Author : RAJEN HARSHÉ

Published on Jul 29, 2023 Updated 0 Hours ago

विश्व की महान शक्तियों की राजनीति और एक ढहती संघीय व्यवस्था इथियोपिया में गृहयुद्ध को प्रभावित कर रही है.

इथियोपिया में चल रहा गृहयुद्ध: घरेलू और अंतरराष्ट्रीय परिणामों की गुत्थी को सुलझाने की कोशिश
इथियोपिया में चल रहा गृहयुद्ध: घरेलू और अंतरराष्ट्रीय परिणामों की गुत्थी को सुलझाने की कोशिश

इथियोपिया (Ethiopia) में टाइग्रे क्षेत्र और प्रधानमंत्री अबी अहमद के नेतृत्व वाली संघीय सरकार के बीच गृह युद्ध एक साल से थोड़ा अधिक समय से चल रहा है है, और आमने-सामने की इस लड़ाई में दो दलों के बीच बातचीत के माध्यम से इस गृह युद्ध (Civil War) को समाप्त करने की संभावनाएं अभी भी धूमिल दिखाई देती हैं. इस युद्ध में एक तरफ है इथियोपियन डिफेंस फोर्सेज, इरिट्रिया डिफेंस फोर्सेज़, अमहारा स्पेशल फोर्स और संबद्ध मिलिशिया और दूसरी तरफ है टाइग्रे पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट, टीपीएलएफ (Tigray People’s Liberation Front, TPLF) और ओरोमो लिबरेशन आर्मी, ओएलए (Oromo Liberation Army, OLA) की टाइग्रे डिफेंस फोर्सेज़, टीडीएफ (Tigray Defence Forces, TDF). समूचे टाइग्रे इलाक़े पर कब्ज़ा करने के बाद, टीपीएलएफ ने अमहारा और अफ़ार क्षेत्र में आक्रमण शुरू किया और राजधानी अदीस अबाबा की ओर अपना मार्च शुरू किया. टीपीएलएफ ने अमहारा क्षेत्र से डेसी और कोम्बोल्चा शहर पर कब्ज़ा करने का दावा किया है. उनकी सेनाएं राजधानी से क़रीब 380 किलोमीटर दूर आ गई थीं. इसे देखते हुए, अबी अहमद ने नवंबर 2021 की शुरुआत में इथियोपिया में आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी थी. अबी अहमद ने मोर्चे से लड़ाई का नेतृत्व करते हुए अनिवार्य सैनिक सेवा के विकल्प का इस्तेमाल किया. इथियोपिया की एकता और अखंडता को बचाने के प्रयास में उन्होंने युवाओं और नागरिकों को हथियार उठाने के लिए आमंत्रित किया साथ ही सेना से सेवानिवृत्त हुए लोगों का सहयोग मांगा. इसके अलावा, दिसंबर 2021 की शुरुआत में, घटनाओं के एक नाटकीय मोड़ में, अबी अहमद तुर्की, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से हथियार प्राप्त करने में सक्षम हो गए है, जिसने कथित तौर पर टीपीएलएफ के लाभ को उलट दिया है, हालांकि टीपीएलएफ अपने पीठे हटने को क्षेत्रीय समायोजन की रणनीति के रूप में देखता है.

टीपीएलएफ ने अमहारा क्षेत्र से डेसी और कोम्बोल्चा शहर पर कब्ज़ा करने का दावा किया है. उनकी सेनाएं राजधानी से क़रीब 380 किलोमीटर दूर आ गई थीं. इसे देखते हुए, अबी अहमद ने नवंबर 2021 की शुरुआत में इथियोपिया में आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी थी.

हालांकि, इस खूनी गृहयुद्ध के कारण, हज़ारों लोगों की जान चली गई है, और कम से कम दो मिलियन लोग बेघर हो गए हैं और कुछ को पड़ोसी सूडान में शरण लेने के लिए मज़बूर हुए हैं. संघीय सरकार की मनमानी नीतियों के कारण टाइग्रे क्षेत्र को बड़े पैमाने पर भुखमरी से होने वाली मौतों का सामना करना पड़ा है. उत्तरी भागों में रहने वाले लगभग सात मिलियन लोगों में से 400,000 लोग अकाल जैसी स्थितियों का सामना कर रहे हैं, जबकि 80 प्रतिशत लोगों के लिए आवश्यक दवाएं उपलब्ध नहीं हैं. इसके अलावा, टाइग्रे क्षेत्र की लक्षित आबादी पर यौन हमलों सहित कई अत्याचार किए जा रहे हैं. सीधे शब्दों में कहें तो, विद्रोही तत्वों द्वारा किए जा रहे मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन के साथ मानवीय संकट जैसे हालात ने राजनीतिक रूप से स्थिर इथियोपिया को दलदल जैसी स्थिति में डाल दिया है. 

