Author : Ayjaz Wani

Issue BriefsPublished on Jun 12, 2024
ballistic missiles,Defense,Doctrine,North Korea,Nuclear,PLA,SLBM,Submarines

भारत-अज़रबैजान द्विपक्षीय संबंधों का नया अध्याय: क्या हो सकती है 'कनेक्टिविटी परियोजनाओं' की भूमिका!

  • Ayjaz Wani

    इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) तथा ट्रांस-कैस्पियन इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट रूट (TITR) के माध्यम से भारतीय उपमहाद्वीप के साथ यूरोप, मध्य एशिया तथा रूस को जोड़ने वाला अज़रबैजान निवेश का एक आकर्षक केंद्र बन गया है. निश्चित ही पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अज़रबैजान के माध्यम से रूस एवं यूरोप तक अपनी कनेक्टिविटी बढ़ाने के विभिन्न उपायों पर विचार किया है. इस ब्रीफ में इस बात का आकलन किया गया है कि कैसे INSTC का वेस्टर्न रूट यानी पश्चिमी मार्ग और TITR मिलकर भारत और अज़रबैजान के बीच आर्थिक संबंधों में सुधार कर सकते हैं.

Attribution:

एजाज वानी, “एक्सप्लोरिंग प्रॉस्पेक्ट्‌स फॉर द इंडिया-अज़रबैजान टाइस्‌ थ्रू कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्‌स,“ ORF इश्यू ब्रीफ नं. 688, जनवरी 2024, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन. 

प्रस्तावना

पुरातन सिल्क रुट के माध्यम से स्थापित होने वाले भारत-अज़रबैजान के वर्तमान संबंध सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों पर आधारित है. इस इतिहास का प्रमाण 18वीं सदी में बाकू में बनाए गए स्मारक, आतेशगाह फायर टेंपल यानी आतेशगाह अग्नि मंदिर की दीवारों पर देवनागरी एवं गुरमुखी[1] में उकेरे गए शिलालेखों में दिखाई देता है. इसके अलावा बाकू के सबसे पुराने आबाद इलाके इचेडी शहर में स्थापित 14वीं शताब्दी के मुल्तानी कारवांसेराई को भी इसका प्रमाण माना जाता है.[2] लेकिन बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में (उस वक़्त जब भारत पर अंग्रेजों का ही शासन था और अज़रबैजान सोवियत संघ का हिस्सा था) ब्रिटेन तथा सोवियत संघ के बीच चल रही प्रतिस्पर्धा ने भारत और अज़रबैजान के बीच संबंधों को कमज़ोर किया था. सोवियत संघ के विघटन के बाद भारत ने काकेशस क्षेत्र, भारत और यूरोप की सीमा पर बसे भौगोलिक और राजनीतिक क्षेत्र, में नए सिरे से आज़ाद हुए देशों के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित किए. दिसंबर 1991 में आज़ादी हासिल करने के बाद अज़रबैजान को मान्यता देने वाले देशों में भारत सबसे आगे था. भारत ने फरवरी 1992 में अज़रबैजान के साथ अपने कूटनीतिक संबंध स्थापित कर लिए थे.[3] जून 1998 को दोनों देशों ने आर्थिक और तकनीकी सहयोग के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए और अप्रैल 2007 में दोनों देशों के बीच व्यवसाय, आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग के लिए अंतर सरकारी आयोग के गठन को लेकर भी समझौता हुआ. इसके चलते अज़रबैजान के साथ भारत एक मजबूत और अधिक अर्थपूर्ण संबंध स्थापित करने में सफ़ल हुआ. इस वजह से सहयोग और आपसी लाभ के नए अवसर उपलब्ध होने लगे.[4] लेकिन हाल के दशकों में यूरेशिया पर चीन के प्रभाव तथा भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे संघर्ष की वजह से इस क्षेत्र के साथ सीधे संपर्क स्थापित कर मजबूत व्यवसाय और आर्थिक संबंध बनाने की भारत की कोशिशों को झटका लगा था.

फलस्वरूप, भारत ने कुछ चुनिंदा कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर विचार करते हुए इस काकेशस क्षेत्र के साथ सीधे संपर्क स्थापित करने की राह में आने वाली रुकावटों को दूर करने की कोशिश की है. उसकी यह कोशिश इस क्षेत्र के साथ अपने पुराने संबंधों को दोबारा स्थापित करने की दिशा में हो रही है. 2002 में भारत, रूस तथा ईरान ने एक अंतर सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसके तहत 7,200 किलोमीटर लंबा इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर यानी अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (INSTC) बनाया जाएगा.[5] INSTC एक मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट रूट है, जिसमें समुद्र, रेलवे और रोड लिंक शामिल हैं. यह मार्ग मुंबई (भारत) को ईरान के माध्यम से सेंट पीटर्सबर्ग (रूस) से जोड़ेगा. भारत ने ईरानी प्रांत सिस्तान-बलोचिस्तान के चाबहार बंदरगाह में भी काफ़ी पैसा लगाया है.[6] लेकिन भारत की इन पहलों को US की ओर से ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों की वज़ह से दिक्कत का सामना करना पड़ा. पैसों की कमी के कारण यह परियोजना अटक गई.[7] कुछ चुनिंदा परियोजनाओं की राह में अंतर-क्षेत्रीय विवाद और अफसरशाही ने भी रुकावट पैदा की (जैसे कि 625 किलोमीटर लंबाई वाली चाबहार-जाहेदान रेलवे लाइन,[8] 164 किलोमीटर लंबाई वाली रश्त-अस्तारा रेलवे लाइन.[9] इसके बावजूद, जुलाई 2022 से INSTC के माध्यम से रूस के अस्तारखान प्रांत से भारत के जवाहरलाल नेहरु पोर्ट को पहला मालवाहक जहाज़ भेजा गया.


