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जनसांख्यिकीय (डेमोग्राफिक) और आर्थिक विकास से प्रेरित शहरीकरण की तेज़ गति के कारण निजी गाड़ियों के इस्तेमाल में बढ़ोतरी हुई है. इसकी वजह से भारत के शहरों की परिवहन प्रणाली की स्थिरता से समझौता हुआ है. वैसे तो टिकाऊ शहरी आवागमन को हासिल करने के लिए सार्वजनिक परिवहन महत्वपूर्ण है लेकिन निजी और अनौपचारिक परिवहन के साधनों से प्रतिस्पर्धा के कारण उसका असर अक्सर कमज़ोर होता है. ऐसे में एक समन्वित और एकीकृत मल्टीमॉडल परिवहन प्रणाली, जिसमें सार्वजनिक, निजी और पाराट्रांज़िट (टैक्सी, कैब और ऑटो) शामिल हैं, की स्थापना टिकाऊ शहरी विकास के लिए महत्वपूर्ण है. एकीकृत मल्टीमॉडल परिवहन प्रणाली के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है जो भौतिक, काम-काज से जुड़ी, संस्थागत, सूचना संबंधी और किराए के एकीकरण के पहलुओं का समाधान करे. इनमें से सूचना संबंधी एकीकरण, जिसकी सुविधा ट्रिप प्लानर एप्लिकेशन के विकास के माध्यम से दी जा सकती है, एक प्रमुख व्यवस्थापक के रूप में सामने आता है.
ट्रिप प्लानर एक आधुनिक साधन है जो उपलब्ध सार्वजनिक परिवहन के विकल्पों का उपयोग करके शहरी माहौल के भीतर सुचारू मल्टीमॉडल यात्रा को आसान बनाने के लिए तैयार किया गया है. ये प्रणाली यात्रियों को शुरुआती बिंदु से लेकर गंतव्य तक अपनी यात्रा को व्यवस्थित करने में सहायता करती है. इस काम में ये दिन के किसी ख़ास समय को ध्यान में रखती है. साथ ही यात्रा का कुल समय, विस्तार से किराए की जानकारी और रूट की बारीकी जैसी आवश्यक सूचना भी देती है.
ट्रिप प्लानर एक आधुनिक साधन है जो उपलब्ध सार्वजनिक परिवहन के विकल्पों का उपयोग करके शहरी माहौल के भीतर सुचारू मल्टीमॉडल यात्रा को आसान बनाने के लिए तैयार किया गया है. ये प्रणाली यात्रियों को शुरुआती बिंदु से लेकर गंतव्य तक अपनी यात्रा को व्यवस्थित करने में सहायता करती है.
दुनिया के कई शहरों ने अपने निवासियों और बाहर से आने वाले लोगों की पहुंच और अनुभव में सुधार करने के लिए विशेष ट्रिप-प्लानिंग सॉल्यूशन विकसित किए हैं जो उनके अनूठे सार्वजनिक परिवहन के नेटवर्क के मुताबिक होते हैं. वैसे तो इन ट्रिप-प्लानिंग, जो क्षेत्रीय आवश्यकताओं और तकनीकी क्षमताओं से प्रेरित उनकी अनूठी विशेषता का प्रदर्शन करते हैं, को व्यापक तौर पर अपनाया गया है लेकिन वो आम तौर पर कई चुनौतियों का भी सामना करते हैं जैसे कि परिवहन के सभी साधनों का अधूरा एकीकरण, रियल-टाइम डेटा में गलतियां और यूज़र इंटरफेस डिज़ाइन से जुड़ी परेशानियां. फिर भी ये साधन समकालीन शहरी आवागमन के समाधानों का एक महत्वपूर्ण तत्व हैं जो सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों के भीतर कार्यकुशलता और सुविधा में बढ़ोतरी करते हैं.
