Published on Aug 18, 2022 Updated 0 Hours ago

PIE इंडेक्स 2020-21 में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्य के रूप में पंजाब के उभरने को शिक्षा सुधारों के क्षेत्र में हुए बेहतरीन कार्यान्वयन से जोड़कर देखा जा सकता है. अत: अन्य राज्यों को भी उसके अनुभव से सबक लेने की आवश्यकता है.

THE PIE INDEX 2020-21: भारत में शिक्षा और कक्षाओं में जाति आधारित अंतर के बीच की खाई पाटने की ज़रूरत!

PIE इंडेक्स (Pie Index 2020-21) हमें प्राथमिक (Primary  Education in India) और उच्च प्राथमिक शिक्षा (कक्षा पहली से आठवीं) तक की समग्र गुणवत्ता की पूरी परख करवाता है. राज्य (State Eduction in India) और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ इसके तीन उप-सूचकांकों द्वारा इसका पृथक्करण, हमें और आगे झांकने और समझने का अवसर प्रदान करता है. इस स्टडी पेपर के परिणाम राष्ट्रीय और राज्य स्तरों पर नीति निर्माण में उपयोगी साबित हो सकते हैं. उदाहरण के लिए, इसका निष्कर्ष यह है कि उत्तर-पूर्वी राज्यों में बुनियादी ढांचे को लेकर इंडेक्स वैल्यूज काफी कम हैं. अत: वहां के राज्यों में इस पर ध्यान केंद्रित करने और अधिक संसाधनों का आवंटन किए जाने की आवश्यकता है. छोटे राज्यों पर भी अतिरिक्त ध्यान दिया जाना चाहिए, क्योंकि वे सभी श्रेणियों- बड़े राज्यों, छोटे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले दिखाई देते हैं. PIE इंडेक्स 2020-21 में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्य के रूप में पंजाब (Punjab School Education Sysytem) के उभरने को शिक्षा सुधारों के क्षेत्र में हुए बेहतरीन कार्यान्वयन से जोड़कर देखा जा सकता है. अत: अन्य राज्यों को भी उसके अनुभव से सबक लेने की आवश्यकता है.

इस स्टडी पेपर से पता चलता है कि भारत को एक मजबूत शिक्षा प्रणाली का निर्माण करने के लिए लर्निंग के परिणामों, इंफ्रास्ट्रक्चर  और इक्विटी पर ध्यान देना बेहद आवश्यक है. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निजी और सरकारी स्कूलों, लड़कों और लड़कियों की शिक्षा और कक्षाओं में जाति आधारित अंतर के बीच की खाई को पाटने की कोशिश करनी चाहिए. और अंत में सभी को यह सुनिश्चित करना होगा कि शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति के लिए सुलभ बनाई जाए. शिक्षा का अधिकार कानून (RTE) जैसी नीतियों से लेकर सरकार ने शिक्षा को प्रोत्साहित करने वाले अनेक अभियानों से पहल की है, लेकिन उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी विद्यार्थी के साथ भेदभाव न हो. इसी प्रकार सकारात्मक कार्रवाई करते हुए सरकारों को यह देखना होगा कि छात्राएं और अन्य कमजोर वर्ग के लोग इससे वंचित और अछूते न रहें.

उम्मीद है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020, से शिक्षा के क्षेत्र में पर्याप्त सुधार होंगे. ऐसे में यह नीति लागू होने के बाद शिक्षा के क्षेत्र में आने वाला PIE इंडेक्स के माध्यम से परिलक्षित भी होगा. NEP ने एक ऐसा पाठ्यक्रम और अध्यापन कला में बदलाव का प्रस्ताव दिया है जिसके सहयोग से विद्यार्थियों में मजबूत शैक्षणिक क्षमताओं के साथ कम्प्यूटेशनल रीजनिंग और लॉजिकल थिंकिंग को स्थापित करने में सफलता मिलेगी. NEP में जो सबसे महत्वपूर्ण सुधार प्रस्तावित है वह यह कि वार्षिक परीक्षाओं का स्थान अब फॉउण्डेशनल असेसमेंट सिस्टम ले लेगा. इसमें यह भी सुझाव दिया गया है कि दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए अब लो-स्टेक्स बोर्ड टेस्ट के साथ-साथ वर्ष के दौरान कई अन्य परीक्षाओं का भी आयोजन किया जाए.[xvii] इन सुधारों से देशभर में लर्निंग के परिणामों पर अनुकूल प्रभाव दिखाई दे सकता है.

