Author : Basu Chandola

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Published on Mar 27, 2024 Updated 1 Days ago

उभरती हुई तकनीकों के बढ़ते प्रचलन के साथ ही पानी के संसाधनों पर पड़ने वाले उनके असर की गहराई से पड़ताल करने की ज़रूरत भी पैदा हो रही है.

उभरती हुई तकनीकों में पानी का इस्तेमाल: क्या चिंता की ज़रूरत है?

ये लेख निबंध श्रृंखला विश्व जल दिवस 2024: शांति के लिए जल, जीवन के लिए जल का हिस्सा है. 


गूगल पर अगर हमइमर्जिंग टेक्नोलॉजीजऔरजल संरक्षणटाइप करके सर्च करें, तो हमें ऐसे हज़ारों लेख दिख जाएंगे, जो ये बतांगे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), बिग डेटा, ब्लॉकचेन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी तकनीकें किस तरह पानी के टिकाऊ प्रबंधन में मददगार बन सकती हैं.

हालांकि इनमें से ज़्यादातर लेख, ऐसी तकनीकों के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर ख़ामोशी अख़्तियार कर लेते हैं. ऐसी तकनीकों के उपयोग के लिए जिस मूलभूत ढांचे की ज़रूरत होती है, उनमें ज़मीन और भारी तादाद में ऊर्जा और पानी इस्तेमाल किया जाता है, जिससे ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन होता है. ऐसे में इन तकनीकों के बढ़ते इस्तेमाल की वजह से एक आशंका ये भी पैदा होती है कि इनसे हमारे पर्यावरण और इकोलॉजी पर भी गहरा असर पड़ेगा. समय के साथ साथ कार्बन फुटप्रिंट, एनर्जी फुटप्रिंट, नाइट्रोजन फुटप्रिंट, बायोडायवर्सिटी फुटप्रिंट और लैंड फुटप्रिंट जैसे कई सूचकांक विकसित किए गए हैं, जो इन तकनीकों के पर्यावरण पर पड़ने वाले असर का मूल्यांकन करते हैं. हालांकि, इस लेख का दायरा उभरती हुई तकनीकों के वाटर फुटप्रिंट को समझने तक सीमित है.

इन तकनीकों के बढ़ते इस्तेमाल की वजह से एक आशंका ये भी पैदा होती है कि इनसे हमारे पर्यावरण और इकोलॉजी पर भी गहरा असर पड़ेगा.

उभरती हुई तकनीकों के वाटर फुटप्रिंट की गणना

मोटे तौर पर किसी भी सामान या सेवा के वाटर फुटप्रिंट का मतलब ये आकलन करना होगा कि उसके उत्पादन में कितना मीठा पानी इस्तेमाल किया जाता है. इसमें सीधे और अप्रत्यक्ष दोनों ही तौर पर इस्तेमाल होने वाले पानी की गणना की जाती है और इसको खपत और/ या प्रति इकाई प्रदूषित किए गए पानी की मात्रा से मापा जाता है. पारंपरिक उत्पादों और सेवाओं के उलट, उभरती हुई तकनीकों के वाटर फुटप्रिंट का आकलन एक पेचीदा प्रक्रिया है, जिसमें कई पहलुओं जैसे कि ऊर्जा पैदा करने के दौरान इस्तेमाल किया जाने वाला पानी, तकनीक के उपकरणों के निर्माण के दौरान इस्तेमाल किया जाने वाला पानी और इन तकनीकों के संचालन के दौरान सीधे तौर पर इस्तेमाल होने वाले पानी की गणना शामिल करनी होती है. इस लेख में हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्रिप्टोकरेंसी की मिसालों के ज़रिए उभरती हुई तकनीकों के तमाम तत्वों के वाटर फुटप्रिंट को दिखाने की कोशिश कर रहे हैं.

AI और क्रिप्टोकरेंसी, दोनों के लिए गणना की मज़बूत क्षमताओं की ज़रूरत होती है, जो संचालन के दौरान भारी तादाद में बिजली की खपत करती हैं. गणना की इस प्रक्रिया के दौरान तीन प्रमुख तरीक़ों से पानी का प्रयोग किया जाता है- सिस्टम को ठंडा रखने के लिए पानी का ऑनसाइट इस्तेमाल; इन संस्थानों को आपूर्ति की जाने वाली बिजली बनाने के दौरान पानी का उपयोग; और, इन तकनीकों के कल-पुर्ज़े बनाने के दौरान इस्तेमाल होने वाला पानी.

इस लेख में हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्रिप्टोकरेंसी की मिसालों के ज़रिए उभरती हुई तकनीकों के तमाम तत्वों के वाटर फुटप्रिंट को दिखाने की कोशिश कर रहे हैं.

सिस्टम को ठंडा रखने के लिए पानी का ऑनसाइट इस्तेमाल: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्रिप्टो करेंसी को प्रशिक्षित और इस्तेमाल करने के लिए भारी मात्रा में बिजली की ज़रूरत होती है. इस वजह से गणना और गिनती के वक़्त बहुत बड़ी मात्रा में गर्मी पैदा होती है. सिस्टम को ज़्यादा गर्म होने से रोकने और अधिकतम बेहतर प्रदर्शन के लिए इस गर्मी को बाहर निकालना होता है. ओवरहीटिंग रोकने और सिस्टम को ठंडा करने के लिए पानी का इस्तेमाल किया जाता है, और सिस्टम से निकलने वाली गर्मी को कूलिंग टावर या फिर बाहरी हवा की कूलिंग का इस्तेमाल होता है.

