प्रस्तावना
जलवायु परिवर्तन और आपूर्ति श्रृंखला संबंधी बाधाओं की चुनौतियों का सामना करने के बावजूद भारत-प्रशांत क्षेत्र वैश्विक राजनीति और अर्थशास्त्र के लिए केंद्र बिंदु बनकर उभर रहा है. इस गतिशील इलाके में एसोसिएशन ऑफ़ साउथईस्ट नेशंस (ASEAN) और बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्नीकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन (BIMSTEC) [a] ये दोनों ही संगठन अब बेहद अहम संगठन बनने जा रहे हैं.
1967 में अपने गठन के बाद से ही ASEAN ने एक साथ सटे हुए भौगोलिक क्षेत्र में आने वाली विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं का एकीकरण हासिल करने में सफ़लता प्राप्त की है. इस समूह ने दक्षिणपूर्व एशियाई अर्थव्यवस्था को एकीकृत करते हुए इस इलाके की अर्थव्यवस्थाओं के साथ दुनिया के सबसे बड़े फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के अलावा छह फ्री ट्रेड डील्स करवाने में भी सफ़लता हासिल की है.[1]
1967 में अपने गठन के बाद से ही ASEAN ने एक साथ सटे हुए भौगोलिक क्षेत्र में आने वाली विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं का एकीकरण हासिल करने में सफ़लता प्राप्त की है. इस समूह ने दक्षिणपूर्व एशियाई अर्थव्यवस्था को एकीकृत करते हुए इस इलाके की अर्थव्यवस्थाओं के साथ दुनिया के सबसे बड़े फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के अलावा छह फ्री ट्रेड डील्स करवाने में भी सफ़लता हासिल की है.
दूसरी ओर BIMSTEC, फ़िलहाल एक नई इकाई है, जिसका गठन 1997 में किया गया था. इसमें बंगाल की खाड़ी से सटे देशों का समावेश है. इस संगठन ने सहयोग के लिए 14 प्राथमिकता वाले क्षेत्रों [b] का चयन किया है. इस समूह को ऊर्जा और समुद्री सहयोग जैसे क्षेत्रों में काफ़ी हद तक सफ़लता मिलती दिखाई दे रही है.
ऐसे में ASEAN और BIMSTEC के बीच क्षेत्रीय तालमेश बेहद महत्वपूर्ण होता जा रहा है. इन दोनों समूहों के तहत 2.15 बिलियन की आबाद रहती है, जिसकी 2019 में GDP 4.2 ट्रिलियन अमेरिकी डालर थी. ऐसे में यहां आर्थिक उन्नति की अपार संभावनाएं दिखाई दे रही हैं.[2] यहां के देशों के ऐतिहासिक संबंध और साझा संस्कृतिक विरासत के चलते यहां सहयोग बढ़ाने की मजबूत नींव मौजूद है. यह बात विशेष रूप से क्षेत्रीय स्थिरता और विकास को लेकर किए जाने वाले सहयोग पर लागू होती है.
इसी पृष्ठभूमि को ध्यान में रखकर ही ऑर्ब्जवर रिसर्च फाउंडेशन, द फॉरेन कम्युनिटी ऑफ़ इंडोनेशिया और जर्काता में भारतीय दूतावास की संयुक्त मेज़बानी में एशिया ग्रुप्स इंडिया प्रैक्टिस के सहयोग से ‘‘ज़र्काता फ्यूचर्स फोरम: ब्लू होराइजंस, ग्रीन ग्रोथ’’ के पहले संस्करण का मई 2024 में आयोजन किया गया था. इस दो दिवसीय परिषद का उद्देश्य भारत और इंडोनेशिया के बीच व्यापारिक और रणनीतिक संबंधों के साथ-साथ एशिया के प्रत्येक देश के साथ जुड़े व्यापक बहुराष्ट्रीय समूहों को बढ़ावा देना था. इस आयोजन का एक आकर्षण ASEAN-BIMSTEC सहयोग पर बंद दरवाजे में राउंडटेबल चर्चा थी. इसमें BIMSTEC के महासचिव इंद्रमणि पांडे, ASEAN के डिप्टी सेक्रेटरी जनरल सतविंदर सिंह, इंडोनेशिया में भारत के राजदूत संदीप चक्रवर्ती तथा इंडोनेशिया में बांग्लादेश के राजदूत मो. तारिकुल इस्लाम ने शामिल होकर अपने विचार व्यक्त किए थे. इस रिपोर्ट में उसी आयोजन में हुई चर्चा को आगे बढ़ाया गया है. ऐसा करते हुए वैश्विक दक्षिण के देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं. इसके साथ ही यहां ASEAN और BIMSTEC के बीच क्षेत्रीय तालमेल को बढ़ावा देने पर भी ध्यान केंद्रीत किया गया है.
दक्षिण और दक्षिणपूर्व एशिया के बीच सेतु के रूप में BIMSTEC की भूमिका
BIMSTEC में शामिल सात देशों में 1.8 बिलियन लोग रहते हैं. यह वैश्विक जनसंख्या का लगभग 22 फीसदी होता है. इन देशों की संयुक्त GDP (2022 तक) लगभग 4.5 ट्रिलियन अमेरिकी डालर है.[3]
स्थापना के बाद की प्रगति
1997 से ही BIMSTEC ने बंगाल की खाड़ी के समक्ष पेश आने वाली चुनौतियों का साझा मुकाबला करने के साथ ही यहां आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर भी ध्यान दिया है. यह अब एक अन्य क्षेत्रीय मंच साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रिजनल को-ऑपरेशन (SAARC) का पर्याय बनकर उभरा है. हालांकि इसकी महत्वाकांक्षा और इसे मिली सफ़लता में काफ़ी अंतर दिखाई देता है.
