Author : Ayjaz Wani

Expert Speak Raisina Debates
Published on Mar 22, 2024 Updated 0 Hours ago

उज़्बेकिस्तान ने आर्थिक सुधार का अभियान शुरू किया है ताकि चीन और दूसरे देशों के साथ साझेदारी के ज़रिए अपनी सामाजिक-आर्थिक क्षमता को सामने ला सके.

विकल्पों की तलाश करते हुए चीन के समर्थन में उज़्बेकिस्तान

24 जनवरी को बीजिंग के तियानमेन स्क्वायर के ग्रेट हॉल ऑफ पीपुल में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्ज़ियोयेव के बीच मुलाकात हुई. दोनों नेताओं ने “एक नए युग के लिए हर स्थिति में व्यापक सामरिक साझेदारी” विकसित करने का फैसला लिया और कूटनीति, सुरक्षा और व्यवसाय से जुड़े संबंधों को बढ़ावा देने के लिए 14 द्विपक्षीय दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर किए. तेज़ प्रगति के लिए एक साझा दृष्टिकोण के साथ दोनों नेताओं ने चीन-किर्गिज़स्तान-उज़्बेकिस्तान (CKU) रेलवे लाइन को जल्द शुरू करने की तारीख़ तय करने पर भी ज़ोर दिया. ये प्रोजेक्ट 90 के दशक का है. इस जटिल वैश्विक परिस्थिति के दौरान उज़्बेकिस्तान की राष्ट्रीय संप्रभुता, प्रादेशिक अखंडता और स्वतंत्रता को चीन का समर्थन बिना जवाबी सहायता के नहीं था. उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रपति ने दृढ़ता से “वन चाइना” नीति का समर्थन किया और ताइवान, शिनजियांग और मानवाधिकार से जुड़ी चिंताओं को लेकर बाहरी दखल की निंदा की. 

ग्लोबल गेटवे को चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के साथ जुड़े कर्ज़ के जाल को टालने के लिए एक समाधान के तौर पर पेश किया जा रहा है. एक भौगोलिक बंधन में फंसा उज़्बेकिस्तान चीन के साथ अपने संबंधों का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है ताकि अपने लॉजिस्टिक और इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बना सके.

हालांकि ग्लोबल गेटवे इन्वेस्टर्स फॉरम फॉर EU-सेंट्रल एशिया से ठीक पहले उज़्बेक राष्ट्रपति के दौरे का समय कोई संयोग नहीं है. ग्लोबल गेटवे को चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के साथ जुड़े कर्ज़ के जाल को टालने के लिए एक समाधान के तौर पर पेश किया जा रहा है. एक भौगोलिक बंधन में फंसा उज़्बेकिस्तान चीन के साथ अपने संबंधों का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है ताकि अपने लॉजिस्टिक और इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बना सके. लेकिन CKU में देरी उज़्बेकिस्तान को नए विकल्पों की तलाश करने के लिए मजबूर कर रही है. 

उज़्बेकिस्तान के बाज़ार पर चीन की नज़र 

उज़्बेकिस्तान में चीन का निवेश लगातार बढ़ा है. शायद इसका कारण यूक्रेन युद्ध के समय से कम श्रम लागत और मध्य एशिया में संभावित उभरता बाज़ार है. 3.3 करोड़ से ज़्यादा की आबादी के साथ उज़्बेकिस्तान मध्य एशिया का वज़नदार देश है. उज़्बेकिस्तान की नौजवान आबादी में तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है जो हर साल वर्कफोर्स (काम करने वाले लोग) में युवा शक्ति को जोड़ रही है. उज़्बेकिस्तान में चीन की कंपनियों की संख्या 2021 के 1,800 से बढ़कर जुलाई 2022 तक 2,000 हो गई थी. उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान उच्च-स्तरीय बातचीत के बाद दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार 2023 के 14 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 20 अरब डॉलर करने का लक्ष्य निर्धारित किया. ये स्थिति तब है जब चीन के साथ व्यापार में उज़्बेकिस्तान बहुत ज़्यादा व्यापार घाटे का सामना कर रहा है. चीन की कस्टम एजेंसी के अनुसार 14 अरब अमेरिकी डॉलर के कुल द्विपक्षीय व्यापार में चीन को उज़्बेकिस्तान का निर्यात केवल 1.6 अरब अमेरिकी डॉलर था. 

