Published on Aug 04, 2023 Updated 0 Hours ago
हिरोशिमा से बेहतर भविष्य के लिए निकली नई राह की उम्मीद!

जापान के ख़ूबसूरत शहर हिरोशिमा में मई 2023 में G7 समिट शुरू हुई और इस सम्मेलन ने वैश्विक नेताओं को महत्त्वपूर्ण मुद्दों को लेकर चर्चाओं के केंद्र में ला दिया. पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं के इस जमावड़े के बीच क्वॉड लीडर्स ने भी अलग से अपनी एक बैठक की. इन वैश्विक नेताओं की मौज़ूदगी न केवल उनके साझा दृष्टिकोण, बल्कि टेलीकम्युनिकेशन्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 5G नेटवर्क एवं हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग समेत कई मुद्दों पर चीन की तरक़्क़ी और उसके निरंतर आगे बढ़ने की प्रक्रिया को संतुलित करने की या कहा जाए कि थामने की उनकी इच्छा और क्षमता की ओर भी इशारा करती है.

जापान के ख़ूबसूरत शहर हिरोशिमा में मई 2023 में G7 समिट शुरू हुई और इस सम्मेलन ने वैश्विक नेताओं को महत्त्वपूर्ण मुद्दों को लेकर चर्चाओं के केंद्र में ला दिया.

इस आर्टिकल में टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में चीन के निरंतर विकास से जुड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित चिंताओं और इनको संबोधित करने या फिर इनका समाधान तलाशने के लिए G7 एवं क्वॉड गठबंधनों के रणनीतिक एकीकरण को लेकर इन गठबंधनों के भीतर सहयोगात्मक नज़रिए के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है, साथ ही इसमें भारत की अहम भूमिका पर भी रौशनी डाली गई है. ज़ाहिर है कि G7 एवं क्वॉड का साझा लक्ष्य वैश्विक स्तर पर लोगों के कल्याण के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग सुनिश्चित करना और नियम-क़ानून पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बरक़रार रखना है.

चीन की भूमिका को निर्धारित करती राष्ट्रीय सुरक्षा एवं ग्लोबल डायनैमिक्स

निसंदेह रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं, ख़ास तौर पर चीन की हुआवेई, ZTE, टिकटॉक, टेनसेंट वीचैट और DJI जैसी विभिन्न टेक्नोलॉजी कंपनियों से जुड़े संभावित सरकारी प्रभाव, जासूसी और बौद्धिक संपदा की चोरी से संबंधित चिंताएं. एक प्रमुख मामले में वर्ष 2019 में हुआवेई 5G का रोलआउट शामिल है, जो न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा, बल्कि अर्थव्यवस्था, सोसाइटी और शहरों पर भी असर डालने वाला एक अहम साधन है. इसी प्रकार से भारत ने डेटा प्राइवेसी, सुरक्षा एवं चीनी सरकार द्वारा संभावित सेंसरशिप की चिंताओं का हवाला देते हुए वर्ष 2020 में वीचैट पर पाबंदी लगाने की मांग की. हालांकि, इसके उलट वर्ष 2021 में बाइडेन प्रशासन द्वारा टिकटॉक एवं वीचैट पर लगाए गए प्रतिबंधों को रद्द कर दिया गया था, इन चीनी एप्स पर पूर्व में ट्रंप के राष्ट्रपति रहने के दौरान पाबंदी लागई गई थी. इसके साथ ही अमेरिकी प्रशासन द्वारा संभावित ख़तरों का आकलन करने और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की सुरक्षा करने के उद्देश्य से विदेशी कंपनियों के मालिकान हक़ वाले तमाम एप्लीकेशन्स की व्यापक सुरक्षा समीक्षा के लिए इंतज़ाम किए गए.

संयुक्त राज्य अमेरिका (US) की तरह ही जापान भी जुलाई 2023 तक चीन को सेमीकंडक्टर निर्यात के मामले में कड़े प्रतिबंध लगाएगा, इतना ही नहीं बाइडेन प्रशासन ताइवान और दक्षिण कोरिया पर भी इसी तरह की पाबंदी लगाने के लिए दबाव डाल रहा है.

