो (2020) द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि PAA द्वारा अदा की गई क़ीमतें स्थानीय बाज़ारों में देखी गई क़ीमतों से बेहतर (ऊंची) रही थीं. इसके चलते CDS रूपरेखा के तहत इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने की मांग में बढ़ोतरी देखी गई है.[xviii]

PAA द्वारा तैयार किए गए अवसर

2003 से PAA पारिवारिक किसानों को एक आश्वस्त बाज़ार मुहैया कराता आ रहा है. इसके तहत वाणिज्यिकरण की गारंटी और नियमित आमदनी हासिल होती है. इससे उन्हें अपने उत्पादन की योजना बनाने में मदद मिलती है. 2022 में सैबुइची, पाउला आदि विद्वानों द्वारा इस कार्यक्रम के प्रभाव को लेकर किए गए मूल्यांकन से ख़ुलासा हुआ था कि PAA CDS रूपरेखा के चलते 2009 से 2017 के बीच पारिवारिक किसानों की आय में 13.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. 10वें आय गुणक में सबसे ग़रीब पारिवारिक किसानों के लिए इसका प्रभाव ज़्यादा ऊंचा था. इन लोगों की आय में 56.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जिससे ग्रामीण निर्धनता में गिरावट देखी गई.[xix]

आमदनी में बढ़ोतरी कई कारकों का प्रत्यक्ष प्रभाव है. इनमें बाज़ार गारंटी, उपयुक्त क़ीमतें और फ़सलों का विविधीकरण शामिल हैं. कई पारिवारिक किसानों के लिए उनके द्वारा उत्पादित सभी उत्पादों की बिक्री कर पाना मुमकिन नहीं हो पाता. इससे वो और ज़्यादा निवेश करने को लेकर हतोत्साहित हो सकते हैं क्योंकि उनके पास पर्याप्त मांग नहीं होती. PAA तक पहुंच बनाकर और बिक्री की गारंटी हासिल कर आपूर्तिकर्ता कृषि कार्य के लिए उपयोग की जाने वाली भूमि में बढ़ोतरी करने लगते हैं. दरअसल, उन्हें पता होता है कि इन उत्पादों का पक्का बाज़ार मौजूद है.[xx] ऐसी गारंटी पारिवारिक किसानों को नए और विविधिकृत फ़सलों के उत्पादन में निवेश करने की प्रेरणा देती है ताकि वो PAA की संस्थागत मांग को पूरी कर सकें.[xxi] इसके चलते नए निवेश (जैसे नए उपकरणों की ख़रीद) देखने को मिलते हैं, फिर चाहे वो उत्पादन के लिए हों या परिवहन के लिए. साथ ही बुनियादी ढांचे और सिंचाई में भी सुधार होता है. इसके अलावा कृषि कार्यों में पहले से ज़्यादा पशुओं के जुड़ाव का नतीजा भी देखने को मिलता है. 2016 में रोचा और साको डोस एंजोस ने गुणवत्ता का मूल्यांकन किया. उसमें किसानों ने बताया कि उन्होंने PAA से जुटाई गई रकम के ज़रिए अपने और अपने परिवार की जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया है. इन परिवारों ने घरेलू सुख-सुविधा के लिए टिकाऊ वस्तुओं की ख़रीद के ज़रिए ऐसी ख़ुशियां हासिल कीं.[xxii]

PAA ने जोख़िमों को कम करने और आमदनी में बढ़ोतरी करने के साथ-साथ फ़सलों में विविधता की क़वायद को आगे बढ़ाया है. इससे ज़्यादा पोषक मूल्य वाले खाद्य पदार्थों के उत्पादन में मदद मिली है. सैमबुइची, मोउरा आदि द्वारा 2022 में किए गए एक अध्ययन से पता चला कि PAA द्वारा ख़रीदे गए 97 फ़ीसदी उत्पाद (ज़्यादातर फल और सब्ज़ियां) प्राकृतिक तौर पर उत्पन्न किए गए थे. साथ ही न्यूनतम रूप से प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों (जैसे मसाले, बीफ़ मांस, कसावा का आटा और पाश्चराइज़्ड दूध) की मात्रा न्यूनतम थी. ये उत्पाद प्रत्यक्ष लाभुकों की खाद्य सुरक्षा में योगदान देने के साथ-साथ पहले से ज़्यादा टिकाऊ खाद्य प्रणाली को बढ़ावा देते हैं.[xxiii] PAA प्रसंस्कृत पदार्थों की ख़रीद की भी छूट देता है, जिनमें किसानों द्वारा उत्पादित जैम, फ़्रूट पल्प, चीज़, ब्रेड और केक शामिल हैं. इस तरह किसानों को प्रसंस्करण में निवेश करने की प्रेरणा दी जाती है ताकि वो अपने ताज़ा खाद्य पदार्थों का और मूल्य वर्धन कर सकें.[xxiv]

