Author : Sauradeep Bag

Published on May 05, 2023 Updated 0 Hours ago

अगर भारत आविष्कार और निगरानी के नेतृत्व के बीच सही संतुलन बना लेता है, तो वो दुनिया के लिए डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस (विकेंद्रीकृत वित्त) के नियमन का आदर्श पेश कर सकता है.

भारत में अब डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस को परिभाषित करने का वक़्त आ गया है

ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में विकेंद्रीकृत वित्त अथवा  डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस का काफ़ी इस्तेमाल हो रहा है. बिटकॉइन की बुनियादी तकनीक से प्रेरणा लेने वाले डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस का मक़सद पारंपरिक वित्तीय मध्यस्थों के बीच उथल-पुथल पैदा करना है. क्योंकि ये किसी की संपत्ति पर सीधे नियंत्रण का अधिक अवसर प्रदान करता है. लेन-देन का विकेंद्रीकृत हिसाब रखने की ब्लॉकचेन की ख़ूबी का फ़ायदा उठाते हुए, डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस जटिल वित्तीय लेन-देन करने का एक ऐसा नया तरीक़ा उपलब्ध कराता है, जिनमें मानवीय माध्यम की केंद्रीकृत व्यवस्था की सीमाएं काम नहीं करती है.

आज नियमन करने वाले इस उद्योग को समझने और जोखिमों से निपटने के लिए अधिक सक्रिय भूमिका निभा रहे है. बैंकिंग सुविधा से महरूम भारत की विशाल आबादी और अधिक वित्तीय समावेश की इसकी ज़रूरतें, डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस को एक आकर्षक विकल्प बनाती है.

आज जब दुनिया में डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस उद्योग का तेज़ी से विस्तार हो रहा है, तो इसके नियमन को लेकर एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने से अनिश्चितताएं और चुनौतियां पैदा हुई हैं. मौजूदा चुनौतियों के बावजूद, भारत डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस के नियमन के मामले में दुनिया की अगुवाई कर सकता है. भारत ने ब्लॉकचेन तकनीक और डिजिटल संपत्तियों में काफ़ी दिलचस्पी दिखा रहे है. आज नियमन करने वाले इस उद्योग को समझने और जोखिमों से निपटने के लिए अधिक सक्रिय भूमिका निभा रहे है. बैंकिंग सुविधा से महरूम भारत की विशाल आबादी और अधिक वित्तीय समावेश की इसकी ज़रूरतें, डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस को एक आकर्षक विकल्प बनाती है.

 

डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस बनाम केंद्रीकृत वित्त

 

डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस (DeFi) और केंद्रीकृत वित्त (CeFI) असल में वित्तीय लेन-देन के अलग अलग तरीक़े है. डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल करके ऐसी वित्तीय व्यवस्था बनाता है, जो बैंकों या दूसरे वित्तीय संस्थानों जैसे मध्यस्थों के बग़ैर काम करती है. ये मॉडल विकेंद्रीकरण, पारदर्शिता और अचलता के मूल सिद्धांतों पर काम करती है, और इसका लक्ष्य, एक ऐसी अधिक खुली और समावेशी वित्तीय व्यवस्था बनाना है, जिस तक सभी की पहुंच हो. विकेंद्रीकृत नेटवर्कों और प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करते हुए डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस के ऐप इस्तेमाल करने वालों को क़र्ज़ देने, लेने, कारोबार करने और निवेश करने जैसी कई वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराते हैं.

 

वहीं दूसरी तरफ़, केंद्रीकृत वित्त परंपरागत वित्तीय मॉडल पर आधारित है, जिसमें वित्तीय लेन-देन करने में बैंक, वित्तीय संस्थान और नियमन संगठन जैसे मध्यस्थ, महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है. ये मॉडल आम तौर पर केंद्रीकृत होता है और इस पर एक संस्था का नियंत्रण होता है, जिससे वित्तीय सेवाओं तक पहुंच, उनका लचीलेपन और रफ़्तार सीमित हो जाती है.

 

डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस और केंद्रीकृत वित्त के बीच मुख्य अंतर प्रत्येक मॉडल में केंद्रीकरण के स्तर और नियंत्रण पर आधारित होता है. जहां तक डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस की बात है, तो वो अधिक खुली और डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंसीय व्यवस्था बनाना चाहती है. वहीं, केंद्रीकृत वित्त उस पारंपरिक दृष्टिकोण पर आधारित है, जहाँ वित्तीय लेन-देन की निगहबानी मध्यस्थों के हाथ में होती है.