चीन उज़्बेकिस्तान को कर्ज़ देने वाला एक महत्वपूर्ण देश भी है. 2023 में उज़्बेकिस्तान ने 2.8 अरब अमेरिकी डॉलर कर्ज़ के रूप में हासिल किए. इसमें एशियन डेवलपमेंट बैंक और चीन ने क्रमश: 616 मिलियन और 399 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान किया. 2022 से गैस की कमी का सामना कर रहा उज़्बेकिस्तान अपने ग्रीन एनर्जी (हरित ऊर्जा) सेक्टर को बढ़ाने के लिए चीन की कंपनियों के साथ साझेदारी कर रहा है. 2030 तक 27 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा पैदा करने की क्षमता का अनुमान लगाया गया है. 

CKU में देरी का उज़्बेकिस्तान पर असर

1997 में चीन, किर्गिज़स्तान और उज़्बेकिस्तान ने CKU रेलवे लाइन बनाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस रेलवे लाइन को चीन की महत्वाकांक्षी “ग्रेट वेस्टर्न डेवलपमेंट स्ट्रेटेजी” के साथ जोड़ा गया. 523 किलोमीटर लंबा ये रेलवे रूट शिनजियांग के काशगर में शुरू होता है और किर्गिज़स्तान से होते हुए अपनी मंज़िल उज़्बेकिस्तान के अंदिजन में पहुंचता है. रूस-यूक्रेन संकट और रूस पर लगाई गई पाबंदियों की वजह से वैश्विक सप्लाई चेन में आई रुकावट के कारण प्रस्तावित CKU रेलवे लाइन पर नए सिरे से सोचना पड़ रहा है. 

किर्गिज़स्तान ने अपने कुल विदेशी कर्ज़ का आधा चीन से लिया है जबकि उज़्बेकिस्तान की GDP का 16 प्रतिशत चीन का कर्ज़ है. चीन में कर्ज़ के संकट और घरेलू आर्थिक कठिनाइयों में बढ़ोतरी ने भी परियोजना में देरी की है.

CKU मौजूदा रूट की तुलना में काफी ज़्यादा फायदेमंद है. ये 900 किलोमीटर छोटा रूट है. इसका ये मतलब हुआ कि चीन से यूरोप और मिडिल ईस्ट के बाज़ारों तक सामान 7-8 दिन जल्दी पहुंच सकता है. किर्गिज़स्तान, तुर्कमेनिस्तान और तुर्की के ज़रिए चीन से यूरोप तक ट्रेन चलने के साथ इस रूट का लक्ष्य दक्षिणी रूट का हिस्सा बनना है. CKU जहां उज़्बेकिस्तान को दक्षिण-पूर्व और मध्य-पूर्व के बाज़ारों तक पहुंच के लिए एक सामरिक बढ़त देता है, वहीं ये रूस के उत्तरी रूट पर चीन की निर्भरता भी कम करता है जो यूक्रेन संकट के बाद पश्चिमी देशों की पाबंदियों से प्रभावित है. पिछले साल शियान में आयोजित बेहद चर्चित चीन-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान जिन प्रमुख समझौतों पर सहमति बनी थी, उनमें से CKU रेलवे लाइन एक है. इसका निर्माण अक्टूबर 2023 से शुरू होना था और इसकी अनुमानित लागत 4.5 अरब अमेरिकी डॉलर है. 

लेकिन CKU प्रोजेक्ट में कई रुकावटें आईं और अलग-अलग चुनौतियों की वजह से ये देरी से चल रहा है. इन चुनौतियों में असहमति, वित्तीय बाधाएं और कूटनीतिक रुकावटें शामिल हैं. किर्गिज़स्तान अपने उबड़-खाबड़ पहाड़ी इलाकों के ज़रिए लंबा रूट चाहता है ताकि स्थानीय लोगों को फायदा मिल सके जबकि उज़्बेकिस्तान और चीन छोटा और ज़्यादा किफायती विकल्प चाहते हैं. इसके अलावा CKU रेलवे ने चीन से यूरोप जाने वाले सामानों के लिए एक छोटे रूट का वादा किया था और इस तरह वो रूस और कज़ाखस्तान के ज़रिए जाने वाले मौजूदा रूट पर निर्भरता को शायद कम करता. लेकिन इससे इन प्रभावी क्षेत्रीय किरदारों के साथ चीन के संबंध ख़राब होंगे. इसके अलावा किर्गिज़स्तान और उज़्बेकिस्तान में इस प्रोजेक्ट की फंडिंग के लिए वित्तीय क्षमता की कमी है. किर्गिज़स्तान ने अपने कुल विदेशी कर्ज़ का आधा चीन से लिया है जबकि उज़्बेकिस्तान की GDP का 16 प्रतिशत चीन का कर्ज़ है. चीन में कर्ज़ के संकट और घरेलू आर्थिक कठिनाइयों में बढ़ोतरी ने भी परियोजना में देरी की है. किर्गिज़स्तान की कैबिनेट के प्रमुख ने पिछले दिनों परियोजना की अनिश्चितताओं पर प्रकाश डाला है. उन्होंने कहा, “हमें और उज़्बेकिस्तान को इस रूट की ज़रूरत है. लेकिन हमारा दोस्त चीन हमें प्रोजेक्ट से रोक रहा है.”