इस आर्टिकल में आगे जो भी विश्लेषण दिया गया है, वह राष्ट्रीय सुरक्षा आशंकाओं से जुड़े पेचीदा और उलझे हुए मकड़ जाल की पड़ताल करता है, ज़ाहिर है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा ऐसा है, जहां चाइनीज़ टेक्नोलॉजी का प्रभाव बहुत व्यापक है. इसके अलावा, चीन के बढ़ते भू-राजनीतिक दबदबे को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव जैसी पहलों के माध्यम से स्पष्ट तौर पर समझा जा सकता है और इसने G7 एवं क्वॉड की ओर से से रणनीतिक प्रतिक्रियाओं को बढ़ाने का काम किया है. उदाहरण के तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका (US) की तरह ही जापान भी जुलाई 2023 तक चीन को सेमीकंडक्टर निर्यात के मामले में कड़े प्रतिबंध लगाएगा, इतना ही नहीं बाइडेन प्रशासन ताइवान और दक्षिण कोरिया पर भी इसी तरह की पाबंदी लगाने के लिए दबाव डाल रहा है. इसके प्रतिउत्तर में चीन ने ग्रीन ट्रांज़िशन के लिए अहम दुर्लभ-अर्थ मेटल्स में अपने प्रभुत्व का लाभ उठाते हुए, जो कि चिप्स समेत विभिन्न हाई-टेक उपकरणों के लिए एक बेहद ज़रूरी घटक है, अमेरिका आधारित चिप निर्माता कंपनी माइक्रोन टेक्नोलॉजी के चिप्स पर प्रतिबंध लगाकर जवाबी कार्रवाई की है. दुर्लभ अर्थ मेटल्स के निर्यात को प्रतिबंधित करके चीन परोक्ष रूप से एक तरफ चिप मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को प्रभावित कर सकता है और दूसरी तरफ वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान भी पैदा कर सकता है. हालांकि, माइक्रोन टेक्नोलॉजी ने अपने बयान में कहा है कि वह चीन के लिए प्रतिबद्ध है और चीनी शहर ज़ियान में अपनी चिप पैकेजिंग इकाई में अगले कुछ वर्षों में 4.3 बिलियन युआन (603 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का निवेश करेगा.

इसके अतिरिक्त, इन राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के जवाब में G7 एवं क्वॉड दोनों ही गठबंधनों ने इसके प्रभाव और निहितार्थों का मुक़ाबला करने या समाधान करने के लिए मिलेजुले प्रयासों को अमल में लाना शुरू किया है. इन प्रयासों में व्यापार प्रतिबंध, निर्यात नियंत्रण और जटिल लैंडस्केप यानी भूदृश्य का मार्गनिर्देशन करने के लिए साझा कोशिशें शामिल हैं. देखा जाए तो ये प्रयास एक प्रकार से रणनीतिक एकजुटता को प्रदर्शित करते हैं.

G7 और क्वॉड का एक साथ आना

G7 और क्वॉड ने 5G इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास और उसके प्रसार में चीनी टेलीकॉम दिग्गज कंपनी हुआवेई के दबदबे लेकर गंभीर चिंता जताई है. इतना ही नहीं G7 एवं क्वॉड इसके संभावित सुरक्षा ख़तरों को ध्यान में रखते हुए अपने सदस्य देशों एवं अन्य सहयोगी देशों को अपने नेटवर्क से हुआवेई को बाहर निकालने या फिर उसकी पहुंच को सीमित करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, साथ ही 5G टेक्नोलॉजी के भरोसेमंद वैकल्पिक वेंडर्स को बढ़ावा दे रहे हैं. उल्लेखनीय है कि क्वॉड समूह के नेताओं ने हिरोशिमा में क्षेत्रीय संस्थानों, जैसे कि आसियान (ASEAN), पैसिफिक आईलैंड फोरम (PIF) और इंडियन ओसीन रिम एसोसिएशन (IORA) को मज़बूत करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को ज़ाहिर किया है. साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर फेलोशिप्स, समुद्र के अंदर केबल कनेक्टिविटी, रेडियो एवं दूरसंचार नेटवर्क और मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस अर्थात समुद्री क्षेत्र से संबंधित जागरूकता को स्थापित करने एवं विस्तार करने को लेकर उनका फैसला चीन द्वारा स्पष्ट तौर पर उत्पन्न वर्तमान ख़तरे के बारे में उनकी स्वीकृति की ओर इंगित करता है यानी साफ तौर पर यह बताता है कि उन्होंने इस ख़तरे को अच्छी तरह से भांप लिया है.

