Author : Ayjaz Wani

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Published on Jan 19, 2024 Updated 0 Hours ago

मध्य गलियारा मध्य एशियाई देशों के लिए एक आवश्यक मार्ग है जो चीन पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए यूरोप के साथ अपने व्यापार का विस्तार करने के इच्छुक हैं.

मध्य गलियारा और भारत के लिए अवसर

रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस पर पश्चिम के कठोर प्रतिबंधों ने देशों को अपनी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और व्यापार मार्गों पर पुनर्विचार करने और फिर से जांच किए जाने की ज़़रूरत का संकेत दिया है. मध्य गलियारा, जिसे कैस्पियन-पार अंतर्राष्ट्रीय परिवहन मार्ग (टीआईटीआर) के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसा ही संपर्क मार्ग है जिसका महत्व इसके बाद से बढ़ गया है. टीआईटीआर मध्य एशिया, कैस्पियन सागर और दक्षिणी काकेशस में फैला हुआ है. एशिया और यूरोप के बीच संपर्क बढ़ाने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ, मध्य गलियारा रूस के उत्तरी गलियारे की तुलना में बहुत आवश्यक, वैकल्पिक और तेज़ आपूर्ति मार्ग प्रदान करता है.

2014 में रूस के क्रीमिया पर आक्रमण के बाद, भू-राजनीतिक अनिश्चितता के बीच मध्य एशियाई और काकेशस राष्ट्रों ने चीन, मध्य एशिया, कैस्पियन और काला सागर बेसिनों के बीच एक स्वतंत्र बहुआयामी परिवहन मार्ग स्थापित करने के लिए सहयोग किया.

यूरेशिया में क्षेत्रीय सहयोग 

2014 में रूस के क्रीमिया पर आक्रमण के बाद, भू-राजनीतिक अनिश्चितता के बीच मध्य एशियाई और काकेशस राष्ट्रों ने चीन, मध्य एशिया, कैस्पियन और काला सागर बेसिनों के बीच एक स्वतंत्र बहुआयामी परिवहन मार्ग स्थापित करने के लिए सहयोग किया. इस संबंध में, कज़ाकिस्तान, अज़रबैजान और जॉर्जिया ने टीआईटीआर पर हस्ताक्षर किए और इस मार्ग पर बुनियादी ढांचे और व्यापार को विकसित और सुविधाजनक बनाने के लिए मध्य गलियारे के लिए एक समन्वय समिति की स्थापना की. इस मार्ग में 4,250 किलोमीटर से अधिक रेल लाइनें और 500 किलोमीटर समुद्री मार्ग शामिल हैं और यह रूस के उत्तरी गलियारे से 2,000 किलोमीटर छोटा है.

2017 में, 826 किलोमीटर लंबी बाकू-टिब्लिसी-कार्स रेलवे लाइन का उद्घाटन किया गया, जो मध्य गलियारे के एक महत्वपूर्ण घटक को पूरा करती है और अज़रबैजान, जॉर्जिया और तुर्की को जोड़ती है. इस गलियारे के माध्यम से चीन से अभिवहन रेलगाड़ी 12 दिनों में तुर्की और मरमराय से होती हुई 18 दिनों में प्राग पहुंच गई. 2014 और 2021 के बीच, 92.7 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज करते हुए, 49,000 मालगाड़ियां मध्य गलियारे से गुज़रीं. 2021 में, 15,183 कंटेनर ट्रेनों ने 1.464 मिलियन ट्वेंटी-फुट समकक्ष इकाइयों (टीईयू) का परिवहन किया, जो क्रमशः 22.4 प्रतिशत और 29 प्रतिशत की महत्वपूर्ण वृद्धि को दर्ज करता है. माल की आवाजाही में भारी वृद्धि के बावजूद, मध्य गलियारे के हिस्से में यूरोपीय संघ-चीन व्यापार की मात्रा का 4 प्रतिशत और मूल्य का 5 प्रतिशत ही आया. दूसरी ओर, मध्य एशिया और काकेशस क्षेत्र और मध्य एशिया और यूरोप के बीच अंतरक्षेत्रीय व्यापार इस मार्ग पर हावी रहा.

रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान गलियारे में रुचि बढ़ी

2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोपीय संघ (ईयू) और संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) द्वारा मास्को पर लगाए गए प्रतिबंधों ने कई यूरोपीय जलयान और परिवहन ऑपरेटरों को उत्तरी गलियारे से बाहर निकलने के लिए प्रेरित किया, जिससे मध्य गलियारे को बल मिला. नतीजतन, अक्टूबर 2022 के आंकड़ों से पता चलता है कि चीन और यूरोपीय संघ के बीच उत्तरी गलियारे के ज़़रिये नौवहन में 40 प्रतिशत की कमी आई है. मध्य गलियारा इन प्रतिबंधों को लागू करने के लिए आदर्श समाधान बन गया और 2022 के बाद इस बदलाव से भारी लाभान्वित हुआ है.

