Published on Dec 03, 2017 Updated 0 Hours ago
एच1बी: आंकड़ों के आइने में जमीनी हकीकत

“जो देखो, सो कहो,” अमेरिका की भीड़ भरी जगहों पर पोस्टर हमें यही राय दे रहे होते हैं।

संक्षेप में कहा जाे तो यही वह सूत्र वाक्य है जिसकी वजह से अस्थायी कर्मियों के वीजा के तहत अमेरिका आने वालों के खिलाफ इतना हंगामा हो रहा है। आलोचकों का कहना है कि एच1बी वीजा कार्यक्रम अपने मूल मकसद से भटक गया है और ‘बाहरी दुनिया से आए लोगों’ के टिकने का जरिया बन गया है जिसमें यह भी पता नहीं होता कि वे लौटेंगे कब।

वर्ष 2008 में जब बाजार गिरे थे, उससे पहले की स्थिति में, जिन्हें बाजार के उतार-चढ़ाव का अंदाजा था, उन्हें सबसे कम नुकसान हुआ। अस्थायी कार्य वीजा को ले कर अमेरिकी इसलिए चिंतित हैं क्योंकि उन्हें फिर से ऐसा खतरा लगने लगा है और इस लिहाज से उन्हें एच1बी वीजा की सबसे अहम भूमिका लगती है।

एल1 वीजा का भी भारतीय आईटी कंपनियों की ओर से जम कर इस्तेमाल होता है, लेकिन इसको ले कर ज्यादा आलोचना नहीं होती, क्योंकि इसमें अमेरिका प्रवेश करने और लौटने की स्पष्ट तारीख होती है और लेट-लतीफी की ज्यादा गुंजाइश नहीं होती।

जब ट्रंप प्रशासन प्रवासियों की बात करता है तो उसमें वैध और अवैध दोनों शामिल होते हैं। जब वे एच1बी कर्मियों की बात करते हैं, उनका मतलब सिर्फ नए आ रहे लोगों से ही नहीं होता, बल्कि एच1बी के तहत आने वाले सभी लोग इसमें शामिल होते हैं। जबकि एच1बी कर्मियों को ले कर आंकड़े बहुत अलग-अलग तरह के हैं और इसके चेहरे भी बिल्कुल जुदा हैं।

अगर आपको अब भी भ्रम है तो यह छोटी सी पहली बुझाइए: आप नुक्कड़ की किसी दुकान पर जाते हैं और एक पेंसिल व एक इरेजर खरीदते हैं जिसकी कीमत एक साथ $1.10 है। पेंसिल की कीमत इरेज़र से $1 ज्यादा है। ऐसे में इरेजर की कीमत कितनी होगी? सामान्य तौर पर जवाब होगा 10 सेंट, लेकिन अगर वह पांच पेनी की हो तो क्या दोनों शर्तें पूरी नहीं हो जातीं?

एच1बी वीजा की समस्या को ले कर यह उदाहरण थोड़ा अलग जरूर है, लेकिन यह दिखाता है कि सामान्य तौर पर सही लगने वाले आंकड़ों को सही मान लेना कितना खतरनाक होता है। आम तौर पर लोग उस सूचना को सही मान लेते हैं, जो सामान्य तौर पर उपलब्ध हो और उसकी तलाश नहीं करते जो सही है, लेकिन जिसे ढूंढ़ना होगा। हम किस नतीजे पर पहुंचेगे, यह इस बात पर निर्भर करता है कि हमने किस संख्या को चुना है। हमारे पूर्वाग्रह आंकड़ों को अपने मुताबिक मोड़ देते हैं। यह होना बहुत सामान्य है।

एच1बी की हर कहानी में अक्सर यह जरूर कहा जाता है कि अमेरिका हर वर्ष 85,000 एच1बी वीजा देता है और इनमें से अधिकांश भारतीय आउटसोर्सिंग कंपनियां हथिया लेती हैं। यही कर्मचारी अमेरिकी इंजीनियरिंग की कमी को दूर करते हैं। हमें ध्यान रखना चाहिए कि फैशन मॉडल भी इसी एच1बी वीजा के जरिए अमेरिका आती हैं। साथ ही ये अधपके आंकड़े हकीकत बयां नहीं करते।

