Published on Jul 28, 2022 Updated 29 Days ago

इंटरनेट और शहरी नियोजन ऐतिहासिक रूप से न केवल परस्पर जुड़े हुए हैं, बल्कि दोनों ने एक-दूसरे के विकास को प्रभावित भी किया है.

स्मार्ट सिटी योजना की राह: शहरी नियोजन और सूचना प्रणाली का ऐतिहासिक सह-विकास

शहरी नियोजन में स्मार्ट सिटीज की अवधारणा वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web) के साथ पहली बार 1990 में  सामने आई. स्मार्ट सिटीज की अवधारणा की जड़ें शहरी नियोजन से जुड़ी हुई हैं, जबकि इंटरनेट लोगों की जानकारी और सूचनाओं के दस्तावेज़ों के संग्रह और उनके आदान-प्रदान की ज़रूरत के चलते सामने आया है. अलग-अलग मकसद के बावज़ूद, स्मार्ट सिटी और इंटरनेट दोनों सह-विकास के 100 साल के इतिहास के साझीदार हैं. यह सह-विकास “आधुनिक नगर नियोजन के जनक”, पैट्रिक गेडेस द्वारा प्रस्तुत की गईं कुछ शुरुआती अवधारणाओं की याद दिलाता है. यह लेख न केवल यह पता लगाने का प्रयास करता है कि स्मार्ट सिटीज के विकास के लिए इंटरनेट किस तरह से अनिवार्य है, बल्कि यह भी पता करने की कोशिश करता है कि लंबे समय से शहरी नियोजन ने इंटरनेट के आइडिया को किस प्रकार प्रभावित किया है.

यह लेख न केवल यह पता लगाने का प्रयास करता है कि स्मार्ट सिटीज के विकास के लिए इंटरनेट किस तरह से अनिवार्य है, बल्कि यह भी पता करने की कोशिश करता है कि लंबे समय से शहरी नियोजन ने इंटरनेट के आइडिया को किस प्रकार प्रभावित किया है.

पृष्ठभूमि

पैट्रिक गेडेस, एक जाने-माने जीवविज्ञानी, समाजशास्त्री, भूगोलवेत्ता और अग्रणी टाउन प्लानर थे. गेडेस को ज़्यादातर नगर नियोजन और समाजशास्त्र में किए गए उनके कार्यों के लिए जाना जाता था. 1880 के दशक में समाजशास्त्र पर हुए कई अध्ययनों ने गेडेस को आधुनिक जानकारी का संग्रहण, उसका वर्गीकरण और समन्वय करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने “आउटलुक टॉवर” नाम के एक संग्रहालय की स्थापना की. यह संग्रहालय विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों को एक जगह संजोने और लोगों को दृश्य एवं और कलात्मक प्रतीकों के ज़रिए शिक्षित करने के लिए समर्पित था. इस टॉवर की अलग-अलग मंजिलें थीं, जिन्हें इस प्रकार डिजाइन किया गया था कि वे संग्रहालय देखने आने वाले लोगों को स्थानीय से लेकर क्षेत्रीय और राष्ट्रीय से लेकर वैश्विक के क्रम में जानकारी उपलब्ध कराती थीं.

सूचना विज्ञान के इतिहास में एक प्रसिद्ध व्यक्ति पॉल ओटलेट को इस आउटलुक टॉवर ने दस्तावेज़ों या अभिलेखों के संरक्षण और उनके प्रस्तुतीकरण का एक यूनिवर्सल नेटवर्क स्थापित करने के लिए प्रेरित किया. ओटलेट ने जिस नेटवर्क की कल्पना की थी वह एक विशाल, केंद्रीकृत डेटाबेस था, जो सारी जानकारी को एकत्रित, प्रसंस्कृति और वितरित करने में सक्षम था. उन्होंने इस विशाल सेंटर को मुंडेनियम कहा. हालांकि, मुंडेनियम को मुख्य रूप से एक नेटवर्क ज्ञान-आधारित ग्लोबल सोसाइटी माना जाता था, जिसमें सामग्री और वर्चुअल  घटक शामिल थे. यह सभी तरह की जानकारी और सूचनाओं के दस्तावेज़ीकरण को योजनाबद्ध तरीके से पुनर्गठित करने और तकनीकी व ज्ञानपरक रणनीतियों को एकीकृत करने के लिए एक प्रेरक शक्ति थी. मुंडेनियम न केवल एक ऐसी वास्तविक बिल्डिंग की परियोजना थी, जो एक विश्व संग्रहालय, लाइब्रेरी, आर्काइव और यूनिवर्सिटी को जोड़ती थी, बल्कि वैश्विक स्तर पर जानकारी के संग्रहण और उसके प्रसार का एक वास्तुशिल्पी नमूना भी थी. यही वजह है कि इसे दुनिया का पहला सर्च इंजन भी माना जाता है.