2021 की तुलना में, 2022 में इस गलियारे के माध्यम से कंटेनर यातायात 33 प्रतिशत बढ़ा और क्षेत्रीय देशों ने बुनियादी ढांचे और अन्य मुद्दों को बेहतर बनाने के लिए कूटनीतिक जुड़ाव बढ़ा दिया. जुलाई 2023 में, जॉर्जियाई प्रधान मंत्री इराकली गारीबाश्विली ने कज़ाकिस्तान और उज़्बेकिस्तान का दौरा किया, ताकि इस मार्ग के साथ निकट राजनीतिक संबंध स्थापित किया जा सके और बुनियादी ढांचे में सुधार किया जा सके. अज़रबैजान, जॉर्जिया और कज़ाकिस्तान ने नवंबर 2022 में भीड़भाड़ को कम करने और गलियारे के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर किए, इसके बाद जून 2023 में एक संयुक्त रेलवे उद्यम की घोषणा की.

यूरोप अपने भू-रणनीतिक और भू-आर्थिक हितों, जिसमें ऊर्जा सुरक्षा को और बढ़ाने के लिए स्रोतों का विविधीकरण शामिल है, को पूरा करने के लिए मध्य गलियारे को विस्तार देने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है. जुलाई 2022 में, यूरोपीय संघ ने दक्षिणी गैस गलियारे के माध्यम से कैस्पियन सागर से गैस खरीदने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. हालांकि यह मात्रा रूसी गैस आपूर्ति का विकल्प बनने के लिए पर्याप्त नहीं है, फिर भी इस समझौते को रणनीतिक माना जा रहा है. इसके बाद से इस मार्ग ने यूरोपीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (ईबीआरडी), एशियाई विकास बैंक (एडीबी), विश्व बैंक और यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) जैसे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों का उल्लेखनीय रूप से ध्यान खींचा. यूरोप और मध्य एशिया के लिए गलियारे के भू-रणनीतिक और भू-आर्थिक महत्व को देखते हुए, अमेरिका ने भी मध्य गलियारे और ऊर्जा अवसंरचना "में निरंतर निवेश और विकास" के लिए समर्थन प्रकट किया.

अप्रैल 2023 में, जॉर्जिया में चीनी राजदूत ने मध्य गलियारे का समर्थन किया, और जुलाई 2023 में, चीन और जॉर्जिया ने व्यापार में सहयोग बढ़ाने और मध्य गलियारे के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए एक रणनीतिक साझेदारी पर हस्ताक्षर किए.

अपने स्तर पर चीन, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) और मध्य गलियारे के बीच तालमेल बिठाने की कोशिश कर रहा है; हालांकि, दोनों परियोजनाओं के बीच सहयोग सीमित रहा है क्योंकि बीजिंग ने अभी तक इसके विकास में पूरी तरह से निवेश नहीं किया है. 2015 में, अंताल्या में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान, चीन और तुर्की ने बीआरआई और मध्य गलियारे में तालमेल बिठाने की कोशिश की. तथापि, अन्य क्षेत्रीय परियोजनाओं की सीमित सफलता के बाद कई क्षेत्रीय साझेदार बीजिंग के प्रति संशयवादी हो गए हैं. अप्रैल 2023 में, जॉर्जिया में चीनी राजदूत ने मध्य गलियारे का समर्थन किया, और जुलाई 2023 में, चीन और जॉर्जिया ने व्यापार में सहयोग बढ़ाने और मध्य गलियारे के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए एक रणनीतिक साझेदारी पर हस्ताक्षर किए.

