Published on Oct 30, 2020 Updated 0 Hours ago

समस्या ये है कि सरकार चाहती है कि ऐसे लोग काम पर लौटकर और अर्थव्यवस्था को बहाल करने के लिए ख़र्च करके ख़ुद को फिर से तैयार करें जैसा कि महामारी की शुरुआत से है, जिनके पास काम-काज के लिए कोई विकल्प नहीं है, उन्हें जोख़िम लेना होगा.

कोविड-19 को लेकर यूनाइडेट किंगडम का रुख़: वही ब्रिटिश त्रासदी (और सामूहिक इनकार)

दुनिया के टॉप 20 देशों की रैंकिंग में आना आम तौर पर जश्न की वजह होती है लेकिन उस वक़्त नहीं जब ये रैंकिंग कोविड-19 महामारी से सबसे ज़्यादा प्रभावित 20 देशों की हो. सितंबर की शुरुआत के आंकड़ों के मुताबिक़ यूनाइटेड किंगडम- जो इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड को मिलाकर बना है- में 3,47,152 कोविड-19 के केस हैं, 41,552 लोगों की मौत हो चुकी है. [1]  इनमें से 89 प्रतिशत मौतें इंग्लैंड में हुई हैं. [2]

UK और अमेरिका का सबसे ज़्यादा प्रभावित देशों में होना उनके नागरिकों और वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए हैरान करने वाला है. न्यूक्लियर थ्रेट इनिशिएटिव, जॉन्स हॉपकिन्स सेंटर फॉर हेल्थ सिक्युरिटी और इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट की तरफ़ से साझा तौर पर विकसित 2019 के ग्लोबल हेल्थ सिक्युरिटी इंडेक्स में अमेरिका (100 में से 83.5 स्कोर के साथ) के बाद UK (100 में से 77.9)  की रैंकिंग दूसरी थी.[3] दोनों देशों के विनाशकारी अनुभव के बाद इंडेक्स बनाने वालों ने अप्रैल के मध्य में सफ़ाई दी कि उनके सभी इंडिकेटर में सभी देशों ने ख़राब प्रदर्शन किया था. इसलिए सबसे अच्छी रैंकिंग वाले देशों की तैयारी भी वास्तव में ख़राब थी. [4] ये साफ़ नहीं है कि तीनों संस्थान इंडेक्स को लेकर क्यों आगे बढ़े और उन्होंने देशों की रैंकिंग क्यों की जब 100 में से 83.5 के उच्चतम स्कोर का मतलब वैश्विक विनाशकारी जैविक जोख़िम के लिए ठीक ढंग से तैयार नहीं होना है. साफ़ तौर पर इंडेक्स के लिए मेट्रिक्स और मक़सद पर फिर से विचार की ज़रूरत है.

संख्य़ा

महामारी के लिए तैयारी की योजना के मेट्रिक्स और दूसरे स्वास्थ्य सुरक्षा इंडेक्स के उलट कुछ ऐसी संख्या हैं जो ऐसा सच बताती हैं जो सामान नहीं हैं जैसे कि मौत. UK सरकार के सूत्रों के मुताबिक़ कोविड-19 की वजह से आधिकारिक मौतों की संख्या 41,552 है. इन मौतों में सिर्फ़ वही लोग शामिल हैं जो पॉज़िटिव पाए जाने के 28 दिनों के बाद मरे हैं. एक दिन में सबसे ज़्यादा मौतें 8 अप्रैल 2020 को हुई जब 1,445 लोग मरे.[5] लेकिन एक और कैलकुलेशन के मुताबिक़ UK में महामारी की शुरुआत के समय से क़रीब 65,700 ज़्यादा मौतें हुईं. (ऐसी मौतें जो पिछले वर्षों की मौतों के औसत से ज़्यादा हैं) [6] मौतों के रिकॉर्ड के आधार पर इस आंकड़े में वो मौतें भी शामिल हैं जो अस्पताल के बाहर हुई हैं, टेस्ट के साथ या बिना टेस्ट के, और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोविड-19 की वजह से. चाहे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष वजह से हो, और कोई किसी भी तरह के मौतों के आंकड़े को चुने, लेकिन जो चीज़ साफ़ है वो ये है कि UK दुनिया के उन देशों में शामिल है जहां सबसे ज़्यादा मौतें हुई हैं.[7] महत्वपूर्ण बात ये भी है कि महामारी के आर्थिक और सामाजिक नतीजों और जो नीतियां लागू की जा रही हैं, उनकी वजह से भी मौतें और दूसरी बीमारियां होंगी.[8]

