बैंकॉक में सम्पन्न हुई 12वीं मेकॉन्ग गंगा सहयोग (एमजीसी) बैठक के परिप्रेक्ष्य में, भारतीय विदेश मामलों के मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अपने म्यांमार के समकक्ष उ थान स्वे से 16 जुलाई को क्षेत्रीय संवाद पहलुओं के संबंध में वार्ता करने के संदर्भ में अलग से मुलाकात की; इस वार्ता के दौरान, विशेष तौर पर, भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय महासड़क (IMT-TH) परियोजना की गति को तेज़ करने के विषय को विशेष प्रमुखता दी गई. उन्होंने सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता के महत्व को बताया, तस्करी के बारे में चिंताएं व्यक्त की, म्यांमार के लोकतांत्रिक परिवर्तन पर भारत के समर्थन को दोहराया, मुद्दों के समाधान के लिए लोग-केंद्रित पहलुओं की सुझाव दी, और म्यांमार के साथ अपनी नीति को एशियाई संघ आसियान के साथ, समन्वय स्थापित कर काम करने का लक्ष्य सामने रखा.
भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय महासड़क योजना (IMT-TH), बेहतर संवाद क्षमता और क्षेत्रीय एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करती है. इसका उद्देश्य भारत के उत्तर पूर्व क्षेत्र को म्यांमार के माध्यम से थाईलैंड से जोड़ना है
भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय महासड़क योजना (IMT-TH), बेहतर संवाद क्षमता और क्षेत्रीय एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करती है. इसका उद्देश्य भारत के उत्तर पूर्व क्षेत्र को म्यांमार के माध्यम से थाईलैंड से जोड़ना है, ताकि तीनों राष्ट्रों के बीच व्यापार और वाणिज्य, स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यटन को सुविधाजनक और लागत-कुशल परिवहन मार्ग प्रदान किया जा सके. भारत ने सड़क नेटवर्क द्वारा कंबोडिया, लाओस और वियतनाम आदि को शामिल करके सड़क परियोजना को और विस्तृत करने की प्रस्तावना दी है, जिससे इसकी रेंज और संभावित प्रभाव में और वृद्धि हो सके. बांग्लादेश भी व्यापार संबंधों और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इस पहल के साथ जुड़ने में रुचि रखता है.
2002 में इसे आरंभ किए जाने के बाद से, त्रिपक्षीय महासड़क परियोजना को विभिन्न कारणों से विलंब और चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिसमें म्यांमार में राजनीतिक अस्थिरता और वित्तीय मुद्दे भी शामिल हैं. हालांकि, हाल के वर्षों, सड़कों के काफी हिस्सों पर कार्य पूरा हुआ हैं या पूरा होने के करीब हैं. परियोजना का उद्देश्य एक महत्वपूर्ण रणनीतिक मार्ग स्थापित करना है, लेकिन उसकी प्रारंभिक चालन योग्यता के लिए पहले के लक्ष्यों में काफी देरी हो चुका है. शुरुआत में, सरकार ने 2015 तक इस हाईवे को चालन के योग्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था परंतु अब नई समय सीमा 2027 के रूप में निर्धारित की गई है. इसलिए, वर्तमान स्थिति का निकट से मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण है ताकि इस हो रही देरी से प्रभावित परियोजना की प्रगति का मूल्यांकन किया जा सके.
भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय महासड़क/हाईवे (आइएमटी-टीएच) परियोजना एक प्रस्तावित योजना का पालन करती है जो बैंकॉक से शुरू होती है और थाईलैंड में सुखोथाई और मे सोट जैसे शहरों से होते हुए, भारत पहुंचने से पहले, म्यांमार के यांगन, मंडले, कालेवा और तामु शहर होते हुए आती है. संभावना है कि यह मोरेह, कोहिमा, गुवाहाटी, श्रीरामपुर, सिलीगुड़ी और कोलकाता से होकर गुज़रेगी, जिसमें लगभग 2,800 किलोमीटर का फैलाव होगा. सड़क का सबसे लंबा टुकड़ा भारत में होगा, जबकि सबसे छोटा सड़क खंड थाईलैंड में होगा.