लगभग 110 मिलियन की आबादी के साथ नाइजीरिया के बाद अफ्रीका में दूसरे सबसे बड़े आबादी वाले देश के रूप में, इथियोपिया में 90 से अधिक जातीय समूह हैं और 80 से ज़्यादा भाषाएँ बोली जाती हैं. वर्ष 1994 के बाद से, प्रधान मंत्री मेल्स ज़नावी ने जातीय संघवाद की प्रणाली को अपनाया जिसने इथियोपिया को 10 जातीय-भाषाई राज्यों और दो चार्टर्ड शहरों में संगठित किया है. डेविड ओटावे के तर्कों के मुताबिक इसके गंभीर परिणाम हुए हैं. इथियोपिया में इस वर्तमान राजनीतिक अस्थिरता के बीज टाइग्रे जातीय समूह के उस दावे में निहित है जिसके तहत वह इथियोपियन राजनीति के साथ-साथ समाज में अपनी पूर्ववर्ती प्रमुख स्थिति को बहाल करने की कोशिश में जुटा है.

इस खूनी गृहयुद्ध के कारण, हज़ारों लोगों की जान चली गई है, और कम से कम दो मिलियन लोग बेघर हो गए हैं और कुछ को पड़ोसी सूडान में शरण लेने के लिए मज़बूर हुए हैं. संघीय सरकार की मनमानी नीतियों के कारण टाइग्रे क्षेत्र को बड़े पैमाने पर भुखमरी से होने वाली मौतों का सामना करना पड़ा है.

अबी अहमद और उनकी नीतियां

इससे पहले, इथियोपियन पीपुल्स रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट, ईपीआरडीएफ (Ethiopian People’s Revolutionary Democratic Front, EPRDF), एक चार पार्टी गठबंधन, जिसका नेतृत्व मुख्य रूप से टाइग्रे जातीय समूह ने किया था, ने 1991 में मेंगिस्टु हैले मरियम के मार्क्सवादी-लेनिनवादी शासन को सफलतापूर्वक उखाड़ फेंका था. हालांकि, ओरोमो और अमहारा जातीय समूह मिलकर 60 फीसदी आबादी का हिस्सा हैं, फिर भी इथियोपिया की कुल आबादी का केवल छह से सात फीसदी हिस्सा होने वाला टाइग्रे समुदाय 1991 से 2018 तक इथियोपियाई राज्य में सत्ता का केंद्र रहे और हर रूप में देश को चलाने का काम किया. अबी अहमद भी इथियोपियन पीपुल्स रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट से संबंधित थे और तीसरे अध्यक्ष बने, लेकिन उन्होंने ईपीआरडीएफ का साथ छोड़ कर साल 2019 में प्रोस्पेरिटी पार्टी, पीपी (Prosperity Party, PP) की. अबी अहमद ओरोमो समुदाय  से ताल्लुक रखने वाले मिश्रित नस्ल यानी मिक्सड रेस के व्यक्ति हैं, जिनके पिता मुस्लिम पिता और मां ईसाई थीं. उनकी महानगरीय पृष्ठभूमि के चलते उन्हें इथियोपिया की अलग अलग धार्मिक, क्षेत्रीय और भाषाई विविधताओं के बीच तालमेल बैठाने वाले एक आदर्श राजनीतिक उम्मीदवार के रूप में माना जाता रहा है. यही वजह है कि राज्य की संघीय संरचना के प्रबंधन के लिए उन पर भरोसा किया गया.

पदभार संभालने के बाद, अबी अहमद ने कई प्रगतिशील क़दम उठाए जिनमें विपक्षी दलों को अपराधमुक्त करने, राजनीतिक कैदियों को रिहा करने और भ्रष्ट अधिकारियों को दंडित करने जैसी गतिविधियां शामिल थीं. 

