Author : Saranya

Published on Nov 15, 2021 Updated 0 Hours ago

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) बड़ी टेक कंपनियों को अपने काबू में रखने के लिए कई सख़्त कदम उठा रही है ताकि वे कंपनियां अपने लक्ष्यों को उनके "चीनी सपने" के एजेंडे से अलग न रख सकें.

बिग टेक कंपनियों पर चीन की कार्रवाई को समझना- भाग 2

टेक कंपनियों पर चीन द्वारा अचानक अपनाए गए कड़े रुख ने उसकी की ओर नज़र गड़ाए प्रेक्षकों को भी ये सोचने को मजबूर कर दिया है कि आखिरकार इन सख़्त नियमों को लगातार लागू करने के पीछे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की मंशा क्या है. हालांकि, ज्यादातर का अनुमान है कि ये सारी कार्रवाईयां बड़ी टेक कंपनियों को सीपीसी के “चीनी सपने” के अंदर नियोजित करने की बीजिंग की योजना का एक हिस्सा भर हैं, जिसमें वित्तीय स्थिरता, विचाराधारा, भूराजनीति और सामाजिक चुनौतियां शामिल हैं.

फिनटेक व्यवसाय (फिनटेक, फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी का संक्षिप्त रूप है, जहां वित्तीय कामों में तकनीक का सहारा लिया जाता है) पर पहले से ही केंद्रीय अधिकारियों की नज़र थी जब एंट ग्रुप ने अक्टूबर 2020 में अपनी प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) दायर की थी. लेकिन एंट समूह का नाम तब जोरों से उछलना शुरू हुआ जब उसने खुदरा निवेशकों के ज़रिए 3 खरब अमेरिकी डॉलर जितनी बड़ी रकम जुटा ली, जो कि यूनाइटेड किंगडम की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के बराबर है.

न्यूज़ एशिया के मुताबिक चाइना सिक्योरिटीज रेगुलेटरी कमीशन (सीएसआरसी) ने शुरू में एंट समूह के आईपीओ आवेदन को मंजूरी दे दी थी, लेकिन इसके संस्थापक जैक मा द्वारा अपनी कंपनी के दोहरे सूचीबद्ध होने से एक दिन पहले वैश्विक बैंकिंग मानकों और चीनी नियामक प्रणाली की खुले तौर पर आलोचना करने के बाद यह जांच के दायरे में आ गया. 

न्यूज़ एशिया के मुताबिक चाइना सिक्योरिटीज रेगुलेटरी कमीशन (सीएसआरसी) ने शुरू में एंट समूह के आईपीओ आवेदन को मंजूरी दे दी थी, लेकिन इसके संस्थापक जैक मा द्वारा अपनी कंपनी के दोहरे सूचीबद्ध होने से एक दिन पहले वैश्विक बैंकिंग मानकों और चीनी नियामक प्रणाली की खुले तौर पर आलोचना करने के बाद यह जांच के दायरे में आ गया. हालांकि, यह इसका प्राथमिक कारण नहीं था. यहां तक कि अतीत में भी, जैक मा बैंकिंग क्षेत्र की आलोचना करते रहे हैं.

2017 में आयोजित सीपीसी की 19वीं राष्ट्रीय कांग्रेस के दौरान वित्तीय जोखिम को कम करने को सर्वोच्च आर्थिक प्राथमिकता दी गई थी. फाइनेंशियल न्यूज़, पीपल्स बैंक ऑफ चाइना से संबद्ध एक समाचार पत्र ने एंट के व्यापार मॉडल की विस्तृत आलोचना की. मुख्य समस्या ये थी कि कथित रूप से मुक्त बड़ी फिनटेक कंपनियां बैंकों की तरह काम कर रही थीं,

हालांकि बिना किसी नियंत्रण के नवंबर में, चीन की मौद्रिक नियामक एजेंसियों ने ऋण की पेशकश करने वाली टेक कंपनियों के लिए पूंजीगत आवश्यकताओं को अनिवार्य करते हुए छोटे ऋणों से जुड़े नियमों का मसौदा जारी किया.