BIMSTEC ने अपनी अब तक की यात्रा में चुनौतियों और सफ़लताओं दोनों का अनुभव किया है. इस पर आगे के बिंदुओं में चर्चा की गई है :
- BIMSTEC शिखर सम्मेलन: आज की तिथि तक BIMSTEC के पांच शिखर सम्मेलन हुए हैं. इसमें सबसे ताजा सम्मेलन श्रीलंका के कोलंबो में मार्च 2022 में आयोजित किया गया था.
- लंबित FTA फ्रेमवर्क: 2004 में BIMSTEC के सदस्य देशों ने व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) यानी मुक्त व्यापार संधि के लिए एक फ्रेमवर्क यानी ढांचा स्थापित करने का निर्णय लिया था. लेकिन इस FTA पर अभी तक सारे सदस्यों ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं.
- हस्ताक्षरित समझौते: मुख़्य साधनों को आधिकारिक कर लिया गया है. इसमें परिवहन कनेक्टिविटी के लिए BIMSTEC मास्टर प्लान, BIMSTEC टेक्नोलॉजी ट्रांसफर फैसिलीटी के लिए मेमोरैंडम ऑफ़ एसोसिएशन, BIMSTEC कंवेंशन ऑन म्युच्युअल लीगल असिस्टेंस इन क्रीमिनल मैटर्स तथा MoU फॉर द एस्टैब्लिशमेंट ऑफ़ BIMSTEC ग्रीड इंटरकनेक्शन का समावेश है.[4]
- संस्थानों की स्थापना: BIMSTEC ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग और ज्ञान साझाकरण के लिए विविध संस्थानों की स्थापना की है. इसमें ऊर्जा केंद्र, मौसम और जलवायु केंद्र, सांस्कृतिक उद्योग वेधशाला और पर्यटन फंड का समावेश है. ये सारे संस्थान पर्याप्त वित्त पोषण व्यवस्था के अभाव में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं.
- अंतरराष्ट्रीय साझेदारियां: BIMSTEC ने एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) तथा इंटरनेशनल फ़ूड पॉलिसी रिसर्च इन्स्टीट्यूट (IFPRI) के साथ साझेदारी कर ली है. इसके अलावा वह इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) और वर्ल्ड बैंक के साथ बातचीत कर रहा है.[5]
- चार्टर का अधिकृतीकरण: 2014 में बांग्लादेश के ढाका में BIMSTEC सचिवालय की स्थापना के बाद मार्च 2022 में एक चार्टर को अपनाए जाने से इस संगठन के दृष्टिकोण तथा उद्देश्यों को एक मजबूत नींव हासिल हुई है. यह चार्टर 20 मई 2024 से प्रभावी हो गया है. इसमें BIMSTEC को अन्य देशों और संगठनों के साथ साझेदारी करने का अधिकार दिया गया है. इसके अलावा इस चार्टर से BIMSTEC को नए सदस्य और निरीक्षक स्वीकारने का अधिकार भी मिला है.[6]
भू-राजनीतिक प्रासंगिकता
अनेक कारणों के चलते BIMSTEC भू-राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है:
- रणनीतिक स्थिति: यह इलाका बंगाल की खाड़ी में हिंद तथा प्रशांत महासागर के अहम कारोबारी मार्गों पर स्थित है. इस क्षेत्र में एक अंतर-क्षेत्रीय संगठन के रूप में BIMSTEC दक्षिण एशिया तथा दक्षिणपूर्व एशिया के बीच कनेक्टिविटी तथा सहयोग को बढ़ावा देने में अहम कड़ी का काम करता है.
- क्षेत्रीय कनेक्टिविटी: इस क्षेत्र में BIMSTEC ढांचागत सुविधाओं के विकास और कनेक्टिविटी परियोजनाओं जैसे BIMSTEC मास्टर प्लान फॉर ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी और MoU फॉर द इस्टैब्लिशमेंट ऑफ़ द BIMSTEC ग्रीड इंटरकनेक्शन को बढ़ावा देता है. ऐसा करते हुए वह अपने सदस्य देशों के बीच भौतिक, आर्थिक और डिजिटल संबंधों को मजबूती प्रदान करता है.
- औद्योगिक विविधीकरण: BIMSTEC के सदस्य देश वैश्विक उद्योग की एक विस्तृत श्रृंखला में अहम खिलाड़ी हैं. उदाहरण के रूप में बांग्लादेश का गारमेंट उद्योग, भारत का डिजिटल सेवा उद्योग, श्रीलंका का समुद्री सेवा उद्योग, थाईलैंड का कंज्युमर ड्यूरेबल्स उद्योग तथा नेपाल और भूटान के पर्यटन उद्योग को देखा जा सकता है. BIMSTEC के भीतर ही अधिक अंतर-क्षेत्रीय सहयोग के चलते इन क्षेत्रों में व्यापार और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा और इसकी वजह से रोज़गार पैदा होने के साथ वैश्विक स्तर पर बाज़ार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी.