साल 2018 में पदभार संभालने के बाद, अबी अहमद ने कई प्रगतिशील क़दम उठाए जिनमें विपक्षी दलों को अपराधमुक्त करने, राजनीतिक कैदियों को रिहा करने और भ्रष्ट अधिकारियों को दंडित करने जैसी गतिविधियां शामिल थीं. उन्होंने कई भ्रष्ट अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई का काम भी किया. यह सीधे तौर पर ईपीआरडीएफ की दमनकारी नीतियों को उलट करने वाले क़दम थे. उन्होंने सेना में सुधार संबंधी क़दम भी उठाए जिसनमें अपने प्रति वफ़ादार अधिकारियों को शामिल कर सुधारवादी ढांचा लागू करने का काम शामिल था. इस तरह के फैसले टाइग्रे जातीय समूह को नागवार गुज़रे और उन्होंने इनका विरोध किया. एक बेहद अजीब तथ्य यह भी है कि कुल आबादी में बेहद कम फीसदी हिस्सा रखने वाले टाइग्रे समुदाय की इथियोपियाई सेना के भीतर खासी पकड़ थी. सेना के अधिकारियों का एक बड़ा अनुपात यानी 18 प्रतिशत सेना के जवान टाइग्रे जातीय समूह से थे. इसके अलावा, अबी अहमद की विदेश नीति भी शुरुआती दिनों में आशाजनक दिखाई दी. हालाँकि 1998-2000 के दौरान, इथियोपिया ने इरिट्रिया के साथ युद्ध झेला था, लेकिन अबी अहमद की पहल ने इरिट्रिया जैसे पारंपरिक रूप से शत्रुतापूर्ण पड़ोसी के साथ इथियोपियाई की सफलतापूर्वक मित्रता को स्थापित किया और साल 2019 में उन्हें इसके लिए नोबेल शांति पुरस्कार भी मिला. उन्होंने सऊदी अरब जैसे अरब देशों के साथ संबंध बनाने शुरू किए ताकि यूएई और कतर इथियोपिया के विकास में सहयोग को बढ़ावा दे सकें. इस बीच उनके नेतृत्व वाली पीपी पार्टी ने जुलाई 2021 में संपन्न हुए आम चुनावों में भारी जीत दर्ज की, हालांकि चुनाव के दौरान टाइग्रे क्षेत्रों में हिंसा और विपक्ष के बहिष्कार जैसे घटनाएं भी हुईं. संक्षेप में, अबी अहमद टाइग्रे से विद्रोही समूहों को संभालने में अकेले विफल रहे हैं और समय बीतने के साथ, गृहयुद्ध का दायरा केवल जटिल और चौड़ा हो गया है.

इथियोपिया न केवल इस महाद्वीप के भीतर महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है, बल्कि यह अफ्रीका के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भी है. यह पिछले कुछ दशकों में अमेरिका का स्थिर सहयोगी रहा है.

गृहयुद्ध के लिए प्रेरित करने वाले कारक

इथियोपिया में मौजूदा संकट के केंद्र में, केंद्र और क्षेत्रीय राज्य इकाइयों के बीच संबंधों में तनाव है. टाइग्रे समुदाय के बहुल क्षेत्र उत्साहपूर्वक अपनी स्वायत्तता की रक्षा करने की आकांक्षा रखते हैं, जैसा कि उन्होंने सितंबर 2020 में क्षेत्रीय संसद के चुनाव आयोजित करके प्रदर्शित किया. यह चुनाव कोविड-19 के संकट के दौरान केंद्र द्वारा चुनावों को स्थगित किए जाने के आदेशों के बावजूद आयोजित किए गए. इसके अलावा, टाइग्रे के सैन्य कर्मियों ने संघीय सेना का विरोध करना शुरू कर दिया. इस के बाद वह टीपीएलएफ में शामिल हो गए और नवंबर 2020 में, उन्होंने हथियार चोरी करने के लिए संघीय सेना के अड्डे पर हमला किया, जिससे टाइग्रे और संघीय सरकार के बीच एक सैन्य टकराव शुरू हो गया. टाइग्रे विद्रोहियों द्वारा लगातार की जा रही इन गतिविधियों ने अबी अहमद शासन को टाइग्रे के ख़िलाफ़ पूर्ण पैमाने पर हमला करने और कड़ाई का रुख अपनाने को प्रेरित किया जिसके चलते टाइग्रे क्षेत्रों में मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामले भी सामने आए. अपनी स्वायत्तता को बनाए रखने के लिए टाइग्रे लोगों के विद्रोह के उलट, अबी अहमद क्षेत्रीय स्वायत्तता और/या असंतोष को दबाकर इथियोपिया को एक मज़बूत केंद्रीकृत संघीय सरकार के साथ चलाने का लक्ष्य रखते हैं. उनके शासन ने टीपीएलएफ को आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया. इस संबंध में यह रेखांकित करने की आवश्यकता है कि नाइजीरिया या सूडान जैसी विविध आबादी वाले बड़े आकार के अफ्रीकी राज्यों में गृह युद्धों ने हमेशा विश्व राजनीति में व्यापक ध्यान आकर्षित किया है और इथियोपिया इस का अपवाद नहीं है.

