Author : Fauziah Zen

Published on Oct 10, 2023 Updated 0 Hours ago
इंडोनेशिया में आपदा वित्त को मज़बूत करने के लिए ज़रूरी रणनीतियां

रिस्क प्रोफाइल और लचीलापन प्रबंधन को समझना

इंडोनेशिया की आपदा जोख़िम प्रोफाइल ऊंची है. यूरोपीय आयोग आपदा जोख़िम प्रबंधन ज्ञान केंद्र, एशियाई विकास बैंक (ADB), विश्व बैंक, और द सेंटर फॉर रिसर्च ऑन द एपिडेमियोलॉजी ऑफ डिज़ास्टर्स (CRED) की EM DAT जैसे प्रासंगिक संस्थानों का भी ऐसा ही आकलन है. बापेनस (2021) के मुताबिक अनुकूलन उपायों के बग़ैर जलवायु परिवर्तन से 2020-2024 के दौरान इंडोनेशिया को तक़रीबन 544 खरब IDR का नुक़सान झेलना होगा. उनके आकलन से ये भी साफ़ हुआ कि विशेष क्षेत्रों से जुड़े अनुकूलन पहलों के संदर्भ में स्वैच्छिक अनुकूलन उपायों से 95.7 खरब IDR के बराबर (या 15 प्रतिशत) की हानि में कमी आ सकती है. अगर योजनाबद्ध तरीक़े से जलवायु-लोचदार विकास पहलों को कार्यान्वित किया जाए तो नुक़सान को 58.3 अरब IDR या तक़रीबन 50 प्रतिशत तक घटाया जा सकता है.

हालात के चरण के हिसाब से आपदा जोख़िमों से जुड़ी प्रतिक्रिया बदलती रहती है. आम तौर पर जोख़िम प्रबंधन को तीन चरणों में बांटा जाता है: आपदा-पूर्व, आपदा/आपातकालीन घटना, और आपदा के बाद. आपदा-पूर्व क़वायदों में मौजूदा या भविष्य की प्रत्याशित जलवायु परिस्थितियों के लिए अनुकूलन, नकारात्मक प्रभावों की कमी, संभावित मुनाफ़ों पर पूंजीकरण; और धीमी जलवायु परिवर्तन की रोकथाम, शामिल हैं. इस बीच, आपदा के हालात पर तीव्र प्रतिक्रिया के लिए राहत टीमों की तैनाती और आपात सहायता ज़रूरी हो जाती है. पीड़ितों की ज़िंदगी को दोबारा पटरी पर लाने के लिए रिकवरी और पुनर्वास उपाय आपदा के बाद मानक कार्यक्रमों में शुमार हैं. इनमें सार्वजनिक और आवासीय सुविधाओं की मरम्मत भी शामिल है. इन तीनों चरणों के लिए ज़बरदस्त संसाधनों (जैसे मानव संसाधन, कोष और टेक्नोलॉजी) की दरकार है.

लोगों और नीति-निर्माताओं को ये बात पता है कि प्रकृति से जुड़े ख़तरे बढ़ रहे हैं, नुक़सान बढ़ सकते हैं और इससे उबरने की क़ीमत काफ़ी ऊंची हैं. इसके बावजूद आपदा लचीलेपन से जुड़े प्रयासों के लिए रकम जुटाना चुनौतीपूर्ण है.

लोगों और नीति-निर्माताओं को ये बात पता है कि प्रकृति से जुड़े ख़तरे बढ़ रहे हैं, नुक़सान बढ़ सकते हैं और इससे उबरने की क़ीमत काफ़ी ऊंची हैं. इसके बावजूद आपदा लचीलेपन से जुड़े प्रयासों के लिए रकम जुटाना चुनौतीपूर्ण है. तबाही मचाने वाली घटनाओं के बाद तीव्र प्रतिक्रिया जताने की तुलना में विनाशकारी घटना होने के पहले कोष जुटाने की क़वायदों को निम्न प्राथमिकता दी जाती है. भले ही हम आपदाओं को पूरी तरह से टाल नहीं सकते लेकिन आपदा-पूर्व चरण में तैयारियों का स्तर ऊंचा करके हम उसके प्रभावों की गंभीरता कम कर सकते हैं. कम गंभीर नुक़सान ऐसी आपदाओं से निपटने और उबरने के लिए इस्तेमाल किए गए कोष की बचत करेंगे. इससे संकेत मिलते हैं कि आपदा जोख़िम प्रबंधन के लिए आपदा के हरेक चरण में समन्वित प्रयासों (घटना से पहले, घटना की प्रतिक्रिया, और आपदा के बाद उबरने के लिए) की दरकार होती है.

