Author : Anchal Vohra

Published on Jun 12, 2021 Updated 0 Hours ago

एक फिलिस्तीनी पार्टी को गठबंधन में शामिल करने के ख़िलाफ़ ज़्यादातर आशंकाएं जायज़ हैं लेकिन इसके बावजूद सरकार में इसकी मौजूदगी की वजह से जो संभावनाएं बनेंगी उन्हें खारिज करना फ़ायदेमंद नहीं है. 

इज़रायल के नये गठबंधन में फिलिस्तीनी पार्टी के शामिल होने का क्या मतलब है?

मई की शुरुआत में जिस वक़्त इज़रायल की पुलिस अल अक़्सा मस्जिद में घुसकर पत्थरबाज़ों को काबू में करने के लिए गई, ठीक उसी वक़्त कई राजनीतिक पंडितों ने इसे नेतन्याहू सरकार की सबसे बड़ी ग़लती बताया जिसे अब तक संघर्ष के ख़िलाफ़ देखा जाता था. लेकिन कई दूसरे राजनीतिक पंडितों ने बताया कि ये क़दम जान-बूझकर उठाया गया है और इसका मक़सद नेतन्याहू की विरोधी पार्टी और एक अरब पार्टी के बीच गठबंधन की बातचीत को असफल करना है ताकि नेतन्याहू की सत्ता बची रहे. बेंजामिन नेतन्याहू क़रीब 12 वर्षों से इज़रायल के प्रधानमंत्री हैं. इज़रायल के इतिहास में वो सबसे ज़्यादा समय तक प्रधानमंत्री रहे हैं. 

अगर हाल के दिनों में इज़रायल-फिलिस्तीन का संघर्ष नेतन्याहू या उनके प्रशासन के ख़राब फ़ैसले का नतीजा है तो इस ग़लती ने उनकी विरासत पर धब्बा लगाया है. नेतन्याहू बम हमले के लिए जाने जाएंगे जिसकी वजह से फिलिस्तीन के 66 बच्चों की जान चली गई. साथ ही वो हमास को हराने में नाकाम रहे और इसके बदले अमेरिका में फिलिस्तीन के लिए हमदर्दी बढ़ाई. अगर ये राजनीतिक जोड़-तोड़ थी तो निश्चित रूप से वो अपनी सत्ता को बचाने में नाकाम रहे.

नेतन्याहू बम हमले के लिए जाने जाएंगे जिसकी वजह से फिलिस्तीन के 66 बच्चों की जान चली गई. साथ ही वो हमास को हराने में नाकाम रहे और इसके बदले अमेरिका में फिलिस्तीन के लिए हमदर्दी बढ़ाई. अगर ये राजनीतिक जोड़-तोड़ थी तो निश्चित रूप से वो अपनी सत्ता को बचाने में नाकाम रहे.

पिछले दो वर्षों के दौरान इज़रायल के लोगों ने चार बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया लेकिन किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं दिया. 23 मार्च को नेतन्याहू की लिकुड पार्टी इज़रायल की संसद नेसेट में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी लेकिन सरकार बनाने के लिए ज़रूरी 61 सीट हासिल करने में उसे कामयाबी नहीं मिली. दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी नेफ़्टाली बेनेट, मध्यमार्गी याइर लापीद और अरब फिलिस्तीनी नेता अब्बास को मिलाकर बना विपक्षी गठबंधन अब नेतन्याहू को सत्ता से बाहर कर इज़रायल में नई सरकार बनाने के लिए तैयार है. लापीद के साथ सत्ता साझा करने वाले समझौते के बाद एक समय नेतन्याहू के रक्षा मंत्री रहे और लंबे समय से उनके मुख्य प्रतिद्वंदी माने जाने वाले बेनेट का इज़रायल का अगला प्रधानमंत्री बनना तय है. मध्यमार्गी यश अतीद 17 सीटों के साथ नेसेट में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. लेकिन इज़रायल के कब्ज़े वाले फिलिस्तीनी इलाक़े में अवैध इज़रायली बस्ती का ज़ोरदार ढंग से समर्थन करने वाले और वेस्ट बैंक को इज़रायल में मिलाने की बात करने वाले बेनेट ने भी इज़रायल में फिलिस्तीनियों के नुमाइंदे मंसूर अब्बास के साथ हाथ मिला लिया. 47 साल के अब्बास यूनाइटेड अरब लिस्ट या यूएएल के प्रमुख हैं जो कि अब इज़रायल के फिलिस्तीनी नागरिकों की पहली ऐसी पार्टी बनने जा रही है जो सिर्फ़ विपक्ष में बैठने के बदले इज़रायल के सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा होने जा रही है. 

