-
CENTRES
Progammes & Centres
Location
आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच अमेरिकी मध्यस्थता से शांति समझौता संपन्न हुआ है और TRIPP कॉरिडोर को आगाज़ देता है जो दक्षिण काकेशस की जियोपॉलिटिक्स और ग्रेट पावर राइवलरी को नए सिरे से लिखने का काम करेगा .
Image Source: Getty Images
कई दौर की वार्ताओं के बाद, अज़रबैजान और आर्मेनिया के नेताओं ने व्हाइट हाउस में अमेरिकी मध्यस्थता में एक ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते पर 13 मार्च 2025 को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए जो दशकों के संघर्ष और युद्ध की समाप्ति लेकर आया है.
समझौते के अंतर्गत, अमेरिका एक प्रमुख कॉरिडोर, जिसका नाम ‘ट्रंप रूट फॉर इंटरनेशनल पीस एंड प्रोस्पेरिटी’ (TRIPP) रखा गया है, स्थापित करेगा जो ज़ांगेज़ुर कॉरिडोर के माध्यम से तुर्की की सीमा से लगे अज़रबैजानी एन्क्लेव नखिचेवन को अज़रबैजान से जोड़ेगा. ज़ांगेज़ुर कॉरिडोर एक सीधा ओवरलैंड मल्टीमॉडल मार्ग है जो दक्षिण आर्मेनिया से होते हुए मेनलैंड अज़रबैजान को नखिचेवन से जोड़ता है.
योजना के विवादास्पद होने की पूरी संभावना है और मास्को और तेहरान की इस विषय पर कड़ी प्रतिक्रिया हो सकती हैं, जिससे आगे क्षेत्रीय तनाव और तल्ख़ी को और बढ़ा सकता है.
11 जुलाई 2025 को तुर्की में अमेरिकी राजदूत, टॉम बैरक ने आर्मेनिया की राजधानी येरेवन शहर और अज़रबैजान की राजधानी बाकू शहर के बीच लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध के समाधान के रूप में 100 वर्षों के लिए स्ट्रेटेजिक कॉरिडोर को लीज पर लेने और मैनेज करने के वाशिंगटन के प्रस्ताव के बारे में प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट की पुष्टि की. बढ़ते जियोपॉलिटिकल तनाव के बीच, आर्मेनिया में 43 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर अमेरिका, विशेष रूप से तेहरान, मॉस्को और यहां तक कि बीजिंग के लिए एक महत्वपूर्ण क्रॉस-यूरेशिया जियो-स्ट्रेटेजिक जियो-इकोनॉमिक एसेट बनने की उम्मीद है. विकसित होने के बाद, यह कॉरिडोर ऐतिहासिक रूप से रूसी-प्रभुत्व वाले इस क्षेत्र में पावर के खेल की धीमी रफ़्तार को ओर तेज़ कर सकता है और क्षेत्रीय जियोपॉलिटिक्स को नया रूप दे सकता है. हालांकि, योजना के विवादास्पद होने की पूरी संभावना है और मास्को और तेहरान की इस विषय पर कड़ी प्रतिक्रिया हो सकती हैं, जिससे आगे क्षेत्रीय तनाव और तल्ख़ी को और बढ़ा सकता है.
दशकों के तनाव और संघर्ष के बाद, 2023 के नागोर्नो-काराबाख युद्ध में बाकू ने हजारों अर्मेनियाई मूल के लोगों के पलायन के बाद इस क्षेत्र पर फिर से नियंत्रण कर लिया था. इस स्थिति ने येरेवन को नए भागीदारों की तलाश करने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि मास्को-यूक्रेन आक्रमण के बाद अपनी व्यस्तता के कारण-यथास्थिति बनाए रखने में असमर्थ था. 2, 000 रूसी सैनिकों के निष्क्रिय शांति रक्षक दल की वापसी ने मास्को की क्षमताओं को एक और झटका दिया. इस घटना के बाद अज़रबैजान और आर्मेनिया यूरोपियन यूनियन (EU), तुर्की और अमेरिका जैसी अन्य शक्तियों के समर्थन से शांति वार्ता शुरू करने के लिए बाध्य हुआ. शांति की स्थिति बहाल करने के लिए मई 2024 में येरेवन की चार सीमावर्ती गांवों की वापसी के बावजूद, बाकू ज़ांगेज़ुर गलियारे के माध्यम से नखिचेवन के लिए एक ट्रांसपोर्ट लिंक की स्थापना पर चिंताओं का हवाला देते हुए बातचीत में शामिल होने में संकोच कर रहा था. दिसंबर 2024 के बाद, जब एक रूसी मिसाइल ने ग्रोज़नी में अज़रबैजान एयरलाइंस की उड़ान को गिरा दिया, तो बाकू और मास्को के बीच संबंध तेजी से बिगड़ गए. हाल ही में कुछ अज़रबैजानी नागरिकों की हिरासत में हुई मौतों ने समीकरण को और भी ख़राब कर दिया.