 2005 में अज़रबैजान, INSTC का हिस्सा बना. बाकू के रणनीतिक समुद्री बंदरगाह तथा अच्छी तरह से विकसित रेल मार्ग की वज़ह से INSTC के पश्चिमी मार्ग की किस्मत खुली. यह मार्ग कैस्पियन सी के पश्चिम से गुज़रता है. यह पश्चिमी मार्ग अरब सागर स्थित ईरानी बंदरगाह चाबहार और बंदार अब्बास को यूरेशिया, विशेषत: बाकू-त्बिलिसी-बातूमी-कार्स ट्रांसनेशनल रेल कनेक्शन के साथ जोड़ता है. ये रेल कनेक्शन ट्रांस-कैस्पियन इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट रूट (TITR, जिसे ‘मिडिल कॉरिडोर भी कहा जाता है) के तहत बनाए गए थे.[10] TITR भी एक मल्टीमॉडल रुट है, जो एशिया और यूरोप के साथ कनेक्टिविटी को बढ़ाकर मध्य एशिया, कैस्पियन सी और साउथ काकेशस तक फ़ैला हुआ है. इसी वज़ह से अज़रबैजान से गुज़रने वाला INSTC का पश्चिमी मार्ग, भारत के लिए अधिक सस्ता और रणनीतिक मार्ग है. इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध, COVID-19 महामारी और 2021 में सुएज़ कैनाल की घेराबंदी ने पूरे यूरेशिया (यूरेशिया में संपूर्ण यूरोप तथा एशिया का समावेश है, जहां 54.76 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विश्व की 60 फ़ीसदी आबादी रहती है) के सामने नए परिवहन मार्गों तथा संपर्क स्थापित करने की परियोजनाओं के महत्व को उजागर करके रख दिया है. इसके साथ ही भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था को भी विशाल यूरेशियाई बाज़ार के साथ कनेक्टिविटी की आवश्यकता है. भारत के लिए यह मार्ग भरोसेमंद, लचीले और विविध आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए बेहद ज़रूरी है.[11] भारत और व्यापक रूप से यूरेशियाई क्षेत्र के बीच कनेक्टिविटी में वृद्धि क्षेत्रीय स्थिरता के साथ-साथ इसमें शामिल देशों के आर्थिक विकास के लिए भी आवश्यक है.


यह ब्रीफ INSTC के पश्चिमी मार्ग और TITR की जांच करते हुए यह पता लगाती है कि कैसे इसकी वज़ह से भारत-अज़रबैजान के बीच आर्थिक संबंध मजबूत होंगे और नई दिल्ली को यूरेशिया तथा यूरोप तक पहुंच के लिए एक भरोसेमंद रास्ते का लाभ उठाने का मौका मिलेगा.

यह ब्रीफ INSTC के पश्चिमी मार्ग और TITR की जांच करते हुए यह पता लगाती है कि कैसे इसकी वज़ह से भारत-अज़रबैजान के बीच आर्थिक संबंध मजबूत होंगे और नई दिल्ली को यूरेशिया तथा यूरोप तक पहुंच के लिए एक भरोसेमंद रास्ते का लाभ उठाने का मौका मिलेगा.

अज़रबैजान के फ़ायदे: कनेक्टिविटी के चौराहे पर

पूर्वी तथा पश्चिमी चौराहे पर स्थित अज़रबैजान, INSTC के पश्चिमी मार्ग से सटे देशों के लिए एक अहम मार्ग के रूप में महत्वपूर्ण होता जा रहा है. अज़रबैजान ने भी अपने परिवहन संबंधी बुनियादी ढांचे में, विशेषत: रेलवे में, काफ़ी निवेश किया है. उसके बुनियादी रेल ढांचे में 4,286 किलोमीटर का रेल मार्ग शामिल है, जिसमें से 60 प्रतिशत विद्युतीकरण हो चुका है और इसमें 38 प्रतिशत मार्ग डबल-ट्रैक है.[12] यह इस बात को साबित करता है कि कैसे अज़रबैजान अपनी परिवहन क्षमताओं में वृद्धि कर रहा है.[13] 2001 से 2016 के बीच बाकू ने INSTC तथा TITR से सटे रेल मार्ग को अत्याधुनिक बनाने पर 1.2 बिलियन US$[14] ख़र्च किए. यह ख़र्च करते हुए बाकू ने इसे नॉर्थ-साउथ तथा ईस्ट-वेस्ट व्यापार केंद्र के रूप में अच्छी तरह स्थापित कर दिया है. (देखें नक्शा 1)


नक्शा 1 : इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर तथा ट्रांस-कैस्पियन इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट रूट का पश्चिमी मार्ग.

Source: Author’s own


INSTC का पश्चिमी मार्ग


सितंबर 2000 में ईरान, रूस तथा भारत[15] ने INSTC का प्रस्ताव दिया था. इसके पश्चात 13 देश इसे मान्यता दे चुके हैं [a] INSTC में समुद्री मार्ग के साथ रेल और रोड लिंक भी शामिल है, जो भारत को पूरे यूरेशिया के साथ जोड़ता है. (देख नक्शा दो). INSTC का पूर्वी मार्ग, जिसे KTI कॉरिडोर भी कहा जाता है, रूस और भारत को जोड़ता है. यह मार्ग ईरान, तुर्कमेनिस्तान और कज़ाकिस्तान से गुज़रते हुए 6100 किलोमीटर तक फ़ैला हुआ है. यह रूस और फिनलैंड की सीमा से ईरान के बंदरगाह बंदार अब्बास तक जाता है.[16] यह मार्ग कज़ाकिस्तान के ग़जलगया और बेरेकेट के साथ तुर्कमेनिस्तान के इत्रेक को जोड़ता है और ईरानी प्रांत गोलेस्तान के गोर्गन में जाकर समाप्त होता है. इस मार्ग के चलते सेंट्रल एशियन रिपब्लिक्स (CARs) के लिए अरब सागर और भारतीय बंदरगाहों तक पहुंचना आसान हो जाता है. 2007 में हुए एक त्रिपक्षीय समझौते के बाद, 2009 में पूर्वी मार्ग का निर्माण शुरू हुआ. इसमें इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक ने 370 मिलियन US$ लगाए हैं, जबकि इसकी कुल लागत 1.4 बिलियन US$ है. 


नक्शा 2 : इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर.

Source: Author’s own
INSTC’s का पश्चिमी मार्ग भारत के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट को ईरान और अज़रबैजान से जोड़ता है. यह मार्ग कैस्पियन सी के पश्चिमी तट तक फ़ैला हुआ है और लगभग 5,100 किलोमीटर की दूरी तय करता है. यह मार्ग रूस और फिनलैंड की सीमा से ईरान के बंदार अब्बास बंदरगाह तक है.[17] पश्चिमी मार्ग न केवल सबसे छोटा मार्ग है, बल्कि यह रूस और ईरान के सबसे ज़्यादा आबादी वाले प्रांतों को भी जोड़ता है.[18] इस परियोजना को 2016 में उस वक़्त गति मिली जब अज़रबैजान इस बात के लिए राज़ी हुआ कि वह रूस और ईरान के साथ मिलकर तीन देशों के बीच इस रेल लाइन का निर्माण करेगा.[19] 2017 में तीनों देशों ने INSTC के मार्ग पर सीमा पार व्यापार को बढ़ावा देने के लिए टैरिफ यानी शुल्क को कम करने का निर्णय लिया. उसी साल एशियन डेवलपमेंट बैंक ने अज़रबैजान को रेल से जुड़ी बुनियादी सुविधाओं में सुधार के लिए 400 मिलियन US$ का कर्ज़ मंजूर किया. इसमें से 250 मिलियन US$ का ख़र्च रूस और ईरान को जोड़ने वाली 166 किलोमीटर लंबी मेन ट्रैक की डबल-लाइन को सुधारने पर किया गया.[20] इसके अलावा 2022 में अज़रबैजान को एशियन डेवलपमेंट बैंक ने 9.3 मिलियन US$ की तकनीकी सहायता दी. इस राशि से अज़रबैजान अपनी परिवहन क्षमता को, विशेषत: रेलवे व्यवस्था में सुधार करेगा.[21]