कुछ मामलों में कार्यक्रम द्वारा ख़रीदे गए खाद्य पदार्थों में स्थानीय उत्पादों को शामिल किए जाने की क़वायद ने ऐसी वस्तुओं के उत्पादन और उपभोग को प्रोत्साहित किया है. इस तरह पारिवारिक कृषि और स्थानीय ख़रीदों का मूल्य वर्धन हुआ है.[xxv] स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर पर उत्पादों में व्यापार को प्रोत्साहित कर PAA मार्केटिंग के छोटे दायरों को प्रेरित करता है. इस तरह पारिवारिक किसानों और उपभोक्ताओं के बीच की दूरी घट जाती है, नतीजतन परिवहन लागतों में गिरावट आती है.[xxvi]

2020 में किए गए एक अध्ययन से पता चला था कि PAA द्वारा प्राप्त खाद्य पदार्थों को स्कूल के भोजन में शामिल किए जाने से छात्रों के प्रदर्शन में बदलाव को बढ़ावा मिला है. इस तरह छात्रों की उपस्थिति दरों में बढ़ोतरी हुई और कुल मिलाकर उनके स्वास्थ्य में सुधार देखा गया. सघन रूप से प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों (जिनका पोषक स्तर बेहद कमज़ोर होता है) की जगह फलों, सब्ज़ियों और मांस के ज़्यादा सेवन की वजह से ऐसा नतीजा हासिल हुआ (माचाडो आदि, 2020). 2016 में किए गए एक और अध्ययन से पता चला कि PAA के चलते लोग नियमित रूप से उन खाद्य पदार्थों का सेवन कर पाए जिनका इस कार्यक्रम की अनुपस्थिति में वो उपभोग नहीं कर सकते थे. इनमें ऊंची लागतों वाले तमाम खाद्य पदार्थ शामिल हैं- जैसे तिलापिया मछली, काजू, योगर्ट और मांस.[xxvii]

2004 से इस कार्यक्रम के तहत ऑर्गेनिक पदार्थों की ख़रीद की जा रही है. ‘ऑर्गेनिक’ प्रमाणपत्र की वजह से इनकी क़ीमतें 30 प्रतिशत ज़्यादा होती हैं. हालांकि ऐसे प्रमाण पत्र हासिल करने की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लागत ऊंची होती है, लिहाज़ा अनेक परिवारों को इसका लाभ नहीं मिल पाता. इस प्रमाण पत्र के लिए प्रौद्योगिकी की ज़बरदस्त जानकारी और कृषि कार्यों के संगठन की दरकार होती है. हालांकि, ये सच है कि ऐसे प्रमाणपत्रों की ग़ैर-मौजूदगी में भी पारिवारिक किसान ऐसे उत्पादों की आपूर्ति करते हैं जिन्हें बिना कीटनाशकों या रासायनिक/कृत्रिम ऊर्वरकों के ज़रिए ही पैदा किया जाता है. बहरहाल, ऐसे किसानों को 30 प्रतिशत का अतिरिक्त मूल्य प्राप्त नहीं होता.[xxviii]

PAA की कुछ रूपरेखाओं में हिस्सेदारी के लिए आपूर्तिकर्ताओं को आधिकारिक रूप से सहकारी इकाइयों या किसान संघों के तौर पर संगठित होने की आवश्यकता पड़ती है. इसके चलते संघों के निर्माण से जुड़ी क़वायदों को प्रोत्साहन मिला है. साथ ही पहले से मौजूद संघों में और मज़बूती आई है.[xxix]

