Author : Anchal Vohra

Published on Apr 27, 2021 Updated 0 Hours ago

जब से अमेरिका ने सीज़र एक्ट को पारित किया है, तब से सीरिया के पुनर्निर्माण में निवेश करने वाले देशों ने अपनी योजनाओं को स्थगित कर दिया है. सीज़र एक्ट के तहत अमेरिका उन देशों पर पाबंदियां लगा सकता है जो सीरिया में निवेश करते हैं.

अमेरिका के लगाए क्षेत्रवार प्रतिबंधों के निशाने पर सीरियाई नागरिक

गृह युद्ध के चलते सीरिया की आधी आबादी विस्थापित होने को मजबूर हुई थी. लेकिन, जो लोग भयंकर हिंसा के बावजूद किसी  किसी तरह अपने घर में रुके रहे या युद्ध के बाद लौट रहे हैं, उन्हें भयंकर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है.

सीरिया के दस में से आठ नागरिक ग़रीबी रेखा के नीचे रहते हैं. सीरिया इस समय भयंकर मुद्रास्फीति का सामना कर रहा है. सीरिया की मुद्रा का लगातार अवमूल्यन हो रहा है. वहीं, ज़रूरी सामानों के दामों में ज़बरदस्त उछाल आया है.

सीरिया की सरकार के क़ब्ज़े वाले इलाक़े में रह रहे अधिकतर सीरियाई नागरिक अपने बच्चों को पेट भर खाना तक नहीं खिला पा रहे हैं. और चूंकि देश में ईंधन का भी संकट है, तो अपने परिवार को गर्म रखने के लिए ये लोग प्लास्टिक या दूसरे कचरे को जलाते हैं.

वर्ष 2008 तक सीरिया अपने पड़ोसी देशों को गेहूं का निर्यात करता था. लेकिन, भयंकर सूखे और उसके बाद लंबे समय तक चले गृह युद्ध ने देश को अनाज का आयातक बना दिया. बशर अलअसद की सरकार अपने देश में अनाज की कमी पूरी करने के लिए रूस के भरोसे थे. लेकिन, कोरोना वायरस की महामारी के चलते रूस ने अपने यहां से अनाज का निर्यात घटाकर आधा कर दिया, जिससे वो अपने देश में अनाज का पर्याप्त भंडार बनाए रख सके. इसके अलावा, कभी पूरे सीरिया का पेट भरने वाला उसका उत्तरी पूर्वी इलाक़ा अब सरकार के नियंत्रण में नहीं है. इस पर अमेरिका के कुर्द सहयोगियों का क़ब्ज़ा है.

सीरिया की जनता को ग़रीबी की ओर धकेलने मेंलेबनान की अर्थव्यवस्था की तबाहीने भी बड़ी भूमिका निभाई है. सीरिया के नागरिकों की बचत के अरबों डॉलर लेबनान के बैंकों में जमा हैं. 

पिछले साल, सीरिया की दिवालिया सरकार ने ईंधन की सब्सिडी घटा दी और रोटी की राशनिंग शुरू कर दी थी. सरकार ने लोगों को स्मार्ट कार्ड दिए हैं, जिससे उन्हें सीमित मात्रा में ही रोटी मिल पाती है. दो लोगों के परिवार को रोटियों का एक पैकेट मिलता है, तो चार लोगों वाले परिवार को रोटियों के तीन पैकेट मिल सकते हैं. लेकिन बड़े परिवारों को रोटियों के चार से अधिक पैकेट नहीं मिल सकते हैं. ऐसे परिवारों को या तो भुखमरी का सामना करना पड़ता है. या फिर उन्हें रोटी को ब्लैक मार्केट से ज़्यादा क़ीमत देकर ख़रीदना पड़ता है.