हाल के एक साक्षात्कार में, थाईलैंड के उप विदेश मामलों के मंत्री विजावत इसाराभाकड़ी ने कहा कि, थाईलैंड में त्रिपक्षीय महासड़क परियोजना का अधिकांश काम पूरा हो चुका है. उनके भारतीय समकक्ष उप-विदेश मंत्री ने भी माना कि परियोजना का लगभग 70 प्रतिशत काम पूरा हो गया है. पूछे जाने पर, म्यांमार के व्यापार मंत्री आंग नाइंग ऊ ने बताया कि 1.512 किमी क्षेत्र को ढंकते हुए, सड़क का बड़ा हिस्सा तैयार हो चुका है. ठेकेदार शेष भागों को तीन साल के भीतर पूरा करेंगे.
लंबे समय से चल रही बाधा
भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय महासड़क परियोजना (आइएमटी-टीएच) म्यांमार में एक महत्वपूर्ण सड़क नेटवर्क को समाहित करती है, जिसने हाल के समय में उल्लेखनीय विकास देखा है, लेकिन अब भी कई खंड में प्रगति की आवश्यकता है. मूल (आइएमटी-टीएच) संरचनाओं के कई खंड या तो पूरे हो चुके हैं या उन्हें अपग्रेड किया गया है, जिनमें म्यांमार और थाईलैंड को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण बाईपास सड़क भी शामिल हैं, जो म्यावड़ी और कावकरेक को जोड़ती है और म्यावड़ी और मेसोट को जोड़ने वाले दूसरे मित्रता पुल का निर्माण किया गया है. इसके अलावा, चल रहे प्रयास में केलेवा (भारत) और मोनीवा (म्यांमार) के बीच सड़कों की मरम्मती और रख-रखाव, जापान के समर्थन में नई बागो पुल का निर्माण और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के समर्थन में म्यांमार में बागो और क्याईकटो को जोड़ने वाली एक मुख्य सड़क का विकास शामिल है. हालांकि, तामु-क्यिगोन-केलेवा सड़क पर 69 पुलों को बदलने की तत्परता से आवश्यक है. 2015 से ही, इस स्थिति पर कार्य में काफी देर हो चुकी है क्योंकि ठेकेदार के साथ समझौता को समाप्त कर दिया गया था. हाल ही में प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, मोरेह (मणिपुर में) और तामु (म्यांमार में) के बीच पहले पुल पर काम जल्दी ही फिर से होने की उम्मीद है. हालांकि, एक ठीक समय-रेखा की आवश्यकता है.
जटिल यार गी सड़क खंड पर निर्माण की प्रक्रिया जारी है, जो त्रिपक्षीय हाईवे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. सड़क के ये विशेष हिस्से अपनी तीखे ढाल और तेज़ मुड़ाव के लिए जाने जाते हैं, जिस वजह से निर्माण प्रक्रिया को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. वर्तमान में, मात्र 25 प्रतिशत सड़क ही पूरी हुई है. म्यांमार के व्यापार मंत्री ने सूचित किया है कि 121.8 किमी का हिस्सा, विशेष रूप से केलेवा और ‘यार-जी’ के तट को एक चार-लेन सड़क में तब्दील करने में अनुमान से अधिक समय की आवश्यकता होगी. इसके परिणामस्वरूप, निर्माण टीम को शुरुआती समापन की मूल अंतिम समापन समय सीमा को बढ़ाने या टालने की आवश्यकता हो सकती है.
इसके अतिरिक्त, म्यांमार में महत्वपूर्ण सुरक्षा समस्याएँ बरकरार हैं. चिन राज्य और सागाइंग क्षेत्र, जहाँ अधिकांश काम जारी है, वैसे क्षेत्र, जूंटा और जनजाति सशस्त्र समूहों के बीच जारी संघर्षों से घिरे हुए हैं. यदि स्थितियाँ शांत नहीं होती हैं, तो ठेकेदारों द्वारा काम के पुनःआरंभ होने की संभावना असंभव प्रतीत होती है.