यह मार्ग कैस्पियन सी के पश्चिमी तट तक फ़ैला हुआ है और लगभग 5,100 किलोमीटर की दूरी तय करता है. यह मार्ग रूस और फिनलैंड की सीमा से ईरान के बंदार अब्बास बंदरगाह तक है

अज़रबैजान ने अस्तारा (ईरान) तथा अस्तारा (अज़रबैजान) के बीच सीमा पार 10 किमी की रेल लाइन बनाने पर भी 10 मिलियन US$ ख़र्च किए. अज़रबैजान के राष्ट्रीय रेलरोड ऑपरेटर ने ईरान के साथ ईरान की सीमाओं के भीतर 35 हेक्टेयर क्षेत्र में बने फ्रेट ट्रांसशिपमेंट फैसिलिटी का संचालन करने के लिए 25 वर्षीय समझौते पर भी हस्ताक्षर किए. मार्च 2019 में ईरान ने कज़्विन-रश्त रेलवे लाइन को पूरा कर इसका उद्घाटन किया. पश्चिमी मार्ग से सटी यह रेल लाइन 175 किमी की है. 2020 में COVID-19 महामारी के बावजूद ईरान और अज़रबैजान के बीच कार्गो यानी माल परिवहन 480,000 टन तक बढ़ गया. इसमें द्विपक्षीय व्यापार कुल 339 मिलियन US$ का हुआ था.[22] जनवरी 2021 में दोनों देशों ने एक रेलरोड सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसके तहत दोनों देशों के बीच कार्गो की मात्रा सालाना 2 मिलियन टन बढ़नी थी. 2022 के पहले पांच महीनों के मुकाबले 2023 में इसी अवधि के दौरान INSTC से होने वाले रेल परिवहन की मात्रा में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. हालांकि कुछ परियोजनाएं अब भी अधूरी है और काम चल रहा है, लेकिन अधिकांश परिवहन पश्चिमी मार्ग से ही हुआ था. (देखें टेबल 1)[23]

टेबल 1 : इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के पश्चिमी मार्ग पर बन रही परियोजनाओं की स्थिति.

स्रोत : विभिन्न स्रोतों से लेखक द्वारा संग्रहित.

ईरान और अज़रबैजान के बीच बन रही 164 किमी लंबी रश्त-अस्तारा रेल लाइन को काम में देरी, अंतरक्षेत्रीय परिवर्तन और ईरान पर लगे US प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा.[24] इस परियोजना में पहले ईरान और अज़रबैजान संयुक्त रूप से पैसा लगाने वाले थे. लेकिन US की ओर से लगाए गए प्रतिबंध की वज़ह से यह समझौता अटक गया.[25] मई 2023 में रूस और ईरान ने रश्त-अस्तारा रेलवे लाइन के ईरान में आने वाले हिस्से को पूरा करने के लिए एक समझौता किया. यह रेल लाइन रूस के लिए अहम बन गई थी, क्योंकि वह यूक्रेन के साथ अपने युद्ध के कारण पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का सामना कर रहा था. इन प्रतिबंधों ने रूस के उत्तरी व्यापार मार्ग में अड़ंगा डाल दिया था. रूस की ओर से मिले 1.4 US$ बिलियन के अंतरराज्यीय कर्ज़ की वज़ह से रश्त-अस्तारा रेल लाइन के काम में तेजी आयी है.[26] रूस इस कर्ज़ में 85 प्रतिशत हिस्सेदारी लेगा, क्योंकि इस मार्ग की वज़ह से सेंट पीटर्सबर्ग और मुंबई के बीच की कार्गो पहुंचने में फ़िलहाल लग रहा 25-30 दिनों का वक़्त घटकर 10 दिन पर आ जाएगा. रश्त-अस्तारा रेल लाइन का काम 2027 तक पूरा होने की संभावना है. इसके बाद इस मार्ग से 15 मिलियन टन कार्गों का परिवहन होगा.[27] 

2016 में नई दिल्ली और तेहरान ने रणनीतिक चाबहार बंदरगाह को ईरानी रेल प्रणाली और INSTC के साथ जोड़ने के लिए 625 किमी लंबी चाबहार- ज़ाहेदान रेलवे लाइन बनाने का समझौता किया. 

इसके अलावा 2016 में नई दिल्ली और तेहरान ने रणनीतिक चाबहार बंदरगाह को ईरानी रेल प्रणाली और INSTC के साथ जोड़ने के लिए 625 किमी लंबी चाबहार- ज़ाहेदान रेलवे लाइन बनाने का समझौता किया. लेकिन ईरान इस रेल लाइन के निर्माण में इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर (IRGC) के नियंत्रण वाली ख़तम अल-अन्बिया कंस्ट्रक्शन हेडक्वॉर्टस को शामिल करना चाहता था. लेकिन भारत इसके लिए तैयार नहीं था. इसी विवाद के चलते इस रेल मार्ग का निर्माण थम गया है. US प्रतिबंधों की वज़ह से भारत IRGC अथवा उसकी किसी सहयोगी कंपनी के साथ काम नहीं कर सकता था.[28] भारत की ओर से पैसा लगने में हो रही देरी को देखते हुए ईरान ने इस परियोजना से कंपनी को अलग करने का निर्णय लिया. अब ईरान ने ट्रैक बिछाने का काम शुरू कर दिया है. इस वज़ह से यह रेल लाइन अब आधी बन चुकी है.[29] रश्त-अस्तारा तथा चाबहार-ज़ाहेदान लाइन पूर्ण होने पर ईरान तथा अज़रबैजान के बीच कनेक्टिविटी में वृद्धि होगी. इसी तरह भारत के लिए भी पश्चिमी मार्ग का उपयोग करते हुए यूरेशिया के किसी भी हिस्से तक पहुंचना आसान हो जाएगा.