नए खिलाड़ियों के उभरने के बाद रूस का क्षेत्रीय प्रभाव भी कमज़ोर होता नज़र आता है. इस बीच, पहले के बाइडन प्रशासन ने जियोपॉलिटिकल और आर्थिक लाभ के लिए अपने क्षेत्रीय जुड़ाव को बढ़ाया. दक्षिण काकेशस और नवीनतम संपर्क परियोजनाओं में वाशिंगटन की भूमिका, जैसे कि मध्य कॉरिडोर, जिसे ट्रांस-कैस्पियन इंटरनेशनल ट्रेड रूट (TITR) के रूप में भी जाना जाता है, को और अधिक प्रमुखता तब मिली जब आर्मेनिया और अज़रबैजान के विदेश मंत्रियों ने जुलाई 2024 में वाशिंगटन में नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद दोनों देश स्थायी शांति के लिए काम करने पर सहमत हुए. मार्च 2025 की एक बैठक के बाद, अर्मेनियाई और अज़रबैजानी नेता संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में एक बार फिर शांति और सुलह समझौते पर चर्चा करने के लिए मिले. इस बैठक के बाद उन्होंने सीमा परिसीमन को अंतिम रूप देकर, संप्रभु क्षेत्रों को मान्यता देकर और बल का उपयोग न करने के लिए अपनी आपसी प्रतिबद्धता की पुष्टि करके उल्लेखनीय प्रगति की. उन्होंने अज़रबैजान और आर्मेनिया के बीच तनाव को हल करने के लिए मिन्स्क प्रक्रिया और संबंधित संघर्ष समाधान संरचनाओं को बंद करने का आह्वान करते हुए आर्गेनाईजेशन फॉर सिक्योरिटी एंड कारपोरेशन इन यूरोप (OSCE) को एक संयुक्त अपील भी जारी की.
अगले पांच से दस वर्षों में TRIPP कॉरिडोर की 3-5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत लगभग 20-30 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वार्षिक ख़र्च बचाने की संभावना रखता है. कॉरिडोर में 2027 तक वार्षिक व्यापार में 50-100 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने और इससे एशिया और यूरोप के बीच के सफर के समय को कम करने में मदद मिलेगी. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह TITR की बढ़ती बुनियादी सुविधाओं की ज़रूरतों को पूरा करेगा, जो यूरोप को मध्य एशिया और उससे आगे जॉर्जिया तक जोड़ता है. यह यूरोप की एनर्जी सिक्योरिटी को भी बढ़ाएगा और मध्य एशिया और अज़रबैजान से ऊर्जा आयात को दोगुना कर देगा.
अज़रबैजान के दक्षिणी गैस कॉरिडोर ने 2023 में 12 बिलियन क्यूबिक मीटर की आपूर्ति की, इसका कॉरिडोर लक्ष्य 2027 तक 20 बिलियन गैस वितरित करना है. इसके अलावा, मध्य एशियाई देशों का लक्ष्य अज़रबैजान के माध्यम से यूरोप में तेल और गैस की आपूर्ति को बढ़ाना है. यह करना न केवल ऊर्जा बाज़ारों में विविधता लाने के लिए बल्कि ऊर्जा निर्यात के लिए रूसी बुनियादी ढांचे पर अपनी निर्भरता को कम करने और बढ़ते चीनी प्रभुत्व का मुकाबला करने के लिए भी ज़रूरी है. यह मार्ग अज़रबैजान और आर्मेनिया को आर्थिक और रणनीतिक रूप से पारस्परिक रूप से निर्भर बना देगा, जिससे ऐतिहासिक संघर्ष को कम करने में मदद मिलेगी. बाकू शहर नखचिवन एन्क्लेव तक सीधी पहुंच प्राप्त करेगा, जबकि इस गलियारे से ट्रांसिट शुल्क येरेवन की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा. इसके अलावा, आर्मेनिया को अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वाणिज्य के लिए अज़रबैजान के रेल बुनियादी ढांचे की सहूलियत हासिल होगी.