कार्यकुशल रणनीतिक फाइनेंसिंग

प्रत्यक्ष आपदा फंडिंग सुरक्षित या आकस्मिक रकम से मुहैया कराई जाती है, जबकि अप्रत्यक्ष आपदा फाइनेंसिंग, रोकथाम के लिए बीमा या निवेश के ज़रिए उपलब्ध कराई जाती है. आम तौर पर नीतिगत उपायों में आपातकालीन वित्त को प्राथमिकता देने का रुझान रहता है. इस कड़ी में समग्र आपदा प्रबंधन नीति के अटूट घटकों के रूप में बीमा या रोकथाम रणनीतियों के एकीकरण पर अपेक्षाकृत कम ज़ोर दिया जाता है. मिसाल के तौर पर आपदा प्रबंधन नीति में आपदा-प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे में निवेश पर कम ध्यान दिया जाता है.

इंडोनेशिया ने बार-बार घटित होने वाली प्राकृतिक आपदाओं से जुड़े जोख़िमों की रोकथाम करने में अपनी क्षमता बढ़ाने को लेकर भारी प्रगति की है. तमाम तरह की नीतियों के कार्यान्वयन के ज़रिए इसे हासिल किया गया है. इस कड़ी में वित्तीय उपायों और संस्थागत रूपरेखाओं पर ख़ास ज़ोर दिया गया है. प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनज़र आपदा प्रबंधन क्षमताओं में सुधार और आर्थिक लचीलेपन को आगे बढ़ाने के मक़सद से 2018 में सरकार ने आपदा जोख़िम फाइनेंसिंग और बीमा रणनीति (DRFI) की शुरुआत की. आपदा संग्रह कोष (DPF) के नाम से जाना जानेवाला DRFI उपकरण, राजकीय बजट के साथ मिलकर काम करता है. विश्व बैंक ने मार्च 2021 से मार्च 2024 के बीच DPF को फंड करने के लिए “इंडोनेशिया आपदा जोख़िम वित्त और बीमा” पहल के तहत 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर का ऋण पैकेज वितरित करने की प्रतिबद्धता जताई है. ग्लोबल रिस्क फाइनेंसिंग फैसिलिटी (GRiF) ने भी इस कर्ज़ में 1.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया है. इसके अलावा इंडोनेशिया, अनुकूलक सामाजिक बचाव (ASP) रोडमैप के समापन की ओर बढ़ रहा है. ये क़वायद जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और आपदा जोख़िम प्रबंधन को सामाजिक सुरक्षा प्रणाली के साथ एकीकृत करती है. DPF तो 2021 से परिचालन में है, लेकिन DRFI रोडमैप को अभी पूरी तरह से क्रियान्वित किया जाना बाक़ी है.

इस कड़ी में समग्र आपदा प्रबंधन नीति के अटूट घटकों के रूप में बीमा या रोकथाम रणनीतियों के एकीकरण पर अपेक्षाकृत कम ज़ोर दिया जाता है. मिसाल के तौर पर आपदा प्रबंधन नीति में आपदा-प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे में निवेश पर कम ध्यान दिया जाता है. 

बीमा प्रीमियमों का भुगतान पूंजी के अपेक्षाकृत बेहतर आवंटन को अनिवार्य बना देता है. ये अदायगी अक्सर बीमित परिसंपत्ति के सकल मूल्य से 0.04 प्रतिशत से 0.2 प्रतिशत के दायरे में रहती है. बहरहाल, इंडोनेशिया जैसे विशाल और आपदा-जोख़िम वाले देश के लिए आपदा जोख़िमों के बड़े हिस्से को कवर करने के लिए बाज़ार में मौजूद इंश्योरेंस और री-इंश्योरेंस कंपनियों की संख्या अपर्याप्त है. और तो और, आपदाएं ना सिर्फ़ पारंपरिक तौर पर बीमित परिसंपत्तियों बल्कि सार्वजनिक सुविधाओं (सड़कें, रेल की पटरियां, बिजली के ग्रिड आदि) को भी तबाह कर देती हैं. हो सकता है कि ये सुविधाएं बीमा-योग्य ना हों. इस तरह प्राकृतिक आपदाएं सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों को बाधित कर देती हैं, राजस्व की हानि और दुखद अनुभवों का कारण बनती हैं, और राष्ट्रीय संसाधनों को राहत-बचाव और ज़िंदगी को दोबारा पटरी पर लाने से जुड़ी लंबी क़वायदों की ओर मोड़ देती हैं. नतीजतन, आपदा बचाव-व्यवस्था के लिए इंश्योरेंस और री-इंश्योरेंस बाज़ारों का विकास करना निहायत ज़रूरी होने के बावजूद अपर्याप्त है. इसके मायने ये हैं कि आपदा जोख़िमों के प्रबंधन के लिए देश को विशाल और दीर्घकालिक आपदा संग्रह कोष की दरकार है.