गहराती चिंता के संबंध में सच्चाई के ज्यादा करीब निम्न आंकड़े हैं, जिन्हें जॉबसिनटेक डॉट आईओ ने इकट्ठा किया है। 2012 से 2015 के बीच भारतीय आउटसोर्सिंग की तीन बड़ी कंपनियों  टीसीएस, विप्रो और इंफोसिस ने नौकरियों के लिए 1,50,000 वीजा आवेदन किए जिनका औसत वेतन $69,500 होता। उधर, अमेरिका की पांच बड़ी तकनीकी कंपनियों एप्पल, अमेजन, फेसबुक, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट का औसत वेतन कितना है? इन्होंने 31,000 आवेदन जमा किए और दावा किया कि वे औसत $117,000 वेतन देंगे।

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ग्राफिक्स 1: आंकड़े सौजन्य: आंतरिक सुरक्षा विभाग, अमेरिका

इस संदर्भ में यह जानना जरूरी होगा कि अमेरिका में नौकरियों का क्या हाल है। यहां जॉन्स हॉपकिंस अस्पताल में एक साल के अनुभव वाली नर्स को $70,000 मिलते हैं और पत्रकारिता संस्थान के टॉपर छात्र को अपने शुरुआती प्रयास में ही $60,000 की नौकरी मिल जाती है। और हम यहां उच्च कौशल वाले तकनीकी कर्मियों की बात कर रहे हैं।

हालांकि एच1बी वालों को मिलने वाला कम मेहनताना खबरों में बहुत छाया रहा है, वह सिर्फ एक पहलू है। एच1बी वाले तो जब दूसरे-तीसरे वर्ष में प्रवेश करते हैं तभी जा कर वे अपने काम करने के तरीके को वास्तव में बदलते हैं।

कुछ समय तक वहां रहने के बाद वे अपने फैसले खुद लेने लायक हो जाते हैं। वे अपने पहले नियोक्ता को छोड़ कर दूसरे के पास चले जाते हैं और यह सिलसिला काफी आगे तक बढ़ता रहता है। एक हिंदुस्तानी बताता है, “वे कभी वापस नहीं जाते।” यही वजह है कि एच1बी वीजा पाने वाले तथाकथित उच्च कौशल युक्त लोग अमेरिका में सांसदों के गुस्से का शिकार होते हैं।

हर साल आने वाले नए कर्मियों के नियम से चलते रहने की उम्मीद ज्यादा होती है और ये बाजार के साथ खेलने से बचते हैं।

ट्रंप प्रशासन से लीक हुए एक दस्तावेज के मुताबिक यह सब राष्ट्र हित को ध्यान में रख कर किया जा रहा है।  लेकिन अमेरिकी कांग्रेस में पेश किए गए विभिन्न विधेयकों के रूप में आ रहे व्यापक गुस्से का यह एक छोटा सा हिस्सा है।

अगर ये विधेयक विधायिका की कार्यशैली में स्वभाविक मौत का शिकार भी हो जाएं, तो भी अस्थायी कर्मियों के लिए संदेश बिल्कुल स्पष्ट है — ओबामा शासन का स्वर्ण युग उनके लिए समाप्त हो चुका है।

“हमारे देश की आप्रवास नीति अमेरिकी नागरिकों के हित को सबसे पहले और सर्वाधिक ध्यान में रख कर तैयार की जानी चाहिए और लागू की जानी चाहिए। विदेशी कर्मियों के लिए वीजा कार्यक्रम… इस तरह लागू किया जाए कि अमेरिकी कर्मियों और वैध तरीके से अमेरिका में रहने वाले लोगों के नागरिक अधिकारों की रक्षा कर सके। इसकी प्राथमिकता अमेरिकी कर्मियों की रक्षा करना होना चाहिए। इसे उन भुला दिए गए कर्मियों को और उनके काम को ध्यान में रखना चाहिए।”

इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक वर्ष 2015 में सिर्फ 17 प्रतिशत एच1बी शीर्ष सात भारतीय कंपनियों के लोगों को गए। “कुल मिला कर 15,000 से कम की यह संख्या देखी जाए तो अमेरिका के एक बड़े स्टेडियम को भी नहीं भर सकती।” इसलिए ये 15,000 लोग यानी एच1बी वीजा पाने वालों के 17 फीसदी, जो एच1बी हासिल करने वाले अधिकांश पुराने लोगों से अलग हैं। ये अमेरिका में बिखरे हैं और अक्सर उन्हें भारत जा कर दो-तीन हफ्ते बिता कर यहां की ट्रैफिक समस्या और वाई-फाई कनेक्टिविटी का रोना रोते हुए वापस लौटते हुए देखा जा सकता है ।

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ग्राफिक्स 2: आंकड़े सौजन्य: आंतरिक सुरक्षा विभाग, अमेरिका

इस जनवरी में अमेरिकी कांग्रेस में एच1बी पर केंद्रित बहुत से विधेयकों में से एक है — ‘एस.180- एच1बी और एल1 वीजा रिफोर्म एक्ट 2017’

कुछ उद्धरण

धारा 106. विशेष रोजगार के लिए वास्तविक डिग्री की जरूरत होगी।

अप्रवास और राष्ट्रीयता कानून (8 यूएससी 1184 (आई)) की धारा 214 (आई) को इस तरह संशोधित किया गया है:

  • पैराग्राफ में,
  • सबपैराग्राफ को संशोधित करते हुए, और
  • बिंदू बी जो कहता है: (बी) संबंधित पेशे से सीधे जुड़े हुए विशेष विषय में स्नातक या उससे ऊपर की डिग्री अमेरिका में उस पेशे के लिए प्रवेश के लिए न्यूनतम योग्यता मानी जाएगी।

धारा 109. एच1बी आवेदन के विस्तार के लिए सीमा

आप्रवास और राष्ट्रीयता कानून (8 यूएससी 1184 (जी) (4)) की धारा 214 (जी) (4) निम्नवत संशोधित की जाती है:

(4) (ए) जब तक कि सब पैराग्राफ (बी) में प्रावधान नहीं हो, धारा 101 (ए) (15) (एच) (आई) (बी) के तहत प्रवासी के लिए प्रवेश की वैध सीमा तीन साल से ज्यादा नहीं हो सकती।

(बी) अप्रवासी के तौर पर वैध प्रवेश की अवधि सबपैराग्राफ (ए) में की गई व्याख्या के अनुरूप जो धारा 201 (ए) (1) (एफ) के अंतर्गत मान्य रोजगार आधारित प्रवास आवेदन का लाभार्थी हो को अतिरिक्त तीन वर्ष के लिए अधिकृत किया जा सकता है, अगर उसके वहां रहने की कुल अवधि छह साल से ज्यादा नहीं होती हो। इसमें 21वीं सदी में अमेरिकी प्रतिद्वंद्विता कानून 2000 (8 यूएससी 1184) की धारा 104 (सी) या 106 (बी) को अपवाद माना जाएगा।

इन विधेयकों में दिए गए आंकड़े बेहद साधारण पर बेहद नुकसानदेह हैं। ये सीधे मौजूदा बहस की प्राणस्थली पर प्रहार करते हैं: आपने कितने साल पढ़ाई की है? आप जिस विषय में खुद को उच्च कौशल युक्त बता रहे हैं, क्या आपने ठीक उसी विषय में पढ़ाई की है? एच1बी वीजा पाने वाला कर्मी अमेरिका में कितने साल तक रह सकता है?  एच1बी की दुकानें किस-किस तरह से नियमों को तोड़ रही हैं?

एच1बी कर्मी और उनके नियोक्ता के लिए खुशी की बात है कि जो लोग इन विधेयकों का मसौदा तैयार कर रहे हैं, उन्होंने इन समस्याओं को ट्वीट कर डोनाल्ड ट्रंप को टैग  नहीं किया है।

अगर ऐसा हुआ तो फिर ट्रंप शासित अमेरिका में गैर-प्रवासियों के लिए नई आतिशबाजी के लिए तैयार रहिएगा।

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