 

द ट्रांस कैस्पियन इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट रूट

2014 में शुरू हुआ द ट्रांस कैस्पियन इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट रूट (TITR) एक परिवहन मार्ग है, जिसमें विभिन्न बुनियादी सुविधाओं की योजनाएं शामिल है. ये सुविधाएं एशिया तथा यूरोप के बीच कनेक्टिविटी और व्यापार को बढ़ावा देने का काम करेंगी. TITR मध्य एशिया, कैस्पियन सी और साउथ काकेशस से गुज़रता है और यह यूरोप तथा मध्य एशिया के बीच सबसे छोटा भरोसेमंद मार्ग है. 4,250 किलोमीटर लंबाई वाले रेल मार्ग और 500 किमी के समुद्री मार्ग वाला TITR, रूस के नार्थन कॉरिडोर यानी उत्तरी मार्ग से लगभग 2,000 किमी छोटा है.[30] इस वज़ह से TITR, प्रतिबंध और स्वीकृति संबंधी मुद्दों को का सटीक हल है और यह किफायती भी है.[31]

 

सितंबर 2017 में जॉर्जिया के माध्यम से तुर्की और अज़रबैजान के बीच स्थापित बाकू-त्बिलिसी-कार्स का पूर्णत: आधुनिक रेल मार्ग खुल गया.[32] कैस्पियन सी और ब्लैक सी को जोड़ने वाला बाकू-त्बिलिसी-कार्स रेल मार्ग, TITR का एक और अहम हिस्सा है. यह लाइन 1983 से चल रही है और कज़ाकिस्तान से तुर्कमेनिस्तान के रास्ते यूरोप को तेल तथा अन्य सामान की आपूर्ति कर रही है. TITR के चलते नए बाज़ारों तक पहुंच बढ़ी है और व्यापार के नए अवसर उपलब्ध हुए है. 2014 से 2021 के बीच TITR के रास्ते 49,000 मालगाड़ियां गुज़री. इसमें सालाना 92.7 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. अकेले 2021 में ही 15,183 कंटेनर रेलगाड़ियों ने 1.464 मिलियन [b] बीस-फीट बराबर युनिट (TEUs) कार्गो का परिवहन किया. यह TITR के माध्यम से लगभग 22.4 और 29 प्रतिशत की वृद्धि दिखाता है.[33] 2022 में इसी मार्ग से गुज़रने वाले कंटेनर में 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई और कार्गों परिवहन 33,000 TEUs के साथ 1.5 मिलियन टन पहुंच गया.[34] 2023 के पहले नौ माह में इस मार्ग से 2 मिलियन टन कार्गों का परिवहन किया गया और कुल क्षमता बढ़कर 80,000 TEU कंटेनर पहुंच गई. वर्तमान में TITR में 11 सदस्य देशों की 25 ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स कंपनियां यहां के बंदरगाह, रेल और टर्मिनल्स में जहाजों पर काम कर रही है.[c] [35]

 

मार्च 2022 में जॉर्जिया, अज़रबैजान, तुर्की और कज़ाकिस्तान ने एक बयान जारी करते हुए TITR को मध्य एशिया और यूरोप के व्यापार और कनेक्टिविटी के लिए एक पर्यायी मार्ग के महत्व को आगे बढ़ाने के महत्व पर बल दिया.[36] 2022 में हुए एक रोडमैप समझौते के अनुसार TITR में शामिल देश अपनी क्षमता को 2025 तक 10 मिलियन टन प्रतिवर्ष बढ़ाना चाहते हैं.[37] याद रहे कि अगर सही नीति और निवेश की दिशा में काम किया गया तो यह कॉरिडोर 2030 तक अपनी मात्रा की क्षमता में तीन गुना वृद्धि कर सकता है.[38] इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए 2023 में अज़रबैजान, कज़ाकिस्तान तथा जॉर्जिया ने भी अपनी रेल बुनियादी सुविधाओं को मजबूती देने और माल परिवहन को आसान बनाने के लिए एक संयुक्त रेल उपक्रम स्थापित करने की घोषणा की. इसके अलावा TITR में शामिल देश इस मार्ग पर एक सिंगल विंडो सिस्टम यानी एक खिड़की प्रणाली [d] स्थापित करना चाहते हैं, ताकि कार्गो परिवहन सुगम और समय पर हो सके.[39]

टेबल 2 : ट्रांस-कैस्पियन इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट रूट की मुख्य परियोजना और मार्ग की स्थिति.

स्रोत : विभिन्न स्रोतों से लेखक द्वारा संग्रहित.

कैस्पियन सी के माध्यम से कार्गो परिवहन में विश्व की बढ़ रही दिलचस्पी के बीच अज़रबैजान ने बाकू इंटरनेशनल सी ट्रेडिंग पोर्ट के माध्यम से यूरोप और एशिया के बीच व्यापार करना आसान कर दिया है. बाकू पोर्ट के पास दो बर्थ और 11 रेलवे ट्रैक है, जो राष्ट्रीय रेल मार्ग तथा हाईवे के साथ जुड़े हुए हैं. 2022 में इस मार्ग पर 6.2 मिलियन टन का सालाना कारोबार हुआ. [e] अज़रबैजान ने पोर्ट पर ही एक फ्री इकोनॉमिक जोन भी बना दिया है, जहां अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत विवादों के हल की व्यवस्था भी है. इसके अलावा अज़रबैजान के पास कैस्पियन सी में सबसे बड़ी नागरिक फ्लीट है, जिसमें 52 कार्गो जहाज़ शामिल हैं. इसके अलावा बाकू शिपयार्ड में सभी प्रकार के जहाजों का निर्माण किया जा सकता है.[40]

 

इस पोर्ट की CARs, तुर्की, ईरान, भारत और रूस के अहम बाज़ारों से नज़दीकी इसे व्यवसाय और वाणिज्य के एक संभावित केंद्र के रूप में विकसित करने की संभावना बढ़ाती है. यही बात अज़रबैजान की व्यापक योजना में शामिल है, जिसके तहत वह अपनी गैर-तेल अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हुए हाइड्रोकार्बन पर निर्भरता से हटकर विविधता लाना चाहता है. बाकू बंदरगाह पर सालाना 17 मिलियन टन सूखे कार्गो और 150,000 TEUs का काम होता है. अब इसका विस्तार कर दो नई लोडिंग बर्थस्‌ (जहाज़ खड़े करने की जगह) बनाई जा रही है. इसके बाद यह बंदरगाह 25 मिलियन टन माल और 1 मिलियन TEUs को संभालने में सक्षम हो जाएगा. इस बंदरगाह को इस तरह बनाया गया है कि यहां 13,500 टन तक डेडवेट (खड़ी स्थिति में जहाज़ का वजन), जो कैस्पियन सी के लिए अधिकतम है, के जहाजों को जगह दी जा सकती है.[41]

 सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रूस-यूक्रेन युद्ध ने अज़रबैजान को यूरोप की आपूर्ति श्रृंखला का मुख्य केंद्र बना दिया है.  सामान को बुल्गारिया तथा रोमानिया के बंदरगाह से जॉर्जिया और तुर्की भेजा जा सकता है. 