राजनीति

इस महामारी ने UK में रहने वाले लोगों को संघीय और दूसरे स्तर के अलग-अलग संस्थानों के बारे में असली शिक्षा दी है. कुछ लोगों के लिए ब्रेक्सिट का मतलब ब्रसेल्स मुख्य़ालय वाले यूरोपियन यूनियन (EU) से छुटकारा है या लंदन में केंद्रीय सरकार के ऊपर एक विदेशी सरकार है. लेकिन जब प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और दूसरे ब्रेक्सिट समर्थक EU से अलग होने के जश्न की तैयारी कर रहे थे, उसी वक़्त महामारी ने UK में दस्तक दी. कुछ लोगों का कहना है कि जॉनसन ने आने वाले ख़तरे के बारे में शुरुआती चेतावनी को तवज्जो नहीं दी क्योंकि वो ब्रेक्सिट को लेकर जश्न और बैठकों पर ज़्यादा ध्यान दे रहे थे. EU से अलग होने के बावजूद UK के लोगों ने सीख लिया है कि यूरोप के देशों और दूरदराज़ के देशों में होने वाली घटनाओं का अभी भी उनकी सेहत और सुख पर काफ़ी असर पड़ेगा.

 जब प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और दूसरे ब्रेक्सिट समर्थक EU से अलग होने के जश्न की तैयारी कर रहे थे, उसी वक़्त महामारी ने UK में दस्तक दी. कुछ लोगों का कहना है कि जॉनसन ने आने वाले ख़तरे के बारे में शुरुआती चेतावनी को तवज्जो नहीं दी क्योंकि वो ब्रेक्सिट को लेकर जश्न और बैठकों पर ज़्यादा ध्यान दे रहे थे. 

महामारी ने सामान्य नागरिकों को भी UK में शासन की संरचना के बारे में काफ़ी कुछ सिखा दिया है. केंद्र के साथ-साथ उत्तरी आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स की सरकारों के अलावा स्थानीय सरकारों के बारे में भी लोगों को सीखने को मिला. ऐसा इसलिए क्योंकि अलग-अलग संगठन और प्राधिकरण बिना किसी समस्या के साथ काम नहीं करते हैं, उनके बीच टकराव साफ़ ज़ाहिर होता है. उदाहरण के लिए, जब शुरुआत में महामारी की नीति घोषित की गई तो साइंटिफिक एडवाइज़री ग्रुप फॉर इमरजेंसीज़ (SAGE) के बारे में पारदर्शिता नहीं थी. विशेषज्ञों के इस ग्रुप का मक़सद ताज़ा आंकड़ों का मूल्यांकन और इंग्लैंड के मुख्य़ वैज्ञानिक सलाहकार और मुख्य़ चिकित्सा अधिकारी को नीतियों की सिफ़ारिश करना था जहां से ये सिफ़ारिशें प्रधानमंत्री के पास जातीं. जॉनसन और उनके सलाहकार शुरू में ‘हर्ड इम्युनिटी’ हासिल करने की नीति पर चलना चाहते थे. इसकी वजह से तुरंत ये सवाल उठा कि क्या SAGE में कोई सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ है भी या नहीं. जब गार्जियन अख़बार में लीक के ज़रिए ग्रुप की सदस्यता का ख़ुलासा हुआ तो दो बातें साफ़ हो गईं. पहली ये कि वाकई पर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञता की कमी है और दूसरी ये कि ग्रुप में प्रधानमंत्री के राजनीतिक सलाहकार भी शामिल हैं. इसका मतलब ये हुआ कि ग्रुप के फ़ैसले सिर्फ़ विज्ञान की जगह राजनीति से भी प्रभावित थे.[9] इसकी वजह से ये सवाल उठा कि क्या ये ग्रुप अपने मक़सद के मुताबिक़ सही है. साथ ही मुख्य़ चिकित्सा और वैज्ञानिक अधिकारियों की क्षमताओं पर भी सवाल उठे. .[10]