- सदस्य देशों के रणनीतिक हित: BIMSTEC अपने सदस्य देशों को अपने भू-राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाकर आर्थिक विकास में वृद्धि करने का अवसर मुहैया करवा सकता है. उदाहरण के लिए बांग्लादेश BIMSTEC का उपयोग करके आर्थिक विकास कर सकता है, जबकि श्रीलंका ख़ुद को भारत-प्रशांत में ट्रांस-शिपमेंट हब के रूप में स्थापित कर सकता है. भूमि से घिरे देश नेपाल एवं भूटान भी BIMSTEC के माध्यम से बंगाल की खाड़ी तक पहुंच हासिल कर सकते हैं, जबकि म्यांमार और थाईलैंड को भारत का उपभोक्ता बाज़ार मिल सकता है, जो चीन पर उनकी निर्भरता को कम करने में सहायक साबित होगा. और अंतत: भारत के लिए भी BIMSTEC उसके राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों के संदर्भ में बेहद अहम हो जाता है. यह बात विशेषत: भारत की एक्ट ईस्ट एंड नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के लिए लागू होती है.
आने वाले वर्षों में BIMSTEC का महत्व निश्चित रूप से बढ़ने वाला है. आगामी सालों में यह संगठन बंगाल की खाड़ी और उससे आगे के भू-राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने में एक अहम भूमिका अदा करेगा.
ASEAN-BIMSTEC एकीकरण की बढ़ती ज़रूरत
द्विपक्षीय बातचीत
हालिया बातचीत, जिसमें द्विपक्षीय वार्ता और ASEAN तथा BIMSTEC प्रतिनिधियों के बीच कार्य यात्राएं शामिल हैं, को देखकर यह साफ़ हो जाता है कि ये दोनों समूह इन क्षेत्रों के बीच आर्थिक सहयोग एवं ज्ञान साझाकरण को बढ़ावा देने को लेकर प्रतिबद्ध हैं.
ASEAN तथा BIMSTEC दोनों ही क्षेत्रीय विकास और सहयोग, जिसमें आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति और सांस्कृतिक उन्नति शामिल है, का संयुक्त उद्देश्य लेकर काम कर रहे हैं. दोनों की ओर से आर्थिक, तकनीकी और साइंटिफिक क्षेत्र में आपसी सहयोग को प्राथमिकता दी जा रही है. इसका उद्देश्य क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना है.
साझा उद्देश्य
ASEAN तथा BIMSTEC दोनों ही क्षेत्रीय विकास और सहयोग, जिसमें आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति और सांस्कृतिक उन्नति शामिल है, का संयुक्त उद्देश्य लेकर काम कर रहे हैं. दोनों की ओर से आर्थिक, तकनीकी और साइंटिफिक क्षेत्र में आपसी सहयोग को प्राथमिकता दी जा रही है. इसका उद्देश्य क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना है. इसके अलावा इनका ध्यान कारोबार को बढ़ाने, निवेश में इज़ाफ़ा करने और ट्रांसपोर्टेशन कनेक्टिविटी में वृद्धि कर इनका साझा उन्नति के लिए उपयोग करने पर है. ASEAN तथा BIMSTEC दोनों ही क्षेत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ सहयोग को बेहद अहम मानते हैं. उनका मानना है कि इस सहयोग से ही वे अपने लक्ष्यों को हासिल करेंगे और अपने सदस्य देशों के लिए संपूर्ण कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर सकेंगे.
साझा हितों के क्षेत्र
- व्यापार के अवसर: ASEAN तथा BIMSTEC के सदस्य देशों के पास पूरक आर्थिक ढांचा मौजूद है. यह कारोबार और निवेश के महत्वपूर्ण अवसर उपलब्ध करवाता है. एकीकरण की वजह से एक बड़ा और साथ में जुड़ा अर्थात संयुक्त बाज़ार तैयार होगा, जिसमें सामग्री, सेवा और पूंजी का आवागमन सुगम हो जाएगा.
- भू-राजनीतिक सहयोग: ASEAN और BIMSTEC के बीच एकीकरण से साझा भू-राजनीतिक चुनौतियों से निपटने के लिए कूटनीतिक सहयोग में इज़ाफ़ा हो सकता है. इसमें समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय अपराध जैसी चुनौतियां शामिल हैं. उदाहरण के लिए चुनिंदा दक्षिण एशियाई और दक्षिणपूर्व एशियाई देश चीन से बहकर तिब्बत के विवादास्पद इलाके से गुजरकर आने वाले जल पर आश्रित हैं. चीन ने बिजली ग्रीड्स और आपूर्ति के प्रबंधन और संचालन का ठेका ले रखा है. इसकी वजह से इन देशों में बहकर आने वाली नदियों पर बनाए जाने वाले बांध को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. विशेषज्ञों के अनुसार ये संभावित जल विवाद की ओर साफ़ संकेत हैं, क्योंकि इन देशों को चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी की अगुवाई वाले चीन के साथ प्रभावी बातचीत करने के लिए समर्थन की आवश्यकता होगी. फलस्वरूप ASEAN और BIMSTEC के बीच संयुक्त गठजोड़ चीन के साथ होने वाले जल-साझाकरण समझौते को लेकर होने वाली बातचीत में बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.[7]
- क्षेत्रीय प्रभाव में मज़बूती: एक संयुक्त ASEAN-BIMSTEC पार्टनरशिप वैश्विक मामलों में इस क्षेत्र की आवाज को बुलंद करते हुए अंतरराष्ट्रीय नीतियों और फ़ैसलों पर उसके प्रभाव में इज़ाफ़ा लाने का काम कर सकती है. मिलकर काम करने की वजह से इन क्षेत्रों को वैश्विक मंचों पर अपने हितों की बेहतर अंदाज में वकालत करने और अपनी बात रखने की शक्ति मिलेगी.
