कोविड-19 महामारी के बाद और रूस-यूक्रेन तनाव की पृष्ठभूमि में भारत ने 1 दिसंबर 2022 को ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (G20) की अध्यक्षता संभाली. इस दौरान बहुपक्षीयवाद को बढ़ावा देने और ग्लोबल साउथ की सतत् विकास प्राथमिकताओं के निपटारे के लिए भारत ने समावेशी शासन दृष्टिकोण अपनाया है. 2015 में स्वीकारे गए संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य (SDG) एजेंडा 2030 ने वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए एक महत्वाकांक्षी ख़ाका तैयार किया. ये वैश्विक चुनौतियों के प्रति व्यापक और परस्पर जुड़ी प्रतिक्रिया को बढ़ावा देने के लिए एक अहम ढांचे के तौर पर काम करता है.
SDGs के लिए साझेदारियों को गहरा करने और उन्हें राष्ट्रीय और कॉरपोरेट बजट के साथ एकीकृत करने से कारोबारी प्रतिस्पर्धिता, बाज़ार लचीलापन और सद्भावना (गुडविल) में बढ़ोतरी होती है.
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कारोबारी वातावरणों और सतत विकास लक्ष्यों के बीच दोतरफ़ा कारण-कार्य संबंध (कॉज़ैलिटी) मौजूद हैं. इन लक्ष्यों को हासिल करने में निजी क्षेत्र और बहुपक्षीय कंपनियां आवश्यक भूमिका निभाते हैं. उल्लेखनीय है कि निजी क्षेत्र टिकाऊपन को दीर्घकालिक व्यापार रणनीतियों की नींव के रूप में अपनाने के लिए अल्पकाल में मुनाफ़े को अधिकतम करने की क़वायदों से दूर जा रहा है. ये बदलाव इस मान्यता से प्रेरित हैं कि सतत विकास लक्ष्य माम अहम तंत्रों के ज़रिए कारोबार के लिए अनुकूल स्थितियां बनाते हैं.
सर्वप्रथम, SDGs पर ध्यान दिए जाने से दीर्घकालिक पर्यावरणीय, राजनीतिक और सामाजिक जोख़िम कम होते हैं. इन चुनौतियों से सक्रिय रूप से निपटकर कारोबार जगत भावी नीति परिवर्तनों की संभावनाओं बावजूद अपनी बाज़ार प्रतिस्पर्धिता को सुरक्षित रखता है, और कारोबारों के लिए दीर्घकालिक “लेन-देन लागत” को कम करता है. दूसरी बात ये है कि SDGs हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ने की क़वायद स्थिरता जोख़िमों और प्रभावों में पारदर्शिता को बढ़ावा देती है. ये पारदर्शिता एक सकारात्मक बाह्यता (एक्सटर्नेलिटी) है, जो सूचना की असमानता को कम करते हुए कारोबार प्रशासन प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाती है.
तीसरा, SDGs के साथ कारोबारी समाधानों का तालमेल बिठाने से बाज़ार विस्तार की भारी-भरकम क्षमता, राजस्व को अधिकतम करने की प्रक्रिया और रोज़गार निर्माण के अवसर खुलते हैं. विभिन्न स्तरों पर साझेदारियां तैयार करके ये कामयाबी हासिल होती है, जिससे कारोबारों को टिकाऊ तौर-तरीक़ों द्वारा संचालित उभरते बाज़ारों का लाभ उठाने की छूट मिल जाती है. और चौथा, SDGs के लिए साझेदारियों को गहरा करने और उन्हें राष्ट्रीय और कॉरपोरेट बजट के साथ एकीकृत करने से कारोबारी प्रतिस्पर्धिता, बाज़ार लचीलापन और सद्भावना (गुडविल) में बढ़ोतरी होती है.
इस तर्क की जड़ इस मान्यता में छिपी है कि सतत विकास लक्ष्य, चार अहम प्रकार की पूंजी की उपलब्धता को बढ़ाते हैं: भौतिक, प्राकृतिक, सामाजिक और मानवीय. ये पूंजी (जिसके आर्थिक जुड़ाव नीचे दिए गए आंकड़े में रेखांकित किए गए हैं) कारोबारों के फलने-फूलने के लिए ज़रूरी हैं और लंबे कालखंड में बहुमुखी चुनौतियों के निपटारे की क़वायद के साथ अटूट रूप से जुड़े हुए हैं.