इसके अलावा, सीएसआरसी के दिशानिर्देशों के अनुसार म्यूचुअल फंड वितरकों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी ऐसे व्यवसाय से नहीं जुड़ना चाहिए जो निजी इक्विटी फंड के प्रबंधन के साथ संबद्ध नहीं है या फिर जिससे हितों में टकराव पैदा होता हो. रॉयटर्स के मुताबिक अलीबाबा के स्वामित्व वाला भुगतान प्लेटफॉर्म अलीपे इकलौता ऐसा थर्ड-पार्टी चैनल (एक ऐसा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, जो उत्पादों की खरीद-बिक्री तो करता है लेकिन उस पर अपना स्वामित्व नहीं रखता) जिसका निर्माण किसी दूसरी कंपनी ने लिया था जिसके माध्यम से खुदरा निवेशक आईपीओ में निवेश करने वाले पांच चीनी म्यूचुअल फंड में शेयर ख़रीद कर सकते थे, जो सीधे तौर पर हितों का टकराव था. इसका मतलब ये था कि खुदरा निवेशकों द्वारा म्यूचुअल फंड में निवेश करने के बैंकों और दलालों जैसे परंपरागत साधनों को इसका लाभ नहीं मिल रहा था.

बिग टेक कंपनियों से पैदा होने वाली मुसीबतें

ऐसा लगता है कि चीन ने अपने साथियों की तुलना में विश्व आर्थिक मंच (डबल्यूईएफ) की इस चेतावनी को कहीं अधिक गंभीरता से लिया, जिसमें उसने चेताया था कि बड़ी टेक कंपनियों से पैदा होने वाली मुसीबतें पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली को ध्वस्त कर सकती हैं. चीन के वैश्विक ऑनलाइन भुगतान प्लेटफॉर्म अलीपे और वीचैट पे ने अपनी अलग क्रेडिट स्कोरिंग प्रणाली बना रखी थी, जो बीजिंग के केंद्रीकृत क्रेडिट स्कोरिंग प्रणाली स्थापित करने के लक्ष्य के विपरीत था. हालांकि चीन ने दावा किया कि डिजिटल रॅन्मिन्बी (ईसीएनवाई) को क्रिप्टोकरेंसी के मुकाबले जारी किया गया था, जिसे बिना इंटरनेट के भी भुगतान कर सकने के लिए भी विकसित किया जा रहा है. इसने राज्य को निजी टेक कंपनियों के अनियंत्रित वित्तीय एकाधिकार का मुकाबला करने और केंद्रीय बैंक के मौद्रिक अधिकार को बनाए रखने का माध्यम भी प्रदान किया.

चीन के केंद्रीय अनुशासन आयोग ने हांग्जो शहर के पार्टी अधिकारियों से पूछताछ की शुरुआत की हैइसी शहर में अलीबाबा और एंट दोनों कंपनियों की स्थापना हुई थी. आयोग की इस कार्रवाई ने आईपीओ को लेकर और भी सवाल खड़े कर दिए हैं.