वित्त की दक्षता सुधारने के लिए सरकार आपदा वित्त को उसके ख़ास गुणों के आधार पर श्रेणीबद्ध कर सकती है: (i) पर्याप्त मौद्रिक मूल्य और निम्न वार्षिक व्यय की विशेषताओं के साथ भविष्य की आपदाओं के लिए कोष, (ii) आपदा-पूर्व गतिविधियों के लिए को-फाइनेंसिंग के प्रावधान: तैयारी कोष, रोकथाम और अनुकूलन कोष; (iii) आपदा प्रतिक्रिया के लिए को-फाइनेंसिंग: आपात कोष; और (iv) आपदा के बाद के कार्यक्रमों के लिए को-फाइनेंसिंग- बीमा और सामाजिक सुरक्षा.

वित्तीय संसाधनों के लिए संग्रहण रणनीति  

DPF के प्रधान राजकोषीय संसाधन, राज्य बजट, उप-राष्ट्रीय बजट और अन्य अनुमति-प्राप्त स्रोतों से हासिल होते हैं. 2021 के प्रेसिडेंशियल रेगुलेशन नंबर 75 के हिसाब से इन स्रोतों में बीमा मुआवज़ा, निवेश पर हासिल रिटर्न, अनुदान, सहभागिता और ट्रस्ट फंड्स शामिल हैं. 2016 से 2019 तक राज्यों के बजट में विनाशकारी आकस्मिकता फंडिंग के लिए 1.54 अरब अमेरिकी डॉलर का आवंटन किया गया. इसके साथ-साथ 2016-2019 के कालखंड के लिए आपदा प्रबंधन की राष्ट्रीय एजेंसी (BNPB) का सालाना बजट आवंटन 1.38 अरब अमेरिकी डॉलर रहा है. लचीलेपन के प्रभावी प्रबंधन के लिए ये रकम अपर्याप्त है.

वित्तीय विशेषताओं के आधार पर कोष जुटाने के लिए नीचे दिए गए समाधान स्थापित किए जा सकते हैं: (i) सॉफ्ट लोन, कैटास्ट्रोफिक बॉन्ड (कैट बॉन्ड), और भविष्य में विशाल आपदा कोष के लिए राजकीय बजट से विशेष आवंटन. (ii) BNPB तैयारियों के लिए कोष का आवंटन करती है, जबकि जलवायु कोषों का रोकथाम और अनुकूलन ख़र्चों के साथ समन्वय किया जाता है; और (iii) राष्ट्रीय और विदेशी आपदा बीमा कंपनियों और संस्थाओं, दोनों के साथ भागीदारी, और आपदा के बाद ग़रीबी और स्वास्थ्य बचावों के लिए समर्पित BPJS के लिए राज्य के बजट से अतिरिक्त आवंटन.

प्रस्तावित रणनीति का और विस्तृत ब्यौरा नीचे दिया गया है:

दीर्घकालिक आपदा कोष को सकारात्मक नेट रिटर्न्स को लक्षित करना चाहिए. लिहाज़ा, इस कोष को योग्य फंड मैनेजमेंट की दरकार है. अगर निवेश पर रिटर्न (आर्थिक फ़ायदों समेत) ऋण की लागत से बढ़ जाते हैं तो ऋण, बॉन्ड और रियायती कर्ज़, फंडिंग के अंतराल को पाटने में मदद कर सकते हैं. इस सामान्य से नियम को दिशानिर्देश की तरह काम करना चाहिए.

