Author : Don McLain Gill

Expert Speak Raisina Debates
Published on Sep 04, 2024 Updated 0 Hours ago

चीन के उलट, दक्षिणी पूर्वी एशिया के देशों ने समुद्री सीमा विवाद के प्रबंधन और उनके निपटारे को लेकर ज़्यादा दिलचस्पी दिखाई है. क्योंकि, ये देश इस क्षेत्र में यथास्थिति को अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के मुताबिक़ बनाए रखने की साझा ख़्वाहिश रखते हैं. 

दक्षिण पूर्व एशिया में फिलीपींस और वियतनाम की बढ़ती सुरक्षा साझेदारी के प्रभाव

28 अगस्त को फिलीपींस के रक्षा मंत्री गिल्बर्टो टियोडोरो के निमंत्रण पर वियतनाम के रक्षा मंत्री जनरल फान वान गियांग मनीला के दौरे पर पहुंचे. दोनों अधिकारियों ने वियतनाम और फिलीपींस के बीच समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में बढ़ते सहयोग को संस्थागत बनाने का इरादा जताने वाले दस्तावेज़ पर दस्तख़त किए, जिसके आधार पर इस साल के अंत में दोनों देश आपस में एक सहमति पत्र (MoU) पर हस्ताक्षर करेंगे. इसके अतिरिक्त, वियतनाम और फिलीपींस एक दूसरे के तटरक्षकों के बीच एक हॉटलाइन स्थापित करने का भी इरादा रखते हैं, ताकि समुद्र में आपसी तालमेल को और बेहतर बनाया जा सके. इससे भी अहम बात ये है कि वियतनाम के रक्षा मंत्री का ये फिलीपींस दौरा ऐसे समय में हुआ है, जब चीन साउथ चाइना सी में बहुत ज़्यादा आक्रामकता दिखा रहा है और इससे निपटने के लिए दोनों देशों ने आपसी साझेदारी बढ़ाने को लेकर हाल के दौर में कई उल्लेखनीय क़दम उठाए हैं.

वियतनाम के रक्षा मंत्री का ये फिलीपींस दौरा ऐसे समय में हुआ है, जब चीन साउथ चाइना सी में बहुत ज़्यादा आक्रामकता दिखा रहा है और इससे निपटने के लिए दोनों देशों ने आपसी साझेदारी बढ़ाने को लेकर हाल के दौर में कई उल्लेखनीय क़दम उठाए हैं.

फिलीपींस-वियतनाम विवाद 

 

फिलीपींस और वियतनाम, दोनों ही साउथ चाइना सी में लंबे समय से चले रहे समुद्री सीमा विवाद के दावेदार देश हैं. वैसे तो दक्षिणी पूर्वी एशिया के इन दोनों देशों के दावे एक दूसरे से टकराने वाले हैं. लेकिन इससे भी ज़्यादा विवादित और साझा चिंता का विषय चीन को इस इलाक़े में हासिल आर्थिक और सैन्य क्षमता की बढ़त है. यही नहीं, चूंकि चीन विवादित क्षेत्र के 80 प्रतिशत से अधिक इलाक़े पर दावा करता है. इसका अर्थ इस रूप में देखने को मिल रहा है कि चीन संसाधनों के मामले में अपनी क्षमता का इस्तेमाल समुद्री क़ानूनों की अंतरराष्ट्रीय संधि (UNCLOS) को धता बताने के लिए करता है और इस तरह दक्षिणी पूर्वी एशिया के दूसरे देशों की संप्रभुता और संप्रभु अधिकारों को चोट पहुंचाता है. हालांकि, विवादों के निपटारे के लिए समुद्री क़ानूनों की संयुक्त राष्ट्र की संधि का पालन करने और चीन के विस्तारवाद को लेकर साझा चिंता के बावजूद, फिलीपींस और वियतनाम, अक्सर चीन से निपटने के लिए स्वतंत्र नीतियों पर अमल करते आए हैं.

विवादों के निपटारे के लिए समुद्री क़ानूनों की संयुक्त राष्ट्र की संधि का पालन करने और चीन के विस्तारवाद को लेकर साझा चिंता के बावजूद, फिलीपींस और वियतनाम, अक्सर चीन से निपटने के लिए स्वतंत्र नीतियों पर अमल करते आए हैं.

राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर के नेतृत्व में फिलीपींस, क़ानूनी तौर पर अपने विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में चीन की दादागीरी का मुक़ाबला करने के लिए बहुआयामी रणनीति पर अमल करते हुए हिंद प्रशांत क्षेत्र के दूसरे देशों और पश्चिम के साथ रक्षा संधियों का एक मज़बूत नेटवर्क बना रहा है. इसी वजह से, पिछले दो वर्षों के दौरान फिलीपींस के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में हमने समुद्री सुरक्षा के मामले में एक के बाद एक द्विपक्षीय, त्रिपक्षीय और बहुपक्षीय गतिविधियों में तेज़ी आते हुए देखा है. जिससे कि चीन के तटरक्षकों (CCG), चीन की नौसेना (PLAN) और चीन के समुद्री हथियारबंद संगठनों द्वारा फिलीपींस के जहाज़ों और उसके चालकों के ख़िलाफ़ की जा रही उकसावे वाली कार्रवाइयों के बीच समुद्री क्षेत्र को स्वतंत्र, खुला और नियमों पर आधारित बनाए रखा जा सके.

 

वहीं दूसरी तरफ़, 21वीं सदी की शुरुआत से ही हमने वियतनाम देखा है कि, चीन के साथ रिश्तों में संतुलन साधने के लिए वियतनाम उसके ज़्यादा नज़दीक जाने या फिर चीन के ख़िलाफ़ अन्य देशों के साथ गठबंधन बनाने से गुरेज करता रहा है. चीन के साथ विवादों को द्विपक्षीय बनाए रखने की वजह से वियतनाम, चीन के साथ भाईचारे वाला रिश्ता बनाए रखने में सफल रहा है. क्योंकि, वियतनाम ये नहीं चाहता कि वो चीन के साथ रिश्ते बिगाड़ कर एक और सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी पर सवाल खड़े होने दे. यही नहीं, राजनीतिक स्वायत्तता का पालन करना वियतनाम की सामरिक संस्कृति का एक और पहलू रहा है, जिसकी वजह से वियतनाम, अपने विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में चीन के विस्तारवाद से निपटने के लिए अमेरिका के साथ संबंधों में गहराई लाने और चीन के ख़िलाफ़ अमेरिका की अगुवाई वाले गठबंधन से परहेज़ करता रहा है.

 

हालांकि, चीन के इकतरफ़ा विस्तारवाद और अपनी ताक़त दिखाने की वजह से दक्षिणी चीन सागर की सुरक्षा का ढांचा बिखराव के कगार पर पहुंच रहा है, और चीन के साथ अपने संबंधों में संतुलन बनाए रखने में वियतनाम को काफ़ी मुश्किलें रही हैं. वियतनाम ने टोनकिन की खाड़ी में भी चीन द्वारा अपनी तटीय सीमा को नए सिरे से परिभाषित करने को लेकर चिंता व्यक्त की है. इसके साथ साथ चीन की मदद से कंबोडिया में बनाई जा रही फ़नान टेको नहर के दोहरे इस्तेमाल वाला मूलभूत ढांचा होने की आशंका से भी वियतनाम की सुरक्षा के लिए ख़तरा बनने का अंदेशा है. इन्हीं सब कारणों से वियतनाम ने अपनी विदेश नीति के रवैये में बदलाव किया है, ताकि चीन के विस्तारवाद की राह में रोड़े खड़े कर सके. इस मामले में सबसे उल्लेखनीय बदलाव ये आया है कि वियतनाम ने सितंबर 2023 से मार्च 2024 के दौरान अमेरिका, जापान, और ऑस्ट्रेलिया के साथ अपने रिश्तों को व्यापक सामरिक साझेदारियों में तब्दील किया है.

 

चीन की भूमिका 



हाल के दिनों में वियतनाम द्वारा समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में फिलीपींस के साथ सहयोग बढ़ाने की कोशिशों में भी तेज़ी आती देखी जा रही है. इसी वजह से चीन के इकतरफ़ा विस्तारवाद और अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का मखौल उड़ाने को देखते हुए जो संरचनात्मक चुनौतियां खड़ी हुई हैं, उनसे निपटने के लिए वियतनाम और फिलीपींस ने एक दूसरे के साथ मिलकर अभियान चलाने और आपसी विश्वास बढ़ाने के लिए कई क़दम उठाए हैं.