प्रमुख सिफ़ारिशें
राउंडटेबल चर्चा में BIMSTEC तथा ASEAN क्षेत्रों के 30 से ज़्यादा विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया था. इसके अलावा अन्य रणनीतिक साझेदार देशों की ओर से भी जानकार इसमें आए थे. इन सभी ने मिलकर सिफ़ारिशों की एक रूपरेखा तय की जिसका उपयोग करते हुए दोनों समूहों के बीच बेहतर सहयोग को प्रोत्साहित किया जा सकता है.
विभिन्न प्राथमिकताओं की श्रृंखला वाले देशों के बीच आर्थिक एकीकरण करने में सफ़ल रहे ASEAN के अनुभव का लाभ BIMSTEC को मिल सकता है. BIMSTEC भले ही एक युवा संगठन है, लेकिन उसके पास एक स्पष्ट परिभाषित एजेंडा और क्षेत्रीय सहयोग के लिए संस्थात्मक प्रक्रिया मौजूद है. ASEAN समूह के साथ व्यापक सहयोग करने के लिए BIMSTEC के पास उपरोक्त बातों की मौजूदगी पर्याप्त साबित हो सकती है. ASEAN समूह के साथ सीधे सहयोग के साथ ही BIMSTEC को अपने सदस्य देशों की संख्या में वृद्धि के बारे में भी विचार करते हुए इंडोनेशिया जैसे देशों को इसमें शामिल करना चाहिए.
ASEAN-BIMSTEC सहयोग का आकलन करते हुए यह भी ज़रूरी है कि इनके सदस्य देशों की विकास शैली, राजनीतिक ढांचे और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं का भी विचार किया जाए. वार्ता में एक महत्वपूर्ण बात जो निकलकर आयी थी वह यह थी कि दोनों समूहों के सदस्यों के बीच कुछ विशेष मुद्दों को लेकर व्यापक सहमति भी होनी चाहिए. सहयोग से चलने की प्रतिबद्धता को क्षेत्रीय मूल्यों को बनाए रखने के बारे में हुए व्यापक समझौते ने और भी मजबूती प्रदान की. ऐसा होने पर ही एक संतुलित, बहुध्रुवीय और नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था को अपनाया जा सकता है.
ऐसे में क्षेत्रीय सहयोग के लिए एक मजबूत नींव पहले से ही मौजूद है. अब केवल एक साफ़ रोडमैप की ज़रुरत है, ताकि लक्षित सिफ़ारिशों के साथ रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग किया जा सके. यह सहयोग दोनों समूहों की साझा प्राथमिकताओं के साथ-साथ तुलनात्मक ताकत को मजबूती प्रदान करने का काम करेगा.
नीचे दिए गए परिच्छेदों में ASEAN- BIMSTEC सहयोग के लिए चुनिंदा क्षेत्रों में सहयोग को लेकर सिफ़ारिशें की गई है. यह सिफ़ारिशें जकार्ता में हुए राउंडटेबल वार्ता से निकलकर आयी है.
कनेक्टिविटी, व्यापार और आर्थिक सहयोग
- एशिया में भौतिक कनेक्टिविटी से जुड़े बुनियादी ढांचे का अभाव आर्थिक एकीकारण की राह में रोड़ा बना हुआ है. ASEAN के मास्टर प्लान ऑन कनेक्टिविटी (MPAC) 2025 तथा BIMSTEC के मास्टर प्लान फॉर ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी से यह साफ़ हो जाता है कि दोनों ही संगठनों के लिए भौतिक कनेक्टिविटी प्राथमिकता बनी हुई है. ASEAN तथा BIMSTEC को एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण करना होगा, जिसमें दोनों ही समूह के सदस्य देशों के बीच रियल टाइम में जानकारी साझा की जा सके और दोनों समूहों के नेशनल ट्रांसपोर्ट योजनाओं को क्षेत्रीय योजनाओं के साथ बेहतर तरीके से जोड़ा जा सके. इतना ही नहीं दोनों समूहों को तकनीकी मापदंड और विशेषताओं, विशेषत: सड़कों के मामले में, सामंजस्य बिठाना होगा. ऐसा होने पर ही विभिन्न देशों के बीच इंटरऑपरेबिलिटी सुनिश्चित की जा सकेगी.
- भौतिक कनेक्टिविटी से जुड़े बुनियादी ढांचे का वित्त पोषण एक चुनौती बना हुआ है. यह बात दोनों समूहों से जुड़े छोटे देशों पर लागू होती है. ASEAN तथा BIMSTEC को एक ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए, जिसमें दोनों समूह बाहरी सहयोगियों के साथ काम करते हुए महत्वपूर्ण भौगोलिक इलाकों में बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण की व्यवस्था कर सकें. वित्त पोषण को लेकर सहयोग की यह व्यवस्था छोटे देशों को उनके यहां की योजनाओं के लिए बेहतर शर्तों पर पूंजी हासिल करने में सहायता करने वाली साबित हो सकती है.