SAGE की सदस्यता के मुद्दे, अपनाई जा रही नीतियों और कोविड-19 की वजह से जॉनसन के अस्पताल में भर्ती होने के बाद अस्पष्ट नेतृत्व के जवाब में पूर्व प्रधानमंत्रियों टोनी ब्लेयर और गॉर्डन ब्राउन के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार रहे सर डेविड किंग ने इंडिपेंडेंट SAGE के नाम से एक ग्रुप बनाया. ये वैज्ञानिकों का एक स्वतंत्र समूह था जो “UK सरकार और लोगों को सलाह मुहैया कराने के लिए साथ आया ताकि मौतों को कम किया जा सके और कोविड-19 संकट से उबरने में ब्रिटेन की मदद हो.”[11] एक मुद्दा जिसको इस ग्रुप ने शुरू में उभारा, वो था अश्वेत और अल्पसंख्यक जातीय आबादी समूहों में कोविड-19 की वजह से ज़्यादा लोगों की मौत.[12] जहां सरकार से अलग विशेषज्ञों के इस समूह का स्वागत किया गया है, वहीं एक दृष्टिकोण ये भी है कि इस समूह में ज़्यादातर लोग मुख्य़ विपक्षी पार्टी (लेबर) से जुड़े हुए हैं. [13]

कोविड-19 से ठीक होने और काम पर लौटने के बाद जॉनसन नियमित संकट का सामना कर रहे हैं. हर हफ़्ते लगभग एक नया संकट. कभी उनके राजनीतिक सलाहकार सेल्फ-आइसोलेशन के दौरान घर पर रहने का आदेश नहीं मानते हैं [14] तो कभी ख़राब योजना के मुताबिक़ टेस्टिंग होती है [15], कभी केयर होम में ज़्यादा मृत्यु दर [16], कभी शारीरिक दूरी की गाइडलाइंस [17]  तो कभी स्कूल खोलने की योजना. [18]

पैसा

कोविड-19 से UK में पहली मौत की पुष्टि 5 मार्च को हुई थी, उसके 20 दिन बाद (26 मार्च को) संपूर्ण लॉकडाउन लगाया गया. शुरुआत में लॉकडाउन तीन हफ़्तों के लिए था. घर पर रहने के आदेश का मक़सद बीमारी को फैलने से रोकना था. लोग अपने घरों से सिर्फ़ ज़रूरी ख़रीदारी, कसरत, इलाज कराने, बुजुर्गों की देखभाल करने और ज़रूरी काम करने के लिए निकल सकते थे. इस आदेश का मतलब लोगों की सेहत की रक्षा करना था लेकिन इसकी वजह से सामाजिक काम-काज के दूसरे पहलू भी थम गए जिनमें आर्थिक गतिविधि सबसे प्रमुख है. ऐसे कारोबार और गतिविधियां जहां कर्मचारी घर से काम नहीं कर सकते थे- जैसे उत्पादन, शिक्षा और खेल-कूद- वहां काम-काज पूरी तरह से रुक गया और नतीजतन भारी नुक़सान का सामना करना पड़ा. कोई भी क्षेत्र जहां लोगों के आए बिना काम नहीं हो सकता था, वहां काफ़ी नुक़सान हुआ. इनमें पर्यटन, होटल, कला और मनोरंजन शामिल हैं. ऐसा अनुमान लगाया गया कि जून के आख़िर तक GDP में 20 प्रतिशत की गिरावट आई और 2,75,000 नौकरियां छिन गईं. [19]

