Author : Vivek Mishra

Published on Jul 23, 2022 Updated 0 Hours ago

लाल सागर और इसके इर्द गिर्द बड़ी ताक़तों के बीच प्रभाव स्थापित करने की होड़ लगी है. हाल की भू-राजनीतिक घटनाओं ने इस इलाक़े की सामरिक अहमियत बहुत बढ़ा दी है.

#US and Red Sea: अमेरिका और लाल सागर की बदलती भू-राजनीति

हाल की दो घटनाए लाल सागर को लेकर बढ़ती भूराजनीतिक अहमियत को उजागर करती हैंइन बातों से पता चलता है कि लाल सागर का इलाक़ा बड़ी ताक़तों की आपसी राजनीति और क्षेत्रीय दुश्मनी का मैदान बन चुका हैअमेरिका ने यमन के इर्द गिर्द के सागरीय इलाक़े में हथियारों और ड्रग्स की तस्करी रोकने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक नई बहुराष्ट्रीय टास्क फोर्स स्थापित करने का फ़ैसला किया हैवहीं ईरान ने लाल सागर में अपनी उपस्थिति और मज़बूत बनाने का फ़ैसला किया हैइन दो फ़ैसलों से ज़ाहिर होता है कि लाल सागर और इसके आसपास भूराजनीतिक रस्साकशी और तेज़ होती जा रही है.

अमेरिका ने कंबाइंड टास्क फोर्स (CTF) 153 की स्थापना इसलिए की है, ताकि वो ‘लाल सागर, बाब अल मंदेब और अदन की खाड़ी वाले इलाकों में अंतरराष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा और क्षमता निर्माण की कोशिशों पर और ज़ोर दे सके.’ अमेरिका के इस फ़ैसले की एक वजह इस क्षेत्र में अपने हितों को साधने को लेकर उसका नया नज़रिया भी है.

कंबाइंड टास्क फोर्स की स्थापना

अमेरिका ने कंबाइंड टास्क फोर्स (CTF) 153 की स्थापना इसलिए की हैताकि वो ‘लाल सागरबाब अल मंदेब और अदन की खाड़ी वाले इलाकों में अंतरराष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा और क्षमता निर्माण की कोशिशों पर और ज़ोर दे सके.’ अमेरिका के इस फ़ैसले की एक वजह इस क्षेत्र में अपने हितों को साधने को लेकर उसका नया नज़रिया भी है. कंबाइंड टास्क फोर्स-153, बहरीन की राजधानी मनामा में स्थित कंबाइंड मैरीटाइम फोर्सेज़ का ही एक हिस्सा होगीये नई टास्क फोर्स पहले से काम कर रही तीन अन्य टास्क फ़ोर्स (CTF 150, 151, 152) की कोशिशों में मददगार होगीये तीनों टास्क फोर्स कंबाइंड मैरीटाइम फोर्सेज़ (CMF) के झंडे तले काम कर रही हैं. CTF-153 की स्थापना और CMF के भौगोलिक दायरे का विस्तारसामरिक रूप से बेहद अहम पश्चिमी हिंद महासागर के इलाक़े में समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने और ज़्यादातर ग़ैर पारंपरिक चुनौतियों का मुक़ाबला करने के लिहाज़ से काफ़ी उपयोगी होगा. I2U2 नाम वाले अमेरिकाभारतइज़राइल और संयुक्त अरब अमीरात के साझा समूह (क्वाड) की स्थापना से भी इन देशों को लाल सागर क्षेत्र में मिलकर काम करने का नया अवसर मिलेगाअहम बात ये है कि भारतीय नौसेना ने पिछले साल और इस साल भी लाल सागर इलाक़े में नौसैनिक अभ्यास किया था.

लाल सागर में ईरान की सेना की मौजूदगी, इन अरब देशों को मात देने के मक़सद से है. इसी कारण से इज़राइल की सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी बढ़ जाती हैं और ईरान को दुनिया के एक अहम व्यापारिक मार्ग पर उसकी सैन्य मोर्चेबंदी भी सुनिश्चित होती है.