CDS की रूपरेखा में आपूर्ति लाभुकों की कुल संख्या में से न्यूनतम 40 प्रतिशत महिला आपूर्तिकर्ताओं को मौक़ा दिए जाने का लक्ष्य रखा गया है. साथ ही PAA-मिल्क रूपरेखा में 30 प्रतिशत महिला हिस्सेदारी की बात भी कही गई है. स्थान आरक्षित करने से जुड़ी ऐसी क़वायद से महिलाओं की हिस्सेदारी में इज़ाफ़ा हुआ है और उन्हें दृश्यता हासिल हुई है. दरअसल, अतीत में अक्सर उत्पादन और विपणन कार्यों में मददगार भूमिका निभाते हुए भरपूर हिस्सा लेने के बावजूद इन महिलाओं को प्रतिभागी के तौर पर मान्यता नहीं दी जाती थी. कुन्हा, फ़्रेइटास और सलगाडो द्वारा 2017 में किए गए एक अध्ययन से पता चला था कि इन क़वायदों से महिलाओं की आमदनी, स्वायत्ता और आत्म-गौरव में बढ़ोतरी हुई थी.[xxx]

पिछले 20 वर्षों में ब्राज़ील का PAA सार्वजनिक खाद्य संग्रहण और ख़रीद के क्षेत्र में एक कामयाब कार्यक्रम साबित हुआ है. इसके लक्ष्य सतत विकास से जुड़े 2030 के एजेंडे के अनुरूप सिद्ध हुए हैं.

G20 के लिए सिफ़ारिशें

पिछले 20 वर्षों में ब्राज़ील का PAA सार्वजनिक खाद्य संग्रहण और ख़रीद के क्षेत्र में एक कामयाब कार्यक्रम साबित हुआ है. इसके लक्ष्य सतत विकास से जुड़े 2030 के एजेंडे के अनुरूप सिद्ध हुए हैं. नीतिगत मसले पर इस लेख में दूसरे संदर्भों में PAA के क्रियान्वयन की सिफ़ारिश की जाती है. इस कड़ी में नीचे दिए गए विशिष्ट तत्वों का प्रस्ताव किया जाता है.

  • पारिवारिक कृषि के लिए सार्वजनिक खाद्य ख़रीद कार्यक्रम का क्रियान्वयन. पारिवारिक किसानों से उत्पादों की ख़रीद के लिए ये एक आश्वत बाज़ार की तरह काम करेगा. इस तरह दो चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी: पारिवारिक किसानों द्वारा अपने उत्पाद बेचने के लिए पर्याप्त बाज़ार तक पहुंच की कमी और खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे लोगों में पर्याप्त मा और गुणवत्ता में स्वस्थ भोजन तक पहुंच का अभाव.
  • पारिवारिक किसानोंके दायरे का स्पष्टीकरण. ब्राज़ील में क़ानून संख्या 11.326 (24 जुलाई 2006) के तहत ‘पारिवारिक किसान’ को परिभाषित किया गया है. इसके मुताबिक ऐसा व्यक्ति जो ग्रामीण क्षेत्रों में काम करते हुए निम्नलिखित ज़रूरतों को पूरा करता है वो पारिवारिक किसान है:
  • अधिकतम कृषि भूमि चार (4) राजकोषीय कारक (इलाक़ों के हिसाब से ये कारक बदलते रहते हैं);
  • कृषि भूमि की आर्थिक गतिविधियों में मुख्य रूप से परिवार के अपने श्रमबल का इस्तेमाल करते हों;
  • अपने खेतों में संचालित आर्थिक गतिविधियों से पारिवारिक आय का एक न्यूनतम प्रतिशत हासिल करते हों; और
  • पूरी व्यवस्था को अपने निजी परिवार की मदद से संचालित करते हों.[xxxi]
  • आपूर्तिकर्ताओं के तौर पर महिलाओं को वरीयता देना. कृषि में महिलाओं की भूमिका की तस्दीक़ करना. पहले से ही महिलाएं उत्पादन और वाणिज्यिकरण की प्रक्रिया में बेहद सक्रिय हैं. ऐसे में PAA सरीख़े खाद्य ख़रीद कार्यक्रम से उन्हें अपने लिए और ज़्यादा आय जुटाने का अवसर मिलेगा. इसके नतीजतन उनमें स्वायत्ता और आत्म-गौरव के भाव में बढ़ोतरी होगी.