छोटे और बड़े कारोबार और UK की अर्थव्यवस्था की बहाली की उम्मीदें ऋषि सुनक के हाथों में है जो 13 फरवरी को वित्त मंत्री बने थे. कुल मिलाकर UK सरकार ने कोविड-19 से निपटने के लिए तात्कालिक वित्तीय प्रोत्साहन के रूप में 175 अरब पाउंड ख़र्च करने का एलान किया. [20] सुनक ने पहला आर्थिक एलान 30 अरब पाउंड के पैकेज के रूप में 11 मार्च को किया जिसमें से 12 अरब पाउंड महामारी के आर्थिक असर को दूर करने के लिए था. इसके फ़ौरन बाद उन्होंने कारोबार की मदद और काम-काज से दूर लोगों को सब्सिडी के लिए 330 अरब पाउंड के एक और पैकेज का एलान किया. जुलाई में 30 अरब पाउंड के एक और कार्यक्रम का एलान किया गया जिनमें 5 लाख पाउंड से कम की संपत्ति की बिक्री पर रोक, VAT में कमी और कर्मचारियों को नहीं हटाने वाले व्यवसायों को बोनस शामिल थे. दूसरे विश्व युद्ध के बाद मार्च से सरकारी ख़र्च सबसे ज़्यादा हुआ. कंज़र्वेटिव पार्टी के हिसाब से ये असाधारण था.

कोविड-19 की वजह से वित्तीय ख़र्च के कारण पहली बार UK सरकार का कर्ज़ 2 ट्रिलियन पाउंड से ज़्यादा हो गया. [21] सुनक ने पहले ही संकेत दे दिए हैं कि वो सर्दियों में संक्रमण की दूसरी लहर की तैयारी कर रहे हैं. [22]  सामान्य हालात जल्दी नहीं होने वाले हैं और सरकार को ज़रूरत के मुताबिक़ दखल देने के लिए तैयार रहना होगा.

छोटे और बड़े कारोबार और UK की अर्थव्यवस्था की बहाली की उम्मीदें ऋषि सुनक के हाथों में है जो 13 फरवरी को वित्त मंत्री बने थे. कुल मिलाकर UK सरकार ने कोविड-19 से निपटने के लिए तात्कालिक वित्तीय प्रोत्साहन के रूप में 175 अरब पाउंड ख़र्च करने का एलान किया

लोग

स्थापित वैज्ञानिक सिद्धांतों के आधार पर महामारी के सफ़र का नक्शा- जिसमें खोज/इनकार के चरण, दहशत, जवाब, ठीक होना शामिल हों- बनाने पर देखा जा सकता है कि दुनिया भर में लोग कोविड-19 पर किस तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं. [23] UK में लोग शुरुआती समय में ख़तरे की गंभीरता को समझने में नाकाम रहे. लेकिन इटली का अनुभव, ख़ासतौर पर भीड़-भाड़ वाले अस्पताल और ताबूत से भरे ट्रकों की डराने वाली तस्वीरों से यहां के लोगों तक संदेश गया. जल्दी ही किराने की दुकानों का स्टॉक खाली हो गया और सड़कों पर सिर्फ़ एंबुलेंस की आवाज़ें सुनाई देने लगीं. लोग  तुरंत ही स्वास्थ्य संकट को समझ गए और वो महामारी से लड़ने में मोर्चे पर तैनात स्वास्थ्यकर्मियों की सामूहिक सराहना में जुट गए.

कोविड-19 की वजह से वित्तीय ख़र्च के कारण पहली बार UK सरकार का कर्ज़ 2 ट्रिलियन पाउंड से ज़्यादा हो गया. [21] सुनक ने पहले ही संकेत दे दिए हैं कि वो सर्दियों में संक्रमण की दूसरी लहर की तैयारी कर रहे हैं. [22]  सामान्य हालात जल्दी नहीं होने वाले हैं और सरकार को ज़रूरत के मुताबिक़ दखल देने के लिए तैयार रहना होगा.

