दक्षिण चीन सागर (SCS), चीनी राज्यसत्ता के लड़ाकू बर्ताव को स्पष्ट रूप से देखने के सबसे अनुमानित दायरों में से एक है. इन दिनों इसकी और ज़्यादा झलक दिखने लगी है. दरअसल चीन की बढ़ती राज्य शक्ति और रुतबा, अमेरिका पर प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल करने की उसकी वैश्विक आकांक्षाओं के साथ मेल खाती है. दक्षिण चीन सागर में स्थित देशों के साथ चीन के अनेक टकराव हैं. ये संघर्ष, चीन के लिए कई मायनों में ना केवल प्रशांत क्षेत्र में अपनी सैन्य शक्ति और तैयारियों का पता लगाने के लिए एक परीक्षण स्थल बन गए हैं, बल्कि अमेरिका की एक के बाद एक तमाम सरकारों के सियासी और सुरक्षा संकल्पों का मूल्यांकन करने का साधन भी बन गए हैं. अमेरिका का बाइडेन प्रशासन, प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी संतुलन को बहाल करने की दिशा में अपने दृष्टिकोण को मज़बूत करने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई देता है. ऐसे में ऐसा लग रहा है कि चीन, ताइवान पर जबरन क़ब्ज़ा करने से जुड़ी समयसीमा पर योजनाबद्ध ढंग से काम कर रहा है. इसके साथ-साथ दक्षिण चीन सागर और उससे परे भी चीन अपनी शत्रुतापूर्ण गतिविधियों का लगातार विस्तार करता जा रहा है.
ख़तरनाक चालबाज़ियां
ताज़ा वाक़या चीनी जहाज़ों द्वारा ख़तरनाक और असुरक्षित पैंतरेबाज़ियों से जुड़ा है. हाल ही में चीनी जहाज़ों ने फिलीपींस के तटरक्षक (PSG) जहाज़ों पर पानी की बौछारें कर दी. फिलीपींस के जहाज़, स्प्रैटली द्वीप में सेकेंड थॉमस शोल (जिसे फिलीपींस में अयुंगिन शोल के रूप में भी जाना जाता है) में तैनात फिलीपीनी सैनिकों के लिए आपूर्ति ले जा रहे थे. जून 2023 में, चीनी जहाज़ों ने सामानों की आपूर्ति करने वाली लकड़ी की नौकाओं को सुरक्षा दे रहे फिलीपींस तटरक्षक बल के दो जहाज़ों को सेकेंड थॉमस शोल के पास जाने से रोकने का प्रयास किया था. इस साल फरवरी और जुलाई में भी ऐसी ही घटनाएं देखने को मिली थीं. इस टकराव के केंद्र में फिलीपींस का एक टूटा-फूटा और पुराना जहाज़ BRP सिएरा माद्रे (LT-57) है, जो 9 मई 1997 को स्प्रैटली द्वीप में सेकेंड थॉमस शोल के नज़दीक समुद्री चट्टान में अटककर ज़मीन पर आ गया था. तब से, फिलीपींस इस जहाज़ को वहां एक संप्रभु चौकी के रूप में इस्तेमाल करता आ रहा है. चीन को नियंत्रण में रखने के लिए उसने जहाज़ पर आठ सैनिकों को भी तैनात कर रखा है. चीन इस जल क्षेत्र पर अपना दावा करता है और जहाज़ को यहां से हटाना चाहता है. फिलीपींस के राष्ट्रपति, फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर ने कहा है कि फिलीपींस “दक्षिण चीन सागर में अयुंगिन तट से द्वितीय विश्व युद्ध काल के जहाज़ को वापस नहीं खींचेगा” या बाहर नहीं निकालेगा. इसी तरह का बयान राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जोनाथन मलाया की ओर से भी आया है. उन्होंने कहा है कि, “सेकेंड थॉमस शोल में चीन की बढ़ती मौजूदगी, वहां अपनी स्थिति की रक्षा करने के फिलीपींस के संकल्प को डिगा नहीं पाएगी.” उन्होंने आगे कहा कि “फिलीपींस अयुंगिन शोल का त्याग नहीं करेगा और प्रवाल द्वीप (atoll) से युद्धपोत को नहीं हटाएगा, जिसे फिलीपींस की संप्रभुता के दावों को मज़बूत करने के लिए 1999 में जानबूझकर यहां ज़मीन पर ला दिया गया था.”