अपने भूगोल के कारण, TRIPP कॉरिडोर ईरान और रूस के लिए सुरक्षा और आर्थिक चिंताओं को जन्म देती है. तेहरान के लिए, यह तुर्की, अज़रबैजान और मध्य एशिया के बीच अपनी मध्यस्थता की भूमिका के नुक़सान का आगाज़ है, जिससे तुर्की भाषी देशों पर अंकारा का प्रभाव बढ़ सकता है. इस बीच, रूस यूरोपीय ऊर्जा बाज़ारों पर अपना प्रभाव खो सकता है और दक्षिण काकेशस में बढ़ते सुरक्षा ख़तरों और कनेक्टिविटी की समस्याओं का सामना कर सकता है. तेहरान और मास्को के साथ अपने तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए, TRIPP कॉरिडोर अज़रबैजान के इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) के पश्चिमी मार्ग को कम प्रासंगिक बना सकता है. TITR के महत्व को पहचानते हुए, बीजिंग ने ब्लैक सी में जॉर्जियाई बंदरगाह को विकसित करके और अज़रबैजान के साथ अपने आर्थिक संबंधों को गहरा करके इस मार्ग पर अपने प्रभाव को मजबूत करने की पहल की है. लेकिन फिर भी TRIPP कॉरिडोर से चीन निर्मित मार्गों पर निर्भरता कम होने की संभावना है.
जैसे-जैसे दक्षिण काकेशस क्षेत्र में नई शक्ति के उभरने की आहट सामने आई है, ईरान ने TRIPP कॉरिडोर गलियारे को राजनीतिक विश्वासघात का एक रूप बताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
जैसे-जैसे दक्षिण काकेशस क्षेत्र में नई शक्ति के उभरने की आहट सामने आई है, ईरान ने TRIPP कॉरिडोर गलियारे को राजनीतिक विश्वासघात का एक रूप बताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है. ईरान और रूस के बीच स्ट्रेटेजिक गठबंधन होने के बावजूद, तेहरान ने, रूस की परवाह किए बिना, कॉरिडोर को अवरुद्ध करने की धमकी दी है. ईरान के सर्वोच्च नेता के एक शीर्ष सलाहकार ने यह भी कहा है कि कॉरिडोर ट्रंप के भाड़े के सैनिकों के लिए प्रवेश द्वार के रूप में नहीं, बल्कि उनके लिए कब्रिस्तान का काम करेगा.
दूसरी ओर, रूस को आने वाले समय में दक्षिण काकेशस में बढ़ती स्ट्रेटेजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा जिसने INSTC में भारी निवेश किया है. शांति समझौते से इसके दक्षिणी काकेशस क्षेत्र में अमेरिका और नाटो का प्रभाव बढ़ेगा. हालांकि, यूक्रेन के साथ मास्को की निरंतर व्यस्तता और संघर्ष के समाधान के लिए राष्ट्रपति पुतिन और ट्रंप के बीच चल रही बातचीत को देखते हुए रूस ने अभी तक इस पर आधिकारिक रूप से प्रतिक्रिया नहीं दी है जबकि आर्मेनिया के प्रधानमंत्री पहले ही रूस के राष्ट्रपति को शांति समझौते के बारे में सूचित कर चुके हैं. पुतिन ने परिवहन कॉरिडोर को फिर से खोलने सहित 2020 और 2022 के त्रिपक्षीय समझौतों के आधार पर अज़रबैजान और आर्मेनिया के बीच पूरी तरह से सामान्य स्थिति बहाल करने में मदद करने की इच्छा व्यक्त की है.
शांति समझौता ट्रंप को विश्व मंच पर अपने राजनीतिक कौशल का दावा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है. इस समझौते के बाद आर्मेनिया और अज़रबैजान दोनों ट्रंप की नोबेल शांति पुरस्कार की उम्मीदवारी का पाकिस्तान के साथ खुले तौर पर समर्थन करते नज़र आए. यह इस बात का भी सूचक है कि TRIPP कॉरिडोर एक परिवहन मार्ग से कहीं अधिक है. यह ट्रंप की राजनीतिक विरासत के लिए एक राजनीतिक बैंडवैगन से कम नहीं है. हालांकि, क्षेत्रीय प्रभाव के लिए तेजी से बढ़ती जियोपॉलिटिकल प्रतिस्पर्धा को देखते हुए, आने वाले दिनों में यह पता चलेगा कि क्या यूरेशिया के केंद्र में अमेरिका एक नई शक्ति के रूप में उभरेगा या फिर आगे इस क्षेत्र में संघर्ष बढ़ेंगे जो तीव्र प्रतिद्वंद्विता के साथ होना स्वाभाविक है.
अयजाज़ वानी (PhD) ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में स्ट्रैटेजिक स्टडीज प्रोग्राम में फेलो हैं.
The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.
Ayjaz Wani (Phd) is a Fellow in the Strategic Studies Programme at ORF. Based out of Mumbai, he tracks China’s relations with Central Asia, Pakistan and ...
Read More +