-
CENTRES
Progammes & Centres
Location
महिलाओं की विशिष्ट प्रजनन, सुरक्षा और जैविक आवश्यकताएं हैं, जो शहरी डिज़ाइनिंग के ज़रिए पूरी होनी चाहिए ताकि शहरों को अधिक सुलभ और समावेशी बनाया जा सके.
भविष्य के लिए शहरी योजनाएं बनाने के अभ्यास में कई तरह की योजनाएं शामिल हैं. स्वस्थ सामाजिक अंतःक्रियाओं को सुनिश्चित करने और सार्वजनिक स्थलों को सुरक्षित बनाने के लिए ‘सामुदायिक पट्टियां’ बनाने से लेकर ‘रक्षात्मक डिज़ाइनिंग’ जैसे अतिक्रमण को रोकने वाले कई अद्वितीय प्रयास शामिल हैं. जबकि शहरी स्थान समुदाय की ज़रूरतों के अनुसार विकसित होते हैं, विशिष्ट आवश्यकताओं के साथ कमज़ोर आबादी की ज़रूरतों को ध्यान में रखा जाना चाहिए. महिलाओं की विशिष्ट प्रजनन, सुरक्षा और जैविक आवश्यकताएं हैं, जो शहरी डिज़ाइनिंग के ज़रिए पूरी होनी चाहिए ताकि शहरों को अधिक सुलभ और समावेशी बनाया जा सके.
सार्वजनिक स्थानों, परिवहन और शहर के विभिन्न हिस्सों में भीड़भाड़ और भीड़भाड़ की स्थितियां महिलाओं को असामाजिक व्यवहार के कथित जोख़िम के कारण असुरक्षित महसूस करा सकती हैं. भोपाल, ग्वालियर और जोधपुर में महिलाओं और गतिशीलता पर ‘सेफ्टीपिन’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, 82 प्रतिशत महिलाओं ने महसूस किया कि भीड़भाड़ एक ऐसा कारण था जिससे वे असुरक्षित महसूस करती थीं.
इस संदर्भ में सुरक्षा का मतलब किसी वायरस से सुरक्षा के बजाय विशेष रूप से उत्पीड़न से सुरक्षित होना है. यह शहर के विभिन्न इलाक़ों से गुज़रते समय एक महिला के आराम और जोख़िम के स्तर को संदर्भित करता है, और “उत्पीड़न, चोरी, बर्बरता सहित” जानबूझकर आपराधिक या असामाजिक कृत्यों से सुरक्षा प्रदान करने की ज़रूरत की ओर इंगित करता है. जब उनके ख़िलाफ़ अपराध का कथित ख़तरा अधिक हो तो महिलाओं के कार्यबल में भाग लेने की संभावना कम होती हैं.
सुरक्षित गतिशीलता यानी सेफ़ मोबिलिटी, योजना प्रक्रिया का एक आवश्यक तत्व है. महिलाएं काम के लिए यात्रा करती हैं, घरेलू काम करती हैं, बच्चों को स्कूल छोड़ती हैं, और कई अन्य कारण हैं जिसके लिए उनकी आवाजाही सुरक्षित होना ज़रूरी है
समावेशी विकास हासिल करने के लिए सुरक्षित शहरों का होना महत्वपूर्ण है. सुरक्षित गतिशीलता यानी सेफ़ मोबिलिटी, योजना प्रक्रिया का एक आवश्यक तत्व है. महिलाएं काम के लिए यात्रा करती हैं, घरेलू काम करती हैं, बच्चों को स्कूल छोड़ती हैं, और कई अन्य कारण हैं जिसके लिए उनकी आवाजाही सुरक्षित होना ज़रूरी है. महामारी के दौरान संक्रमण के प्रसार को सीमित करने के लिए बड़ी संख्या में लोगों के बाहर निकलने पर रोक और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग कर यात्रा करने वालों की संख्या को नियंत्रित करने जैसे क़दम, सार्वजनिक परिवहन के कनेक्शनों की कमी के ज़रिए महिलाओं के लिए मौजूदा समस्याओं को और बढ़ाएंगे, और उनके लिए अधिक जोख़िम पैदा करेंगे. जैव-प्रौद्योगिकी की जानकारी के लिए राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी सूचना केंद्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई जैसे शहर में, शाम के पीक ऑवर (व्यस्तम समय) के दौरान, पहले से ही महामारी के दिनों में सार्वजनिक परिवहन की 20 प्रतिशत की कमी मौजूद है, जो सामाजिक दूरी के नियम लागू होने पर 25 प्रतिशत तक अधिक बढ़ सकती है. एक रिपोर्ट यह भी बताती है कि देश को प्रतिदिन 25 मिलियन यात्रियों के लिए 666,667 बसों की आवश्यकता होगी. हालांकि, वर्तमान में इसमें से केवल 25,000 बसें ही संचालित हैं. यह कमी प्लेटफार्मों और इंटरचेंज जैसे प्रतीक्षा क्षेत्रों में अधिक भीड़ पैदा करेगी, जो जोख़िम की भावना को बढ़ाएगा और महिलाओं को कई स्थानों तक पहुंचने से रोक सकता है. महिलाओं द्वारा यात्रा किए जाने वाली ‘सुरक्षित समय’ के दौरान परिवहन के बेहतर तरीक़े प्रदान करने के बारे में सावधानीपूर्वक विचार किया जाना चाहिए ताकि महिलाएं सुक्षित रूप से आवाजाही कर सकें.