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रूस-यूक्रेन युद्ध ने अज़रबैजान को यूरोप की आपूर्ति श्रृंखला का मुख्य केंद्र बना दिया है.[42] सामान को बुल्गारिया तथा रोमानिया के बंदरगाह से जॉर्जिया और तुर्की भेजा जा सकता है. और वहां से यह सामान ट्रेन के माध्यम से बाकू बंदरगाह तक जा सकता है. वहां से यह सामान कज़ाकिस्तान के अक्ताऊ बंदरगाह के माध्यम से चीन, तुर्कमेनिस्तान के तुर्कमेनबाशी बंदरगाह से मध्य एशिया, या INSTC मार्ग और ईरान के अंजाली बंदरगाह के रास्ते पश्चिम एशिया, भारत और दक्षिण एशिया जा सकेगा. इसके बाद यह सामान अंजाली बंदरगाह से बंदार अब्बास बंदरगाह होते हुए फ़ारस की खाड़ी तक आगे पहुंच जाएगा. इसके अलावा TITR के कारण यूरोप को भी मध्य एशिया तक अपने ऊर्जा संसाधन पहुंचाने का एक पर्यायी मार्ग उपलब्ध हो गया है. यह इसलिए भी ज़रूरी हो गया है, क्योंकि रूस और पश्चिम एशिया से गुज़रने वाले परंपरागत मार्गों को कभी भी भूराजनीतिक तनावों और घेराबंदी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है.

 

US ने भी TITR में ‘‘पैसा लगाना जारी रखने और इसके विकास’’ पर जोर दिया है. वह अपने G7 सहयोगियों के साथ ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर और इन्वेस्टमेंट साझेदारी का महत्वपूर्ण ट्रांसपोर्ट, स्वच्छ ऊर्जा और अहम खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ डिजिटल कनेक्टिविटी को पुख़्ता करने में इस्तेमाल करने का वादा कर चुका है.[43] एक स्थायी और संपन्न TITR के सहयोग से US और यूरोप कुछ हद तक चीन, ईरान और रूस के साथ अपनी वैश्विक प्रतिस्पर्धा को कम करने में सफ़ल हो सकते हैं. अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के हिस्से के रूप में काकेशस क्षेत्र में फ्रेट यानी मालवाहक कॉरिडोर विकसित करने की चीन की कोशिशों को बेहद कम सफ़लता मिली है. हालांकि चीन और तुर्की ने BRI और TITR के बीच तालमेल बिठाने की कोशिश की, लेकिन बीजिंग ने इस कॉरिडोर को विकिसत करने पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया.[44] इसके अतिरिक्त TITR में शामिल कुछ देशों ने चीन के साथ मिलकर काम करने को लेकर ज़्यादा उत्साह नहीं दिखाया. इसका कारण यह था कि वे चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर को मिली अल्प सफ़लता को देख चुके थे और बीजिंग के इरादों को लेकर भी उनके मन में आशंका थी.[45]

भारत और अज़रबैजान: अवसर और चुनौतियां

हाल के वर्षों में भारत और अज़रबैजान के बीच में व्यापार में बहुत वृद्धि हुई है. यह 2005 में 50 मिलियन US$ से 2022 में बढ़कर 1.882 बिलियन US$ हो गया है. (देखें टेबल 3) 

टेबल 3 : भारत-अज़रबैजान व्यापार, 2015-2022 (US$ मिलियन में)

स्रोत : रिपब्लिक ऑफ अज़रबैजान की राज्य सांख्यिकी समिति.[46]

अज़रबैजान के शीर्ष पांच व्यापार सहयोगियों में भारत का भी समावेश है.[47] अज़रबैजान को होने वाले भारतीय निर्यात में मुख्यत: चावल, इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल उपकरण, अनाज, औषधियां, मशीन, बॉइलर्स, परमाणु रिएक्टर्स, सिरेमिक उत्पाद, कृषि और वन संबंधी ट्रैक्टर्स, वैक्सीन और ब्लैक टी का समावेश हैं. इसके साथ ही अज़रबैजान की ओर से भारत में होने वाले निर्यात में कच्चे तेल अयस्क की हिस्सेदारी 98 प्रतिशत है.[48] हाइड्रोकार्बन पर अपनी निर्भरता को कम करते हुए व्यापार में विविधता लाने का प्रयास कर रहे अज़रबैजान को भारत खाद्य प्रसंस्करण, औषधि तथा तकनीक के क्षेत्र में साथी बनकर सहयोग कर सकता है.

 

दोनों देशों के बीच व्यापार को और बढ़ाने में ‌INSTC का पश्चिमी मार्ग अहम भूमिका अदा कर सकता है. इस मार्ग का उपयोग करते हुए भारत और अज़रबैजान दोनों ही तेजी के साथ कम लागत पर व्यापार को बढ़ा सकते है. उदाहरण के लिए रश्त-अस्तारा रेलवे मार्ग के पूर्ण होने पर INSTC के पश्चिमी मार्ग से सामान पहुंचाने के लिए वर्तमान में लगने वाला 25-30 दिनों का वक़्त घटकर 10 दिन रह जाएगा.[49] भारत और अज़रबैजान, दोनों ही इस परिवहन मार्ग को विकसित करने के इच्छुक हैं.[50] वे चाबहार बंदरगाह को भी INSTC में शामिल करने का समर्थन करते है.[51] दोनों देश नए क्षेत्र जैसे पर्यटन में भी बातचीत का विचार कर रहे है. इंडिगो एयरलाइंस की ओर से नई दिल्ली और बाकू के बीच सीधी उड़ान शुरू करने को दोनों देशों की यात्रा करने वाले पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होने का संकेत माना जा रहा है. उल्लेखनीय है कि अज़रबैजान भारत को इस क्षेत्र में एक रचनात्मक शक्ति के रूप में देखता है.

 

इस क्षेत्र में भारत को अपने अल्पावधि और दीर्घावधि लक्ष्यों के बीच संतुलन साधना चाहिए. दुनिया की आर्थिक स्थिति भले ही डगमगा रही हो, लेकिन भारत अब भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती मुख्य अर्थव्यवस्था बना हुआ है. भारत जल्द ही 5 ट्रिलियन US$ तक पहुंचने और विश्व विकास का इंजन बनने को तैयार है.[52] स्थायी आर्थिक विकास के लिए भारत ने भरोसेमंद, लचीले और विविध आपूर्ति श्रृंखलाओं पर बल दिया है. इसके लिए उसके पास संपूर्ण यूरेशिया तक कनेक्टिविटी और आवागमन का संपूर्ण अधिकार होना ज़रूरी है.[53] 2030 तक भारत दुनिया का बड़ा मैन्युफैक्चरिंग सेंटर यानी निर्माण केंद्र बनने को तैयार है, जिसमें 1 ट्रिलियन US$ के सामान का निर्यात करने की क्षमता होगी.[54] ऐसे में भारत और यूरेशिया के लिए यह ज़रूरी है कि ये अपनी आर्थिक उन्नति और संपन्नता को बढ़ावा देने के लिए भारत समेत अन्य क्षेत्रों, जिसमें यूरोप का भी समावेश है, के साथ मजबूत कड़ी सुनिश्चित करें.[55] अगर संपूर्ण कनेक्टिविटी स्थापित हो जाती है तो भारत-यूरेशिया के बीच व्यापार के 170 बिलियन US$ तक (भारत से यूरेशिया को होने वाला 60.6 बिलियन US$ का निर्यात और यूरेशिया से भारत को होने वाला 107.4 बिलियन US$ का आयात) पहुंचने की क्षमता है.[56]