एक आदर्श ट्रिप प्लानर के तत्व
“एकीकृत मल्टीमॉडल परिवहन प्रणाली के लिए नए दृष्टिकोण” पर ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन ग्लोबल पॉलिसी (ORF-GP) की श्रृंखला के हिस्से के तहत “दुनिया भर के शहरों में ट्रिप बनाने वालों के प्रदर्शन की समीक्षा” शीर्षक से पिछले दिनों एक रिसर्च लेख ने दुनिया भर के ट्रिप प्लानर की सफल केस स्टडी की पड़ताल की और उनकी समीक्षा के लिए व्यापक रूप-रेखा को सामने रखा. ये रूप-रेखा उन ज़रूरी विशेषताओं के बारे में बताती है जो एक प्रभावी ट्रिप प्लानर एप्लिकेशन में शामिल होनी चाहिए:
यात्रा की योजना: एप्लिकेशन उपयोग करने वालों को सार्वजनिक परिवहन के सभी उपलब्ध साधनों का इस्तेमाल करके अलग-अलग शुरुआती और गंतव्य स्थलों के बीच यात्रा की योजना बनाने का अधिकार दे. उसे आगमन एवं प्रस्थान और फीडर सेवाओं की उपलब्धता के बारे में रियल-टाइम जानकारी मुहैया करानी चाहिए और तारीख एवं समय के बारे में लचीलेपन की अनुमति देनी चाहिए. इसके अलावा उसे पूरे दिन की सेवा का समय और शहर के भीतर उल्लेखनीय आकर्षणों के बारे में जानकारी प्रस्तुत करनी चाहिए.
रियल-टाइम अपडेट: एप्लिकेशन ऐसा होना चाहिए जो समय में फेरबदल, सेवाओं में रुकावट (जैसे कि कम उपलब्धता या रूट में बदलाव) और अस्थायी रूप से बंद होने के बारे में उपयोग करने वालों को नोटिफिकेशन मुहैया कराए. देरी, सड़क बंद होने, ट्रैफिक की रफ्तार और क्रॉसिंग में लगने वाले समय के बारे में रियल-टाइम ट्रैफिक अपडेट तक पहुंच वेबकास्ट या विज़ुअल स्नैपशॉट के माध्यम से सुविधाजनक बनाना चाहिए. इसके अलावा पार्किंग की उपलब्धता और उस पर आने वाली लागत को रियल-टाइम रिपोर्टिंग में शामिल करना चाहिए.
साइकिल ट्रैक, फुटपाथ, उत्सर्जन क्षेत्रों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का नक्शा जैसी महत्वपूर्ण जानकारी सभी शहरों में साफ तौर पर मौजूद नहीं हैं. इसके अलावा दिव्यांगों के लिए ऑडियो मैप और समावेशी नेविगेशन टूल जैसी पहुंच से जुड़ी विशेषताएं पूरी तरह से गायब हैं.
मैपिंग की विशेषताएं: एप्लिकेशन को सक्रिय परिवहन मार्गों, साइक्लिंग की लेन, पैदल चलने वालों के रास्ते और कम उत्सर्जन वाले क्षेत्रों के बारे में बताना चाहिए. उसे अलग-अलग भाषाओं में पर्यटकों का नक्शा और दिव्यांगों के लिए विशेष रूप से तैयार नक्शा, जिसमें ऑडियो सक्षम नेविगेशन टूल शामिल हो, भी पेश करना चाहिए.
किराए की सूचना: प्लैटफॉर्म में किराए की जानकारी, ट्रिप में लगने वाली लागत का अनुमान, व्यक्तिगत भुगतान का विवरण, रिफंड की प्रक्रियाओं, छूट के अवसर, ट्रांज़िट कार्ड के एकीकरण और सुचारू मल्टीमॉडल यात्रा के लिए एकीकृत टिकटिंग सिस्टम भी शामिल होना चाहिए.
सहायता और समर्थन: मज़बूत सहायता और संपर्क प्रणाली महत्वपूर्ण है जिसमें FAQ (बार-बार पूछे जाने वाले सवाल), लाइव चैट सपोर्ट, कॉन्टैक्ट का विवरण, सोशल मीडिया तक लिंक और फीडबैक देने के लिए चैनल जैसी ख़ूबियां शामिल हों.
अतिरिक्त सूचना: एप्लिकेशन को सुरक्षा दिशा-निर्देशों, ट्रांज़िट इंटरचेंज लेआउट, दिव्यांगों के लिए उपलब्धता का विकल्प, प्लैटफॉर्म या गेट की जानकारी और सार्वजनिक सुविधाओं जैसे कि ATM या रेस्टरूम के बारे में सूचना से संबंधित संसाधन मुहैया कराना चाहिए.