एक और घटना ये हुई कि इज़राइल के रक्षा मंत्री बेनी गैंट्ज़ ने लाल सागर क्षेत्र में ईरान की सेना की मौजूदगी को लेकर चिंता जताई हैगैंट्ज़ ने कहा कि, ‘पिछले कई महीनों के दौरान हमने इस इलाक़े में ईरान की सेना की बेहद अहम मौजूदगी का पता लगाया हैजो पिछले एक दशक में सबसे अधिक है.’ 2015 के बाद जब से यमन में जंग ने रफ़्तार पकड़ी हैतब से लाल सागर के इलाक़े में ईरान की सैन्य उपस्थिति में काफ़ी इज़ाफ़ा हो गया हैईरान इसके ज़रिए यमन के हूथी बाग़ियों को मदद पहुंचाता हैलेकिनउसकी मौजूदगी अरब देशों और इज़राइल के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गई हैईरान के परमाणु कार्यक्रम और पूरे मध्यपूर्व में उसकी बेहद आक्रामक क्षेत्रीय नीतियों ने सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों के साथ उसकी सामरिक प्रतिद्वंदिता को और बढ़ाने का ही काम किया हैलाल सागर में ईरान की सेना की मौजूदगीइन अरब देशों को मात देने के मक़सद से है. इसी कारण से इज़राइल की सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी बढ़ जाती हैं और ईरान को दुनिया के एक अहम व्यापारिक मार्ग पर उसकी सैन्य मोर्चेबंदी भी सुनिश्चित होती है.

लाल सागर में कई देशों की बढ़ती फौजी मौजूदगी

पिछले कुछ वर्षों के दौरान वैश्विक और क्षेत्रीय ताक़तों ने लाल सागर के इर्द गिर्द आबाद देशों में अपने सैनिक अड्डे बनाए हैंकुल सात देशों की सीमाएं लाल सागर से लगती हैंपश्चिमी सीमा पर मिस्रसूडानइरिट्रिया और जिबूती हैं तो पूरब में सऊदी अरब और यमन हैंइस सामरिक समुद्री मार्ग के उत्तरी पश्चिमी कोने पर इज़राइल का एइलैट बंदरगाह स्थित हैइनमें से मिस्रइज़राइल और सऊदी अरब तो अपने आप में बड़ी क्षेत्रीय ताक़त हैंवहींबाक़ी के चार देश कमज़ोरग़रीबउथलपुथल के शिकार और मुश्किल में फंसे हैंऐसे इलाक़े में अगर क्षेत्रीय और वैश्विक सैन्य ताक़तें अपनी गतिविधियां बढ़ा रही हैंतो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए.

लाल सागर में अमेरिका, रूस और चीन की मौजूदगी इस इलाक़े में महाशक्तियों के बीच तेज़ी से बढ़ रही भू-सामरिक होड़ की तरफ़ इशारा करती है.

रूस ने सूडान में अपना नौसैनिक अड्डा बनाने की योजना का एलान किया हैवहींचीन ने जिबूती में अपना फौजी अड्डा बना रखा हैइन देशों द्वारा लाल सागर इलाक़े में अपने सैनिक अड्डे बनाने की बड़ी वजह अपना प्रभाव बढ़ाना और सैन्य ठिकाना बनाना हैचीन के लिए 2011 में लीबिया और 2015 में यमन से निकासी ने उसे इस इलाक़े में एक सक्रिय सैनिक अड्डा स्थापित करने को प्रेरित कियाअमेरिका ने अपना एक सैनिक अड्डा जिबूती में बना रखा हैवहीं मिस्रइज़राइल और सऊदी अरब के साथ उसके क़रीबी सामरिक संबंध हैंइसके अलावा CMF के रूप में बहुराष्ट्रीय कोशिशेंक्षेत्रीय भूराजनीति में अमेरिका की हैसियत को मज़बूत बनाती हैंलाल सागर में अमेरिकारूस और चीन की मौजूदगी इस इलाक़े में महाशक्तियों के बीच तेज़ी से बढ़ रही भू-सामरिक होड़ की तरफ़ इशारा करती है.