सहयोगी नज़रिए से देखा जाए तो अपनी घरेलू मज़बूती और ताक़त का लाभ उठाने की संभावना, एक व्यापक एवं फलता-फूलता आईटी उद्योग, कुशल कार्यबल और जीवंत स्टार्टअप इकोसिस्टम, यह सब मिलकर भारत को एक बहुमूल्य सदस्य बनाती हैं.

कनाडा अपने वैज्ञानिकों के लिए एक अनिवार्य स्क्रीनिंग प्रक्रिया को अमल में ला रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सरकार द्वारा किए गए वित्तपोषण का इस्तेमाल गलती से या जानबूझ कर ऐसे अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों का सहयोग करने के लिए नहीं किया जा सके, जो उनकी सरकार के लिए हानिकारक या प्रतिकूल साबित हो सकते हैं. ज़ाहिर है कि यह चीन समेत दूसरे विदेशी प्रभाव से होने वाले संभावित ख़तरों को कम करने के लिए उसकी तरफ से किया गया एक व्यापक उपाय है. जापान ने मिनिस्टर फॉर इकोनॉमिक सिक्योरिटी नाम से एक नया कैबिनेट मंत्री स्तर का पद स्थापित किया है. आर्थिक सुरक्षा मंत्री का कार्य देश की आपूर्ति श्रृंखलाओं, बौद्धिक संपदा और महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को आर्थिक जासूसी से सुरक्षित रखना है. इसी प्रकार से यूरोपियन यूनियन (EU) सेमीकंडक्टरों के निर्यात को नियंत्रित करने, चीनी तकनीक़ी कंपनियों में निजी सेक्टर के निवेश पर प्रतिबंध लगाने और चीन को यूरोप के नवीकरणीय ऊर्जा बाज़ार पर दबदबा जमाने से रोकने के मकसद से नियम-क़ानून बनाने की तैयारी में जुटा हुआ है.

सहयोगी नज़रिए से देखा जाए तो अपनी घरेलू मज़बूती और ताक़त का लाभ उठाने की संभावना, एक व्यापक एवं फलता-फूलता आईटी उद्योग, कुशल कार्यबल और जीवंत स्टार्टअप इकोसिस्टम, यह सब मिलकर भारत को एक बहुमूल्य सदस्य बनाती हैं. इतना ही नहीं व्यापक स्तर पर बदलाव लाने वाले सेक्टरों, जैसे कि डिजिटल प्रौद्योगिकी, मानव पूंजी विकास और नवाचार आदि में संलग्न होने की वजह से भी भारत की महत्त्वपूर्ण भूमिका को बल मिलता है, जो कि इनोवेशन को प्रोत्साहित करने, आर्थिक अवसरों को पैदा करने और पूरे क्षेत्र में सतत विकास सुनिश्चित करने के साझा उद्देश्यों में योगदान देने वाली है.

यह जो सारी क़वायद है और जो भी क़दम उठाए गए हैं, वे G7 एवं क्वॉड के नज़रिए में परिवर्तन का संकेत देते हैं, साथ ही चीन की प्रभुत्व जमाने वाली प्रवृति को लेकर उनकी स्वीकार्यता को प्रकट करती हैं. इन कव़ायदों में चीन द्वारा एआई रेगुलेशन्स के संभावित लॉन्च का प्रचार-प्रसार करना; एआई एक्ट पर यूरोपियन यूनियन का पहला ड्राफ्ट लॉ; और जानकारी साझा करने, वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने एवं क्वॉड व G7 सदस्य देशों के लिए नवाचार को प्रोत्साहन देने के लिए एक समान मापदंड स्थापित करना भी शामिल है.