- व्यापार नीति पर सहयोग को बढ़ाने को लेकर असीम संभावनाएं है. ASEAN-BIMSTEC का संयुक्त मंच बनाकर व्यापार नीति पर सहयोग की शुरुआत की जा सकती है. यह मंच ASEAN के उस अनुभव का लाभ मुहैया करवा सकता है, जिसमें ASEAN ने दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र स्थापित किया था. इसको आधार बनाकर BIMSTEC की व्यापार नीति को विकसित किया जा सकता है. ऐसा होने पर भविष्य में BIMSTEC FTA की राह आसान हो सकती है. ऐसा कदम BIMSTEC देशों, जहां अधिकांश देश पूर्णत: विकसित नहीं है, के बीच अंतर क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देने की दिशा में अहम साबित हो सकता है.
- दोनों समूहों के बीच छोटे देशों को अक्सर ऐसा महसूस होता है कि उनकी क्षेत्रीय स्तर पर होने वाले फ़ैसलों में कोई अहमियत नहीं होती. उनका मानना है कि इन फ़ैसलों पर बड़े देशों ही प्रभाव होता है. ऐसे में यह विचार भारत-प्रशांत के इलाके में समावेशी विकास की राह में बाधा बना हुआ है. इसे देखते हुए ASEAN तथा BIMSTEC को सहयोग करते हुए एक विशेष समिति का गठन करना चाहिए, जो यह सुनिश्चित करें कि छोटे देशों की चिंताओं और हितों का ध्यान रखा जाएगा. इस समिति को सहयोग का एक ऐसा ढांचा तैयार करने की ज़िम्मेदारी सौंपी जाए, जिसमें क्षेत्रीय स्तर पर होने वाली चर्चाओं में सभी का समावेश हो और सभी को बराबरी का दर्ज़ा दिया जाए. ऐसा होने से एक अधिक संतुलित और एकीकृत क्षेत्रीय विकास की राह पर चलना आसान हो सकेगा.
डिजिटल अर्थव्यवस्था
- डिजिटल सेवाओं की मांग और आपूर्ति में असंतुलन दिखाई देता है. यह बात विशेषत: छोटे देशों पर फिट बैठती है. ASEAN तथा BIMSTEC समूहों में ऐसे देश शामिल हैं, जिन्होंने विभिन्न प्रकार के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में प्रगति की है. मसलन डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) और डिजिटल बैंकिंग. ASEAN तथा BIMSTEC के बीच सहयोग में वृद्धि यहां की संलग्न भौगोलिक इलाकों के लिए अहम साबित होगा, जहां मौजूदा सेवा प्रदाताओं के साथ चुनिंदा डिजिटल समाधानों की ज़रूरत है. ऐसा सहयोग करते वक़्त यह सुनिश्चित करना होगा कि यह सहयोग निजी तथा सार्वजनिक दोनों के हितधारकों को एक साथ लाकर किया जाए. ऐसा होने पर ही विभिन्न श्रेणियों के देशों में मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन साधा जा सकेगा.
डिजिटल विनियमन और एक ऐसा क्षेत्र है, जहां समन्वय की अपार संभावना है. ASEAN इस वक़्त डिजिटल इकोनॉमिक फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (DEFA) को लेकर चर्चा में जुटा हुआ है. DEFA क्षेत्र विशेष के तहत आने वाली डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं को एकीकृत करने में सहायता करने वाला अपने आप में अनूठा समझौता होगा.
- डिजिटल विनियमन और एक ऐसा क्षेत्र है, जहां समन्वय की अपार संभावना है. ASEAN इस वक़्त डिजिटल इकोनॉमिक फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (DEFA) को लेकर चर्चा में जुटा हुआ है. DEFA क्षेत्र विशेष के तहत आने वाली डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं को एकीकृत करने में सहायता करने वाला अपने आप में अनूठा समझौता होगा. इसमें डाटा मूवमेंट, साइबर सुरक्षा, ई-कॉमर्स और डिजिटल आइडेंटिटी्स पर विनियमन का समावेश है. एक बार पूरा हो जाने के बाद यह समझौता एक आम ढांचे का काम करेगा, जिसके तहत विभिन्न क्षेत्रों के समझौतों को जोड़ने और एकजुट करने का काम किया जा सकेगा. ऐसे में DEFA को लेकर ASEAN के अनुभव का लाभ BIMSTEC उठा सकता है. दोनों समूहों के बीच डिजिटल टेक्नोलॉजिस् की इंटर-ऑपरेबिलिटी को सुनिश्चित करने के लिए बातचीत में इज़ाफ़ा आवश्यक है. इसके अलावा श्रेष्ठ विनियमन का लाभ दोनों समूहों में शामिल देशों को मिल सके यह भी सुनिश्चित करने के लिए बातचीत की जानी चाहिए. BIMSTEC देशों को नवाचार और उद्यमवृत्ति को दबाए बगैर मजबूत डाटा सुरक्षा कानून बनाने मेंASEAN देशों को मिली सफ़लता से सबक लेकर अपने यहां इस तरह की व्यवस्था लागू करने का काम करना चाहिए.
- डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धता भी अनेक देशों में एक लगातार बनी हुई चुनौती है. दोनों समूहों को मिलकर इस समस्या का हल करने के लिए नीति साझा करते हुए अपने-अपने देशों में लागू की गई श्रेष्ठ प्रक्रियाओं का आदान-प्रदान करते हुए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने में सहयोग करना चाहिए. इतना ही नहीं दोनों समूहों को प्राथमिक देशों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को वित्तपोषित करने के लिए समन्वय साधना चाहिए. इस वित्त पोषण के लिए दोनों समूहों के बीच विकास सहयोग एजेंसियों को एक मंच पर लाकर ऐसे प्रोजेक्ट्स का पता लगाने का काम सौंपा जाना चाहिए, जिसमें आगे सफ़ल होने की संभावनाएं दिखाई दे रही हैं. ये एजेंसियां प्राथमिकता वाले देशों के साथ मिलकर न केवल ऐसे देशों के लिए उपयोगी प्रोजेक्ट्स को वित्त पोषण देंगी, बल्कि ये प्रोजेक्ट्स साकार करने वाले विकासकों को भी इसका लाभ मिले यह सुनिश्चित करेंगी. DPI में भारत को मिली सफ़लता BIMSTEC देशों के लिए एक आदर्श ख़ाका साबित हो सकती है. भारत भी DPI में उसे मिली सफ़लता को अन्य विकासशील देशों के साथ साझा करने का उत्सुक है. ऐसे में BIMSTEC उसे इस मसले पर सहयोग करने का एक मंच मुहैया करवा सकता है.
ब्लू इकोनॉमी/अर्थव्यवस्था
- ASEAN तथा BIMSTEC दोनों ने ही इस बात को स्वीकार कर लिया है कि ब्लू इकोनॉमी ही भविष्य में आर्थिक विकास का प्रमुख चालक रहेगी. यह बात ब्लू इकोनॉमी पर ASEAN नेताओं के घोषणापत्र तथा BIMSTEC की ओर से ब्लू इकोनॉमी को प्राथमिकता का क्षेत्र मान लेने से और भी स्पष्ट हो जाती है. हालांकि इसकी व्यापक और अंतरसंबंधित प्रकृति को देखते हुए ब्लू इकोनॉमी से अधिकतम लाभ उठाने के लिए दोनों समूहों के बीच परस्पर सहयोग भी बेहद ज़रूरी है. उदाहरण के लिए बंगाल की खाड़ी में इंडोनेशिया एवं मलेशिया जैसे देश आते हैं, जो BIMSTEC का हिस्सा नहीं है, लेकिन ASEAN ने इन्हें अपना सदस्य बनाया हुआ है. ऐसे में दोनों समूहों को ब्लू इकोनॉमी पर एक संयुक्त घोषणापत्र विकसित करने के बारे में विचार करना चाहिए. इसमें दोनों समूहों के अहम क्षेत्रों जैसे मत्स्य, समुद्री पर्यटन, तटीय शिपिंग पारिस्थितीकी तंत्र और समुद्री सुरक्षा का समावेश किया जा सकता है.[8]
- ब्लू इकोनॉमी का विकास के लिए होने वाला दोहन स्थायी रूप से होने की आवश्यकता को लेकर व्यापक सहमति तो बनी है, लेकिन ब्लू इकोनॉमी तथा सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के बीच आपसी संबंधों को लेकर ज़्यादा चर्चा नहीं हुई है. ऐसे में ब्लू इकोनॉमी संबंधी समझ को उन्नत करने के लिए कुछ चुनिंदा सिद्धांतों का आधार लिया जाना ज़रूरी है. ऐसा होने पर ही ब्लू इकोनॉमी के विभिन्न क्षेत्रों को SDGs हासिल करने वाले उपायों के साथ जोड़ा जा सकेगा. इन उपायों में ध्यान मूल्य संवर्धन और समावेशीकरण पर दिया जाना चाहिए. ASEAN तथा BIMSTEC ब्लू इकोनॉमी और SDGs को आपस में जोड़ने के लिए एक संयुक्त ढांचा विकसित करने पर विचार करना चाहिए. इसके लिए ब्लू इकोनॉमी पर ASEAN की वर्तमान संकल्पना को आधार बनाकर आगे बढ़ा जा सकता है.