सिटी-मैप बनाने के ज़रिए सुरक्षा क्षेत्रों का ऑडिट किया जाता है, ताकि उन इलाक़ों को चिन्हित किया जा सके जहां अधिक अपराध सामने आते हैं, इसकी वजह बनने वाले कारकों में (रोशनी की कमी, छितरी आबादी आदि शामिल हैं), और इन क्षेत्रों में केंद्रित हस्तक्षेप किए जाने चाहिए ताकि शहरी जीवन में महिलाओं की पहुंच और भागीदारी को बढ़ाया जा सके. शहरी डिज़ाइन को भीड़ के जोखिम से बचाने के दौरान बढ़ती संख्या के बीच उन्हें सुरक्षित महसूस कराने को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.
सीसीटीवी कैमरे, स्ट्रीट लाइटिंग, और बाउंड्री वॉल के ऊपर कांच का इस्तेमाल करने से चोरी, उत्पीड़न और अतिक्रमण जैसे अवांछित व्यवहार को नियंत्रित करने का उद्देश्य पूरा किया जा सकता है. सीसीटीवी कैमरे और लाइटिंग महिलाओं को सुरक्षित महसूस कराने में बहुत हद तक काम करते हैं, और उन्हें किसी भी शहर की नाइट-लाइफ़ में भाग लेने में सक्षम बनाते हैं. इससे पहले कि निगरानी और सर्विलांस के ज़रिए सुरक्षा के सवालों को हल करने की कोशिशों पर विचार किया जाए, शहरों को अपने नागरिकों को असामाजिक व्यवहार से सुरक्षित महसूस कराने की ज़रूरत है. इसलिए, अपराधों और महिलाओं के ख़िलाफ़ उत्पीड़न से निपटने के लिए समर्पित और विशिष्ट कार्य बल के साथ सीसीटीवी कैमरों को बढ़ाने से एक प्रभावी और सुरक्षित वातावरण बनाने में लंबा रास्ता तय किया जा सकता है, बिना बहुत अधिक निगरानी के.
इससे पहले कि निगरानी और सर्विलांस के ज़रिए सुरक्षा के सवालों को हल करने की कोशिशों पर विचार किया जाए, शहरों को अपने नागरिकों को असामाजिक व्यवहार से सुरक्षित महसूस कराने की ज़रूरत है.
दुनिया भर के शहरों ने लोगों को असुविधाजनक बेंच और स्पाइक्स जैसी अवधारणाएं पेश की हैं ताकि लोगों को बहुत अधिक आरामदायक होने और सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चित काल तक रहने से रोका जा सके. हालांकि, बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुज़ुर्गों और विकलांगों के साथ यात्रा करने वाली महिलाओं के लिए बेंच, हैंड रेल, और सहायक स्ट्रीट फर्नीचर भी महत्वपूर्ण हैं. फ़ुटपाथ और सार्वजनिक जगहों से सही डेटा एकत्र कर व उसके उपयोग के ज़रिए, आवाजाही को सुनिश्चित करने और अवांछित रूप से सार्वजनिक जगहों पर मंडराने के बीच सही संतुलन (गोल्डन रेशो) प्राप्त की जा सकती है. इन बेंचों और हैंडरेल्स को बनाने के दौरान महिलाओं की ऊंचाई और उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए. वर्तमान में बसों और ट्रेनों में हैंड-ग्रिप महिलाओं के लिए असुविधाजनक ऊंचाई पर हैं और यह वे कारक हैं जो सार्वजनिक परिवहन को महिलाओं के लिए असुविधाजनक बनाते हैं.
