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सेना के बड़े अधिकारियों की बार बार बर्ख़ास्तगी से से कम्युनिस्ट पार्टी और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के बीच तनावपूर्ण संबंध का पता चलता है. सेना की अन्य इकाइयों में जांच होने पर ये रिश्ते और भी बिगड़ सकते हैं.
हाल में यन्ना में चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग (CMC) की बैठक के मद्देनज़र चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) ने दो पूर्व रक्षा मंत्रियों ली शांगफू और वेई फेंघे को निकाल बाहर किया था. कम्युनिस्ट पार्टी का इल्ज़ाम है कि ली शांगफू प्रमोशन के बदले में रिश्वत लेकर अपनी जेब में डाल रहे थे. वहीं, 2020 में भारत और चीन की सीमा पर गलवान घाटी के संघर्ष के दौरान चीन के रक्षा मंत्री रहे वेई फेंघे को धोखा देने और कम्युनिस्ट पार्टी के भरोसे को तोड़ने का दोषी पाया गया है. इससे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के भीतर सियासी माहौल और बिगड़ गया है. हाल के वर्षों में पार्टी से हटाए गए अधिकारियों में ली शांगफू और वेई फेंघे सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं. ली शांगफू को अक्टूबर 2023 में रक्षा मंत्री पद से हटा दिया गया था. इस तरह वो चीन के हालिया इतिहास में सबसे छोटे कार्यकाल वाले रक्षा मंत्री बन गए थे. सेना के उच्च पदस्थ अधिकारियों की बर्ख़ास्तगी के साथ साथ नई नियुक्तियां भी की गई हैं. आप हे होंगजुन की ही मिसाल ले लीजिए, जिन्हें जनरल नियुक्त किया गया है. जनरल होंगजुन कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति में काम करते हैं, और अभी हाल के दिनों तक वो केंद्रीय सैन्य आयोग के सियासी कामकाज वाले विभाग में डिप्टी डायरेक्टर पद पर आसीन थे. इस विभाग की मुख्य ज़िम्मेदारी सेनाओं में राजनीतिक शिक्षा का प्रसार करना और पार्टी का संगठन खड़ा करने की होती है.
इसी साल की शुरुआत में PLA के वरिष्ठ अधिकारी और रक्षा-औद्योगिक कॉम्प्लेक्स के अधिकारियों को भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की वजह से चीन की संसद से निकाल दिया गया था.
ऐसा लग रहा है कि चीन की सेना के भीतर भ्रष्टाचार के मुद्दे और युद्ध को लेकर उसकी तैयारी पर काफ़ी चिंता है. इसी साल की शुरुआत में PLA के वरिष्ठ अधिकारी और रक्षा-औद्योगिक कॉम्प्लेक्स के अधिकारियों को भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की वजह से चीन की संसद से निकाल दिया गया था. शी जिनपिंग ने पीपुल्स लिबरेश आर्मी की रॉकेट फोर्स का पुनर्गठन किया था. PLA की इसी शाखा के पास देश के परमाणु हथियारों की ज़िम्मेदारी है. जिनपिंग ने इस इकाई की अगुवाई कर रहे अधिकारियों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार की जांच शुरू कराई थी.
हाल ही में PLA डेली के एक लेख में इस बात पर बल दिया गया है कि शी जिनपिंग के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की वजह से भ्रष्ट कमांडरों के गिरोह के बीच छुपे भ्रष्टाचार के मामले सामने आए थे. ये मसला सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के हालिया राजनीतिक सम्मेलन के दौरान भी गूंजा था, जिसे शी जिनपिंग ने यन्ना में बुलाया था. CMC के आला अधिकारियों और सेना के कमांडरों को संबोधित करने वाले अपने भाषण में शी जिनपिंग ने कहा था कि दुनिया सामूहिक रूप से हर देश व्यक्तिगत रूप से जटिल चुनौतियों का सामना कर रहा है, और PLA को भी इन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने बल देकर कहा था कि सेना में भ्रष्ट अधिकारियों का बोझ नहीं उठाया जा सकता और भ्रष्टाचार का उन्मूलन उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता है. शी जिनपिंग ने भ्रष्टाचार की जांच करने वाले अधिकारियों द्वारा उन विभागों की ज़्यादा बारीक़ी से पड़ताल करने की वकालत की, जो रक्षा उत्पादन में लगे हुए हैं, ताकि नए नए तरह के भ्रष्टाचार का पर्दाफ़ाश किया जा सके. सेना की निगरानी करने वाले केंद्रीय सैन्य आयोग के मुखिया के तौर पर शी जिनपिंग ने सेना के भीतर सुधार की ज़रूरत की पुरज़ोर वकालत की. जिनपिंग ने बल देकर कहा कि पार्टी की ताक़त PLA की संगठनात्मक एकजुटता से आती है और ‘बंदूक’ (मतलब सेना) की कमान उन्हीं लोगों के हाथ में होने चाहिए, जो पार्टी के प्रति वफ़ादार हों. आगे चलकर कम्युनिस्ट पार्टी का मक़सद युद्ध लड़ने की PLA की क्षमता को बढ़ावा देने के साथ साथ इसके नेतृत्व को युद्ध के लिए प्रतिबद्धता के हर क्षेत्र में शामिल करना है. शी जिनपिंग ने कहा कि मक़सद 2027 तक एक ताक़तवर सेना का निर्माण करना है. 2027 में ही PLA के सौ साल पूरे हो रहे हैं.
चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय पर प्रकाशित एक लेख में शी जिनपिंग को सेना के भीतर अनुशासनहीनता के उस मसले से सख़्ती से निपटने का श्रेय दिया गया, जो उनके पूर्ववर्तियों के ज़माने से चली आ रही थी.
चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय पर प्रकाशित एक लेख में शी जिनपिंग को सेना के भीतर अनुशासनहीनता के उस मसले से सख़्ती से निपटने का श्रेय दिया गया, जो उनके पूर्ववर्तियों के ज़माने से चली आ रही थी. इस लेख में निगरानी की अधिक सख़्त व्यवस्था की वकालत करते हुए, माओ त्से तुंग के यन्नान काट-छांट अभियान का ज़िक्र किया गया और ये संदेश दिया गया कि क्रांति की जीत पार्टी के भीतर अनुशासन की वजह से ही होती है. 1940 के यन्नान रेक्टिफिकेशन अभियान का मक़सद मुख्य रूप से कम्युनिस्ट पार्टी के वैचारिक आधार को मज़बूती देने का था, जिसके तहत कार्यकर्ता और नेता माओ के विचार पढ़ा करते थे. इतिहासकार तर्क देते हैं कि यन्नान अभियान की वजह से कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर माओ की आलोचना करने वालों को हाशिए पर धकेल दिया गया था. इस हिंसक अभियान की वजह से लगभग दस हज़ार लोग मारे गए थे. लेकिन, इससे पार्टी के भीतर माओ का शिकंजा और कस गया था.
चीन के उच्च-स्तरीय राजनीतिक में ये बड़े बदलाव उस वक़्त हो रहे हैं, जब चीन और उसके पड़ोसी देशों के बीच गंभीर तनाव उभर रहे हैं. लाई चिंग-ते के ताइवान का राष्ट्रपति चुने जाने के बाद PLA ने ताइवान के पास बड़े पैमाने पर युद्ध अभ्यास किए थे. चीन, साउथ चाइना सी के कुछ समुद्री क्षेत्रों को लेकर फिलीपींस के साथ भी टकराव की स्थिति में है. भारत की सीमा पर चीन द्वारा सैनिकों का जमावड़ा लगाए हुए लगभग चार साल हो गए हैं. इससे पहले चीन की सेना ने भारत के साथ लगने वाली सीमा को इकतरफ़ा तरीके से बदलने की कोशिश की थी.
ये साफ़ है कि चीन के घरेलू नैरेटिव में ये बहुत चतुराई से तैयार की गई पहल है, जिसमें PLA को आधुनिक सैन्य बल में परिवर्तित करने में शी जिनपिंग की भूमिका को चमकाने की कोशिश की जा रही है. ये जिनपिंग की प्रमुख पहल रही है. केंद्रीय सैन्य आयोग (CMC) के उपाध्यक्ष जनरल झैंग युशिया ने पीपुल्स डेली में प्रकाशित एक लेख में ज़ोर दिया था कि 2012 में शी जिनपिंग के कमान संभालने से पहले सेना जोखिमों के सामने कमज़ोर स्थिति में थी, और शी जिनपिंग ने सेना के पुनर्निर्माण का बीड़ा उठाया और भ्रष्ट जनरलों को चुन-चुनकर बाहर का रास्ता दिखाया. इसमें ये संदेश निहित है कि शी जिनपिंग के पहले के नेता सैन्य बलों में अनुशासन को सख़्ती से लागू कर पाने में नाकाम रहे थे, जिसकी वजह से राष्ट्रीय सुरक्षा कमज़ोर हुई. यहां ये याद करना सही रहेगा कि शी जिनपिंग के कमान संभालने के बाद CMC के बड़े अधिकारियों गुओ बॉक्शियोंग, शू काइहोउ और अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को इन आरोपों की वजह से बाहर का रास्ता दिखाया गया था कि वो सैन्य बलों में प्रमोशन देने के बदले में रिश्वत ले रहे थे.
रक्षा तंत्र के वरिष्ठ अधिकारियों पर हुई कार्रवाई ने सैन्य बलों के भीतर पैसे देकर प्रमोशन हासिल करने के व्यापक चलन का पर्दाफ़ाश किया है, जिसकी वजह से दुनिया की सबसे बड़ी सेना की युद्ध के लिए तैयारी की क्षमता पर सवाल उठे थे. वेई फेंघे और ली शांगफू की बर्ख़ास्तगी, जिनपिंग की छवि चमकाने के इस नैरेटिव की धज्जियां उड़ाती है और उनके फ़ैसलों पर सवाल खड़े करती है. क्योंकि, उन्होंने ख़ुद जिन लोगों को पहले के अधिकारियों की जगह लेने के लिए चुना, वो ख़ुद भी भ्रष्टाचार में संलिप्त पाए गए हैं. वरिष्ठ अधिकारियों की सेना से बर्ख़ास्तगी का ये बार बार चलाया जा रहा अभियान कम्युनिस्ट पार्टी और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के तनावपूर्ण संबंधों को उजागर करता है, और सेना में और जांच होने पर ये रिश्ते और भी बिगड़ने का अंदेशा है. कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा में कुशल सैन्य नेताओं की तैनाती करके, हो सकता है कि शी जिनपिंग इन दरारों को पाटने की कोशिश कर रहे हों.
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Kalpit A Mankikar is a Fellow with Strategic Studies programme and is based out of ORFs Delhi centre. His research focusses on China specifically looking ...
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