भारतीय शहरों में ट्रिप प्लानर
अलग-अलग शहरों में भारतीय ट्रिप-प्लानर एप्लिकेशन की समीक्षा उनके काम-काज और पहुंच के बारे में महत्वपूर्ण कमियों को उजागर करती है. विशेष रूप से भारत के शहरों में ज़्यादातर ट्रिप-प्लानिंग एप्लिकेशन उपरोक्त रूप-रेखा के “अतिरिक्त सूचना” खंड में बताए गए आवश्यक संसाधन प्रदान करने में विफल हैं. साइकिल ट्रैक, फुटपाथ, उत्सर्जन क्षेत्रों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का नक्शा जैसी महत्वपूर्ण जानकारी सभी शहरों में साफ तौर पर मौजूद नहीं हैं. इसके अलावा दिव्यांगों के लिए ऑडियो मैप और समावेशी नेविगेशन टूल जैसी पहुंच से जुड़ी विशेषताएं पूरी तरह से गायब हैं. किसी के लिए दिलचस्पी वाली जगह (प्वाइंट ऑफ इंट्रेस्ट) पर जानकारी भी नहीं प्रदान की गई है.
मल्टीमॉडल परिवहन के दृष्टिकोण से देखें तो इन एप्लिकेशन में फीडर सेवाओं और उनके समय के बारे में महत्वपूर्ण डेटा उपलब्ध नहीं हैं. इसके परिणामस्वरूप जो लोग अपरिचित शहरों में सार्वजनिक परिवहन की सवारी के लिए इन एप्लिकेशन पर विश्वास करते हैं, उन्हें अक्सर निराशा और असुविधा का सामना करना पड़ता है.
ट्रिप-प्लानिंग एप्लिकेशन को यूज़र-फ्रेंडली, बहुभाषी और दिव्यांगजनों के लिए सुलभ होना चाहिए. बहुभाषी इंटरफेस भारत की भाषाई विविधता की आवश्यकता को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण हैं जबकि पहुंच के मानकों का पालन करने से समावेशिता सुनिश्चित होती है.
20 भारतीय शहरों, जैसा कि ऊपर बताए गए अध्ययन में प्रस्तावित है, में ट्रिप प्लानर के काम-काज का विश्लेषण चिंताजनक प्रवृत्ति का खुलासा करता है. जिन शहरों की समीक्षा की गई है, उनमें से कोई भी शहर “बहुत अच्छा” या “अच्छा” के रूप में प्रदर्शन रेटिंग हासिल करने में नाकाम रहा. दो शहरों- मुंबई और दिल्ली- के लिए ट्रिप प्लानर को “औसत” के रूप में रखा गया. चार शहरों- सूरत, कोलकाता, भोपाल और अहमदाबाद- को “ख़राब” प्रदर्शन रेटिंग मिली. चिंताजनक बात ये है कि बाकी 14 शहरों- वडोदरा, नासिक, नागपुर, चेन्नई, चंडीगढ़, बैंगलोर, कानपुर, प्रयागराज, आगरा, मथुरा, वाराणसी, इंदौर, अमृतसर, पुणे और भुवनेश्वर- के लिए ट्रिप प्लानर को “बहुत ख़राब” प्रदर्शन की श्रेणी के तहत रखा गया.
ये विश्लेषण उपयोगकर्ता के अनुभव को बढ़ाने और टिकाऊ शहरी आवागमन का समर्थन करने के लिए भारत के शहरों में ट्रिप-प्लानिंग एप्लिकेशन की क्वालिटी, व्यापकता और पहुंच में सुधार करने के लिए तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर देता है.
आगे का रास्ता
भारतीय शहरों में मल्टीमॉडल यात्रा के उद्देश्य से एक कुशल ट्रिप-प्लानिंग एप्लिकेशन तैयार करने के लिए एक समग्र और व्यवस्थित दृष्टिकोण की आवश्यकता है. ऐसे प्लैटफॉर्म के सफल कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित प्रमुख उपाय महत्वपूर्ण हैं:
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भारतीय शहरों को ऐसी नीतियां अपनानी चाहिए जो परिवहन के अलग-अलग साधनों- बस, मेट्रो सिस्टम, ऑटो-रिक्शा, उपनगरीय ट्रेन और ई-बाइक समेत- को एकीकृत डिजिटल प्लैटफॉर्म में जोड़ने को ज़रूरी बनाती हो. इस तरह का एकीकरण रूट, समय और किराए को लेकर यात्रियों तक रियल-टाइम जानकारी सुचारू रूप से सुनिश्चित करता है. सिंगापुर का माई ट्रांसपोर्ट प्लैटफॉर्म और लंदन का TFL (ट्रांसपोर्ट फॉर लंदन) जर्नी प्लानर जैसे सफल अंतर्राष्ट्रीय उदाहरण यात्रियों की सुविधा बढ़ाने में परिवहन संचालकों के बीच केंद्रीकृत डेटा साझा करने का महत्व बताते हैं.