फिलिस्तीन मुक्ति संगठन की कार्यकारी समिति की पूर्व सदस्य हनान अशरवी ने नेतन्याहू विरोधी गठबंधन बनने पर अपना जवाब देते हुए जो ट्वीट किया उसमें इज़रायल की नीतियों में व्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर प्रकाश डाला गया. 2 जून को अशरवी ने लिखा, “नेतन्याहू युग का अंत अभी भी अपने भीतर नस्लवाद, चरमपंथ, हिंसा और अराजकता+विस्तारवाद, ज़बरन कब्ज़ा और गड़बड़ी सम्मिलित किए हुए है. नेतन्याहू के पुराने साथी उनकी विरासत को बनाए रखेंगे. इस विरासत को चुनौती मानने और बदलने का ज़िम्मा अब बची हुई प्रगतिशील ताक़तों के पास है.”

निश्चित रूप से यूएएल को इज़रायल के भीतर फिलिस्तीनियों के लिए समान अधिकार को आगे बढ़ाने का मौक़ा मिलेगा. इसके अलावा यूएएल न सिर्फ़ फिलिस्तीनियों के फ़ायदे के लिए बल्कि इज़रायल के लोकतंत्र के लिए बेहद ज़रूरी संवाद को बदलने की प्रक्रिया शुरू कर सकेगी.

सरकार में शामिल होने के मंसूर अब्बास के फ़ैसले ने स्वाभाविक रूप से कई फिलिस्तीनियों को नाराज़ कर दिया. कुछ लोगों ने उन्हें अवसरवादी करार दिया तो बाक़ी लोगों ने अनाड़ी लेकिन शायद ही किसी को इस बात पर यकीन है कि सरकार में अब्बास की मौजूदगी इज़रायल को राजनीतिक बातचीत के ज़रिए इस पुराने विवाद का समाधान करने के नज़दीक ले आएगी. फिलिस्तीन के राजनीतिक संगठन और हथियारबंद गुट हमास ने बेनेट की अगुवाई में इज़रायल की सरकार में शामिल होने के लिए अब्बास की निंदा की. इसकी वजह ये है कि बेनेट को जानकारों ने अक्सर कट्टर राष्ट्रवादी करार दिया है. हमास के पोलित ब्यूरो के उप प्रमुख मूसा अबु मरज़ूक़ ने कहा, “नया गठबंधन पिछले दक्षिणपंथी गठबंधन से ज़्यादा कट्टर होगा. अब्बास मंसूर अपने अलावा किसी और की नुमाइंदगी नहीं करते.”

अपनी तरफ़ से अब्बास कहते हैं कि वो इज़रायल के भीतर रहने वाले फिलिस्तीनियों के लिए अच्छा करने की खातिर एक राजनीतिक रास्ते का इस्तेमाल करने और विधायी प्रक्रिया में शामिल होने को तैयार हैं. अब्बास को उम्मीद है कि इज़रायल के भीतर भेदभाव, उपेक्षा और असमानता की शिकायत करने वाले फिलिस्तीनियों की ज़िंदगी को सुधारेंगे. बेनेट और लापीद के साथ गठबंधन के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद अब्बास ने कहा, “हमने सरकार में शामिल होने का फ़ैसला देश में राजनीतिक ताक़तों के संतुलन को बदलने के मक़सद से किया.” अब्बास ने ये भी जोड़ा कि फिलिस्तीनियों की आबादी वाले इलाक़े में हिंसक अपराध से लड़ने और बुनियादी सुविधाओं को सुधारने के लिए वो 53 अरब शेकेल, जो कि क़रीब 16 अरब अमेरिकी डॉलर है, का आवंटन करवाने में कामयाब हुए हैं. ख़बरों के मुताबिक़ बेनेट के साथ अब्बास की पार्टी यूएएल के समझौते में बिना परमिट के बने फिलिस्तीनियों के घरों को तोड़ने पर रोक और दक्षिणी इज़रायल में नेगेव रेगिस्तान में बने बेडूइन शहर को मान्यता भी शामिल है. 

एक फिलिस्तीनी पार्टी को गठबंधन में शामिल करने के ख़िलाफ़ ज़्यादातर आशंकाएं जायज़ हैं लेकिन इसके बावजूद सरकार में इसकी मौजूदगी की वजह से जो संभावनाएं बनेंगी उन्हें खारिज करना फ़ायदेमंद नहीं है. इज़रायल की संसद नेसेट में अब्बास की पार्टी यूएएल चार सांसदों के साथ मौजूद होगी जबकि बेनेट की यामिना पार्टी सात सीटों के साथ काफ़ी आगे नहीं है. यूएएल एक कमज़ोर गठबंधन को एक साथ रखेगी और संसद में उसकी बात सुनी जाएगी. निश्चित रूप से यूएएल को इज़रायल के भीतर फिलिस्तीनियों के लिए समान अधिकार को आगे बढ़ाने का मौक़ा मिलेगा. इसके अलावा यूएएल न सिर्फ़ फिलिस्तीनियों के फ़ायदे के लिए बल्कि इज़रायल के लोकतंत्र के लिए बेहद ज़रूरी संवाद को बदलने की प्रक्रिया शुरू कर सकेगी.

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