वास्तव में, इथियोपिया न केवल इस महाद्वीप के भीतर महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है, बल्कि यह अफ्रीका के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भी है. यह पिछले कुछ दशकों में अमेरिका का स्थिर सहयोगी रहा है. साल 1993 में इरिट्रिया के इथियोपिया से अलग होने तक, इथियोपिया की एक लंबी तटरेखा थी. हालाँकि, इस समय, यह छह महत्वपूर्ण अफ्रीकी पड़ोसियों से घिरा एक भूमि-प्रधान राज्य है. चूंकि इथियोपिया में राजनीतिक अस्थिरता, लंबे समय तक चले गृहयुद्ध से बढ़ गई है, इस का प्रभाव अनिवार्य रूप से अफ्रीका प्रमुख देशों पर पड़ेगा. इथियोपिया के विकास को एक तरफ क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा गंभीरता से नोट किया जा रहा है और वहीं दुनिया भर की दूसरी क्षेत्रीय शक्तियाँ भी इस क्षेत्र को गंभीरता से देख रही है. उदाहरण के लिए, इथियोपिया में अफ्रीकी संघ (एयू) की शांति पहल को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) द्वारा समर्थित किया जा रहा है. इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र के राजनीतिक प्रमुख, रोज़मेरी डिकार्लो ने गृहयुद्ध के जटिल होने और उसके प्रभाव के खतरों को रेखांकित किया है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने लगातार इस क्षेत्र में लड़ाई खत्म करने का आह्वान किया है. इसके अलावा, अफ्रीकी संघ आयोग के अध्यक्ष ने इंटरगवर्नमेंटल अथॉरिटी ऑन डेवलपमेंट (Intergovernmental Authority on Development, IGAD) के कार्यकारी सचिव, कीनिया के राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा के साथ मिलकर शत्रुता को तत्काल समाप्त करने की अपील की है.

हालांकि, चीन किसी भी देश के आंतरिक मामले में गैर-हस्तक्षेप की नीति का पालन करता है, लेकिन चीन द्वारा हथियारों की आपूर्ति करने और इथियोपियाई सरकार के सैन्य खर्च को वहन करने की पूरी संभावना जताई गई है.

इसके अलावा, गृहयुद्ध की तीव्रता के साथ, फ्रांस, कनाडा और अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों ने अपने नागरिकों, विशेष रूप से दूतावास के कर्मचारियों और अन्य गैर-ज़रूरी कर्मियों के परिवारों को इथियोपिया से निकालने का विकल्प चुना है. अमेरिकी विदेश मंत्री, एंथनी ब्लिंकन ने केन्या की अपनी यात्रा पर,  न केवल इथियोपिया में गृह युद्ध पर चर्चा की, बल्कि इथियोपिया के निर्यात को शुल्क मुक्त बनाने के नियम को स्थगित किया. अमेरिका ने माना कि मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन के कारण इथियोपिया ने अफ्रीकी विकास और अवसर अधिनियम की पात्रता आवश्यकता को पूरा करना बंद कर दिया है. प्रत्यक्ष रूप से ऐसा प्रतीत होता है कि गृहयुद्ध को समाप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बन रहा है. हालांकि, गृहयुद्ध को उन नीतिगत विकल्पों के दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए जो अबी अहमद के शासन के पास उपलब्ध हैं.

अब आगे क्या होगा?