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इनोवेशन को बढ़ावा देने और थर्ड-पार्टी एप्लिकेशन के विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए शहरों को खुली डेटा नीतियों को लागू करना चाहिए जिसके लिए परिवहन मुहैया कराने वालों को रूट, समय और यात्रियों की संख्या (ऑक्यूपेंसी रेट) को शामिल करते हुए मानकीकृत डेटासेट साझा करने की ज़रूरत होती है. हेलसिंकी और लॉस एंजिलिस जैसे शहरों के द्वारा अपनाई गई रूप-रेखा बताती है कि कैसे खुली डेटा की पहल आधुनिक मल्टीमॉडल ट्रिप-प्लानिंग सॉल्यूशन के विकास को सक्षम बना सकती है.
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आधुनिक तकनीकों जैसे कि GPS (ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में निवेश यात्रियों को देरी, ट्रैफिक की स्थिति और संभावित यात्रा के समय को लेकर रियल-टाइम अपडेट मुहैया कराने के लिए ज़रूरी है. रियल-टाइम जानकारी यात्रा से जुड़ी योजना की सटीकता और विश्वसनीयता में सुधार करके उपयोगकर्ता के अनुभव में महत्वपूर्ण रूप से बढ़ोतरी करती है. वैसे तो मौजूदा भारतीय एप्लिकेशन जैसे कि रिडलर (Ridlr) और चलो (Chalo) ने इस क्षेत्र में प्रगति की है लेकिन परिवहन के अलग-अलग साधनों के साथ उनको जोड़ने का काम अधूरा है.
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ट्रिप-प्लानिंग एप्लिकेशन को यूज़र-फ्रेंडली, बहुभाषी और दिव्यांगजनों के लिए सुलभ होना चाहिए. बहुभाषी इंटरफेस भारत की भाषाई विविधता की आवश्यकता को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण हैं जबकि पहुंच के मानकों का पालन करने से समावेशिता सुनिश्चित होती है. गूगल मैप जैसे वैश्विक प्लैटफॉर्म ये आवश्यक विशेषता प्रदान करने में मानक के तौर पर काम करते हैं.
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उपयोग करने वालों के बीच भरोसा बनाने के उद्देश्य से डेटा सुरक्षा और साइबर सुरक्षा के लिए सख्त नियम बनाए जाने चाहिए. डिजिटल प्लैटफॉर्म की बढ़ती पहुंच के साथ उपयोगकर्ता के डेटा को सुरक्षित रखना सबसे महत्वपूर्ण है ताकि दुरुपयोग या उल्लंघन को रोका जा सके. भारत के शहर मज़बूत डेटा सुरक्षा की रूप-रेखा तैयार करने के लिए यूरोपियन यूनियन के जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) से सबक सीख सकते हैं.
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लोगों को ट्रिप-प्लानिंग एप्लिकेशन के लाभों के बारे में शिक्षित करना और उनके विकास में हितधारकों को शामिल करना व्यापक स्तर पर उनके इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं. जागरूकता अभियान और फीडबैक के तौर-तरीके यूज़र की भागीदारी में सुधार करने में प्रभावी साबित हुए हैं जिसका पता सिंगापुर की स्मार्ट नेशन इनिशिएटिव से चलता है.
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अलग-अलग परिवहन सेवाओं और ट्रिप-प्लानिंग प्लैटफॉर्म के बीच समन्वय (इंटरऑपरेबिलिटी) सुनिश्चित करने के लिए शहरों को नियामक ढांचा स्थापित करना चाहिए. ये इंटरऑपरेबिलिटी मेट्रो नेटवर्क, बस सेवाओं और राइड-हेलिंग प्लैटफॉर्म (जैसे कि उबर, ओला) के बीच सुचारू समन्वय सुनिश्चित करती है जिसका प्रमाण टोक्यो जैसे शहरों में मिलता है जहां परिवहन सेवाएं मिल-जुलकर काम करती हैं.
इन रणनीतिक उपायों को लागू कर भारत के शहर मज़बूत, यूज़र-फ्रेंडली ट्रिप-प्लानिंग एप्लिकेशन विकसित कर सकते हैं जो मल्टीमॉडल यात्रा को सुव्यवस्थित करते हैं, शहरी भीड़ को कम करते हैं और सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के उपयोग को बढ़ावा देते हैं.
नंदन एच दावड़ा ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के अर्बन स्टडीज़ प्रोग्राम में फेलो हैं.
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