UK के ज़्यादातर नागरिकों और निवासियों को ये समझ में आ गया कि संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए आदतों में बदलाव लाना होगा. चाहे वो घर के भीतर रहना हो, घर में बुजुर्गों, बच्चों को बचाना हो या मास्क पहनना हो. लेकिन ज़्यादातर दूसरे देशों की तरह यहां भी लोगों का एक समूह है जो अभी भी महामारी के वजूद से इनकार करता है और इसके पहलुओं को लेकर अलग-अलग साज़िशों के सिद्धांत का प्रचार करता है. लोगों के कुछ समूह ऐसे भी हैं जो कोविड-19 वैक्सीन के इस्तेमाल के ख़िलाफ़ हैं. जब वैक्सीन तैयार हो जाएगी तो ऐसे समूह बड़ी समस्या बन जाएंगे.

नौकरी में कमी और मंदी पूरी तरह UK के नौजवानों के आर्थिक और मनोवैज्ञानिक सुख पर असर डालेगी और इसका असर राजनीति पर भी होगा. जो लोग घर से काम कर रहे हैं या नौकरी जाने की वजह से जिन्हें सरकारी मदद पर निर्भर होना पड़ा है, उन्होंने ख़ुद को हालात के मुताबिक़ तैयार कर लिया है.

नेताओं और विशेषज्ञों के बदले UK के एक औसत निवासी ने किस तरह जवाब दिया, इसको देखने से साफ़ होता है कि ये सिर्फ़ एक स्वास्थ्य संकट नहीं है. ये समान मात्रा में राजनीतिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक संकट भी है. हर व्यक्ति और परिवार के लिए हालात ने ज़रूरी कर दिया कि वो सरकार के साथ संबंधों के बारे में विचार करे- क्या सरकार भरोसे के काबिल है? [24]  क्या सरकार वो काम कर रही है जो उसे करना चाहिए? क्या इस संकट के दौरान मेरा, मेरे परिवार और दोस्तों का सही ढंग से इलाज हो रहा है? लोग इन सवालों का किस तरह से जवाब दे रहे हैं उससे बेशक आने वाले वर्षों में UK की राजनीति पर असर और बदलाव होगा. नौकरी में कमी और मंदी पूरी तरह UK के नौजवानों के आर्थिक और मनोवैज्ञानिक सुख पर असर डालेगी और इसका असर राजनीति पर भी होगा. जो लोग घर से काम कर रहे हैं या नौकरी जाने की वजह से जिन्हें सरकारी मदद पर निर्भर होना पड़ा है, उन्होंने ख़ुद को हालात के मुताबिक़ तैयार कर लिया है. समस्या ये है कि सरकार चाहती है कि ऐसे लोग काम पर लौटकर और अर्थव्यवस्था को बहाल करने के लिए ख़र्च करके ख़ुद को फिर से तैयार करें. जैसा कि महामारी की शुरुआत से है, जिनके पास काम-काज के लिए कोई विकल्प नहीं है, उन्हें जोख़िम लेना होगा. वहीं दूसरे लोग जो घर पर हैं वो ऑनलाइन ख़रीदारी के साथ सुरक्षित समय का इंतज़ार कर सकते हैं. लेकिन हर जगह अभी भी कोविड से संक्रमित होने और इसके नतीजों को भुगतने का डर बना हुआ है. [25]

यह लेख मूलरूप से रिबूटिंग द वर्ल्ड में प्रकाशित हो चुका है.

[1] Public Health England and NHSX. Coronavirus (COVID-19) in the UK. Public Health England, 2020.

[2] UK COVID-19 Statistics.

[3] “The Global Health Security Index”. GHS Index, October, 2019.