भ्रष्टाचार के लिए बदनाम सरकार और सीरिया की अरब सेना द्वारा बाग़ियों पर पागलपन की हद तक की गई बमबारी ने आम लोगों के घर ही नहीं तबाह किए, बल्कि फ़सलें उगाने और बिजली पैदा करने के बुनियादी ढांचे को भी तहस-नहस कर दिया. मौजूदा संकट के लिए इन्हीं बातों को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है.

सीरिया की जनता को ग़रीबी की ओर धकेलने में लेबनान की अर्थव्यवस्था की तबाही ने भी बड़ी भूमिका निभाई है. सीरिया के नागरिकों की बचत के अरबों डॉलर लेबनान के बैंकों में जमा हैं. इनमें से काफ़ी रक़म लेबनान के वित्तीय क्षेत्र में सुधार के नाम पर काफ़ी कटौती किए जाने की आशंका है. लेबनान के संकट ने वहां मौजूद क़रीब पंद्रह लाख सीरियाई शरणार्थियों की आमदनी पर भी असर डाला है. इसके कारण, लेबनान में मौजूद सीरियाई जो पैसा अपने देश भेजा करते थे, उसमें भी कमी आई है.

अमेरिका ने क्यों सीज़र एक्ट पारित किया?

इन बातों के साथसाथ सीरियाई नागरिकों द्वारा अपने देश के पुनर्निर्माण और अपनी ज़िंदगी दोबारा शुरू करने के प्रयासों पर अमेरिका के उन क्षेत्रवार प्रतिबंधों का भी असर पड़ा है, जो पिछले साल के मध्य में लगाए गए थे.

सीरिया के लोग अन्य देशों से मदद लेकर अपनी अर्थव्यवस्था को दोबारा ज़िंदा कर सकते थे. कम से कम रूस, चीन, भारत और खाड़ी देशों के साथ यूरोप में सीरिया की सरकार के छुपे हुए हमदर्द, जिन्हें या तो सीरियाई सरकार द्वारा अपने ही नागरिकों पर किए जाने वाले ज़ुल्म से फ़र्क़ नहीं पड़ता था या जिन्होंने इसे कूटनीतिक विषय नहीं बनाया, वो सीरिया के पुनर्निर्माण में मदद कर सकते थे. लेकिन, जब से अमेरिका ने सीज़र एक्ट पारित किया है, उसके बाद से इन सभी देशों ने सीरिया के पुनर्निर्माण की योजनाओं को फिलहाल टाल दिया है. इसकी वजह ये है कि सीज़र एक्ट के तहत अमेरिका उन देशों पर पाबंदी लगा सकता है, जो सीरिया में निवेश करते हैं.

जिन लोगों ने ये प्रतिबंध लगाने की वकालत की थी, उनका कहना है कि ये असद सरकार के ख़िलाफ़ पश्चिमी देशों का आख़िरी हथियार है, जिससे उन्हें राजनीतिक सुधार करने और राजनैतिक क़ैदियों को रिहा करने के लिए बाध्य किया जा सके.

अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे में वो देश भी आते हैं जो अपने निवेश से सीरिया में आम नागरिकों के लिए मूलभूत ढांचे का निर्माण करना चाहते हैं. इनमें बिजलीघर भी शामिल हैं, जो खेती और उद्योग के साथ साथ सीरिया के नागरिकों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी सुधारने के लिए ज़रूरी है. तेल के व्यापार पर पाबंदी लगाकर अमेरिका ने सीरिया को ईंधन की आपूर्ति भी रोक दी है. इससे  सिर्फ़ सीरिया की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंची है, बल्कि उन आम नागरिकों को भी जिन्हें इसकी सख़्त आवश्यकता है. ईंधन की ज़रूरत बख़्तरबंद टैंकों को ज़रूर होती है. लेकिन, दुकानदारों, दर्ज़ियों, कारखानों और किसानों को भी ईंधन की दरकार होती है. सीरिया के नागरिकों को आवाजाही और सामानों की आपूर्ति के लिए भी ईंधन चाहिए.