चित्र 1: सतत विकास लक्ष्य और पूंजी के प्रकार
स्रोत: भौमिक (2021) ओआरएफ इश्यू ब्रीफ नं. 433
बहरहाल जैसे-जैसे दुनिया, 2030 के आधे रास्ते पर पहुंच रही है, ये स्पष्ट हो गया है कि इन लक्ष्यों की ओर बढ़ने की प्रक्रिया पटरी से उतर चुकी है. नीचे दिया गया ब्योरा एक नीली रेखा को प्रदर्शित करता है जो कोविड-19 के प्रभाव के बग़ैर SDGs की दिशा में प्रगति को दर्शाता है और पर्पल रेखा महामारी के असर से प्रभावित प्रगति को दर्शाती है. नीचे की ओर गिरती ग्रे वर्टिकल लाइन, उबरने वाले चरण के दौरान शॉक लॉस और ग्रोथ डिले लॉस के संकेत देती है. निश्चित रूप से, प्रगति के मोर्चे पर नुक़सान की हद, संबंधित देशों के लचीलेपन पर निर्भर है.
चित्र 2: SDG प्रगति पर प्रभावों का परिकल्पनात्मक ब्योरा
स्रोत: युआन आदि (2023), कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एन्वॉयरमेंट, वॉल्यूम 4 नंबर 184
महज़ 12 प्रतिशत लक्ष्यों के पटरी पर रहते हुए, G20 देशों ने सतत विकास लक्ष्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है. G20 नेताओं के नई दिल्ली घोषणा-पत्र में एक व्यापक योजना की रूपरेखा तैयार की गई, जिसे 9-10 सितंबर 2023 को भारत द्वारा आयोजित G20 की 18वीं बैठक में लॉन्च किया गया. इस प्रतिबद्धता के दस प्रमुख तत्वों में:
- डिजिटल तरक़्क़ी का भरपूर उपयोग: सतत विकास लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में डिजिटल तकनीकों, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डेटा प्रगति की परिवर्तनकारी भूमिका है. इसको स्वीकार करते हुए G20 समूह, विकास के लिए डेटा के उपयोग (D4D) पर G20 सिद्धांतों को अपना समर्थन देता है. ये सिद्धांत, सतत विकास परिणामों को आगे बढ़ाने के लिए डेटा के ज़िम्मेदार और समावेशी उपयोग पर ज़ोर देते हैं. इसके अलावा G20, विकास क्षमता निर्माण पहल के लिए डेटा की शुरुआत और इसके समानांतर अन्य प्रयासों का स्वागत करता है, जो विकास के लिए एक शक्तिशाली उत्प्रेरक के रूप में डेटा का उपयोग करते हैं.
- वैश्विक वित्तीय प्रवाह जुटाना: G20 के सदस्य राष्ट्र, 2030 एजेंडा को लागू करने के विकासशील देशों के प्रयासों का समर्थन करने के लिए विभिन्न स्रोतों से किफ़ायती, पर्याप्त और सुलभ फाइनेंसिंग जुटाने की क़वायदों के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता दोहराते हैं. वे विकसित देशों से अपनी आधिकारिक विकास सहायता (ODA) प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने का आह्वान करते हैं, जो अनगिनत स्रोतों से विकास फाइनेंसिग को प्रोत्साहित करते हैं और उनके पूरक के तौर पर काम करते हैं. इनमें सार्वजनिक, निजी, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र शामिल हैं.
- पर्यटन और संस्कृति की भूमिका: G20 के ढांचे के भीतर पर्यटन और संस्कृति अहम शक्तियों के तौर पर उभरी हैं, जो स्थायी सामाजिक-आर्थिक प्रगति और समृद्धि को संचालित करती है. G20 इन क्षेत्रों को सतत विकास लक्ष्यों को साकार करने वाले ताक़तवर कारकों के रूप में देखता है और इन्हें हासिल करने को लेकर पर्यटन के लिए गोवा रोडमैप को एक महत्वपूर्ण माध्यम के रूप में स्वीकार करता है. नतीजतन ये समूह, सतत विकास उद्देश्यों के साथ पर्यटन और संस्कृति में सामंजस्य स्थापित करने वाली पहलों को सहारा देने की प्रतिबद्धता जताता है.
- सहभागितापूर्ण रास्ते तैयार करना: G20, सहयोग और साझेदारी को बढ़ाने के लिए एक स्पष्ट प्रतिबद्धता जताता है. SDG फाइनेंसिग में अंतर को पाटने के मक़सद से महासचिव की पहल के तहत, संयुक्त राष्ट्र को संपूर्ण समर्थन मिलता है. G20 समूह, संयुक्त राष्ट्र 2023 SDG शिखर सम्मेलन और अन्य प्रासंगिक प्रक्रियाओं के मज़बूत समर्थक के रूप में भी खड़ा है. इससे वैश्विक सतत विकास के प्रति उनका समर्पण रेखांकित होता है.