 

INSTC जैसी कनेक्टिविटी पहल में भारत का शामिल होना इस बात का संकेत है कि वह एक स्थायी और किफायती आपूर्ति मार्ग स्थापित करने का इच्छुक है, जो उसे यूरोपियन बाज़ार तक पहुंच उपलब्ध करवा सकें. चूंकि INSTC का पश्चिमी मार्ग अज़रबैजान में TITR से गुज़रता है, अत: यह मार्ग भारत को यूरोपियन तक जल्दी पहुंचने का मौका दे सकता है. ईरान के ख़िलाफ़ US की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों के कारण भारत को बुनियादी सुविधा संबंधी परियोजनाओं के लिए पैसों की कमी का सामना करना पड़ा. यह बात अलग है कि भारत को US ने इस क्षेत्र को लेकर छूट दे रखी थी. लेकिन अब US ने भी इस बात को स्वीकार कर लिया है कि CARs और दक्षिण एशिया के बीच कनेक्टिविटी में वृद्धि, परिवहन मार्गों और नेटवर्क्स में विविधता लाने के लिए आवश्यक है.[57] इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती हुई उपस्थिति को देखते हुए भारत को चाबहार-ज़ाहेदान रेलवे लाइन के काम में तेजी लाकर BRI को जवाब देने के लिए तैयार हो जाना चाहिए. इसके साथ ही भारत को INSTC में निवेश को लेकर रुचि बढ़ाने के लिए भारतीय निवेशकों को करों में छूट देनी चाहिए. फिलहाल निजी निवेशक इसे लेकर ज़्यादा उत्सुक नहीं है. 

यह बात अलग है कि भारत को US ने इस क्षेत्र को लेकर छूट दे रखी थी. लेकिन अब US ने भी इस बात को स्वीकार कर लिया है कि CARs और दक्षिण एशिया के बीच कनेक्टिविटी में वृद्धि, परिवहन मार्गों और नेटवर्क्स में विविधता लाने के लिए आवश्यक है.

भारत-अज़रबैजान संबंधों को अपने राजनीतिक और भू-राजनीतिक हितों, विशेषत: दोनों देशों के अंदरुनी मामलों, को लेकर भी संतोष करना चाहिए. एक ओर जहां भारत ने नागोर्नो-काराबाख़ विवाद [f] को लेकर निष्पक्ष रवैया अपनाया है, वहीं अज़रबैजान ने कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के रुख का समर्थन किया है.[58] अज़रबैजान को भारत के अंदरूनी मामलों को लेकर संवेदनशीलता दिखानी होगी. इसके साथ ही आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच चल रहे क्षेत्रीय विवाद कैस्पियन सी क्षेत्र की शांति और स्थिरता की राह में महत्वपूर्ण बाधा बने हुए है. भारत को अपनी ठोस रणनीतिक ताकत का उपयोग करते हुए बाकू और येरेवान के बीच शांति स्थापित करने की कोशिश करनी चाहिए. ऐसा करते हुए वह इस क्षेत्र को आर्थिक विकास का चालक और भरोसेमंद तथा लचीली कनेक्टिविटी का केंद्र बना सकता है. 

भारत, अज़रबैजान समेत INSTC और TITR के मार्ग पर आने वाले अन्य देशों को अलग-अलग और बेहद मुश्किलों से भरे शुल्क तथा कस्टम संबंधी नियम और प्रक्रियाओं पर भी ध्यान देना चाहिए, क्योंकि अपने वर्तमान रूप में ये सामानों की आवाजाही में देरी का अहम कारण बने हुए हैं. इन दोनों परियोजनाओं के मार्ग पर आने वाले देशों को अपने यहां के शुल्क और सीमा नियंत्रण प्रक्रियाओं को नई तकनीक का उपयोग करते हुए सरल बनाना चाहिए, ताकि यहां से कार्गों का आसानी से आना-जाना हो सके. भारत, अज़रबैजान, जॉर्जिया, ईरान और CARs को इस मुद्दे पर एक सरकार स्तरीय समन्वय समूह स्थापित करने पर विचार करना चाहिए.

निष्कर्ष

भारत तथा अज़रबैजान के पास सांस्कृतिक एवं आर्थिक संबंधों का अपना इतिहास मौजूद है. इसके बावजूद दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के अनेक अनछुए अवसर अब भी मौजूद है. काकेशस क्षेत्र में अज़रबैजान भारत का सबसे बड़ा व्यापार सहयोगी है, जबकि बाकू में नई दिल्ली सबसे बड़े निवेशकों में से एक है. भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था और यूरोप तथा एशिया के प्रवेश द्वार पर बैठे अज़रबैजान की रणनीतिक स्थिति में व्यापार और निवेश को बढ़ाने की क्षमता मौजूद है. भारत ने एक भरोसेमंद, लचीली और विविध आपूर्ति श्रृंखला तैयार करने के महत्व पर जोर दिया है और इस लक्ष्य को हासिल करने में अज़रबैजान एक सुनहरा अवसर साबित हो सकता है. इसी वज़ह से INSTC का पश्चिमी मार्ग और TITR भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं.

Endnotes

[a] Russia, India, Iran, Türkiye, Azerbaijan, Belarus, Bulgaria, Armenia, Kazakhstan, Kyrgyz Republic, Oman, Tajikistan, and Ukraine.

[b] 25,000 TEUs

[c] Azerbaijan, Georgia, Kazakhstan, Turkey, Ukraine, Poland, Romania, Bulgaria, Lithuania, China, and Singapore.

[d] A single window system is a trade facilitation initiative that aims to simplify and streamline the import and export process by providing a single point of entry for all trade-related documentation and procedures. This means that traders only need to submit their information once to a single authority, instead of submitting it to multiple different government agencies. The World Trade Organization's Trade Facilitation Agreement (TFA), which came into force in 2017, includes provisions on single window systems and is now binding on all WTO members.

[e] Information provided by Port authorities in Baku during the visit.

[f] The Nagorno-Karabakh conflict is a long-standing and complex territorial dispute between Azerbaijan and Armenia over the Nagorna-Karabakh region. In 2020, a second war broke out between the two countries that lasted for six weeks and resulted in 6,000 deaths. Azerbaijan made significant territorial gains during the war, recapturing the seven surrounding districts and parts of Nagorno-Karabakh itself. Finally, in September 2023, Azerbaijan forces seized the whole of the disputed territory in a lightning offensive after defeating separatist ethnic Armenian fighters. Though the territory is internationally recognised as Azeri, more than 120,000 Armenians from Nagorna-Karabakh have fled to Armenia due to the recent offensive.