[4] “The U.S. and COVID-19: Leading the World by GHS Index Score, Not by Response.” GHS Index, April 27, 2020.

[5] Robert Booth, and Pamela Duncan. “Nearly 1,500 Deaths in One Day: UK Ministers Accused of Downplaying Covid-19 Peak.” The Guardian, June 19, 2020.

[6] Cale Tilford, Martin Stabe, Steven Bernard, Aleksandra Wisniewska, Joanna S Kao, John Burn-Murdoch, Max Harlow, David Blood, Alan Smith, and Adrienne Klasa. “Coronavirus Tracked: the Latest Figures as Countries Fight Covid-19 Resurgence: Free to Read.” Financial Times, September 2, 2020.

[7] Cross, Ghaith Aljayyoussi; Kate. “Revealed: How, on Every Measure, Britain’s Response to the Covid Pandemic Has Been Woeful.” The Telegraph, August 30, 2020.

[8] Michael Marmot, “Society and the Slow Burn of Inequality”, The Lancet, May 2, 2020.

[9] Severin Carrell, David Pegg, Felicity Lawrence, Paul Lewis, Rob Evans, David Conn, Harry Davies, and Kate Proctor. “Revealed: Dominic Cummings on Secret Scientific Advisory Group for Covid-19.” The Guardian, April 24, 2020.

[10] Kupferschmidt Kai, “U.K. Government Should Not Keep Scientific Advice Secret, Former Chief Adviser Says.” Science, May 11, 2020.

[11] “What is Independent Sage?”, Independent Sage, August 3, 2020.

[12]  “Disparities in the impact of Covid-19 in black and minority ethnic populations: review of the evidence and recommendations for action”, Independent Sage, July 3, 2020.

[13] Guy Adams, “Ex-Science Tsar Sir David King Told Us to Switch to Diesel.” Daily Mail, May 5, 2020.

[14] Steve Bird, “Did Dominic Cummings Actually Break Any Lockdown Rules?” The Telegraph, May 23, 2020.

[15] James Ball, “The UK’s Contact Tracing App Fiasco Is a Master Class in Mismanagement”, MIT Technology Review, June 19, 2020.

[16] Katie Grant, “Care Home Coronavirus Deaths ‘Being Kept Secret to Protect Providers’.” inews, August 27, 2020.

[17] Heather Stewart, “Boris Johnson Ditches 2m Physical Distancing Rule in England for ‘1m-plus’.” The Guardian, June 23, 2020.

[18] Toby Young, “The Government’s Cowardly U-Turn on Schools Is a Fiasco.” The Telegraph, June 10, 2020.

[19] Antonio Voce, Ashley Kirk, and Richard Partington. “UK Coronavirus Job Losses: the Latest Data on Redundancies and Furloughs.” The Guardian, August 18, 2020.
Delphine Strauss, “UK Sheds Nearly 750,000 Jobs during Coronavirus Crisis.” Financial Times, August 11, 2020,

[20] Julia Anderson, Enrico Bergamini, Sybrand Brekelmans, Aliénor Cameron, Zsolt Darvas, Marta Domínguez Jíménez, Catarina Midões. “The Fiscal Response to the Economic Fallout from the Coronavirus.” Bruegel, August 5, 2020.

[21] Andrew Atkinson, David Goodman, and Alex Morales, “U.K. Government Debt Tops 2 Trillion Pounds for First Time”, Bloomberg, August 21, 2020.

[22] George Parker, “Sunak Weighs Delaying Autumn Budget on Second Covid Wave”, Financial Times, August 11, 2020.

[23] “Truth About Coronavirus”, McCann Worldgroup, 2020.
Lucy Burns, “Elisabeth Kübler-Ross: The Rise and Fall of the Five Stages of Grief.” BBC News, July 2, 2020, https://www.bbc.co.uk/news/stories-53267505

[24] “Government Approval” YouGov

[25] “COVID-19 Fears.” YouGov, March 17, 2020.

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