अयुंगिन शोल की घटना पर फिलीपींस के नेशनल टास्क फोर्स द्वारा जारी संयुक्त बयान में ये बताया गया कि चीन ने एक बार फिर 2016 के मध्यस्थता क़रार का उल्लंघन किया है. इस क़रार में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि निम्न ज्वार ऊंचाई (low tide elevation) होने के कारण, अयुंगिन शोल “ना तो संप्रभुता के दावे का विषय हो सकता है और ना ही ये अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत स्वायत्तीकरण के लिए सक्षम है”. दूसरे शब्दों में, चीन इस पर अपनी संप्रभुता का प्रयोग नहीं कर सकता. लिहाज़ा, फिलीपींस के जहाज़ों को रोकने की चीनी आक्रामक कार्रवाई, संयुक्त राष्ट्र समुद्री क़ानून (UNCLOS) का खुला उल्लंघन है. ग़ौरतलब है कि चीन और फिलीपींस दोनों ही देश UNCLOS के पक्षकार हैं. BRP सिएरा माद्रे का रिसप्लाई मिशन, फिलीपींस के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के भीतर अंजाम दी जाने वाली वैध गतिविधियां हैं, और UNCLOS के प्रावधानों के मुताबिक हैं.
उधर, चीन का दावा है कि फिलीपींस की रिसप्लाई योजना के बारे में जानकारी मिलने के बाद, चीनी तट रक्षकों ने फिलीपींस को चेतावनी दी थी कि वो “युद्धपोत की बड़े पैमाने पर मरम्मत और मज़बूती के लिए उपयोग की जाने वाली निर्माण सामग्री ना भेजे” क्योंकि ऐसा करने से पक्षों की आचार संहिता की घोषणा (DOC) का उल्लंघन होगा. दक्षिण चीन सागर विवाद के मामले में चीन की कार्य योजना हमेशा अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों की इस प्रकार व्याख्या करने की रही है, जो विवादित जल-क्षेत्र में उसकी लगातार बढ़ती आक्रामकता और विस्तारवादी दावों को उचित ठहराती हो! इन अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों में UNCLOS और 2016 का मध्स्थता क़रार शामिल हैं. मार्कोस जूनियर की सरकार के तहत, चीन के साथ फिलीपींस के रिश्तों पर काफ़ी चोट पड़ी है, क्योंकि ये सरकार दक्षिण चीन सागर में चीनी हरकतों की निंदा करने से कतराती नहीं है. इतना ही नहीं, पिछले कुछ अर्से से फिलीपींस का अमेरिका की ओर स्पष्ट झुकाव देखा जा रहा है. उन्नत रक्षा सहयोग समझौते (EDCA) के विस्तार में यही क़रीबी देखने को मिल रही है. इसके तहत फिलीपींस ने अप्रैल 2023 में अमेरिका को चार और सैन्य अड्डों तक पहुंच मुहैया करा दी. फिलीपींस और अमेरिका इस साल दक्षिण चीन सागर के विवादित जल क्षेत्र में साझा गश्त भी शुरू करने को तैयार हैं. अमेरिका-फिलीपींस के बीच बढ़ते रिश्ते, चीनी भावनाओं को चिढ़ा रहे हैं. लिहाज़ा, चीन अपनी मौजूदगी का एहसास कराने और फिलीपींस को चीनी शर्तों को स्वीकार करने के लिए उकसाने के मक़सद से आक्रामक और ज़ोर-ज़बरदस्ती भरी हरकतों का सहारा ले रहा है.