[1] Divya Kumar, “At this Azerbaijan fire temple, Sanskrit and Punjabi inscriptions find place,” The Hindu, November 04, 2018,

[2] Saadat Karimi, “The fire temple Ateshgah,” Saadat Karimi Blog, February 08, 2020,

[3] Ministry of External Affairs, Government of India, “Brief on India-Azerbaijan Bilateral Relations,” August 2022.

[4] Embassy Of India, Baku, Azerbaijan, “Brief on India-Azerbaijan Bilateral Relations,” https://www.indianembassybaku.gov.in/page/bilateral-brief/

[5]Explained: INSTC, the transport route that has Russia and India’s backing,” Business Standard, July 14, 2022.

[6] Manoj Kumar and Nidhi Verma, “India likely to start full operations at Iran’s Chabahar port by May end”, Reuters, March 05, 2021, https://www.reuters.com/article/india-iran-ports-int-idUSKBN2AX1DK

[7] Orkhan Jalilov, “Iranian Railway Projects In Jeopardy Of Being Canned, Due To Trump’s Sanctions,” Caspian News, August 6, 2018.

[8] Suhasini Haidar, “Iran drops India from Chabahar rail project, cites funding delay,” The Hindu, July 14, 2020.

[9] Indrajit Roy, “Bringing Eurasia Closer,” The Hindu, August 01, 2022.

[10] “Online webinar highlights role of Azerbaijan in activating International North-South Transport Corridor,” The Azerbaijan State News Agency, June 24, 2021, https://azertag.az/en/xeber/Online_webinar_highlights_role_of_Azerbaijan_in_activating_International_North_South_Transport_Corridor-1815551

[11] Subhayan Chakraborty, “Need to build resilient supply chains, boost connectivity: PM Modi at SCO,” Business Standard, September 16, 2022, https://www.business-standard.com/article/economy-policy/need-to-build-resilient-supply-chains-boost-connectivity-pm-modi-at-sco-122091600820_1.html

[12] Central Asia Regional Economic Cooperation (CAREC) (2021), “Railway Sector Assessment for Azerbaijan,” https://www.carecprogram.org/uploads/2020-CAREC-Railway-Assessment_AZE_4th_2021-3-4_WEB.pdf

[13] Sara Israfilbayova, “Azerbaijan eyes to invest $1 billionin its railway infrastructure,” Deutsch-Aserbaidschanische Auslandshandelskammer, April 12, 2019, https://www.aserbaidschan.ahk.de/en/newsroom/news-details/azerbaijan-eyes-to-invest-1b-in-its-railway-infrastructure

[14] Aimee Hampel-Milagrosa, Aziz Haydarov, Kym Anderson, Jasmin Sibal, and Edimon Ginting, “Azebaijan Moving Toward More Diversified, Resilient, and Inclusive Development,” Asian Development Bank, August 2020, https://www.adb.org/sites/default/files/publication/624476/aze-diversified-resilient-inclusive-development.pdf

[15] “Explained: INSTC, the transport route that has Russia and India’s backing”

[16] Evgeny Vinokurov, Arman Ahunbaev, Marat Shashkenov, and Alexander Zaboev, “The International North–South Transport Corridor: Promoting Eurasia's Intra- and Transcontinental Connectivity, Reports and Working Papers, 21/5. Almaty, Moscow: Eurasian Development Bank, 2021, https://ssrn.com/abstract=4008994

[17] Vinokurov, Ahunbaev, Shashkenov, and Zaboev, “The International North–South Transport Corridor”

[18] Joshua Kucera, “Russia and Iran agree on new railroad corridor via Azerbaijan,” Eurasianet, May 26, 2023, https://eurasianet.org/russia-and-iran-agree-on-new-rail-corridor-via-azerbaijan

[19] “Baku set to become major Eurasian hub,” Freight Week, October 1, 2016, https://www.freightweek.org/index.php/en/viewpoints-2/2258-baku-set-to-become-major-eurasia-hub

[20] “ADB Approves $400 Million to Support Azerbaijan’s Rail Sector, Modernize North-South Railway Corridor,” Asian Development Bank, December 6, 2017, https://www.adb.org/news/adb-approves-400-million-support-azerbaijans-rail-sector-modernize-north-south-railway-corridor .

[21] “Azerbaijan Railway System: Well on Track with Austrian Expertise,” Asian Development Bank, October 26, 2022, https://www.adb.org/results/azerbaijan-railway-system-well-track-austrian-expertise

[22] Ilham Karimli, “Iran Expands Railroad Ties with Azerbaijan”, Caspian News, January 19, 2021, https://caspiannews.com/news-detail/iran-expands-railroad-ties-with-azerbaijan-2021-1-19-0/

[23] Farzad Ramezani Bonesh, “Iran’s Approach to the North and South Transport Corridors: Obstacle and Future Prospects,” Silk Road Briefing, June 19, 2023, https://www.silkroadbriefing.com/news/2023/06/19/irans-approach-to-the-north-and-south-transport-corridors-obstacles-future-prospects/#:~:text=The percent20INSTC percent20connects percent20India percent20to, percent2C percent20rail percent2C percent20and percent20sea percent20routes

[24] “Iran-Azerbaijan Rail Link A Modest Boost For International North-South Transport Corridor,” BMI, June 02, 2023, https://www.fitchsolutions.com/country-risk/iran-azerbaijan-rail-link-modest-boost-international-north-south-transport-corridor-02-06-2023?fSWebArticleValidation=true&mkt_tok=NzMyLUNLSC03NjcAAAGN1kotu3K5gPpeuK-V7DI89IgxbfHQIC3aIqq-KQqDYHngtyKi-vwerySqS6O8UgqtVT-lHtzhcrDuz4G6hvet8SxbmdQhQgNRhRcsICXoDovdzhDZ2A

[25] Kucera, “Russia and Iran agree on new railroad corridor via Azerbaijan”

[26] Ayjaz Wani, “The Middle Corridor and opportunities for India”, Observer Research Foundation, January 15, 2024, https://www.orfonline.org/research/the-middle-corridor-and-opportunities-for-india#:~:text=With%20a%20US%241.4%20billion,will%20be%20completed%20next%20year.