यह कार्रवाई पार्टी के भीतर संघर्ष को भी दर्शाती है. शी जिनपिंग, जो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी में एक राजकुमार की हैसियत रखते हैं, अपने कार्यकाल की शुरुआत से ही लगातार सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करते जा रहे हैं. (यहां ये स्पष्ट करना जरूरी है कि चीनी समाज में सीपीसी के दिवगंत वरिष्ठ नेताओं के वंशजों को अनौपचारिक तौर पर राजकुमार (प्रिंसलिंग) भी कहा जाता है, जो उनके वंशवाद का लाभ उठाने को इंगित करती हुई अपमानजनक उपाधि है. शी जिनपिंग भी एक वरिष्ठ सीपीसी नेता शी झोंगक्सुन के बेटे हैं.) शी जिनपिंग ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक अभियान, जिसका नाम एक चीनी कहावत (किलिंग टाइगर्स एंडस्वाटिंग फ्लाइज, यानी छोटे-बड़े सभी भ्रष्टाचारियों को ख़त्म करो) पर आधारित था, चलाते हुए कुलीन परिवारों (रेड फैमिलीज, जिन्हें चीनी समाज में कुलीन माना जाता है. इसमें चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के दिवगंत वरिष्ठ नेताओं, शहीद कम्युनिस्ट क्रांतिकारियों के पारिवारिक सदस्य शामिल हैं.) पर निशाना साधा, जिन्होंने अपनी पहुंच का इस्तेमाल करते हुए बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों में स्टॉक जमा कर रखा था. 2016 में, उन्होंने क्लोज एंड क्लीन पार्टी-बिजनेस रिलेशंस को आदर्श घोषित किया. (इसका मतलब था कि चीनी अधिकारियों को उद्यमियों की जरूरतों को समझने और उनकी समस्याओं को सुलझाने के लिए उनसे करीबी संबंध बनाकर रखने की जरूरत है लेकिन इसके साथ ही उन्हें साफ़-सुथरा यानी ईमानदार रहना होगा. वे इन उद्यमियों से किसी भी तरह का लाभ नहीं ले सकते.) फिर भी, शी जियांग खेमे को नियंत्रण में रखना चाहते थे क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति जियांग जेमिन के पोते और पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति के सदस्य जिया किंगलिन के दामाद से जुड़ी निवेश कंपनियां एंट के आईपीओ के माध्यम से लाभ कमाना चाहती थीं. इस साल अगस्त में चीन के केंद्रीय अनुशासन आयोग ने हांग्जो शहर के पार्टी अधिकारियों से पूछताछ की शुरुआत की है, इसी शहर में अलीबाबा और एंट दोनों कंपनियों की स्थापना हुई थी. आयोग की इस कार्रवाई ने आईपीओ को लेकर और भी सवाल खड़े कर दिए हैं.

सरकार की मदद से, दीदी चक्सिंग अपने प्रतिद्वंदियों का सफ़ाया करके चीन की ऐप आधारित राइड-हेलिंग सेवाओं में सबसे शीर्ष स्तर की कंपनी बनकर उभरा है. दीदी चक्सिंग ने पार्टी का प्रचार-प्रसार करके इस एहसान का बदला चुकाया है. 2018 में दीदी की यिनशान पार्टी कमेटी ने अपनी इंटरनेट+पार्टी बिल्डिंग पहल (तकनीक के प्रयोग के जरिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा का प्रचार प्रसार-करना) के तहत लेई फेंग वाहन का उद्घाटन किया (लेई फेंग पीपल्स लिबरेशन आर्मी के एक सैनिक थे, जिन्हें चीन के इतिहास में एक आदर्श नागरिक के तौर पर काफी ज्यादा प्रचारित किया जाता रहा है). साल के अंत तक, दीदी ने एक रेड फ्लैग स्टीयरिंग व्हील कार्यक्रम की शुरुआत की, जिसके जरिए प्रीमियम उपभोक्ता ड्राइवर की सीपीसी के भीतर उसकी सदस्यता का स्तर देख सकते थे. 2019 में, इसके सीईओ चेन वेई ने पार्टी की मोबाइल शाखाओं की संख्या बढ़ाने की घोषणा की. दीदी ने कथित रूप से अपने ऑनलाइन ड्राइवर क्लासरूम बैचुआन एजुकेशन प्लेटफॉर्म के माध्यम से अपने ड्राइवरों को देशभक्ति की ट्रेनिंग दी, जो सीपीसी के लव द कंट्री, लव द पार्टी के प्रोपेगैंडा पर आधारित थी. सब कुछ तब तक ठीक चल रहा था जब तक दीदी ने अमेरिका में सार्वजनिक कंपनी होने की घोषणा नहीं कर दी, और इसके साथ ही कंपनी चीनी सरकार के निशाने पर आ गई.

चीन यह भी चाहता है कि बड़ी टेक कंपनियां स्थानीय शेयर बाजारोंविशेष रूप से शंघाई के स्टार बाजार में अपना पैसा निवेश करें. सभी देश एक ऐसा विनियामक तंत्र बनाने की कोशिश कर रहे हैंजो अगली पीढ़ी की इंटरनेट सुविधाओं के लिए एक मजबूत सूचना तंत्र पर आधारित हो.