सीखने के समग्र परिणामों में और सुधार उस वक्त होगा जब शिक्षकों के लिए पेशेवर तैयारी पर जोर दिया जाएगा. वर्तमान में प्रचलित और NEP की सिफारिशों के आधार पर विशेष रूप से कमजोर वर्गो में सीखने के परिणामों में अपेक्षित सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का ज्यादा उपयोग किए जाने की संभावना देखी जा रही है. ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के माध्यम से NEP पहुंच और समान हिस्सेदारी बढ़ाने की भी कोशिश कर रहा है, जिसका अंत में समान हिस्सेदारी के मुद्दे पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. ऐसे में आने वाले वर्षो में उन्नत शिक्षा के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर पर नजर रखी जा सकती है.

भारत को एक मजबूत शिक्षा प्रणाली का निर्माण करने के लिए लर्निंग के परिणामों, इंफ्रास्ट्रक्चर  और इक्विटी पर ध्यान देना बेहद आवश्यक है. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निजी और सरकारी स्कूलों, लड़कों और लड़कियों की शिक्षा और कक्षाओं में जाति आधारित अंतर के बीच की खाई को पाटने की कोशिश करनी चाहिए. और अंत में सभी को यह सुनिश्चित करना होगा कि शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति के लिए सुलभ बनाई जाए.

इंडेक्स का निर्माण कुछ सीमाओं के तहत रहकर किया गया. इसके निर्माण के लिए आवश्यक जानकारी को दो अलग-अलग  स्त्रोतों से हासिल किया गया. ऐसे में जानकारी एकत्रित करने की विधि में कुछ अंतर रहने की उम्मीद की जा सकती है.

प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में काफी भिन्नताएं होने की बात को स्वीकार कर भी लिया जाए तो भी दो स्वतंत्र PIE सूचकांक का निर्माण नहीं किया जा सकता. इसका कारण यह है कि प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के स्कूलों के बुनियादी ढांचे को लेकर अलग-अलग जानकारी की उपलब्धता में कमी थी. अंत में PIE इंडेक्स, प्रक्रिया संचालित नहीं, बल्कि परिणाम-आधारित है. इसमें प्रशासनिक प्रक्रियाओं मसलन, विद्यार्थियों की उपस्थिति, शिक्षकों की उपलब्धता और पारिदर्शता जैसे कारकों पर विचार नहीं किया गया है.

NEP पर कार्यान्वयन होने के बाद PIE इंडेक्स को नए सिरे से तैयार किया जा सकता है. NEP के उद्देश्यों में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस और कोडिंग जैसे विषय हर बच्चे को सिखाना है, अत: अब सभी बच्चों को आरंभिक स्कूली वर्षो में कम्प्यूटर से अवगत होना होगा. ऐसे में इंफ्रास्ट्रक्चर सब-इंडेक्स में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को भी एक वेरिएबल के रूप में शामिल करना भी उपयोगी साबित होगा. इसके अलावा NEP का उद्देश्य समग्र प्रगति रिपोर्ट तैयार करना भी है. अत: परफॉरमेंस सब-इंडेक्स को भी केवल अकादमिक क्षमताओं, भावनात्मक और बौद्धिक क्षमताओं तक ही सीमित न रखकर अपनी नजर समग्र प्रगति पर भी डालनी होगी, ताकि यह बात भी परफॉरमेंस सब-इंडेक्स में प्रतिबिंबित हो सके.

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नोट: ये लेख RHEA SHAHTANMAY DEVI और VANSHIKA SURANA द्वारा लिखे गये ओआरएफ़ हिंदी के लॉन्ग फॉर्म सामयिक रिसर्च पेपर “THE PIE इंडेक्स 2020-21: भारत में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा प्रणाली के स्वास्थ्य की गणना” से लिया गया एक छोटा सा हिस्सा है. इस पेपर को विस्तार से पढ़ने के लिये आगे दिये गये Occasional Paper के हिंदी लिंक को क्लिक करें, जिसका शीर्षक है- THE PIE इंडेक्स 2020-21: भारत में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा प्रणाली के स्वास्थ्य की गणना!

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Contributors

Rhea Shah

Rhea Shah

Rhea Shah is a Masters Student in Business Analytics at Duke University US.

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Tanmay Devi

Tanmay Devi

Tanmay Devi is a PhD Student in Economics at Rice University US.

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Vanshika Surana

Vanshika Surana

Vanshika Surana is an Applied Mathematics graduate from FLAME University Pune.

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