आपदा से संबंधित ग़रीबी में कमी लाने और मानवीय स्वास्थ्य को दोबारा पटरी पर लाने के लिए सुरक्षित रखे गए सामाजिक व्यय में बढ़ोतरी हो रही है. एक अन्य रणनीति इस बढ़ते व्यय की पड़ताल करने से जुड़ी है.

चूंकि इंडोनेशिया ने कैट बॉन्ड्स जारी नहीं किए हैं, लिहाज़ा इसकी जांच-परख की जा सकती है. आपदा-वित्त बीमा और पुनर्बीमा कंपनियों के लिए बीमा से जुड़ी सिक्योरिटी के रूप में कैट बॉन्ड्स आकर्षक लगते हैं. विश्व स्तर पर हासिल व्यावहारिक प्रमाण दर्शाते हैं कि बेहतर तरीक़े से प्रबंधित कैट बॉन्ड्स (जैसे स्विस री का) स्टॉक बाज़ार को भी पीछे छोड़ देते हैं.

लक्ष्यों के आधार पर सरकार क्रियाशील बीमा बाज़ार को मज़बूत करने या आपदा कोष जुटाते वक़्त बहु-वर्षीय बचाव मुहैया कराने के लिए कैट बॉन्ड्स जारी कर सकती है. उभरती अर्थव्यवस्थाओं में ये एक सामान्य प्रक्रिया है और इंडोनेशिया भी इसे अच्छे से अपना सकता है. कैट बॉन्ड्स जारी करने और इन्वेस्टर फंड्स का प्रबंधन करने के लिए सरकार या सरकारी स्वामित्व वाले बीमा उद्यम, स्पेशल परपस व्हीकल (SPV) तैयार कर सकते हैं. इंडोनेशिया कैट बॉन्ड जारी करने वाली अंतरराष्ट्रीय इकाइयों या बहुपक्षीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर सकता है. इस तरह बॉन्ड को रणनीतिक रूप से ऐसे तैयार किया जा सकेगा कि उसकी जोख़िम संभावना और प्रीमियम कम हो जाए.

रणनीति की अगली कड़ी रोकथाम और अनुकूलन उपायों के लिए जलवायु वित्त के उपयोग से जुड़ी है. DRFI के मौजूदा रोडमैप में इस परिकल्पना को अब तक शामिल नहीं किया गया है. जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और आपदा जोख़िम कम करने और रोकथाम से जुड़ी क़वायदों का तालमेल बिठाने से दक्षता और प्रभाव में सुधार आता है. ना सिर्फ़ वित्तीय संग्रहण बल्कि वांछित परिणामों के संदर्भ में भी ऐसे बदलाव दिखाई देते हैं.

संसाधन संग्रहण, ख़र्च की दक्षता और कार्यक्रम का प्रदर्शन सुधारने के लिए भागीदारी निहायत ज़रूरी है. इसके दायरे में विशाल अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के अलावा समुदाय आधारित संगठनों और छोटे निवेशकों और दानदाताओं से जुड़ाव भी शामिल हैं.

आख़िरकार, लक्षित वित्त बजटों में बढ़ोतरी की जानी चाहिए. स्पष्ट रणनीति और उपलब्धियों के साथ-साथ रोकथाम पहलों के लिए अतिरिक्त नक़दी की तैनाती करनी पड़ेगी. आपदा से संबंधित ग़रीबी में कमी लाने और मानवीय स्वास्थ्य को दोबारा पटरी पर लाने के लिए सुरक्षित रखे गए सामाजिक व्यय में बढ़ोतरी हो रही है. एक अन्य रणनीति इस बढ़ते व्यय की पड़ताल करने से जुड़ी है. द एजुकेशन एनडाउमेंट फंड (LPDP) रणनीतिक नीति से सबक़ लेकर इंडोनेशिया आपदा कोष इकट्ठा करने से जुड़ी ऐसी ही दलील की जांच-परख कर सकता है. बेशक़, पहले से बड़ा बजट आवंटन क्रियान्वयन के लिहाज़ से एक कठिन नीति है, लेकिन इसकी अहमियत को देखते हुए बजट रणनीति पर नए सिरे से विचार करना चतुराई भरा और उपयोगी क़दम साबित होगा.


फौज़िया ज़ेन, इकोनॉमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर आसियान एंड ईस्ट एशिया (ERIA) की वरिष्ठ अर्थशास्त्री, और यूनिवर्सिटी ऑफ इंडोनेशिया में इकोनॉमिक्स एंड बिज़नेस की फैकल्टी हैं.

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