Author : Harsh V. Pant

Published on Jul 30, 2023 Commentaries 0 Hours ago

पहले बलूच मिलिटेंट टारगेटेड किलिंग करते थे, लेकिन अब सुसाइड बॉम्बिंग हो रही है और मिलिट्री कैंप पर हमले हो रहे हैं.

#Balochistan Conflict: बलूचिस्तान की आग में झुलस जाएगा पाकिस्तान
#Balochistan Conflict: बलूचिस्तान की आग में झुलस जाएगा पाकिस्तान

बलूचिस्तान में पिछले एक हफ्ते में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों पर दो हमले हुए. इससे पहले जनवरी में भी अटैक हुआ था. वहां विरोध प्रदर्शन और ऐसे हमलों का मामला कोई नया नहीं है, लेकिन इस बार बात अलग है. हाल में हुए हमले इस मायने में अलग हैं कि ये काफी बड़े पैमाने पर हो रहे हैं. क़रीब एक दशक के बाद इतना बड़ा अटैक बलूचिस्तान में हुआ है. हालिया हमलों की जिम्मेदारी ली है बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने. यह साल 2000 से वहां एक बड़ी ताकत बनी हुई है. पाकिस्तान ने इसे आतंकवादी संगठन करार दिया है.

क़रीब एक दशक के बाद इतना बड़ा अटैक बलूचिस्तान में हुआ है. हालिया हमलों की जिम्मेदारी ली है बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने. यह साल 2000 से वहां एक बड़ी ताकत बनी हुई है. पाकिस्तान ने इसे आतंकवादी संगठन करार दिया है.

बलूचिस्तान में समस्याएं काफी पहले से बनी हुई हैं. वहां के नागरिक बार-बार यह सवाल उठाते हैं कि बलूचिस्तान पाकिस्तान में प्राकृतिक संसाधनों के लिहाज से सबसे संपन्न इलाका है, लेकिन सबसे ज्यादा उपेक्षित है. वह रोज़गार में सबसे पीछे है, शिक्षा में सबसे पीछे है. इसके चलते वहां पर सरकार के ख़िलाफ असंतोष कई दशकों से बना हुआ है और विरोध प्रदर्शन भी होते रहे हैं.

बीएलए ने साफ किया है कि ताजा हमलों में उन्होंने सौ से ज्यादा सैनिकों को मारा. हालांकि पाकिस्तान आर्मी ने मरने वालों की संख्या कम बताई है. पाकिस्तान हमेशा की तरह फिर यही कह रहा है कि इन आतंकवादियों के संबंध भारत और अफगानिस्तान से हैं, इसीलिए ये बार-बार आ रहे हैं. लेकिन हालात संकेत दे रहे हैं कि पाकिस्तान में यह समस्या बढ़ती जा रही है. पहले बलूची मिलिटेंट टारगेटेड किलिंग करते थे और छोटी-मोटी बमबारी कर देते थे. लेकिन अब यह सब बड़े पैमाने पर हो रहा है. सुसाइड बॉम्बिंग हो रही है और मिलिट्री कैंप पर हमले हो रहे हैं.

पाकिस्तान से अलग होने की मांग 

बीएलए हमेशा से पाकिस्तान से बलूचिस्तान को अलग करने का मुद्दा उठाती रही है. उसकी शिकायत रही है कि पाकिस्तान बलूचिस्तान का शोषण कर रहा है. उसके संसाधनों का ग़लत इस्तेमाल कर रहा है. स्थानीय लोगों को कोई ताकत नहीं मिल रही और न ही स्थानीय क्षमता बन पा रही है. बलूचिस्तान के लोगों का कहना है कि वहां से मिलने वाली चीजें दूसरे राज्यों को दे दी जाती हैं, खासकर पंजाब को. सरकार बलूची असंतोष को डील करने की कोई कोशिश तक नहीं करती.

नवंबर . वहां के लोकल माफिया से उनकी जीविका को ख़तरा है, हम आपके साथ डील करने को तैयार हैं. इमरान ख़ान ने भी जल्दी से उनकी मांग किसी सिरे पर पहुंचाने की बात कही.