[27] “Russia: Rasht-Astara Railroad Completion to Take Four Years”, Financial Tribune, May 20, 2023, https://financialtribune.com/articles/domestic-economy/118174/russia-rasht-astara-railroad-completion-to-take-four-years

[28] Geeta Mohan, “Real reason why India sits out of Iran’s Chabahar-Zahedan rail link project,” India Today, July 21, 2020, https://www.indiatoday.in/india/story/iran-chabahar-zahedan-rail-link-project-india-1702928-2020-07-21

[29] Ayjaz Wani, “Slow, Not Steady: Assessing the Status of India-Eurasia Connectivity Projects”, Observer Research Foundation, February 2023, https://www.orfonline.org/wp-content/uploads/2023/02/ORF_IB-610_Status-of-India-Eurasia-connectivity-projects_ForUpload.pdf

[30] Nigar Jafarova, “The Rise of Middle Corridor,” Frontierview, May 25, 2023, https://frontierview.com/insights/the-rise-of-the-middle-corridor/

[31] Meray Ozat and Haley Nelson, “The Middle Corridor: The Beginning of the End for Russia’s Northern Corridor?,” Caspian Policy Center, June 30, 2023, https://www.caspianpolicy.org/research/energy-and-economy-program-eep/the-middle-corridor-the-beginning-of-the-end-for-russias-northern-corridor .

[32] Aimee Hampel-Milagrosa, Aziz Haydarov, Kym Anderson, Jasmin Sibal, and Edimon Ginting, “Azebaijan Moving Toward More Diversified, Resilient, and Inclusive Development,” Asian Development Bank, August 2020, https://www.adb.org/sites/default/files/publication/624476/aze-diversified-resilient-inclusive-development.pdf

[33] World Bank, “Middle Trade and Transport Corridor: Policies and Investments to Triple Freight Volumes and Halve Travel Time by 2030”, Washington, DC: World Bank, 2023, https://www.worldbank.org/en/region/eca/publication/middle-trade-and-transport-corridor

[34] Assel Satubaldina, “Cargo Transportation Along Middle Corridor Soars 88%, Reaches 2 Million Tons in 2023,” The Astana Times, December 28, 2023, https://astanatimes.com/2023/12/cargo-transportation-along-middle-corridor-soars-88-reaches-2-million-tons-in-2023/

[35] Navbahor Imamova, “Central Asian Trade Corridor Gains Interest Amid Regional Tensions”, Voice of America, December 29, 2023, https://www.voanews.com/a/central-asian-trade-corridor-gains-interest-amid-regional-tensions-/7390284.html

[36] Emil Avdaliani, “Will the Middle Corridor Evolve To Reshape Eurasian Connectivity Between China and the European Union,” Silk Road Briefing, March 02, 2023, https://www.silkroadbriefing.com/news/2023/03/02/will-the-middle-corridor-evolve-to-reshape-eurasian-connectivity-between-china-and-the-european-union/

[37] Jafarova, “The Rise of Middle Corridor”

[38] World Bank, “Middle Trade and Transport Corridor”

[39] World Bank, “Middle Trade and Transport Corridor”

[40] President of the Republic of Azerbaijan, Ilham Aliyev, “Shanghai Cooperation Organization member states summit gets underway in Samarkand,” September 16, 2022, https://president.az/en/articles/view/57224 .

[41] Vinokurov, “The International North–South Transport Corridor”

[42] James Jay Carafano, “Central Asia’s Middle Corridor gains traction at Russia’s expense” GIS, August 29, 2022, https://www.gisreportsonline.com/r/middle-corridor/

[43] The White House, “C5+1 Leaders’ Joint Statement”, Statements and Releases, September 21, 2023. https://www.whitehouse.gov/briefing-room/statements-releases/2023/09/21/c51-leaders-joint-statement/?_gl=1*1eihfd8*_gcl_au*MjAzNjU5OTU5Ni4xNzAyMTkyNzkx

[44] Emil Avdaliani, “China Still Ambivalent About the Middle Corridor”, Choice, January 26, 2023, https://chinaobservers.eu/china-still-ambivalent-about-the-middle-corridor/

[45] James Jay Carafano, “Central Asia’s Middle Corridor gains traction at Russia’s expense”, Geopolitical Intelligence Services AG, August 29, 2022, https://www.gisreportsonline.com/r/middle-corridor/

[46] Embassy Of India, Baku, Azerbaijan, “Economic and Commercial Brief,” https://www.indianembassybaku.gov.in/page/economic/

[47] “Ambassador: India is among 5 top trade partners of Azerbaijan,” Report News Agency, May 19, 2023, https://report.az/en/foreign-politics/ambassador-india-is-among-5-top-trade-partners-of-azerbaijan/ .

[48] Embassy Of India, “Economic and Commercial Brief”

[49] Nicola P. Contessi, “In the Shadow of the Belt and Road ” Center for Strategic and International Studies (CSIS), March 03, 2020, https://reconasia.csis.org/shadow-belt-and-road/

[50] “Indian Ambassador: Azerbaijan is an important partner in North-South Transport Corridor-INTERVIEW,” Report News Agency, July 16, 2021, https://report.az/en/foreign-politics/ambassador-india-and-azerbaijan-share-long-historical-and-deep-cultural-ties/ .

[51] “Hopeful membership of INSTC project will be expanded: Jaishankar,” The Economics Times, March 04, 2021, https://economictimes.indiatimes.com/news/politics-and-nation/hopeful-membership-of-instc-project-will-be-expanded-jaishankar/articleshow/81329027.cms?from=mdr .

[52] “India on course to become USD 5 trillion economy by FY26: CEA”, The Economic Times, February 01, 2022,

https://economictimes.indiatimes.com/news/economy/finance/india-on-course-to-become-usd-5-trillion-economy-by-fy26-cea/articleshow/89281393.cms?from=mdr

[53] “PM Modi attends 22nd SCO Summit at Samarkand; Says, SCO needs to focus on bringing diversified, resilient supply chains,” News Service Division, All India Radio, September 16, 2022, https://newsonair.gov.in/News?title=PM-Modi-attends-22nd-SCO-Summit-at-Samarkand percent3B-Says percent2C-SCO-needs-to-focus-on-bringing-diversified percent2C-resilient-supply-chains&id=447767 .

[54] Pritam Deuskar, “India – A 1 trillion manufacturing export market by 2030”, Mint, December 1, 2022, https://www.livemint.com/economy/india-a-1-trillion-manufacturing-export-market-by-2030-11669800286004.html

[55] “Goods and services exports may reach $1 trillion each by 2030: Piyush Goyal”, Business Standard, February 21, 2023, https://www.business-standard.com/article/economy-policy/goods-and-services-exports-may-reach-1-trillion-each-by-2030-piyush-goyal-123022101072_1.html

[56] P. Stobdan and Ashok Behuria, G. Balachandran, Chabahar: Gateway to Eurasia, (Ladakh International Centre, 2017)

[57] The White House, “C5+1 Leaders’ Joint Statement”

[58] Aditi Bhaduri, “India must ignore Azerbaijan’s gripe over arms supplies to Armenia”, Money Control, August 11, 2023, https://www.moneycontrol.com/news/opinion/india-must-ignore-azerbaijans-gripe-over-arms-supplies-to-armenia-11153341.html

 

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.