यमन में युद्ध के नज़रिए से देखेंतो 2015 से ही संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरबईरान के समर्थन वाले हूथी बाग़ियों पर क़ाबू पाने और दक्षिणी लाल सागर में ईरान का प्रभाव कम करने की कोशिश कर रहे हैंदोनों देशों ने इस इलाक़े में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाने के साथसाथ सूडानजिबूती और इरिट्रिया के साथ साझेदारी बढ़ाकर ईरान की ताक़त को चुनौती देने की कोशिश की हैवहीं तुर्किये चाहता है कि वो सूडान के सुआकिन बंदरगाह का पुनर्निर्माण करेजिससे सोमालिया में उसकी मौजूदगी को और बल मिलेगामध्य पूर्व के ताक़तवर देशलाल सागर और इसके आसपास स्थित अफ्रीकी देशों की घरेलू राजनीति में बड़ी गहराई से जुड़े हुए हैंमध्य पूर्व के शक्तिशाली देशों के बीच क्षेत्रीय दुश्मनी ने भी लाल सागर की भूराजनीति को एक नया आयाम दिया है.

लाल सागर में तेज़ होनी ये होड़कई मामलों में हमें उपनिवेशवादी अतीत की याद दिलाती हैब्रिटेनइटली और फ्रांस के बीच लाल सागर पर अपना नियंत्रण स्थापित करने की ज़बरदस्त होड़ ने इन देशों को लाल सागर के तटीय देशों में अपने उपनिवेश स्थापित करने को मजबूर किया थाब्रिटेन ने मिस्रसूडानयमन और ब्रिटिश सोमालीलैंड पर अपना क़ब्ज़ा स्थापित किया थातो इटली का राज इरिट्रिया और उसके क़ब्ज़े वाले सोमालीलैंड इलाक़े पर थादक्षिणी लाल सागर में जिबूती के अपने सैन्य अड्डे के ज़रिए फ्रांस ने हमेशा से ही यहां की क्षेत्रीय भूराजनीति में अपनी मौजूदगी बनाए रखी हैइस इलाक़े में यूरोपीय संघ (EU) और नेटो (NATO) के शामिल होने के पीछे फ्रांस की बड़ी भूमिका रही हैयूरोपीय संघ ने ऑपरेशन अटलांटा के ज़रिए लाल सागर में अपनी मौजूदगी दर्ज कराईहै तो नेटो ने ऑपरेशन ओशन शील्ड के ज़रिए ये लक्ष्य हासिल किया हैसोमालिया में यूरोपीय संघ ने अपना एक प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित किया हुआ हैजो लाल सागर के काफ़ी क़रीब है

अमेरिका द्वारा लाल सागर के इलाक़े में अपनी सामरिक मौजूदगी बढ़ाने के पीछे दो मक़सद हैं: पहला तो ये कि इस क्षेत्र में उस सोच को बदलना कि इस इलाक़े में अमेरिका का प्रभाव घट रहा है. वहीं दूसरी वजह सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों को ये भरोसा दिलाना है कि वो उनके हितों के ख़िलाफ़ काम नहीं कर रहा है.

लाल सागर के इलाक़े में तमाम देशों की बढ़ती फौजी ताक़त के बावजूदलाल सागर इलाक़े से समुद्री यातायात बेरोकटोक जारी रहा हैलाल सागर के इर्द गिर्द बसे देशों ने इस इलाक़े में बड़ी शक्तियों की दिलचस्पी का अपने हित में बख़ूबी इस्तेमाल किया हैजिबूती का तो ख़र्च ही उन देशों से मिली रक़म से चलता हैजिन्होंने उसके यहां सैनिक अड्डे बना रखते हैंइरिट्रिया और सूडान ने क्षेत्रीय ताक़तों के साथ संवाद बढ़ाकर वैश्विक स्तर पर ख़ुद को अलग थलग किए जाने की चुनौती से पार पाने की कोशिश की हैहालांकि इस क्षेत्र को बाहरी ताक़तों के शामिल होने की क़ीमत भी चुकानी पड़ी हैयमन लंबे समय से चल रहे गृह युद्ध और क्षेत्रीय शक्तियों की आपसी खींचतान से बदहाल हो चका हैवहींजिबूती में अमेरिका और चीन के सैनिक अड्डे बेहद पासपास होने से भी चिंता बढ़ी है.