- ASEAN तथा BIMSTEC में शामिल अनेक देशों ने ब्लू इकोनॉमी से संबंधित मजबूत राष्ट्रीय पहलों पर अमल शुरू कर दिया है. उदाहरण के लिए इंडोनेशिया का सस्टेनेबल ओशंस प्रोग्राम यानी टिकाऊ समुद्री कार्यक्रम स्थायी आजीविका और तटीय आजीविका का समर्थन करने पर केंद्रीत है. इसमें से अनेक देशों ने ब्लू इकोनॉमी संबंधी अपनी नीतियां बनाने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन भी करवाया है. ऐसे में ASEAN तथा BIMSTEC देशों की ओर से करवाए गए संबंधित अध्ययन, नीतियों और श्रेष्ठ प्रक्रियाओं को लेकर एक भंडार गृह बनाया जाना चाहिए. यह भंडार गृह ऐसे देशों के लिए उपयोगी साबित होगा जो अपने यहां क्षेत्रीय ब्लू इकोनॉमी नीतियां अथवा इसे लेकर राष्ट्रीय ढांचा विकसित करने के इच्छुक होंगे.[9]
जलवायु कार्रवाई और टिकाऊपन
- ASEAN तथा BIMSTEC देशों के बीच स्वच्छ ऊर्जा को अपनाना एक अहम प्राथमिकता है. डी-कार्बनाइजेशन संबंधी महत्वाकांक्षाओं को क्षेत्रीय सहयोग के माध्यम से प्रोत्साहित किया जा सकता है. ASEAN ने पहले से ही ASEAN स्ट्रैटेजी फॉर कार्बन न्यूट्रैलिटी के माध्यम से एक क्षेत्रीय डीकार्बनाइजेशन रणनीति तैयार कर ली है.[10]
BIMSTEC भी एक क्षेत्रीय कार्बन न्यूट्रैलिटी प्लान लागू करने पर विचार कर सकता है. इसके लिए वह ASEAN के अनुभव से सीख लेकर आगे बढ़ते हुए नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने के लिए क्षेत्रीय लक्ष्य निर्धारित करने पर ध्यान केंद्रीत कर सकता है. इतना ही नहीं दोनों समूहों के बीच डीकार्बनाइजेशन को लेकर सहयोग से एक एकीकृत कार्बन न्यूट्रैलिटी प्लान को भी विकसित किया जा सकता है. इस प्लान में भारत-प्रशांत के एक बड़े क्षेत्र को शामिल किया जा सकता है. इसे लेकर विशेष रूप से नीचे दिए गए क्षेत्रों में काफ़ी व्यापक सहयोग करने की संभावनाएं दिखाई देती हैं :
- क्रॉस कंट्री ऊर्जा साझाकरण: नवीकरणीय ऊर्जा की अनिरंतरित प्रकृति और सौर तथा पवन ऊर्जा की विभिन्न देशों में उपलब्धता को देखते हुए क्षेत्रीय नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को हासिल करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा का सीमा-पार साझाकरण एक उत्प्रेरक साबित हो सकता है. लेकिन सीमा-पार ऊर्जा साझीकरण व्यवस्था खड़ी करने के लिए एनर्जी ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना होगा.इसके साथ-साथ रियल-टाइम मार्केट्स में ऊर्जा की ख़रीद-बिक्री के इंटरऑपरेबल यानी अंतरप्रचलित यान अंतरउपयोगी मापदंड और गतिशील विनियमन भी तैयार करने होंगे. ASEAN तथा BIMSTEC दोनों को ही नवीकरणीय ऊर्जा का फ्रेमवर्क यानी ढांचा विकसित करने में सहयोग करना होगा. ऐसा होने पर दोनों समूहों में शामिल विभिन्न देशों में आपसी स्तर पर और अंतरसमूह स्तर पर ऊर्जा साझा करने का काम करना सुगम होगा.
- हरित आपूर्ति श्रृंखलाएं: हरित संक्रमण की राह में हरित तकनीकों के उत्पाद में लगाने वाले अहम खनिजों की उपलब्धता एक अहम बाधा है. चूंकि ASEAN तथा BIMSTEC दोनों ही हरित औद्योगिकीकरण को प्राथमिकता मानते हैं, अत: इसे साकार करने के लिए एक समावेशी आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करना दोनों के ही हित में है. ऐसा करना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि इस क्षेत्र में आने वाले कुछ देशों के पास यह अहम खनिज भंडार मौजूद हैं, जबकि कुछ अन्य देश खनिज-प्रसंस्करण क्षमताएं हासिल करने का लक्ष्य लेकर काम कर रहे हैं. इन खनिज-प्रसंस्करण क्षमताओं को क्षेत्रीय स्तर पर उत्पन्न होने वाली मांग का ही लाभ मिल सकेगा. अत: दोनों समूहों को हरित आपूर्ति श्रृंखलाएं स्थापित करने के लिए एक रोडमैप तैयार करना चाहिए, जो इन समूहों के भीतर शामिल देशों और एक-दूसरे समूह के औद्योगिकीकरण की आकांक्षाओं से मेल खाएं.
- जलवायु फाइनांस/वित्त: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आने वाले अनेक देश हरित परियोजनाओं के लिए आवश्यक पूंजी जुटाने में परेशानी का सामना करते हैं क्योंकि इन परियोजनाओं की लागत काफ़ी ज़्यादा होती है. यह बात विशेष रूप से ऐसी छोटी अर्थव्यवस्थाओं पर लागू होती है, जिनकी क्रेडिट रेटिंग काफी कमज़ोर होती है और उन्हें सभी तरह से पैसा एकत्रित करने में दिक्कत होती है. यह दरअसल गुजरे जमाने की बात हो चुके वैश्विक आर्थिक ढांचे का परिणाम है. इस ढांचे में उभरती और विकासशील अर्थव्यस्थाओं को वित्त उपलब्ध करवाने को लेकर हमेशा से पक्षपाती रवैया अपनाया जाता रहा है. यह पक्षपात इस बात के बावजूद है कि इन देशों में स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग की मात्रा को बेहद तेजी से बढ़ाने और अपनाने की क्षमता और संभावना मौजूद है. ऐसे में दोनों समूहों को मिलकर काम करते हुए अंतरराष्ट्रीय फाइनांस की वैश्विक व्यवस्था का पुनर्गठन करने की दिशा में आगे बढ़ना होगा. ऐसा होने पर ये समूह, वैश्विक दक्षिण के समक्ष मौजूद जलवायु वित्त से जुड़े अहम मामलों को हल करने में सफ़ल हो जाएंगे. इस तरह के पुनर्गठन में मल्टीलैटरल डेवलपमेंट बैंक (MDB) में सुधारों पर ध्यान केंद्रीत किए जाने की आवश्यकता है. ऐसा होने पर ही जलवायु वित्त को लेकर यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कंवेंशन ऑन क्लायमेट चेंज (UNFCCC) में महत्वाकांक्षी और नई मात्रा निर्धारित करने वाले लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा. इसके अलावा वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसिज में मौजूद पक्षपाती रवैये को हल करना होगा. क्योंकि इन एजेंसियों में अब तक विकासशील तथा उभरती अर्थव्यवस्थाओं को कम आंकने की प्रवृत्ति बनी हुई है.