 

21 जून को वियतनाम ने एलान किया था कि वो फिलीपींस के साथ सीमा के उन विवादों पर बातचीत करने के लिए तैयार है, जहां पर फिलीपींस भी दावा करता है. दिलचस्प बात ये है कि वियतनाम ने ये सकारात्मक एलान उस वक़्त किया, जब चार दिन पहले ही चीन के तटरक्षकों ने फिलीपींस के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में उसके जहाज़ों के साथ हिंसक टकराव किया था. इस टकराव की वजह से फिलीपींस के एक सैनिक की उंगली भी कट गई थी. उसके बाद से वियतनाम और फिलीपींस के बीच नज़दीकी बढ़ाने की रफ़्तार और तेज़ हो गई है. पांच अगस्त को वियतनाम और फिलीपींस के तटरक्षकों ने पहली बार एक साथ समुद्री अभ्यास किया था. दक्षिणी पूर्वी एशिया के इन दोनों दावेदार देशों के बीच ये पहला साझा समुद्री युद्धाभ्यास था. यही नहीं, फिलीपींस के तटरक्षक (PCG) इस साल के आख़िर में वियतनाम के साथ एक और युद्ध अभ्यास के लिए अपना एक जहाज़ वियतनाम भेजने वाला है. हो सकता है कि इसी दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के सहमति पत्र (MoU) पर भी दस्तख़त किए जाएं.

 

फिलीपींस और वियतनाम के बीच समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में अधिक मज़बूत सहयोग, दक्षिणी पूर्वी एशिया की सुरक्षा के लिहाज से एक परिवर्तनकारी लम्हा होगा. दक्षिणी पूर्वी एशियाई देशों द्वारा साउथ चाइना सी को लेकर अलग अलग और एक दूसरे से टकराव वाली नीति पर चलने का सबसे ज़्यादा फ़ायदा चीन को ही हुआ है. सच्चाई तो ये है कि साउथ चाइना सी में सभी देशों के लिए मान्य कोड ऑफ कंडक्ट पर सहमति बनाने की राह में रोड़े खड़े करने के लिए मुख्य रूप से चीन ही ज़िम्मेदार है. ऐसे में अगर फिलीपींस और वियतनाम एक दूसरे के बीच आपसी विश्वास बढ़ाने और साउथ चाइना सी में एक दूसरे के साथ मिलकर काम करने की क्षमता को बेहतर बनाते रहते हैं, तो चीन के लिए लिए साउथ चाइना सी में और ख़ास तौर से उन इलाक़ों में अपनी उकसावे वाली गतिविधियों को बेलगाम ढंग से चलाना मुश्किल होगा, जो वियतनाम और फिलीपींस के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) वाले हैं.

चीन के उलट, दक्षिणी पूर्वी एशिया के देशों ने समुद्री सीमा विवाद के प्रबंधन और उनके निपटारे को लेकर ज़्यादा दिलचस्पी दिखाई है. क्योंकि, ये देश इस क्षेत्र में यथास्थिति को अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के मुताबिक़ बनाए रखने की साझा ख़्वाहिश रखते हैं. 

चीन के उलट, दक्षिणी पूर्वी एशिया के देशों ने समुद्री सीमा विवाद के प्रबंधन और उनके निपटारे को लेकर ज़्यादा दिलचस्पी दिखाई है. क्योंकि, ये देश इस क्षेत्र में यथास्थिति को अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के मुताबिक़ बनाए रखने की साझा ख़्वाहिश रखते हैं. दिसंबर 2022 में इंडोनेशिया और वियतनाम ने समुद्र के क़ानूनों की संयुक्त राष्ट्र की संधि (UNCLOS) के मुताबिक़ अपने अपने विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र की सीमाओं को परिभाषित किया था. ऐसे में सीमा विवाद के निपटारे के मक़सद से फिलीपींस और वियतनाम के लिए एक दूसरे के साथ रिश्ते बेहतर बनाने की मौजूदा रफ़्तार को बनाए रखना और इसे और मज़बूत बनाना काफ़ी अहम होगा. अगर दोनों देश इसमें कामयाब रहते हैं, तो मलेशिया और ब्रुनेई जैसे दूसरे दावेदारों के लिए भी ये एक मिसाल बनेगी. इस तरह से अंतत: दक्षिणी पूर्वी एशिया के सभी देश साउथ चाइना सी के लिए कोड ऑफ कंडक्ट तय करने में चीन की बाधा से पार पा सकेंगे.

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