अमेरिका का रुख़
बाइडेन प्रशासन ने फिलीपींस तटरक्षक बल की नाव पर हमला करने के चीनी प्रयासों पर कड़ा रुख़ अपनाया है. उसने 1951 में दस्तख़त किए गए अमेरिका-फिलीपींस पारस्परिक रक्षा संधि (MDT) का हवाला देकर फिलीपींस के प्रति अपना समर्थन जताया है. अमेरिकी बयान में ख़ासतौर से कहा गया है कि अगर फिलीपींस के सैन्य जहाज़ों, विमानों और सशस्त्र बलों (दक्षिण चीन सागर में कार्यरत उसके तटरक्षकों समेत) पर हमला होता है, तो ये अमरिका-फिलीपींस MDT के आर्टिकल IV में रेखांकित पारस्परिक रक्षा दायित्वों को चालू या गतिशील (trigger) कर देगा.
1998 के विज़िटिंग फोर्सेज़ एग्रीमेंट (VFA) और 2014 के उन्नत रक्षा सहयोग समझौते (EDCA) ने पारस्परिक रक्षा संधि (MDT) को मज़बूत किया है. VFA, कानूनी ढांचा स्थापित करता है और फिलीपींस में आधिकारिक गतिविधियों के दौरान अमेरिकी सेना और रक्षा विभाग के असैनिक कर्मचारियों के दर्जे की सुरक्षा करता है. दूसरी ओर EDCA, अमेरिकी बलों को सहभागितापूर्ण सुरक्षा अभ्यासों, संयुक्त सैन्य प्रशिक्षणों और आपदा राहत कार्यों के लिए फिलीपींस के पूर्व निर्धारित स्थानों तक समय-समय पर पहुंच की इजाज़त देता है. पारस्परिक रसद सहायता समझौते का नवीकरण, विदेश में रहते हुए स्थानीय संसाधनों तक पहुंच को अधिकृत करता है. इस तरह, ये समझौता फिलीपींस के साथ व्यापक द्विपक्षीय संबंधों में योगदान देता है. सामूहिक रूप से, ये समझौते पारस्परिक सुरक्षा गठबंधन के लिए आधारशिला के रूप में काम करते रहेंगे. इससे अमेरिकी सैन्य सहायता, मौजूदगी और अनुकूलता से जुड़ी अहम सक्षमता संभव हो सकेगी.
फिलीपींस को अमेरिका का समर्थन, वैधानिक और सुरक्षा तर्कों के दोहरे आधार पर टिका है. क़ानूनी तौर पर, 1982 के समुद्री क़ानून समझौते के साथ-साथ मध्यस्थता से जुड़ी स्थायी अदालत द्वारा चीन के ख़िलाफ़ 2016 में सुनाया गया फ़ैसला, दोनों ही, चीनी उल्लंघनों का मुक़ाबला करने के लिए अमेरिका को आधार मुहैया कराते हैं. सुरक्षा के नज़रिए से, अमेरिका की प्रशांत रणनीति को मज़बूत करने की क़वायद में फिलीपींस एक अहम कड़ी बना हुआ है. चीन के बढ़ते दबाव ने पहले ही फिलीपींस को अमेरिका के साथ सुरक्षा गठबंधन पर नए सिरे से वचनबद्धता जताने को मजबूर कर दिया है. वैसे तो अमेरिका-फिलीपींस रिश्ते हिंद-प्रशांत में सबसे पुराने संबंधों में से एक हैं, लेकिन इलाक़े में ख़तरों की बदलती प्रकृति के कारण सुरक्षा मामलों में सहयोग की परंपरागत शर्तों पर नए सिरे से काम करना ज़रूरी हो गया है. आपसी रिश्तों में नए सिरे से ऐसी क़वायदों के पीछे चीन की ओर से पेश ख़तरा, बड़ा कारक रहा है. नवंबर 2022 में पलावन की अपनी यात्रा के दौरान अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने फिलीपींस को 75 लाख अमेरिकी डॉलर के ताज़ा आवंटन का ख़ुलासा किया. इस रकम का मक़सद फिलीपींस में समुद्री क़ानून को लागू करने और उनका पालन कराने वाले संगठनों की क्षमताओं में वृद्धि करना है. इसके अलावा, उपराष्ट्रपति हैरिस ने फिलीपींस के तट रक्षक बल की पोत यातायात प्रबंधन प्रणाली को आधुनिक बनाने के लिए एक अनोखी पहल की भी शुरुआत की.