 

आम सहमति बनाने का प्रयास

 

ऐसा लगता है कि डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस की लगातार बदलती दुनिया के नियमन को लेकर वैश्विक भागीदारों के बीच सहमति के अभाव के बजाय दुविधा अधिक नज़र आती है. अमेरिका और फ्रांस ने हाल ही में इस लगातार बढ़ते क्षेत्र की व्यापकता और प्रभाव के साथ साथ उसके संभावित ख़तरों के विश्लेषण का प्रयास किया था.


अमेरिका के वित्त विभाग ने भी हाल ही में डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस (DeFi) उद्योग के जोखिम का मूल्यांकन किया था. इस मूल्यांकन के दौरान कई चुनौतियां उजागर हुई थी. इस रिपोर्ट में उन डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस परियोजनाओं को लेकर चिंताएं जताई गई थीं जो अपने ग्राहक को जानने (KYC) और एंटी मनी लॉन्ड्रिंग (AML) के नियमों का पालन करने में नाकाम रहते हैं और ऐसी परियोजनाओं में सेंध लगने का ख़तरा बढ़ जाता है. रिपोर्ट में चेताया गया था कि पारदर्शी और ओपन सोर्स डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस परियोजनाओं की संभावित कमज़ोरियों का फ़ायदा उठाने की फ़िराक़ में रहने वाले हमलावर, इन व्यवस्थाओं में सेंध लगा सकते है. इसलिए, इस रिपोर्ट में ओपन सोर्स कोड की संभावित जोखिमों और कमज़ोरियों की पहचान करके उन्हें दूर करने, और ख़ास तौर से उन कमियों को दूर करने पर ज़ोर दिया गया था, जहां पर किसी अहम सेंधमारी की स्थिति में तुरंत बदलाव या डिएक्टिवेट करने की सुविधा हो.

बैंक ऑफ़ फ्रांस ने उन संतुलनों की तरफ़ इशारा किया है, जो नियामकों को विकेंद्रीकृत वित्त के नियमन के लिए बनाना चाहिए, ताकि आविष्कार की ज़रूरत का तालमेल सुरक्षा सुनिश्चित करने और जोखिम कम करने के साथ बनाएं.

इसी तरह, हाल ही में बैंक ऑफ फ्रांस के हालिया परिचर्चा लेख में डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस में अंतर्निहित ख़तरों से निपटने के लिए तमाम नियामक विकल्पों पर चर्चा की गई थी. प्रस्तावित नियमों का मक़सद, डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस के बिना मध्यस्थों वाला वित्त उपलब्ध कराने के ख़ास गुणों और कारकों के नियमन था. इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि ब्लॉकचेन के मूलभूत ढांचे की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए या तो सुरक्षा के न्यूनतम मानकों वाले सार्वजनिक ब्लॉकचेन को प्रमाणित किया जाए, या फिर वित्तीय कामकाज को निजी ब्लॉकचेन को हस्तांरित किया जाए, जिन्हें भरोसेमंद लोग चलाते है.

 

बैंक ऑफ़ फ्रांस ने उन संतुलनों की तरफ़ इशारा किया है, जो नियामकों को डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस के नियमन के लिए बनाना चाहिए, ताकि आविष्कार की ज़रूरत का तालमेल सुरक्षा सुनिश्चित करने और जोखिम कम करने के साथ बनाएं. इससे लगातार वृद्धि और इस क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के साथ साथ डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस के मंचों को सुरक्षित बनाने की अहमियत उजागर होती है.

 

कुल मिलाकर, दोनों रिपोर्ट्स में डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस की कमज़ोर स्थिति बयां करती है. ऐसी स्थिति जिसमें लगातार निगरानी और जोखिम कम करने को लेकर प्रतिबद्धता की ज़रूरत है. इनसे आविष्कार और अनुपालन के बीच एक नाज़ुक संतुलन बनाने की अहमियत के साथ साथ ऐसे पर्यावरण को पोषित करने की महत्ता रेखांकित होती है, जो उत्तरदायी विकास को बढ़ावा दे.