सामरिक मौजूदगी बढ़ाने का अमेरिकी मक़सद 

अमेरिका द्वारा लाल सागर के इलाक़े में अपनी सामरिक मौजूदगी बढ़ाने के पीछे दो मक़सद हैं: पहला तो ये कि इस क्षेत्र में उस सोच को बदलना कि इस इलाक़े में अमेरिका का प्रभाव घट रहा है. वहीं दूसरी वजह सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों को ये भरोसा दिलाना है कि वो उनके हितों के ख़िलाफ़ काम नहीं कर रहा है. इसके अलावाअमेरिका इन देशों से तेल का उत्पादन बढ़ाने में भी मदद चाह रहा हैताकि रूस यूक्रेन युद्ध के चलते तेल की क़ीमतों में आए उछाल से निपटा जा सकेइस इलाक़े में ईरान की बढ़ती फौजी मौजूदगी और परमाणु समझौते (JCPOA) को दोबारा ज़िंदा करने में देरी के साथ साथ रूस और और पश्चिमी ताक़तों के बीच बढ़ती प्रतिद्वंदिताइस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए मुफ़ीद नहीं है.

इस क्षेत्र में अपनी सामरिक मौजूदगी बढ़ाने का अमेरिका का फ़ैसलाअफ़ग़ानिस्तान से अपनी सेना बुलाने के बाद इस इलाक़े में उसकी गतिविधियां बढ़ाने की कोशिशों से भी मेल खाती हैंईरान द्वारा रूस से नज़दीकी बढ़ानेयमन के हूथी बाग़ियों को लगातार समर्थन देने और परमाणु समझौते (JCPOA) को दोबारा ज़िंदा करने की बातचीत के पटरी से उतरने की आशंका जैसे तमाम कारणों ने मिलकर अमेरिका को इस इलाक़े में अपनी सामरिक स्थिति इस तरह से मज़बूत बनाने को मजबूर किया हैजिससे कि वो पश्चिमी एशिया के तेज़ी से बदल रहे क्षेत्रीय समीकरणों और ख़ास तौर से अब्राहम समझौतों के बाद के हालात में भी मज़बूत बनाए रख सके.

1869 में स्वेज नहर के शुरू हो जाने के बाद से लाल सागर की सामरिक अहमियत कई गुना बढ़ चुकी हैस्वेज़ नहरलाल सागर को भूमध्य सागर से जोड़ती है और ये दुनिया के व्यापार के बेहद अहम समुद्री मार्गों में से एक हैपिछले साल जब एक विशाल कंटेनर जहाज़ एचएमएस एवर गिवेनस्वेज़ नहर में फंस गया था तो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था सदमे में  गई थीअमेरिका के अलावालाल सागर चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव का भी बेहद अहम हिस्सा हैलाल सागर में बड़ी शक्तियों की हाल में बढ़ी गतिविधियां इस बात की याद दिलाती हैं कि ये इलाक़ाव्यापार ही नहीं अन्य मामलों में भीदुनिया के लिए अहम बना हुआ है.

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Author

Vivek Mishra

Vivek Mishra

Vivek Mishra is Deputy Director – Strategic Studies Programme at the Observer Research Foundation. His work focuses on US foreign policy, domestic politics in the US, ...

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Contributor

Sankalp Gurjar

Sankalp Gurjar

Sankalp Gurjar is an Assistant Professor at the Department ofGeopolitics and International Relations Manipal Academy of Higher Education Udupi India. He works on International Relations ...

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