सच्चाई यह है कि आउटलुक टॉवर ने मुंडेनियम को लेकर ओटलेट को प्रेरित किया, और जिससे टिम बर्नर्स-ली वर्ल्ड वाइड वेब को अंतिम रूप देने के लिए आगे बढ़ पाए. यह सूचना प्रणाली और मानव बस्तियों के विकास के बीच पारस्परिक संबंध को दर्शाता है. 

वर्ष 1990 में टिम बर्नर्स-ली द्वारा प्रस्तावित वर्ल्ड वाइड वेब में ओटलेट के सूचना के यूनीवर्सल दस्तावेज़ीकरण के विचारों और मुंडेनियम के साथ कई समान विशेषताएं हैं. यद्यपि हम टिम बर्नर्स-ली और पैट्रिक गेडेस के बीच को सीधा संबंध नहीं देखते हैं. यूनिवर्सल सूचना भंडारण और उसे फिर से प्राप्त करने के विचार के शुरुआती स्वरूपों को ओटलेट और गेडेस जैसे विचारकों द्वारा विकसित किया गया है. ओटलेट ने गेडेस से ‘थिंकिंग मशीन’ शब्द भी लिया है, जो यह स्पष्ट करता है कि दुनिया के सभी लोग इस यूनीवर्सल सूचना डॉक्यूमेंटेशन में सक्रिय रूप से हिस्सा ले सकते हैं. शहरी नियोजन में गेडेस के कार्य और मुंडेनियम में ओटलेट के कार्य में ‘थिंकिंग मशीन’ शब्द एक प्रमुख विचार था. सच्चाई यह है कि आउटलुक टॉवर ने मुंडेनियम को लेकर ओटलेट को प्रेरित किया, और जिससे टिम बर्नर्स-ली वर्ल्ड वाइड वेब को अंतिम रूप देने के लिए आगे बढ़ पाए. यह सूचना प्रणाली और मानव बस्तियों के विकास के बीच पारस्परिक संबंध को दर्शाता है.

स्मार्ट सिटी और साइबर स्पेस

दुनियाभर की जानकारी और सूचनाओं के दस्तावेज़ीकरण करने के विचार के बाद सामने आए इंटरनेट ने सूचना पैदा करने और सूचना का आदान-प्रदान करने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है. स्मार्ट सिटीज द्वारा डेटा को क्राउडसोर्स करने, जनता की राय पर विचार करने, शासन में सुधार करने और अपने लोगों के लिए प्रभावी निर्णय लेने के लिए इंटरनेट का तेज़ी से फ़ायदा उठाया जा रहा है. गेडेस के लिए शहरी इलाकों की योजना बनाने और डिजाइन तैयार करने में लोगों की भागीदारी एक महत्वपूर्ण घटक थी. दूसरी आवश्यक सूचना के साथ एक संक्षिप्त नज़रिए में मिली जानकारी नागरिकों को अवसरों की पहचान करने और स्वयं को व्यवस्थित करने के लिए ज़रूरी क्षमता का निर्माण करने के लिए सशक्त बनाती है. इंटरनेट, क्लाउड प्रौद्योगिकी, ओपन डेटा, वर्चुअल रियलिटी आदि जैसे बढ़ते तकनीकी नवाचारों के साथ शहरी योजनाकार न केवल अपनी उत्पादकता बढ़ाने के लिए इनका इस्तेमाल कर सकते हैं, बल्कि नागरिक भी अब शहरी नियोजन की प्रक्रिया में भागीदारी निभा सकते हैं.

पश्चिम में स्मार्ट सिटी पहल का फोकस दक्षता, स्थिरता और सुरक्षा पर ज़्यादा होता है, जबकि भारत में स्मार्ट सिटी से जुड़ी नीतियां आधुनिकीकरण और बुनियादी ढांचे के विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित करती हैं. हालांकि, इस बात पर एक आम सहमति है कि एक शहर को स्मार्ट बनाने के लिए आईओटी समाधान बेहतर हैं.