 

डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस के क्षेत्र में भारत का सफ़र 

 

भारत में डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस के नियमन का काम बहुत चुनौती भरा है. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) पहले क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चिंताएं ज़ाहिर कर चुका है. रिज़र्व बैंक ने अनियमित डिजिटल परिसंपत्तियों को लेकर भी ये कहते हुए कड़ा रुख़ अपनाया है, कि इनसे वित्तीय व्यवस्था के लिए बड़ा ख़तरा है. इसके अलावा रिज़र्व बैंक की ताज़ा वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट, क्रिप्टो संपत्तियों के मूल्य में भयंकर उतार-चढ़ाव की ओर इशारा करती है. G20 में अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत एक ऐसे वैश्विक नियामक ढांचे के विकास की कोशिश कर रहा है, जिसमें ग़ैर मान्यता प्राप्त क्रिप्टो संपत्तियों, स्टेबल कॉइन्स और डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस पर प्रतिबंध लगाया जा सके. इसके बावजूद अभी ये देखना बाक़ी है कि भारत किस तरह प्रभावी तरीक़े से डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस का नियमन कर सकता है, क्योंकि इनका स्वरूप ही विकेंद्रीकृत है.

 

चूंकि वैश्विक स्तर पर डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस के नियमन को लेकर आम सहमति नहीं है. इसलिए, अमेरिका और फ्रांस ने इस दिशा में पहल की है, और अब समय गया है कि भारत भी उनका अनुकरण करे. इनके बीच समान बात ये है कि अमेरिका और फ्रांस ने जोखिम का जो मूल्यांकन किया था, उससे सुरक्षा के मानक विकसित हो रहे है. भारत के नियामकों के लिए ये शुरुआत का आदर्श अवसर प्रदान करते है. सबसे पहली बाधा जिससे पार पाने की कोशिश की जानी चाहिए वो डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस को एंटी मनी लॉन्ड्रिंग के नियमों के पालन और आतंकवाद को वित्तीय मदद रोकने की होनी चाहिए. ये नियम मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी गतिविधियों के लिए पूंजी उपलब्ध कराने जैसे अपराधों की रोकथाम के लिए हैं, जिससे, वित्तीय संस्थानों के लिए अपने ग्राहकों की पहचान और उनका प्रमाणित करना आवश्यक हो जाता है, ताकि कोई संदिग्ध लेनदेन हो तो उसकी जानकारी उचित अधिकारियों को दी जा सके. ऐसी अवैध गतिविधियों के ख़तरे को कम करने के लिए भारत के नियामकों को AML को लागू करने और डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंसीय मंचों पर आतंकवाद को पूंजी उपलब्ध कराने (CFT) की रोकथाम को प्राथमिकता देनी चाहिए. इससे एक ऐसी रूपरेखा तैयार होगी, जिससे डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस के मंचों को अपने ग्राहक को जानने (KYC) की मज़बूत व्यवस्था और प्रक्रिया अपनाने को बाध्य होना होगा. फिर संदिग्ध लेनदेन की बारीक़ी से निगरानी और उनकी जानकारी देनी होगी और अन्य आवश्यक नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा

भारत में विकेंद्रीकृत वित्त का नियमन एक बहुत बड़ी चुनौती है जिसके लिए नियामक संस्थाओं और इस उद्योग के भागीदारों द्वारा एक साथ सघन प्रयास करने की ज़रूरत है. आविष्कार और अनुपालन के बीच संतुलन बनाना सर्वोच्च प्राथमिकता होगा.

भारतीय भागीदारों के लिए ऐसे नियम नए नहीं है. 7 मार्च को केंद्र सरकार ने एक राजपत्रित अधिसूचना जारी की थी, जिसमें वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों (VDA) से जुड़े मध्यस्थों और क्रिप्टो शेयर बाज़ारों के लिए अपने यूज़र्स और ग्राहकों का KYC प्रमाणन अनिवार्य कर दिया गया था. इन माध्यमों और शेयर बाज़ारों के लिए किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी भारत की वित्तीय खुफिया इकाई (FIU-IND) को देना अनिवार्य होगा.

 

भारत में डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस का नियमन एक बहुत बड़ी चुनौती है जिसके लिए नियामक संस्थाओं और इस उद्योग के भागीदारों द्वारा एक साथ सघन प्रयास करने की ज़रूरत है. आविष्कार और अनुपालन के बीच संतुलन बनाना सर्वोच्च प्राथमिकता होगा. इसी तरह ईमानदारी और नैतिक आचार के उच्च आदर्शों का पालन करने की भी ज़रूरत होगी. भारत ने डिजिटल सार्वजनिक हित के संसाधनों जैसे कि आधार और UPI को लागू करने में विश्व में अग्रणी स्थान हासिल किया है, ऐसे में डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस के नियमन में भारत की सफलता, पूरी दुनिया के लिए एक आदर्श बनेगी

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