दीदी के पास राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से संवेदनशील सूचनाओं का भंडार है, जैसे भौगोलिकक्षेत्र, ट्रैफ़िक चोक पॉइंट और सड़कों के हालात से जुड़ी सूचनाएं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से जोखिम पैदा कर सकती हैं. वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, जैसा कि सीएसी (साइबरस्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ चाइना) दीदी के पास मौजूद संवेदनशील डाटा के दुरुपयोग को लेकर चिंतित था, उसने (जो चीन में इंटरनेट से जुड़ी गतिविधियों पर निगरानी, नियंत्रण रखने, सेंसर लगाने और उसे विनियमित करने वाली संस्था है) दीदी को अपने आईपीओ को विलंबित करने और अपनी नेटवर्क सुरक्षा के लिए आंतरिक जांच करने का सुझाव दिया. लेकिन दीदी ने इस सौदे को आगे बढ़ाया क्योंकि निवेशकों ने बड़े भुगतान के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया था. इस अवहेलना के चलते बीजिंग दीदी पर सख़्त कार्रवाई के लिए मजबूर हो गया.

बिग टेक कंपनियों का भविष्य

भूराजनीति भी इन टेक कंपनियों का भविष्य तय कर रही है. चीन अमेरिका में सूचीबद्ध कंपनियों के पास संवेदनशील सूचनाओं के होने को लेकर चिंतित है, जिसमें दीदी, फुल ट्रक एलायंस, और ज़िपिन शामिल हैं, जिसके दुरुपयोग होने या खतरनाक हाथों में पड़ने की संभावना है. चीन यह भी चाहता है कि बड़ी टेक कंपनियां स्थानीय शेयर बाजारों, विशेष रूप से शंघाई के स्टार बाजार में अपना पैसा निवेश करें. सभी देश एक ऐसा विनियामक तंत्र बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो अगली पीढ़ी की इंटरनेट सुविधाओं के लिए एक मजबूत सूचना तंत्र पर आधारित हो. चाइना सिक्योरिटीज रेगुलेटरी कमीशन (सीएसआरसी) ने शुरू में एंट समूह के आईपीओ आवेदन को मंजूरी दे दी थी, लेकिन इसके संस्थापक जैक मा द्वारा अपनी कंपनी के दोहरे सूचीबद्ध होने से एक दिन पहले वैश्विक बैंकिंग मानकों और चीनी नियामक प्रणाली की खुले तौर पर आलोचना करने के बाद यह जांच के दायरे में आ गया.

 ये देखना दिलचस्प है कि ‘साझा समृद्धि’ और ‘पूंजी के अव्यवस्थित विस्तार’ जैसी शब्दावलियां पुराने समाजवादी सिद्धांतों की याद दिलाती हैं, जिसकी बुनियाद पर कम्युनिस्ट चीन की स्थापना की गई थी.

2020 में, सीपीसी ने भूमि, श्रम, पूंजी और प्रौद्योगिकी की तरह डाटा को भी “अपने क्षेत्र-आधारित आवंटन प्रणाली और तंत्र में उत्पादन के एक नए कारक” के रूप में जोड़ दिया, जिसे सार्वजनिक स्वामित्व के रूप में पारित किया जा सकता है. यह इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स के बीच इंटरऑपरेबिलिटी (दो या दो से अधिक कंप्यूटर नेटवर्क के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान) लागू करने का आधार बन गया.  यह कदम स्टार्ट-अप कंपनियों को भी फलने-फूलने का अवसर प्रदान करेगा, जिन्हें अक्सर बड़ी फर्मों को दबाव डालकर हथिया लेती हैं. उससे भी बढ़कर सीपीसी डाटा पर अपना पूर्ण नियंत्रण चाहती है. यहां तक कि सीपीसी के अंग्रेजी मुखपत्र ने तो स्पष्ट रूप से कहा, “किसी भी दिग्गज इंटरनेट कंपनी को बड़े स्तर पर डाटा संग्रहण की अनुमति नहीं दी जाएगी, जिनके पास देश की सरकार की तुलना में चीनी लोगों की व्यक्तिगत सूचनाएं कहीं अधिक हों.” अब चीन ने डेटा सुधारों के अगले एजेंडे के रूप में एल्गोरिथमों पर काम करेगा. 

