Published on Jul 23, 2020 Updated 0 Hours ago

लंबे समय से विश्व का जहाज़रानी उद्योग चीन की घरेलू मांग और निर्यात पर निर्भर है. चीन पर इस निर्भरता के कारण जहाज़रानी उद्योग की पूरी आपूर्ति श्रृंखला के लिए जोख़िम बढ़ गया है.

कोविड-19 के कारण लड़खड़ाता दुनिया का सामुद्रिक उद्योग

कोविड-19 की महामारी जिस तेज़ी के साथ पूरी दुनिया में फैली, उसके कारण वैश्विक बाज़ारों पर बहुत बुरा असर पड़ा है. विश्व व्यापार संगठन का अनुमान है कि, ‘वर्ष 2020 में विश्व के व्यापार में 13 प्रतिशत से लेकर 32 फ़ीसद के बीच गिरावट आने की आशंका है. क्योंकि कोविड-19 की महामारी के कारण सामान्य जन जीवन और इसी के साथ-साथ सामान्य आर्थिक गतिविधियों में ख़लल पड़ा है.’ जहाज़रानी उद्योग, अंतरराष्ट्रीय व्यापार के अग्रिम मोर्चे वाला सेक्टर है. एक मोटे अनुमान के अनुसार विश्व व्यापार का 90 प्रतिशत हिस्सा जहाज़रानी उद्योग पर आधारित है. इसका अनुमानित मूल्य क़रीब 12 ख़रब अमेरिकी डॉलर है. लेकिन, कोविड-19 की महामारी के कारण शिपिंग उद्योग में जो उठा-पटक देखी जा रही है, वो इससे पहले के कई दशकों तक नहीं देखी गई थी. चूंकि, पोत परिवहन बहुत हद तक मानवीय आदान-प्रदान एवं यात्रा पर निर्भर है. इसीलिए, कोविड-19 की वैश्विक महामारी ने विश्व के पोत परिवहन उद्योग पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों ही रूपों से विपरीत प्रभाव डालने का काम किया है.

चीन के कई देशों से बड़े व्यापारिक संबंध हैं. चीन का नौ-परिवहन और जहाज़ निर्माण उद्योग भी बहुत विकसित है. इसी कारण से पिछले दो दशकों से विश्व के पोत परिवहन उद्योग की बेहतरी का सीधा संबंध चीन की समृद्धि से जुड़ा हुआ है

चूंकि, चीन दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है. इस कारण से दुनियाभर में सामान की आवाजाही के केंद्र में कई बरसों से चीन प्रमुख स्थान पर बना हुआ है. चीन के कई देशों से बड़े व्यापारिक संबंध हैं. चीन का नौ-परिवहन और जहाज़ निर्माण उद्योग भी बहुत विकसित है. इसी कारण से पिछले दो दशकों से विश्व के पोत परिवहन उद्योग की बेहतरी का सीधा संबंध चीन की समृद्धि से जुड़ा हुआ है. नये कोरोना वायरस के प्रकोप की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई थी. इसी कारण से इस महामारी का सबसे शुरुआती बुरा एवं व्यापक असर चीन को ही झेलना पड़ा था. और इसी कारण से वैश्विक व्यापार में सुस्ती आने की शुरुआत हो गई थी. वर्ष 2020 की शुरुआत से ही नया कोरोना वायरस बड़ी तेज़ी से चीन के अंदरूनी हिस्सों में फैलने लगा था. इसी वजह से चीन के बंदरगाहों से जहाज़ों की आवाजाही में रिकॉर्ड गिरावट देखी गई थी. जब चीन की सरकार ने अपने यहां लॉकडाउन लगाया, तो इस कारण से चीन के निर्माण ख़रीद प्रबंधन इंडेक्स  (Manufacturing Purchasing Manager, PMI) में भारी गिरावट देखी गई थी. जनवरी में चीन की पीएमआई (PMI) 51.1 थी. लेकिन, मार्च में ये घट कर 37.5 ही रह गई थी, जो वर्ष 2004 के बाद दर्ज हुई चीन की सबसे कम PMI है. विश्व व्यापार में आई गिरावट के कारण चीन की अर्थव्यवस्था में 6.8 प्रतिशत की कमी आ गई थी. चूंकि, दुनिया के कुल निर्माण क्षेत्र के मध्यम उत्पादन का 20 प्रतिशत चीन से ही आता है. ऐसे में चीन के निर्यात पर निर्भर विदेशी निर्माण कंपनियों को, चीन की अर्थव्यवस्था में आई गिरावट का सीधा नुक़सान उठाना पड़ा था. जबकि, तब तक ये वायरस पूरी दुनिया में फैला भी नहीं था. चीन से निर्यात और आयात में आई गिरावट के चलते आने वाले महीनों में कई देशों को भारी वित्तीय क्षति का सामना करना पड़ सकता है.