- ज़िम्मेदार पूंजी जुटाना: G20 सतत विकास लक्ष्यों से जुड़े तालमेल में टिकाऊ वित्त की सर्वोपरि अहमियत को स्वीकार करता है. G20 सतत वित्त रोडमैप को इस समूह द्वारा दिए गए समर्थन से ये बात ज़ाहिर होती है. ये व्यापक रोडमैप, सामाजिक प्रभाव निवेश उपकरणों को अपनाए जाने की क़वायद के प्रचार-प्रसार की सिफ़ारिशें को शामिल करता है. ये राष्ट्रों के लिए, उनकी विशिष्ट परिस्थितियों के अनुरूप, स्थायी वित्त को बढ़ावा देने को लेकर अपने कार्यों को तैयार करने के लिए एक रणनीतिक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है.
- भूख और कुपोषण का अंत करना: वैश्विक खाद्य सुरक्षा और पोषण को बढ़ावा देने के लिए G20 की प्रतिबद्धता, पौष्टिक भोजन तक पहुंच और कृषि के टिकाऊ तौर-तरीक़ों की अहमियत पहचानने पर निर्भर करती है. जलवायु-लचीली और पौष्टिक फ़सलों के साथ-साथ उर्वरकों के कुशल उपयोग पर अनुसंधान सहभागिता की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए G20, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार की अनिवार्यता को रेखांकित करता है.
- बाज़ार अस्थिरता की रोकथाम: खाद्य और ऊर्जा बाज़ारों में संभावित उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए, G20 खाद्य और ऊर्जा असुरक्षा के व्यापक आर्थिक प्रभावों का संज्ञान लेता है. ये कृषि विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय कोष (IFAD) के संसाधनों को दोबारा भरने की अहम भूमिका पर ज़ोर देता है. इससे खाद्य असुरक्षा से निपटने में मदद मिलती है, जिससे नीति कार्यान्वयनों से पहले बाज़ार की प्रतिस्पर्धिता और लचीलापन सुनिश्चित होता है.
- व्यापक स्वास्थ्य सेवा देखभाल शासनादेश: G20, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की केंद्रीय भूमिका को रेखांकित करता है. ये समूह सार्वभौम स्वास्थ्य कवरेज को आगे बढ़ाने और महामारी से लड़ने की तैयारियों पर ध्यान केंद्रित करता है. इस कड़ी में स्वास्थ्य सेवाओं, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और स्वास्थ्य कार्यबल विकास को मज़बूती से जुड़ी प्रतिबद्धताएं जुड़ी होती हैं. इनके साथ-साथ एड्स, टीबी, मलेरिया और हेपेटाइटिस जैसे संचारी और संक्रामक रोगों से निपटने पर भी ज़ोर दिया जाता है.
- वित्त-स्वास्थ्य सहभागिता: वित्त और स्वास्थ्य मंत्रालयों के सहयोगात्मक दायरे के भीतर, G20 वैश्विक स्वास्थ्य ढांचे को मज़बूत करने की इच्छा रखता है. ये ढांचा महामारी की रोकथाम, तैयारियों और प्रतिक्रिया के लिए समर्पित होगा. महामारी से पैदा आर्थिक कमज़ोरियों और जोख़िमों को पहचानते हुए, ये फाइनेंसिंग के आवश्यक संसाधनों की तेज़ रफ़्तार और कुशल तैनाती को बढ़ावा देने के उपायों की वक़ालत करता है. G20 की ये क़वायद वैश्विक मंचों पर हो रही परिचर्चाओं के अनुरूप है.
- मानवीय पूंजी विकास: G20 की अटल प्रतिबद्धता समावेशी, न्यायसंगत, उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण तक फैली हुई है. इससे मानवीय पूंजी विकास की अहम भूमिका रेखांकित होती है. उनका समर्पण एक बहुआयामी दृष्टिकोण को शामिल करता है, जिसमें बुनियादी शिक्षा, डिजिटल समावेश, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने और आजीवन सीखने की स्थायी क़वायद शामिल है.
SDG फाइनेंसिग में अंतर को पाटने के मक़सद से महासचिव की पहल के तहत, संयुक्त राष्ट्र को संपूर्ण समर्थन मिलता है. G20 समूह, संयुक्त राष्ट्र 2023 SDG शिखर सम्मेलन और अन्य प्रासंगिक प्रक्रियाओं के मज़बूत समर्थक के रूप में भी खड़ा है.
इसके अलावा, G20 सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में संस्कृति की परिवर्तनकारी भूमिका पर ज़ोर देता है. SDGs के अनुरूप प्रगति में रफ़्तार लाने की प्रतिबद्धता, वैश्विक चुनौतियों का निपटारा करने और सभी लोगों के कल्याण में सुधार करने के सामूहिक संकल्प को दर्शाती है. डिजिटल कायाकल्प, फाइनेंसिंग, टिकाऊ कृषि, सेहत की देखभाल में मज़बूती और शिक्षा के मिश्रण के ज़रिए G20 के राष्ट्र, एक टिकाऊ भविष्य को आकार देने के प्रति अपना मज़बूत इरादा दिखाते हैं.
सौम्या भौमिक ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो हैं.
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