शहरों के डिज़ाइन को इस तथ्य पर ध्यान देना चाहिए कि शहर के भीतर एक महिला की भूमिका पुरुष से अलग है- जैसे ही वह अपने घर से बाहर क़दम रखती है, वह शहर की सेवाओं का उपयोग काम, चाइल्डकेयर, घरेलू कामों और अन्य विभिन्न गतिविधियों के लिए करती है. एक ऐसा समाज जहां लिंगों के बीच पेशेवर और घरेलू काम का समान वितरण हो, इस लक्ष्य के पूरा होने से पहले, शहरी नियोजन में देखभाल की गतिशीलता शामिल होनी चाहिए. ”देखभाल के ढांचे की गतिशीलता यानी मोबिलिटी ऑफ केयर, देखभाल और घर से जुड़े कार्यों के लिए यात्रा, उपायों और मूल्यों की पहचान करती है. घर के कामों के लिए कम दूरी तय करने की सुविधा और बच्चों के साथ सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए बेहतर ढंग से तैयार किए गए फुटपाथ, कुछ ऐसे तरीक़े हैं जिनसे गतिशीलता बनी रहती है और देखभाल व घर के काम में सहायता मिलती है. आख़िरकार, देखभाल की गतिशीलता और इसके बारे में नीतिगत निर्णय लैंगिक रूप से तटस्थ (gender neutral) होने चाहिए (क्योंकि देखभाल करना केवल एक महिला की भूमिका नहीं होनी चाहिए, और पैसा कमाना सिर्फ़ एक पुरुष की भूमिका नहीं).
‘कार्यस्थल पर देखभाल’ में इन आवश्यकताओं को प्रदान करने के लिए सरकारी नीति के तहत नियोजित होने वाले नियोक्ता शामिल होंगे, जो कामकाजी महिलाओं को समर्थन देने वाली देखभाल सुविधाओं के कुशल वितरण को प्रोत्साहित करेंगे.
इसी तरह, बड़ी संख्या में महिला शहरी कार्यबल को बढ़ाने और बनाए रखने के लिए, कार्यस्थलों में क्रेच और सैनिटरी शौचालयों को सुनिश्चित करना होगा, बिना कंपनी के कारोबार या कंपनी में महिला कर्मचारियों की संख्या की परवाह किए. इन सभी सुविधाओं को कार्यस्थलों पर एक वैधानिक शर्त बनाया जाना चाहिए. ‘कार्यस्थल पर देखभाल’ में इन आवश्यकताओं को प्रदान करने के लिए सरकारी नीति के तहत नियोजित होने वाले नियोक्ता शामिल होंगे, जो कामकाजी महिलाओं को समर्थन देने वाली देखभाल सुविधाओं के कुशल वितरण को प्रोत्साहित करेंगे.
मुंबई जैसे कई शहरों में कामकाज की जगहों और शिक्षा के स्थानों के नज़दीक, कामकाजी महिलाओं के लिए बहुउद्देशीय घर स्थापित किए गए हैं, जिस में चाइल्डकेयर सुविधाएं और प्रशिक्षण केंद्र शामिल हैं. जब कि ये हस्तक्षेप आवश्यक हैं, हमें ऐसे समाज की परिकल्पना करनी चाहिए जिस में कम से कम अंतर और अलगाव हों और सभी जेंडर के बीच अधिक स्वस्थ बातचीत हो सके. हवाई-अड्डों, मॉल और इस तरह के अन्य क्षेत्रों में महिलाओं के लिए अलग-अलग लाइनें उन देशों में ज़रूरी बनाई जा सकती हैं, जहां सुरक्षा आंकड़े अभी भी नकारात्मक हैं; हालांकि, यह स्पष्ट शारीरिक अलगाव, मानसिक अवरोध और विभाजन पैदा करता है. इसके बजाय, अधिकारियों को बेहतर सुरक्षा उपकरणों में निवेश करना चाहिए ताकि हाथ से पकड़े जाने वाले मेटल-डिटेक्शन उपकरणों की आवश्यकता न हो.
लिंग-संवेदनशील योजना के भविष्य में महिलाओं की सुरक्षा और समावेशन को पूरा किया जाना ज़रूरी है ताकि वे शहरी जीवन में पूरी तरह से हिस्सेदारी कर सकें. शहर के वे इलाके जहां न ज़्यादा भीड़भाड़ होती हो न आबादी का घनत्व हो, सिर्फ़ उन गिने-चुने जगहों पर महिलाओं को सुरक्षित करने के बजाय, एक ऐसे रक्षात्मक डिज़ाइन की ज़रूरत है- जो ‘होस्टाइल या प्रतिकूल आर्किटेक्चर’ न माना जाए और जहां ‘देखभाल की गतिशीलता’ व कार्यस्थल पर देखभाल’ जैसे तत्व मौजूद हों, जो महिलाओं को पुरुषों या अन्य आबादी से अलग-थलग न करे, शहरों में महिलाओं की समान भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक व बेहद ज़रूरी तत्व हैं.
The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.
Aditi Ratho was an Associate Fellow at ORFs Mumbai centre. She worked on the broad themes like inclusive development gender issues and urbanisation.
Read More +