बिजली की खपत के वक़्त पानी का इस्तेमाल

चूंकि AI के सिस्टम संचालन के दौरान भारी मात्रा में बिजली की खपत करते हैं, तो इस बिजली को बनाने के दौरान पानी के उपयोग को भी हमें हिसाब किताब में शामिल करना चाहिए. पानी का इस्तेमाल इस बात पर निर्भर करता है कि बिजली किस तरीक़े से पैदा की जा रही है

Figure 1 में दिखाया गया है कि बिजली के अलग अलग स्रोतों के वाटर फुटप्रिंट में कितना अंतर है.

Figure 1: Average consumptive WF per unit of electricity and heat produced (m3 TJe−1) Source: Mesfin M. Mekonnen et. al., "The consumptive water footprint of electricity and heat: a global assessment"

 

कल-पुर्ज़ों के निर्माण के वक़्त पानी का उपयोग: AI और ब्लॉकचेन में प्रोसेसिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले प्रोसेसर सेमीकंडक्टर से बने होते हैं. सेमीकंडक्टर बनाने में भारी तादाद में बेहद शुद्ध पानी इस्तेमाल किया जाता है. मशीनों के कल-पुर्ज़े बनाने के दौरान उपयोग किए जाने वाले पानी की मात्रा काफ़ी अधिक हो सकती है और 2021 में इसकी मात्रा 7.89×108m3 मापी गई थी.

उपयोग किए जाने वाले पानी की मात्रा

इन तकनीकों के लिए इस्तेमाल के सटीक वाटर फुटप्रिंट की गणना करना ज़रा मुश्किल है. क्योंकि, पानी की खपत एल्गोरिद्म की जटिलताओं और मॉडलों के लिए आवश्यक गणना की ताक़त पर निर्भर करती है. हालांकि, कई रिसर्चरों ने वाटर फुटप्रिंट का हिसाब लगाने की कोशिश की है.

सनाज़ चमानारा और उनके साथियों द्वारा तैयार एक Error! Hyperlink reference not valid. में आकलन किया गया है कि दुनिया भर में बिटकॉइन की माइनिंग का वाटर फुटप्रिंट 2020-21 में लगभग 1.65 km3 था. एलेक्स डे व्राइस द्वारा किए गए एक और अध्ययन के अनुसार, बिटकॉइन का वार्षिक वाटर फुटप्रिंट संभवत: 2,237 GL के बराबर हो सकता है. हालांकि, इन दावों पर सवाल भी खड़े किए गए हैं.

हाल ही में पेंगफेई और उनके साथियों द्वारा किए गए अध्ययन में अंदाज़ा लगाया गया है कि GPT3 के विकास और संचालन में 54 लाख लीटर पानी की खपत हो सकती है. इसमें स्कोप-1 की मौक़े पर ऑनसाइट कूलिंग के लिए सात लाख लीटर पानी का उपयोग भी शामिल है. यूरोप में डिजिटल सेवाओं के वाटर फुटप्रिंट पर किए गए एक अध्ययन में अंदाज़ा लगाया गया है कि ऐसी सेवाओं में पानी की सालाना खपत 2020 में 14.52 करोड़ घन मीटर से बढ़कर 2030 तक 54.67 घन मीटर पहुंच सकती है.

सुझाव

यहां इस बात पर ध्यान देने की ज़रूरत है कि AI और क्रिप्टोकरेंसी जैसी उभरती हुई तकनीकों के वाटर फुटप्रिंट से जुड़े मौजूदा दस्तावेज़ बहुत कम हैं. कुछ रिसर्च पेपर और रिपोर्टों में बड़े बड़े आंकड़ों के दावे किए गए हैं. लेकिन, अक्सर इनके पीछे के हिसाब किताब का फॉर्मूला स्पष्ट नहीं होता. ऐसे में पानी की खपत का अंदाज़ा लगाने के लिए पारदर्शी व्यवस्था विकसित करने की ज़रूरत है, जहां मौक़े पर इस्तेमाल किए जाने वाले पानी की सही जानकारी सार्वजनिक की जाए.

उभरती हुई तकनीकों के वाटर फुटप्रिंट की और गहराई से पड़ताल करने की ज़रूरत है, क्योंकि आने वाले समय में ये तकनीकें समाज के साथ और जोड़ी जाएंगी. 

उभरती हुई तकनीकों के वाटर फुटप्रिंट की और गहराई से पड़ताल करने की ज़रूरत है, क्योंकि आने वाले समय में ये तकनीकें समाज के साथ और जोड़ी जाएंगी. स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के लिए ब्लॉकचेन के इस्तेमाल से लेकर स्थायी विकास के लक्ष्यों (SDGs) की प्रगति को तेज़ करने के लिए AI के इस्तेमाल तक, इन तकनीकों से काफ़ी फ़ायदे लिए जा सकते हैं. हालांकि, इन्हें लागू करने से पहले ज़रूरी है कि इन तकनीकों के असर की एक व्यापक समझ हो.

इस बीच, ये भी ज़रूरी है कि हम डिजिटल समाधान तैयार करते वक़्त ऊर्जा और संसाधनों की कुशलता को भी ध्यान में रखें. हमें वाटर फुटप्रिंट कम करने के लिए एल्गोरिद्म को सुधारते रहना होगा और इसके साथ साथ उन्हें ठंडा करने के ज़्यादा बेहतर विकल्प भी तलाश करते रहने होंगे, ताकि प्रक्रिया के हर स्तर पर उपयोग किए जाने वाले पानी की तादाद कम की जा सके.

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