 

  • प्रस्तावों की तैयारी और क्रियान्वयन का विकेंद्रीकरण. वैसे तो इस सिलसिले में कुछ मानकीकृत आवश्यकताएं हैं, लेकिन कार्यक्रम को क्रियान्वित करने वाली स्थानीय सरकारों को स्वायत्ता देना अहम हो जाता है. इस प्रकार पारिवारिक किसान और लाभकारी कल्याण सेवाओं के प्रतिनिधि उन उत्पादों को परिभाषित कर सकेंगे जिनका उत्पादन किया जाना है. साथ ही उन उत्पादों के वितरण के तौर-तरीक़े और कैलेंडर और बारंबारता का भी निर्धारण किया जा सकेगा. उसके बाद हरेक विशिष्ट लक्ष्य को हासिल करने के लिए समुचित इंतज़ाम किए जा सकेंगे.

 

  • पारिवरिक किसानों की सहकारी इकाइयों और संघों की हिस्सेदारी को प्रोत्साहित करना. सहकारी रूप से या संघों के ज़रिए आयोजित कार्यक्रमों में भी आपूर्तिकर्ताओं को हिस्सा लेने की मंज़ूरी देना. व्यक्तिगत तौर पर हिस्सा लेने की बजाए सामूहिक रूप से भागीदारी की सूरत में उनके लिए बिक्री की ऊंची सीमा निर्धारित करना. सहकारी संघ के बुनियादी ढांचे पर निर्भरता से पारिवारिक किसानों को अपने उत्पादनों के बेहतर प्रबंधन और नियोजन में मदद मिलेगी. इसके अलावा परिवहन लागत साझा करने, दूसरी सार्वजनिक नीतियों में हिस्सा लेने के लिए दस्तावेज़ों को भरने और विशिष्ट तकनीकी सहायता और विस्तार सेवाओं तक पहुंच बनाने में मदद मिलेगी.
  • स्थानीय खाद्य संग्रह और स्थानीय वितरण का समर्थन. छोटे दायरों को बढ़ावा देना, ताकि पारिवारिक किसान उसी नगरपालिका क्षेत्र में, जहां वो रहते हैं या उसके आसपास, अपने उत्पादों की बिक्री कर सकें. इस तरह उनकी परिवहन लागत कम हो जाएगी और स्थानीय विकास को बढ़ावा मिलेगा. आपूर्ति श्रृंखला छोटी होने के साथ-साथ उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच की दूरी घट जाने से ऐसा मुमकिन हो सकेगा. ये क़वायद कृषि-खाद्य प्रणाली को टिकाऊ बनाने में योगदान देती है.

 

  • ऑर्गेनिक उत्पादों की खेती के लिए वित्तीय प्रोत्साहन तैयार करना. PAA पारिवारिक किसानों को उन उत्पादों पर 30 प्रतिशत ज़्यादा मूल्य देता है जिन्हें ऑर्गेनिक होने का प्रमाण पत्र हासिल होता है.

 

  • क्षेत्रीय उत्पादों की ख़रीद को प्राथमिकता देना. चूंकि उपभोक्ता उन उत्पादों से पहले से ही परिचित होते हैं लिहाज़ा वो उन्हें आसानी से स्वीकार कर लेते हैं. इस रणनीति से क्षेत्रीय खाद्य संस्कृति की रक्षा को प्रोत्साहित करने में मदद मिलती है.

ENDNOTES

[i] FAO, “The State of food security and nutrition in the world 2022: repurposing food and agricultural policies to make healthy diets more affordable.” 2022.

[ii] FAO, 2022.

[iii] Brasil,  Law Nº. 10,696 of July 2, 2003. Provides for the renegotiation and extension of debts arising from rural credit operations, and other provisions. 2003.