वैश्विक संकट के इस दौर में दुनिया की आपूर्ति श्रृंखलाओं को बनाए रखने, और समुद्री व्यापार और देशों के बीच आयात निर्यात को अबाध गति से बनाए रखना बेहद आवश्यक है. अधिकतर वैश्विक संगठन जैसे कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), अंकटाड (UNCTAD) व ITF ने तमाम देशों से अपील की है कि वो समुद्री व्यापार को बढ़ावा दें और इस पर लगे प्रतिबंधों को हटा लें. क्योंकि इससे न केवल समुद्री परिवहन पर विपरीत असर पड़ेगा. बल्कि, दूसरे देशों से होने वाले सामानों की आपूर्ति पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा. लेकिन, समुद्रीय वाणिज्य परिवहन के अबाध गति से चलने की फिलहाल संभावना कम ही है. चूंकि, कोरोना वायरस का प्रकोप थामने के लिए लोगों को यात्राएं न करने और काम पर न जाने की सलाह दी जा रही है. तो, ऐसे में जहाज़ों की आवाजाही, बंदरगाहों और व्यापारिक टर्मिनल के सामान्य रूप से काम करने की प्रक्रिया पर विपरीत प्रभाव पड़ा है. कई कंटेनर जहाज़ों के कर्मचारियों में कोरोना वायरस का संक्रमण पाा गया है. इसी कारण से दुनिया के अधिकतर बंदरगाहों ने जहाज़ों को 14 दिनों के लिए क्वारंटीन में अलग करके रखना शुरू किया है. उसके बाद ही जहाज़ों को प्रवेश दिया जा रहा है. इसी कारण से कंटेनर के आदान प्रदान पर बुरा असर पड़ा है. और विश्व व्यापार की रफ़्तार भी धीमी हो गई है. क्योंकि दुनिया के लगभग सभी देशों में आर्थिक गतिविधियां भी मंद पड़ गई हैं. आज दुनिया भर में नए जहाज़ बनाने का उद्योग लगभग ठप पड़ गया है. क्योंकि बहुत से शिपयार्ड को वायरस का प्रकोप थामने के लिए मजबूरन बंद करना पड़ा है. ऐसे में जहाज़ों की समय पर डिलीवरी भी नहीं हो पा रही है. सामान्य उत्पादों और कच्चे माल की मांग भी दुनिया भर में कम हो गई है. इससे माल ढुलाई के किराए में भी गिरावट दर्ज की जा रही है. अब पूरी दुनिया में बड़े कंटेनर जहाज़ों के ज़रिए माल ढुलाई में तेज़ी आ रही है. इसी कारण से बड़े जहाज़ तय समय पर बंदरगाहों में प्रवेश नहीं कर पा रहे हैं. नतीजा ये कि कार्गो की आवाजाही में भी इसका व्यापक असर देखा जा रहा है.

जहाज़रानी उद्योग में गिरावट के संकेत काफ़ी दिनों से मिल रहे हैं. क्योंकि तेल की वैल्यू चेन में गिरावट आती साफ़ तौर पर देखी जा सकती है. अंकटाड (UNCTAD) द्वारा ऑटोमेडेट आइडेंटिफ़िकेशन सिस्टम (AIS) के ज़रिए जुटाए गए वास्तविक पोत परिवहन के आंकड़े दिखाते हैं कि कंटेनर जहाज़ों की आवाजाही में दुनिया भर में कमी आई है