नवंबर 2021 में बलूचिस्तान के ग्वादर में बड़े पैमाने पर प्रोटेस्ट शुरू हुए, नाम था ‘ग्वादर को हक दो मूवमेंट’. इसमें बड़ी मात्रा में लोग ग्वादर की सड़कों पर आए और जमकर नारेबाजी की. उनकी मांगें थीं कि संसाधनों तक सबकी पहुंच हो, रोज़गार और शिक्षा के बेहतर इंतजाम हों

लेकिन यह सब होने के बाद भी पाकिस्तान सरकार के नजरिए में कोई बदलाव नहीं आया. उस वक्त यह बात बड़ी इसलिए बन गई क्योंकि प्रदर्शन ग्वादर में हुए और ग्वादर पोर्ट चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर का सेंट्रल पोर्ट है. पाकिस्तान नहीं चाहता कि जहां चीन का नाम आता है, वहां किसी तरह की परेशानी हो. लेकिन सबसे बड़ी समस्या इस कॉरिडोर में आ रही है. बलूचिस्तान में जहां से यह कॉरिडोर निकलता है, वहां चीन के ख़िलाफ असंतोष है. स्थानीय लोगों का कहना है कि चीन के लोग स्थानीय लोगों को मदद नहीं करते हैं. वे यहां आकर मछलियां खत्म कर रहे हैं, प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहे हैं. भ्रष्टाचार बढ़ गया है और इसे पाकिस्तानी आर्मी के रिटायर्ड अफसरान मैनेज कर रहे हैं. इलाके में जो कुछ भी हो रहा है, उसका फायदा सिर्फ़ चीन को मिल रहा है क्योंकि चीन मजदूर अपने यहां से लेकर आता है.

पाकिस्तान सरकार बार-बार यही कह रही है कि चीन से डेवलपमेंट का जो मॉडल आ रहा है, उससे बलूचिस्तान को फायदा होगा. लेकिन जिस तरह के प्रदर्शन नवंबर में हुए, उनसे यह बात ज़ाहिर है कि ग्वादर में स्थानीय लोगों को इसका कोई फायदा नहीं मिल रहा. नवंबर में प्रोटेस्ट के बाद इमरान खान ने कहा था कि यह साधारण प्रदर्शन है. उन्होंने बेफिक्री से कहा था कि चीन को पाकिस्तान नाराज नहीं करना चाहता. ऐसे में बलूचिस्तान की समस्या वहीं की वहीं बनी रही और अब बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी को लग रहा है कि यह अच्छा मौका है कि वह और ताकत के साथ हमला करे. वह पाकिस्तान को दिखाए कि जिस तरह के हालात हैं, उनका इस्तेमाल पाकिस्तान आर्मी के खिलाफ और भी किया जा सकता है. लेकिन इसका एक नतीजा यह होगा कि इससे पाकिस्तान की मिलिट्री इसे और दबाने वाले मोड में आ सकती है क्योंकि उसके लिए इन पर कंट्रोल करना ज़रूरी है.

इन हमलों का वक्त भी देखना चाहिए. ये हमले तब हुए, जब इमरान खान को बीजिंग ओलंपिक के समारोह में जाना था. इससे चीन-पाकिस्तान दोनों को मेसेज गया कि बलूचिस्तान के लिए आपके पास ढेरों चीजें हो सकती हैं लेकिन उसके ऑपरेशन में ख़तरा बहुत है 

इन हमलों का वक्त भी देखना चाहिए. ये हमले तब हुए, जब इमरान खान को बीजिंग ओलंपिक के समारोह में जाना था. इससे चीन-पाकिस्तान दोनों को मेसेज गया कि बलूचिस्तान के लिए आपके पास ढेरों चीजें हो सकती हैं लेकिन उसके ऑपरेशन में ख़तरा बहुत है, वह इतनी आसानी से शांत होने वाला नहीं है. ऐसे में चीन पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर एक तरह से रुक गया है. चीन भी इसको लेकर बचाव की मुद्रा में आ गया है. उसकी काफी कंपनियां वहां से चली गई हैं. उन्होंने काम करने से मना कर दिया है.

भारत उठाए मुद्दा

भारत के लिए इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाना जरूरी है और भारत ऐसा करने भी लगा है. जनवरी में भारत ने एक बयान दिया था कि पाकिस्तान को बलूचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन बंद करना चाहिए और उनके मुद्दे सुलझाने चाहिए. बलूचिस्तान की जो हालत है, वह भारत को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने यह साफ करने का मौका दे रही है कि किस तरह से पाकिस्तान अपने ही लोगों को संभाल नहीं पाता, अल्पसंख्यकों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की निशाना बनाकर हत्या करता है.


यह लेख नवभारत टाइम्स में प्रकाशित हो चुका है.

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