[iv] The welfare services are an integrated set of services, programmes, and projects at local level for planning, executing, monitoring, and evaluating actions to promote social protection for the users of social services, who are people in vulnerable situations.

[v] FAO and Incra, “New Portrait of Family Farming: Brazil Rediscovered.” 2000.

[vi] The first public policy directed to family farmers was the National Programme for Strengthening Family Agriculture (Pronaf), a credit policy specifically for meet their necessities, created in 1995.

[vii] Sambuichi et al., “Food Acquisition Programme and food security: logical model, results and challenges of a public policy focused on strengthening family farming.” 2019.

[viii] Mondini et al., “Food insecurity and associated sociodemographic factors in urban and rural areas in Brazil.” 2011.

[ix] Sambuichi et al. 2019.

[x] Provided for in art. 37, XXI, of the Brazilian Federal Constitution (CF), with exceptions for the cases provided for in legislation.

[xi] Delgado, Conceição, and Oliveira, “Evaluation of the family agriculture Food Acquisition Programme (PAA)”. 2005.

[xii] Perin et al., “The evolution of the Food Acquisition Programme (PAA): an analysis of the implementation path, benefits and challenges”.

[xiii] Perin et al. 2021.

[xiv] Perin et al. 2021.

[xv] The Conab is a public company linked to the Ministry of Agriculture with objective of manage agricultural and supply policies. In the PAA, the Conab implements three modalities: the Direct Purchase, Stockage and CDS.

[xvi] Brasil, Resolution no 1 of the Management Group for the Food Acquisition Programme, of July 31, 2003. Defines the system for acquiring production from family farming for producers included in the National Programme for Strengthening Family Agriculture (Pronaf). 2003.

[xvii] Carvalho, Becker, and Neske, “The Food Acquisition Programme (PAA) in Santana do Livramento/RS: a case study about the local experience .” 2017.

[xviii] Cirino and Libânio, “Impact evaluation of the Food Acquisition Programme modality Purchase with Simultaneous Donation in Ponte Nova-MG .” 2020.

[xix] Sambuichi and Paula et al., “Impacts of the Food Acquisition Programme on the production of family farmers.” 2022.

[xx] Andrade Júnior, “The family agriculture Food Acquisition Programme (PAA) in the north plateau of the state of Santa Catarina: the case of the regional agricultural Cooperative of Small Producers of Mafra (COOARPA).” 2009.

[xxi] Oliveira, Paes, and Azevedo, “The Food Acquisition Programme and its contributions to food and nutritional security in the rural plateau community in northern Minas Gerais.” 2021.

[xxii] Rocha and Sacco dos Anjos, “Family farming and institutional markets: analysis of the Food Acquisition Programme (CPR-Donation) in Boa Vista- Roraima”. 2016.

[xxiii] Sambuichi and Moura et al., “Contributions of the Food Acquisition Programme to food and nutritional security in Brazil.” 2022.

[xxiv] Plein and Filippi, “The family farming Food Acquisition Programme (PAA): income generation and food security.” 2012.

[xxv] Gregolin et al., “Food Acquisition Programme – PAA. Operationalization in the Territory of Cantuquiriguaçu (PR).” 2018.

[xxvi] Marques, Le Moal, and Andrade, “Food Acquisition Programme (PAA) in the State of São Paulo.” 2014.

[xxvii] Grisa et al., “Institutional environment, governance and performance of the PAA: an analysis in the states of Rio Grande do Sul and Rio Grande do Norte.” 2016.

[xxviii] Macedo et al., “Evaluation of the Food Acquisition Programme (PAA) in promoting territorialized agrifood systems.” 2019.

[xxix] Santos and Filocreão, “Food Acquisition Programme (PAA) in the State of Amapá: contributions to rural development (2010-2017).” 2019.

[xxx] Cunha, Freitas, and Salgado, “Effects of government food acquisition programs for family farming in Espera Feliz, MG.” 2017.

[xxxi] Brasil, Law Nº. 11,326 of July 24, 2006. Establishes the guidelines for the formulation of the National Policy on Family Agriculture and Rural Family Enterprises. 2006.

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