मध्य एशिया में उज़्बेकिस्तान मायने रखता है

2016 में राष्ट्रपति बनने के बाद से शवकत मिर्ज़ियोयेव ने उज़्बेकिस्तान की सामाजिक-आर्थिक क्षमता को सामने लाने के लिए आर्थिक सुधार का एक अभियान शुरू किया है. इन सुधारों में फॉरेन एक्सचेंज नियंत्रण में ढील देने से लेकर प्राइवेटाइज़ेशन को बढ़ावा देना और अर्थव्यवस्था को दुनिया में बदलाव के मुताबिक खोलना शामिल हैं. इस आर्थिक उदारीकरण में लोकतंत्रीकरण की क्रमिक प्रक्रिया और यूरोपियन यूनियन के द्वारा समर्थित कानून के शासन की मदद मिली. 

किर्गिज़स्तान और ताजिकिस्तान के साथ सीमा विवाद का समाधान करने से सहयोग और क्षेत्रीय एकीकरण में तेज़ी आई है.

उज़्बेकिस्तान ने अलग-अलग अंतर-क्षेत्रीय परियोजनाओं के माध्यम से सक्रिय तौर पर क्षेत्रीय एकीकरण और कनेक्टिविटी को भी बढ़ावा दिया है. उसने लोगों के बीच आपसी मेलजोल को बढ़ाने के लिए वीज़ा पाबंदियों में ढील दी है और इस तरह ज़्यादा ख़ुशहाल और एक-दूसरे से जुड़े मध्य एशिया को बढ़ावा दिया है. किर्गिज़स्तान और ताजिकिस्तान के साथ सीमा विवाद का समाधान करने से सहयोग और क्षेत्रीय एकीकरण में तेज़ी आई है. उज़्बेकिस्तान ने 2021 और 2022 में किर्गिज़स्तान और ताजिकिस्तान के बीच सीमा पर संघर्ष के दौरान सीमा से जुड़े मुद्दों की मध्यस्थता में भी एक रचनात्मक भूमिका निभाई है. उज़्बेकिस्तान की विदेश नीति में क्षेत्रीय एकीकरण और सामाजिक-आर्थिक सहयोग सबसे बड़ी प्राथमिकता बनने के साथ उसकी विविध आर्थिक क्षमता EU, चीन, फ्रांस, तुर्की और दूसरे वैश्विक किरदारों को आकर्षित कर रही है. दुनिया के साथ बेहतर ढंग से जुड़ने के लिए उज़्बेकिस्तान 6 अरब अमेरिकी डॉलर के ट्रांस-अफ़ग़ान रेलवे प्रोजेक्ट में एक अहम भूमिका निभा रहा है. ये प्रोजेक्ट 2027 में पूरा होने वाला है. उज़्बेकिस्तान तुर्कमेनिस्तान-उज़्बेकिस्तान लिंक का विस्तार करके उसे कैस्पियन सागर और मिडिल कॉरिडोर के साथ जोड़ने के लिए भी भरपूर कोशिश कर रहा है.

CKU रेलवे का निर्माण शुरू करने में चीन की झिझक, चीन के साथ बढ़ता व्यापार घाटा और अपनी युवा जनसंख्या से प्रेरित एक बढ़ती क्षेत्रीय मौजूदगी की वजह से उज़्बेकिस्तान दूसरे विकल्पों की तलाश करने के लिए मजबूर हो गया है. इन विकल्पों में मिडिल कॉरिडोर रूट और विश्व व्यापार संगठन (WTO) से जुड़ने की कोशिश करना शामिल है. ये देखा जाना बाकी है कि ग्लोबल गेटवे इन्वेस्टर्स फोरम और EU एवं उसके सदस्य देशों के साथ उज़्बेकिस्तान की बढ़ती भागीदारी कनेक्टिविटी में सुधार और व्यापार में विविधता लाने में स्थायी समाधान पेश करती है या नहीं. 


एजाज़ वानी ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में फेलो हैं. 

 

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