भारत, म्यांमार और थाईलैंड के बीच वाहनों को सहजता से चलाना काफी चुनौतीपूर्ण है. ब्यूरोक्रेटिक कठिनाइयाँ विभिन्न नियमों और प्रक्रियाओं में वाहन गतिविधियों की विभिन्नताओं के कारण सभी राष्ट्रों में मंजूरियाँ और अनुमतियों को प्राप्त करने की प्रक्रिया को काफी चुनौतीपूर्ण बनाती हैं
एक और पहलू जिसे तुरंत ध्यान में लिए जाने की आवश्यकता है, वो है आईएमटी-त्रिपक्षीय मोटर वाहन समझौता (IMT-TMVA) को प्रायोजित करना और उसके उपरांत उस पे अमल किया जाना. जबकि भारत सरकार ने 2016 में तीनों देशों के बीच मोटर वाहन समझौते (MVA) के संभावित लाभों के प्रति स्टॉक होल्डरों को सजग और संवेदनशील किया जाने के उद्देश्य से IMT-TH फ्रेंडशिप कार रैली आयोजित की थी, परंतु बहुत ज्य़ादा उल्लेखनीय जैसा कुछ हुआ नहीं. इसके पीछे कई कारण हैं; IMT-TMVA को प्रायोजित करने के लिए सबसे बड़ी चुनौती, ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी और वो भी विशेष तौर पर म्यांमार में है. देश में सीमित सड़क नेटवर्क और खराब कनेक्टिविटी है, जिसके कारण भारत, म्यांमार और थाईलैंड के बीच वाहनों को सहजता से चलाना काफी चुनौतीपूर्ण है. ब्यूरोक्रेटिक कठिनाइयाँ विभिन्न नियमों और प्रक्रियाओं में वाहन गतिविधियों की विभिन्नताओं के कारण सभी राष्ट्रों में मंजूरियाँ और अनुमतियों को प्राप्त करने की प्रक्रिया को काफी चुनौतीपूर्ण बनाती हैं, जिस वजह से ये स्थिति काफी समय लेने वाली और नीरस बन जाती है. यह विशेष रूप से छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (SMEs) के लिए चुनौतीपूर्ण होगा, जिन्हें जटिल नियामक नियमावली को समझने के लिए अधिक संसाधन की आवश्यकता हो सकती है.
इसके अतिरिक्त, IMT-TMVA के अमलीकरण की राह में म्यांमार में सुरक्षा स्थिति भी एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है. देश ने हाल के वर्षों में राजनीतिक अस्थिरता और संघर्ष का सामना किया है, जिससे सड़क परिवहन की सुरक्षा पर असर पड़ा है. वहाँ पर अक्सर गाड़ियों पर होने वाले हमलों की रिपोर्ट और परिवहन मार्गों की व्यवस्था में विघटन की घटनाएँ सुनाई देती रही हैं, जो व्यापार और यात्रियों के लिए एक स्वाभाविक खतरा साबित हो सकता है. इसके परिणाम स्वरूप, मोटर चालक और यात्रीगण की सुरक्षा का मुद्दा चिंतनीय है, जो किसी भी समझौते के औचित्य को प्रभावित कर सकती है.
भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय महासड़क के सफलता पूर्वक पूरा होने से न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि इसमें प्रतिभागी देशों के बीच और भी मज़बूत क्षेत्रीय समन्वय, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सहयोग की राह खुलेगी
विचार के प्रमुख कारक
भूखंडी मार्ग परियोजना और IMT-TMVA के लाभों को अधिकतम करने के लिए सीमा-सथानिक परिवहन को सुगम बनाने और अवसंरचना सीमाओं, ब्यूरोक्रैटिक कठिनाइयों और सुरक्षा संकेतों का समाधान किया जाना महत्वपूर्ण होगा. पर्याप्त वित्त प्रावधान और संसाधन आवंटन इन चुनौतियों को पार करने और इस परिवर्तनकारी क्षेत्रीय पहल की पूरी संभावना को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
भारत का म्यांमार की लोकतांत्रिक परिवर्तन प्रक्रिया का समर्थन और शांति और स्थिरता पर दिया जाने वाला ज़ोर, क्षेत्र की प्रगति और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है. म्यांमार के साथ नीति समन्वय को आसियान (ASEAN) के साथ मज़बूती प्रदान करना, क्षेत्रीय मुद्दों के प्रति समग्र दृष्टिकोण के प्रति एक सहायक योजना की ओर योगदान करेगा और कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिए स्थिर माहौल सुनिश्चित करेगा.
कुल सारांश ये है कि, भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय महासड़क के सफलता पूर्वक पूरा होने से न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि इसमें प्रतिभागी देशों के बीच और भी मज़बूत क्षेत्रीय समन्वय, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सहयोग की राह खुलेगी, जो मेकॉन्ग-गंगा क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के प्रति एक योगदान साबित होगा.
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