- सर्कुलर इकोनॉमी के विकास में सर्कुलर उत्पादों की सीमा-पार आवाजाही में वैश्विक स्तर पर मौजूद अदक्षता/प्रभावहीनता एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है. इससे निपटने के लिए ASEAN के नेता और विनियामक व्यापार समझौतों में सर्कुलैरिटी का प्रावधान करने की कोशिश कर रहे हैं. इन कोशिशों की वजह से ही ASEAN ट्रेड इन गुड्स एग्रीमेंट (ATIGA) को ASEAN के भीतर ही रि-अपग्रेड किया गया है. इसके चलते अब ASEAN के भीतर ही देशों में पुनर्निर्मित उत्पादों के व्यापार की अनुमति दी जा रही है. वहनीयता के साथ व्यापार नीति को जोड़ने की यह कोशिश BIMSTEC के लिए भी एक आधार का काम कर सकती है. अब व्यापार नीतियों में सर्कुलैरिटी को शामिल करने के साथ-साथ एक विस्तृत और एकीकृत रणनीति बनाने के लिए भी दोनों समूहों को बातचीत शुरू करने की आवश्यकता पर ध्यान देना चाहिए. इस बातचीत में पर्याप्त क्षमता निर्माण की कोशिशों को शामिल किया जाना चाहिए ताकि विभिन्न देशों में उद्योगों के लिए एक रोडमैप तैयार किया जा सके. ऐसा होने पर ही इस रोडमैप को अपनाकर ये देश सर्कुलैरिटी संबंधी नए प्रावधान को अपनाते हुए इसका अधिकतम लाभ उठा सकेंगे.
Endnotes
[a] BIMSTEC is a regional multilateral organisation that comprises seven member countries in the Bay of Bengal region: Bangladesh, Bhutan, India, Nepal, Sri Lanka, Thailand, and Myanmar.
[b] Those priority areas are: Counter Terrorism and Transnational Crime; Transport and Communication; Tourism; Environment and Disaster Management; Trade and Investment; Cultural Cooperation; Energy; Agriculture; Poverty Alleviation; Technology; Fisheries; Public Health; People-to-People Contact; and Climate Change.
[1] Association of Southeast Asian Nations, Regional Comprehensive Economic Partnership (RCEP), n.d., https://asean.org/our-communities/economic-community/integration-with-global-economy/the-regional-comprehensive-economic-partnership-rcep/
[2] International Seabed Authority, ASEAN & BIMSTEC Workshop on deep-seabed resources and the Blue Economy, September 2019, https://www.isa.org.jm/events/asean-bimstec-workshop-on-deep-seabed-resources-and-the-blue-economy/
[3] BIMSTEC Secretariat, 27 Years of BIMSTEC, June 2024, https://bimstec.org/images/content_page_pdf/1717644564_Article%20on%20BIMSTEC.pdf
[4] BIMSTEC Secretariat, Agreements, Conventions, MoUs, n.d., https://bimstec.org/agreements-conventions-mous
[5] Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation, Partnership between BIMSTEC Secretariat and the Asian Development Bank, https://bimstec.org/adb#:~:text=The%20partnership%20started%20in%202005,and%20Logistics%20Study%20(BTILS)
[6] Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation, Inaugural Ceremony of the BIMSTEC Secretariat, September 2014, https://bimstec.org/event/168/inaugural-ceremony-of-the-bimstec-secretariat
[7] Tibet Policy Institute, Tibetan Perspectives on Tibet's Environment - A compilation of articles, papers and reports prepared by the Environment and Development Desk, September 2021, Tibet Policy Institute Central Tibetan Administration, https://tibetpolicy.net/wp-content/uploads/2021/09/Tib.-Env.-Perspective..pdf
[8] Association of Southeast Asian Nations, ASEAN Leaders’ Declaration on the Blue Economy, October 2021, https://asean.org/asean-leaders-declaration-on-the-blue-economy/
[9] World Bank Group, Indonesia's Sustainable Oceans Program (ISOP) - Focus Areas, https://www.worldbank.org/en/programs/indonesia-sustainable-oceans-program#:~:text=About%20ISOP,healthy%20coastal%20and%20marine%20ecosystems
[10] Association of Southeast Asian Nations, ASEAN charts course for a sustainable future with ambitious ASEAN Strategy for Carbon Neutrality, August 2023, https://asean.org/asean-charts-course-for-a-sustainable-future-with-ambitious-asean-strategy-for-carbon-neutrality/
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