शुरुआत में, टाइग्रे गृहयुद्ध छिड़ने तक, अमेरिका ने इथियोपिया को अपना स्थिर भागीदार माना. अमेरिका इथियोपिया का सबसे बड़ा मददगार रहा है और राजदूत जेफरी फेल्टमैन के अनुसार, साल 2016 से 2020 तक उसने इथियोपिया को मानवीय सहायता के रूप में 4.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता प्रदान की है. बदले में, इथियोपिया ने भी आतंकवाद के ख़िलाफ़ अपने वैश्विक युद्ध में अमेरिकी प्रयासों का समर्थन किया था. उदाहरण के लिए, इसने सोमालिया में इस्लामिक आतंकवादी संगठनों का मुक़ाबला करने के लिए अमेरिका का समर्थन किया, जिसके कारण 2006 में अल शबाब के पूर्ववर्ती, इस्लामिक कोर्ट्स यूनियन को हटा दिया गया था. इस बीच अगर अमेरिका अपनी इस सहायता को बंद कर देता है तो चीन सत्ता के इस शून्य को भरने के लिए तैयार रहेगा और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अफ्रीकी क्षेत्रों की राजनीति में चीन की पहल बढ़ेगी. चीन पहले से ही इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एक प्रमुख खिलाड़ी है. दिसंबर 2021 में चीनी विदेश मंत्री वांग यी की इथियोपिया यात्रा के साथ, चीन ने अबी अहमद शासन का साथ देकर इथियोपिया के गृहयुद्ध में प्रवेश कर लिया था. हालांकि, चीन किसी भी देश के आंतरिक मामले में गैर-हस्तक्षेप की नीति का पालन करता है, लेकिन चीन द्वारा हथियारों की आपूर्ति करने और इथियोपियाई सरकार के सैन्य खर्च को वहन करने की पूरी संभावना जताई गई है. इतना ही नहीं, इथियोपिया ने साल 2000 से 2019 तक चीनी ऋणदाताओं से 13.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का उधार लिया है. पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी बढ़ती हिस्सेदारी के अलावा, चीन लगातार लाल सागर और अफ्रीका के महत्वपूर्ण इलाक़ों में अपने समुद्री हितों का विस्तार कर रहा है. जिबूती में चीन का पहले से ही एक सैन्य अड्डा है और केन्या, सूडान और दक्षिण सूडान जैसे देशों के साथ सौहार्दपूर्ण व्यापार, वाणिज्यिक और सैन्य संबंध हैं. इसके अलावा, इथियोपिया ब्लू नाइल नदी पर ग्रैंड इथियोपियन पुनर्जागरण बांध बनाने में लगा हुआ है, जहां यह मिस्र और सूडान जैसे अपने तत्काल पड़ोसियों के साथ संघर्ष में लिप्त रहा है. मिस्र उत्तर अफ्रीकी/पश्चिम एशियाई राजनीति में तुर्की का प्रतिद्वंद्वी है और तुर्की हथियारों की बिक्री के माध्यम से अफ्रीका में अपने हितों का विस्तार कर रहा है. उदाहरण के लिए, अबी अहमद शासन द्वारा टाइग्रे विद्रोह को दबाने के लिए तुर्की ड्रोन तैनात किए जा रहे हैं.

निष्कर्ष के तैर पर देखा जाए तो घरेलू स्तर पर, गृह युद्ध का इथियोपिया की राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. संघीय व्यवस्थाओं के माध्यम से एक जटिल बहु-जातीय देश को संभालने से वर्तमान शासन की केंद्रीकरण की प्रवृत्तियों और टाइग्रे समुदाय के क्षेत्रों की स्वायत्तता की रक्षा करने की मांग के बीच एक टसल पैदा हो गई है. इस प्रक्रिया में, प्रमुख क्षेत्रीय/अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ-साथ विश्व/क्षेत्रीय शक्तियां इथियोपियाई विवाद में उलझ गई हैं. इस प्रकार, अफ्रीकी संघ या संयुक्त राष्ट्र अनुष्ठानिक रूप से शत्रुता को समाप्त करने की अपील करते हैं, जबकि प्रमुख वैश्विक शक्तियां जैसे कि अमेरिका, चीन, या ईरान, यूएई, सऊदी अरब और तुर्की जैसी क्षेत्रीय शक्तियां इस क्षेत्र में अपने स्वयं के रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाना जारी रखती हैं. इस बीच गृहयुद्ध का संतोषजनक समाधान आज भी एक सपने जैसा प्रतीत होता है.

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