भारत के लिए अवसर

भारत हाइड्रोकार्बन से भरपूर और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मध्य एशिया और यूरेशिया के साथ एक रचनात्मक और रणनीतिक संबंध बनाए हुए है. अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी), जो सेंट पीटर्सबर्ग, रूस को मुंबई, भारत से जोड़ने वाला 7,200 किलोमीटर लंबा समुद्री मार्गों, सड़कों और रेलवे का नेटवर्क है, ने 2002 के बाद से उल्लेखनीय प्रगति की है. 13 देशों द्वारा अनुमोदित, आईएनएसटीसी ने स्वेज नहर मार्ग की तुलना में पारगमन समय को 40 प्रतिशत और मालभाड़े की लागत को 30 प्रतिशत कम कर दिया है. हालांकि, 2018 में अमेरिका के संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) से हटने के बाद ईरान पर कठोर प्रतिबंधों के कारण आईएनएसटीसी ठप हो गया था. हालांकि, पश्चिमी प्रतिबंधों की वजह से उत्तरी गलियारे के साथ व्यापार के बाधित होने की वजह से, आईएनएसटीसी रूस के लिए महत्वपूर्ण हो गया है. मई 2023 में, रूस और ईरान ने आईएनएसटीसी के पश्चिमी मार्ग के रश्त और अंज़ाली के माध्यम से अस्तारा को जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण 164 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन के निर्माण कार्य की गति बढ़ा दी. रूस से 1.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अंतरराज्यीय ऋण के साथ, रश्त-अस्तारा रेलवे लाइन का निर्माण रफ़्तार पकड़ चुका है और यह 2027 में पूरा कर लिया जाएगा. इसके अतिरिक्त, रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह को ईरानी रेलवे प्रणाली और आईएनएसटीसी से जोड़ने वाला महत्वपूर्ण 628 किलोमीटर लंबा चाबहार-ज़ाहेदान रेलवे मार्ग अगले साल पूरा हो जाएगा.

आईएनएसटीसी के हिस्से के रूप में, भारत यूरोपीय संघ के व्यापक बाज़ारों, कैस्पियन क्षेत्र और मध्य एशिया तक पहुंच को सुविधाजनक बनाने के लिए मध्य गलियारे का उपयोग कर सकता है. एक बार रश्त-अस्तारा रेलवे लाइन पूरी हो जाने के बाद, आईएनएसटीसी के पश्चिमी मार्ग के साथ पारगमन समय मौजूदा 25-30 दिनों से घटकर केवल 10 दिन रह जाएगा. 16,129 किलोमीटर लंबा पारंपरिक समुद्री मार्ग 45 दिन का पारगमन समय लेता है. आईएनएसटीसी का पश्चिमी मार्ग अज़रबैजान में मध्य गलियारे को पार करता है, जो नई दिल्ली को बाकू-टिब्लिसी-बटुमी या बाकू-टिब्लिसी-कार्स के माध्यम से कम समय में यूरोप और काला सागर क्षेत्र के व्यापक बाज़ारों तक पहुंचने में सक्षम बनाएगा.

मध्य गलियारा मध्य एशियाई देशों के लिए एक आवश्यक मार्ग है जो चीन पर अपनी निर्भरता और उससे जुड़े भू-राजनीतिक जोखिमों को कम करने के लिए यूरोप के साथ अपने व्यापार का विस्तार करने के लिए उत्सुक हैं. अमेरिका और अन्य समान विचारधारा वाले देशों के समर्थन से, मध्य गलियारे के साथ व्यापार 2030 तक तीन गुना बढ़ने की उम्मीद है. इससे अज़रबैजान, जॉर्जिया और कज़ाकिस्तान के बीच व्यापार में 37 प्रतिशत की वृद्धि और इन देशों और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार में 28 प्रतिशत की वृद्धि होगी. भारत के लिए, मध्य गलियारे और आईएनएसटीसी के बीच अभिसरण व्यवधानों के जोखिम को कम करेगा और नई दिल्ली को इस क्षेत्र पर अपनी नरम शक्ति (सॉफ़्ट पावर) के प्रभाव को बढ़ाने में मदद करेगा.

भारत के लिए, मध्य गलियारे और आईएनएसटीसी के बीच अभिसरण व्यवधानों के जोखिम को कम करेगा और नई दिल्ली को इस क्षेत्र पर अपनी नरम शक्ति (सॉफ़्ट पावर) के प्रभाव को बढ़ाने में मदद करेगा.

मध्य गलियारा पहल अज़रबैजान, जॉर्जिया और मध्य एशियाई गणराज्यों जैसे देशों के लिए महान अवसर प्रस्तुत करती है. इसमें आर्थिक विविधीकरण, क्षेत्रीय एकीकरण को प्रोत्साहित करने और मजबूत राजनयिक संबंधों को बढ़ावा देने की क्षमता है. भारत इस क्षेत्र के साथ अपने संबंधों का लाभ उठाकर, मौजूदा भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच भी, यूरेशिया में नई सांस्कृतिक और आर्थिक साझेदारियां बना सकता है.


अयाज़ वानी ऑब्ज़र्वर रिसर्च फ़ाउंडेशन में रणनीतिक अध्ययन कार्यक्रम में अध्येता हैं.

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