हालांकि, कोविड-19 की महामारी का कच्चे तेल की ढुलाई पर बुरा असर नहीं पड़ा है. क्योंकि, इस दौरान जब कच्चे तेल के दाम गिरे, तो बहुत से देशों ने अपने सामरिक तेल भंडार को बढ़ाने के लिए भारी मात्रा में कच्चा तेल ख़रीदा. पर, चूंकि चीन दुनिया का बड़ा तेल आयातक देश है. तो, चीन में आर्थिक गतिविधियों में गिरावट के कारण, कच्चे तेल के टैंकर से व्यापार पर भी बुरा असर पड़ा है. विश्व अर्थव्यवस्था में आने वाले समय में मंदी आने की पूरी आशंका है. इस कारण से अगली कई तिमाहियों तक दुनियाभर में ऊर्जा की मांग में भी गिरावट आनी तय है. जहाज़रानी उद्योग में गिरावट के संकेत काफ़ी दिनों से मिल रहे हैं. क्योंकि तेल की वैल्यू चेन में गिरावट आती साफ़ तौर पर देखी जा सकती है. अंकटाड (UNCTAD) द्वारा ऑटोमेडेट आइडेंटिफ़िकेशन सिस्टम (AIS) के ज़रिए जुटाए गए वास्तविक पोत परिवहन के आंकड़े दिखाते हैं कि कंटेनर जहाज़ों की आवाजाही में दुनिया भर में कमी आई है. समुद्र में चल रहे जहाज़ों में लदे तेल उत्पादों की मात्रा में भी साफ़ तौर पर कमी दर्ज की गई है. कच्चे तेल, ख़ासतौर से डीज़ल के समुद्र में चल रहे जहाज़ों में मौजूद क्षमता तो कम हुई ही है. बंदरगाहों पर खड़े कच्चे तेल से लदे जहाज़ों की मात्रा में वृद्धि देखी जा रही है. जहाज़ों पर लदे डीज़ल की मात्रा में ख़ासतौर से बढ़ोत्तरी देखी गई है. क्योंकि, डीज़ल की आवाजाही को दुनिया भर में औद्योगिक गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए पैमाना माना जाता रहा है. क्योंकि डीज़ल को परिवहन में इस्तेमाल होने वाला प्रमुख ईंधन माना जाता है. इसे ट्रकों और छोटे जहाज़ों को चलाने में तो इस्तेमाल किया ही जाता है. इसके अलावा फैक्ट्री की भट्टियों को चलाने के लिए भी डीज़ल का ही अधिक उपयोग होता है. डीज़ल के उपयोग में दुनिया भर में आई कमी इस बात का संकेत है कि विश्व की आपूर्ति श्रृंखला में बहुत बड़े स्तर पर गिरावट आ रही है.

विश्व का पोत परिवहन उद्योग लंबे समय से चीन की मांग और उसके निर्यात पर निर्भर है. चीन पर इस निर्भरता के कारण जहाज़रानी उद्योग की पूरी आपूर्ति श्रृंखला के लिए जोख़िम बढ़ गया है

हालांकि, भविष्य में पोत परिवहन उद्योग में सुधार कब होगा और भविष्य में इस उद्योग में कब स्थिरता आ सकेगी, फिलहाल ये बता पाना मुश्किल है. लेकिन, जानकार मानते हैं कि इस महामारी के कारण उत्पन्न परिस्थितियां, जहाज़रानी उद्योग में क्रांतिकारी बदलावों का मार्ग प्रशस्त करेंगी. इस महामारी ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के नेटवर्क की भयंकर खामियों को उजागर किया है. विश्व का पोत परिवहन उद्योग लंबे समय से चीन की मांग और उसके निर्यात पर निर्भर है. चीन पर इस निर्भरता के कारण जहाज़रानी उद्योग की पूरी आपूर्ति श्रृंखला के लिए जोख़िम बढ़ गया है. ऐसे झटकों से भविष्य में उद्योगों को क्षति न पहुंचे इसके लिए दुनिया के तमाम देश क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण पर ज़ोर देंगे. व्यापार अधिक क्षेत्रीयता पर निर्भर होगा. और आपूर्ति की लाइनें छोटी होंगी. ताकि उनमें लचीलापन आए और वो किसी एक देश पर निर्भर न रहें. डिजिटलीकरण और तकनीक के क्षेत्र में नए आविष्कारों से वितरण के नेटवर्क को नए सिरे से बनाने में काफ़ी हद तक मदद मिलेगी. आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस से लैस तकनीकों में अधिक मात्रा में निवेश से माल ढुलाई को भी आधुनिक बनाने में मदद मिलेगी. इससे किसी भी पोत की आवाजाही पर निगरानी रखी जा सकेगी. उसे क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों से जोड़ा जा सकेगा. और इस जानकारी को तमाम देश अपनी सुविधा के लिए आपस में साझा भी कर सकेंगे. इससे आंकड़ों के विश्लेषण में भी मदद मिलेगी. साथ ही साथ एक छोर से दूसरे छोर तक की आपूर्ति श्रृंखला के प्रबंधन में भी मदद मिलेगी. क्योंकि तकनीक और डेटा शेयरिंग के माध्यम से पोत परिवहन उद्योग के तमाम भागीदारों को एक मंच पर लाकर उनमें समन्वय को बढ़ावा दिया जा सकेगा. इससे पोत परिवहन उद्योग को मज़बूती मिलेगी और संसाधनों का अधिकतम उपयोग भी हो सकेगा. कोविड-19 की महामारी से पोत परिवहन को स्वायत्त बनाने की रफ़्तार तेज़ होने की संभावना है. जिससे कि सस्ता अधिक कार्यकुशल और लचीला जहाज़रानी उद्योग विकसित होगा.

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