सीपीसी बैंकिंग प्रणालियों और बिग टेक को नियंत्रित और विनियमित करने की कोशिशों से भी आगे बढ़ रही है. यह निजी शिक्षा और निजी शिक्षण संस्थाओं की ओर भी कदम बढ़ा रही है. सातवीं जनगणना ने देश की जन्म-दर की निराशाजनक स्थिति को उजागर किया है, अब शी जिनपिंग लाभ-आधारित शिक्षण संस्थाओं (ट्यूशन सेक्टर) पर लगाम कसने की तैयारी कर रहे हैं, जिसे वो एक सामाजिक समस्या कहते हैं. मई में, उन्होंने फिर से इस उद्योग के अव्यवस्थित विकास पर हमला बोला. शी जिनपिंग की आलोचना के बाद, इस क्षेत्र की निगरानी के लिए एक विशिष्ट विभाग की स्थापना की गई. हालांकि चीन ने 2018 में गेमिंग क्षेत्र पर प्रतिबंध लगाते हुए “ग्रेटर गुड (महान हित/लक्ष्य)” के तर्क का हवाला दिया, लेकिन उस समय उसे इस तरह की गंभीर सामाजिक चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा था.

चाहे वह गोपनीयता की चिंता हो, विक्रेता-विकल्पों का विस्तार हो, या उपभोक्ता अधिकारों को सुनिश्चित करना हो या वाहन चालकों के कार्यस्थल की प्रतिकूल परिस्थितियों का सवाल हो, सरकार ने अपने मूल लक्ष्यों के सह-उत्पाद के रूप में जनता का भारी समर्थन हासिल किया है.  एंटीट्रस्ट कानूनों का इस्तेमाल भी उसी रणनीति का हिस्सा है ताकि टेक कंपनियों को पार्टी के अधीन रखा जा सके. कई कंपनियों ने शी जिनपिंग के साझा समृद्धि अभियान में दिल खोलकर दान दिया है.

ये देखना दिलचस्प है कि साझा समृद्धि और पूंजी के अव्यवस्थित विस्तार जैसी शब्दावलियां पुराने समाजवादी सिद्धांतों की याद दिलाती हैं, जिसकी बुनियाद पर कम्युनिस्ट चीन की स्थापना की गई थी. शी जिनपिंग ने स्वयं कहा है, “21वीं सदी के चीन में मार्क्सवाद पूरी तरह सलामत है.” अपने लेख वर्तमान चीन में मार्क्सवादी राजनीतिक अर्थव्यवस्था के लिए नए रास्ते तैयार करना में शी जिनपिंग एक समाजवादी बाज़ार अर्थव्यवस्था के निर्माण पर जोर देते हैं. बीजिंग चाहता है कि कंपनियां चीनी राष्ट्र की महान पुनर्स्थापना के उसके मिशन के साथ-साथ चलें. इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए ही इस साल जुलाई में उद्योग और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इंटरनेट कंपनियों के लिए एक विशेष सुधार कार्य योजना शुरू की है. विशेषज्ञों ने इसे माओवाद की ओर लौटने का संकेत माना है और इसे उसके एजेंडे के भव्य संचालन के रूप में परिभाषित किया है.

निस्संदेह रूप से टेक कंपनियों पर लगाम लगाना एक कठिन कदम है. बड़ी टेक कंपनियों पर अंकुश लगाने के निश्चित रूप से कुछ सकारात्मक बाह्य परिवर्तन होंगे क्योंकि ये कंपनियां लंबे समय से नियमन से दायरे से बाहर रही हैं, लेकिन इससे नवाचार ख़त्म हो सकता है. फिर भी, चीन ने ये स्पष्ट कर दिया है कि निजी टेक कंपनियां सरकार से बड़ी नहीं हो सकती हैं, जो देश का सबसे बड़ा डाटा संग्राहक और संचालक है.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.