फिलीपींस, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के लिए सुरक्षा के सबसे अडिग संचालकों में से एक रहा है. विदेशी सैन्य विक्रय ढांचे के तहत अमेरिका और फिलीपींस के बीच सक्रिय सरकार-दर-सरकार कुल बिक्री तक़रीबन 1.033 अरब अमेरिकी डॉलर है. इसके अलावा, वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2021 तक अमेरिका ने प्रत्यक्ष वाणिज्यिक बिक्री (DCS) प्रक्रिया के ज़रिए फिलीपींस को लगभग 17.13 करोड़ अमेरिकी डॉलर मूल्य के रक्षा साज़ोसामान के लिए स्थायी निर्यात प्राधिकार प्रदान किया है. वित्त वर्ष 2015 से अमेरिकी विदेश विभाग ने विभिन्न शासनादेशों के तहत फिलीपींस को 46.3 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की सुरक्षा सहायता उपलब्ध कराई है. इस सहायता में अनेक तंत्रों से होने वाली फ़ाइनेंसिंग शामिल हैं. इनमें मुख्य रूप से फॉरेन मिलिट्री फाइनेंसिंग, अंतरराष्ट्रीय सैन्य शिक्षा और प्रशिक्षण, और वैश्विक शांति संचालन पहल के ज़रिए शांति स्थापना संचालन शामिल है. इससे तालमेल बिठाते हुए रक्षा विभाग ने रक्षा सहायता में भी योगदान दिया है. इस कड़ी में 2018 से शुरू होकर 2022 तक 23.7 करोड़ अमेरिकी डॉलर की रकम दी गई है. ये सहायता मुख्य रूप से खंड 333 क्षमता निर्माण प्राधिकरण, खंड 332 रक्षा संस्थान क्षमता निर्माण, खंड 1263 हिंद-प्रशांत सामुद्रिक सुरक्षा पहल, और वैश्विक सुरक्षा आकस्मिकता कोष (GSCF) जैसे प्रावधानों के तहत प्रशासित की गई है.
निष्कर्ष
अमेरिका के लिए प्रशांत क्षेत्र में चीन की चुनौती जैसे-जैसे बढ़ती जा रही है, वो प्रशांत क्षेत्र में अपने सुरक्षा दृष्टिकोण को फिलीपींस के साथ अपनी साझेदारी के इर्द-गिर्द जोड़ना चाहता है. उधर चीन, दक्षिण प्रशांत जैसे उप क्षेत्रों पर अपना दबदबा क़ायम करना चाहता है. ऐसे में दक्षिण चीन सागर, तेज़ी से अमेरिका-चीन शक्ति प्रतिस्पर्धा का अखाड़ा बनता जा रहा है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आसियान के प्रमुख शिखर सम्मेलनों में नदारद रहते थे. इससे इलाक़े में एक विश्वसनीय सुरक्षा भागीदार के रूप में अमेरिका की छवि को धक्का लगा था. बाइडेन प्रशासन, अमेरिका को सहयोगी देशों के लिए एक भरोसेमंद सुरक्षा भागीदार के रूप में सामने लाने और केंद्र में बनाए रखने का प्रयास कर रहा है. इस मंथन के बीच, फिलीपींस सहित इलाक़े के तमाम देश, चीन के साथ किसी भी सैन्य टकराव को रोकने को लेकर सतर्क रहेंगे. अगर अमेरिका और चीन के बीच महाशक्ति बनने की प्रतिस्पर्धा वाकई दक्षिण चीन सागर में चीन और दूसरे दावेदार देशों के बीच टकरावों का रूप ले लेती है, तो इससे आचार संहिता से जुड़े विचार मंथनों की प्रगति के रास्ते में अड़चनें आने की भरपूर आशंका रहेगी.
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