अलग-अलग देशों में विभिन्न कारकों की वजह से शहरों की परिभाषा भी अलग-अलग होती है. भारत में स्मार्ट सिटी की अवधारणा एक अलग भौगोलिक स्थिति वाले स्मार्ट सिटी से बिल्कुल अलग हो सकती है. पश्चिम में स्मार्ट सिटी पहल का फोकस दक्षता, स्थिरता और सुरक्षा पर ज़्यादा होता है, जबकि भारत में स्मार्ट सिटी से जुड़ी नीतियां आधुनिकीकरण और बुनियादी ढांचे के विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित करती हैं. हालांकि, इस बात पर एक आम सहमति है कि एक शहर को स्मार्ट बनाने के लिए आईओटी समाधान बेहतर हैं. यह इन्फ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं के प्रबंधन में नागरिकों को अच्छे से सहभागी बनाने के तौर-तरीकों को सुधारता है. स्मार्ट सिटी पहल में दुनिया के अग्रणी देशों में से एक सिंगापुर में लगभग 95 प्रतिशत घरों तक इंटरनेट की पहुंच है. वहां सूचना की ओपन सोर्सिंग नागरिकों और निजी क्षेत्र को व्यक्तिगत और व्यावसायिक आवश्यकताओं के लिए डेटा का लाभ उठाने के लिए सक्षम बनाती है.

हालांकि, वर्ष 2015 में भारत में शुरू किए गए स्मार्ट सिटी मिशन को लचर कार्यान्वयन और इसके उद्देश्यों में स्पष्टता की कमी के कारण बहुत आलोचना का सामना करना पड़ा है. देश में स्मार्ट सिटी का विचार अपेक्षाकृत नया है और इसके अपेक्षित नतीज़े प्राप्त करने के लिए पर्याप्त तकनीकी कौशल का नितांत अभाव है. भारत में बढ़ती ग़रीबी दर के साथ-साथ बुनियादी ढांचे और स्वच्छता, बिजली और पानी की सुविधाओं जैसी सेवाओं तक सीमित पहुंच स्मार्ट शहरों के निर्माण में अवरोध बनकर खड़ी हो गई है. इसके अलावा, भारत में इंटरनेट की पहुंच केवल 47 प्रतिशत है. हालांकि भारत में इंटरनेट पिछले वर्षों की तुलना में आम लोगों के बीच काफ़ी तेज़ी से पहुंच रहा है, लेकिन फिर भी यह अन्य एशियाई देशों की तुलना में कम है.

जैस-जैसे हम तकनीकी नवाचारों के साथ आने वाली अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना करते हैं, यह आवश्यक हो जाता है कि हम पैट्रिक गेडेस और पॉल ओटलेट जैसे विचारकों द्वारा लाए गए संस्थापक सिद्धांतों की तरफ लौटें और उन्हें याद करें.

इंटरनेट की उपलब्धता और सूचना तक पहुंच में विसंगतियों ने ना केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में डिजिटल रूप में विभाजन पैदा किया है. इसने सोशल मीडिया के माध्यम से दुष्प्रचार को भी बढ़ावा दिया है, जिसका समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. जैसे-जैसे डिवाइस एक-दूसरे के साथ तेज़ी से जुड़ते जाते हैं, डेटा की गोपनीयता ख़तरे में पड़ जाती है और साइबर हमलों की संभावना भी बढ़ जाती है. इसके साथ ही अदूरदर्शी नियोजन नीतियां न सिर्फ़ प्रतिरोध पैदा करती हैं, बल्कि प्रौद्योगिकी के उत्पादक उपयोग के ज़रिए गरीबों को सशक्त बनाने में भी विफल साबित होती हैं। इतना ही नहीं ये डिजिटल अभाव का कारण भी बनती हैं. जैस-जैसे हम तकनीकी नवाचारों के साथ आने वाली अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना करते हैं, यह आवश्यक हो जाता है कि हम पैट्रिक गेडेस और पॉल ओटलेट जैसे विचारकों द्वारा लाए गए संस्थापक सिद्धांतों की तरफ लौटें और उन्हें याद करें.

अत्याधुनिक और सशक्त प्रौद्योगिकियों के साथ आज के स्मार्ट शहरों में गेडेस और ओटलेट, दोनों विचारकों के नागरिकों को बड़े स्तर पर दुनिया के साथ संबंधों में एक स्थानीय अनुभव प्रदान करने और आपस में जुड़े एक नेटवर्क के माध्यम से दुनियाभर की सारी जानकारी को जोड़ने के सपने को पूरा करने की क्षमता है. गेडेस का शहरी नियोजन के लिए स्थानीय दृष्टिकोण पर ज़ोर, स्मार्ट सिटीज के लिए बेहद अहम है. निवासियों और समुदायों के मध्य बेहतरीन सहभागिता शहरी नियोजन और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर के एक साथ काम करने की सबसे बड़ी कुंजी है.

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Authors

Abhinav Madhavanunni

Abhinav Madhavanunni

Abhinav Madhavanunni Research Associate: Urban Practitioners Programme at IIHS is an urban planner with an extensive experience in capacity building of urban practitioners across different ...

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Anuttama Dasgupta

Anuttama Dasgupta

Anuttama Dasgupta Lead: Urban Practitioners' Programme at IIHS is a built environment professional focussed on the trans-disciplinarity of urban practice and works on developing reflective ...

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