प्रतिबंध असद सरकार के ख़िलाफ आखिरी हथियार

जिन लोगों ने ये प्रतिबंध लगाने की वकालत की थी, उनका कहना है कि ये असद सरकार के ख़िलाफ़ पश्चिमी देशों का आख़िरी हथियार है, जिससे उन्हें राजनीतिक सुधार करने और राजनैतिक क़ैदियों को रिहा करने के लिए बाध्य किया जा सके. ये लोग संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2254 का सख़्ती से पालन कराने का दबाव बना रहे हैं.

लेकिन, अन्य लोगों का कहना है कि ऐसी उम्मीदें करना बेमानी है. बशर अलअसद पहले ही देश के एक बड़े हिस्से में सैन्य संघर्ष में जीत हासिल कर चुके हैं. अब वो ऐसी किसी भी मांग को मानने को राज़ी नहीं होंगे, जो देश पर उनके शिकंजे को ढीला करे. इन लोगों का कहना है कि प्रतिबंधों से अमेरिका, असद से छुटकारा पाने या सीरिया से ईरानियों को निकाल बाहर करने का अपना लक्ष्य नहीं प्राप्त कर सकता है.

दिसंबर 2020 में, संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार विशेषज्ञ एलेना दोउहन ने अमेरिका से मांग की कि वो सीरिया पर लगाए अपने इकतरफ़ा प्रतिबंधों को हटा ले. क्योंकि, इससे सीरिया के असैन्य मूलभूत ढांचे के निर्माण में बाधा  रही है

दोउहान ने कहा था कि, ‘ये प्रतिबंध सीरिया की जनता के मानव अधिकारों का उल्लंघन करते हैं. लगभग दस वर्षों के संघर्ष के चलते उनका देश पहले ही बर्बाद हो चुका है.’

जो बाइडेन प्रशासन पर आस 

उन्होंने अपने बयान में कहा था कि, ‘जब अमेरिका ने जून 2020 में सीज़र एक्ट के तहत सीरिया के ऊपर पहले प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया था, तो ये कहा था कि वो इन प्रतिबंधों से सीरिया की जनता को नुक़सान नहीं पहुंचाना चाहते. लेकिन, इस क़ानून को लागू करने से सीरिया में पहले से चला  रहा मानवीय संकट और भी गंभीर हो सकता है. इससे सीरिया के लोगों से अपने देश के मूलभूत ढांचे के पुनर्निर्माण का मौक़ा छिन जाएगा. सबसे अधिक चिंता की बात ये है कि सीज़र एक्ट ने सीरिया की जनता के मकान, सेहत और उचित रहन सहन के अधिकार  विकास समेत अन्य मानव अधिकारों को कुचल डाला है.’

इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप जैसे संगठन काफ़ी दिनों से अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने या उसमें कुछ रियायत देने की मांग करते रहे हैं. उनका कहना है कि, प्रतिबंधों में रियायत के साथ कुछ ठोस और यथार्थवादी शर्तें जोड़ी जा सकती हैं; इनमें ये स्पष्ट उल्लेख किया जा सकता है कि मानवीय आधार पर किस तरह की छूट दी जाएगी; किस तरह के अहम निर्माण कार्यों में तीसरे पक्ष पर शर्तों के पालन का दबाव बेवजह नहीं बनाया जाएगा. इसके अलावा इस क़ानून को लागू करने में लचीलापन रखा जाना चाहिए, जिससे कि आने वाले समय में अगर कोई मानवीय संकट उभरे, तो उससे निपटा जा सके.’

जो बाइडेन सरकार ने भी सीरिया पर लक्ष्य आधारित प्रतिबंधों को जारी रखा है. जो एकमात्र उम्मीद है, वो ये है कि बाइडेन की टीम शायद उन विशेषज्ञों की सुन ले, जो प्रतिबंधों के मामले में और मानवीयता व लचीला रवैया अपनाने की वकालत करते रहे हैं.

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