सहयोगी दृष्टिकोण

क्वॉड और G7 अलायंस न केवल एक सहयोगात्मक वातावरण तैयार करते हैं, जानकारी और विशेषज्ञता के आदान-प्रदान को बढ़ावा देते हैं, बल्कि सरकारी एवं निजी क्षेत्रों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करते हैं, साथ ही विचारों को प्रभावशाली समाधानों में बदलने का काम करते हैं. इन समूहों के सदस्य देशों की सामूहिक विशेषज्ञता और संसाधन, इन गठबंधनों को इनोवेशन, विकास को आगे बढ़ाने और साझा दृढ़ संकल्प के साथ वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रोत्साहित करने का कार्य करते हैं. क्वॉड एवं G7 अलायंस एक ऐसे भविष्य की ओर अग्रसर हैं, जो विभिन्न प्रकार की विशेषताओं, जैसे कि खुलेपन के सिद्धांतों पर आधारित ओपन ट्रेड एवं नियम-क़ानून पर आधारित व्यापर, निवेश एवं आर्थिक सहयोग की स्थापना के माध्यम से प्राप्त किया गया हो, साथ ही जिसमें गवर्नेंस और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में पूरी पारदर्शिता हो, यानी हर स्तर पर सलाह-मशविरा, चर्चा-परिचाएं की जाएं और हितधारकों की पूरी भागीदारी सुनिश्चित की जाए. इतना ही नहीं, जिसमें तकनीक़ी प्रगति, आर्थिक वृद्धि और क्षेत्रीय सुरक्षा से संबंधित तमाम विचार-विमर्शों एवं प्रयासों में साझा मूल्यों और हितों वाले विभिन्न देशों को शामिल करने के महत्व को अच्छे से पहचाना जाए, यानि कि समावेशिता के विचार का प्रमुखता के साथ अनुसरण किया जाए.

डिजिटल लैंडस्केप जैसे-जैसे तेज़ी के साथ से फैल रहा है, क्वॉड और G7 सदस्य देश नैरेटिव को गढ़ने और आगे प्रसारित करने के लिए तैयार दिखाई दे रहे हैं.

डिजिटल लैंडस्केप जैसे-जैसे तेज़ी के साथ से फैल रहा है, क्वॉड और G7 सदस्य देश नैरेटिव को गढ़ने और आगे प्रसारित करने के लिए तैयार दिखाई दे रहे हैं. इतना ही नहीं क्वॉड और G7 सदस्य देश प्रौद्योगिकी को एक ऐसे मार्ग की तरफ ले जा रहे हैं, जो जन साधारण का कल्याण करने वाला है और जिसमें समाज की भलाई के लिए टेक्नोलॉजी के उपयोग में सदस्य देशों के साझा लक्ष्यों और हितों का उल्लेख है. क्वॉड की डिजिटल कनेक्टिविटी पार्टनरशिप और और G7 का GDPR न केवल समावेश के विचार को स्थापित करता है, गोपनीयता एवं डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि इनोवेशन एवं आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करता है, साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देता है और विभिन्न वैश्विक चुनौतियों को भी संबोधित करता है.

निष्कर्ष

क्वॉड और G7 ने अपने साझा मूल्यांकन में 5G टेलीकम्युनिकेशन, क्वॉन्टम कंप्यूटिंग और बॉयोटेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में चीन के तकनीक़ी दबदबे को स्वीकार किया है. विशाल उपभोक्ता आधार और बाज़ार क्षमता की वजह से चीन का टेक्नोलॉजी सेक्टर का अत्यधिक आर्थिक महत्व है, इससे क्वॉड और G7 सदस्य देशों के बीच तमाम राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताएं बढ़ जाती हैं और ऐसा होना लाज़िमी भी है. इन सारी वास्तविकताओं के मद्देनज़र क्वॉड और G7 सदस्य देश तकनीक़ी सहयोग को प्रोत्साहित करने, अपनी घरेलू टेक्नोलॉजिकल क्षमताओं को मज़बूत करने, नवाचार को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय सुरक्षा जोख़िमों को लेकर सतर्क एवं सावधानीपूर्ण रुख बनाए रखते हुए चीनी टेक सेक्टर के उभार का मुक़ाबला करने के लिए एक समान समाधान तलाशने पर सहमत हुए हैं. उल्लेखनीय है कि क्वॉड और G7 का यह सामूहिक संकल्प साझा मूल्यों, राष्ट्रीय हितों और नियम-क़ानून पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए चीन की तकनीक़ी बढ़ोतरी से संबंधित सच्चाइयों के प्रति व्यावहारिक और समझदारी भरी प्रतिक्रिया को दर्शाता है.


केथोसेनो पेसेई ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में सेंटर फॉर सिक्योरिटी स्ट्रैटेजी एंड टेक्नोलॉजी में रिसर्च असिस्टेंट के तौर पर कार्य करते हैं.

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