Author : Qaiser Shamim

Expert Speak Raisina Debates
Published on Nov 18, 2025 Updated 0 Hours ago

जहां दुनिया के कई देश मुक्त व्यापार से पीछे हट रहे हैं, वहीं UK-भारत FTA एक नई मिसाल बनकर उभरा है. यह समझौता दिखाता है कि एडम स्मिथ का 1776 वाला विचार-खुले व्यापार से राष्ट्रीय समृद्धि बढ़ती है-आज भी उतना ही प्रभावी है.

UK-India डील के बीच जानिए: प्रोटेक्शनिज़्म क्या है?

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1776 में प्रकाशित स्कॉटलैंड के अर्थशास्त्री एडम स्मिथ की डॉक्ट्रिन एन इन्क्वायरी इनटू द नेचर एंड कॉलेज़ ऑफ द वेल्थ ऑफ नेशन में दलील दी गई है कि मुक्त व्यापार (जो खुद प्राकृतिक स्वतंत्रता के सिद्धांत पर आधारित है) बाज़ार का विस्तार करके, श्रम विभाजन को बढ़ाकर और उत्पादकता में इज़ाफ़ा करके राष्ट्रीय धन को बढ़ाता है. उन्होंने टैरिफ को पूरी तरह ख़त्म करने का प्रस्ताव नहीं दिया था लेकिन ये चेतावनी दी थी कि संरक्षणवादी नीतियां “लोगों के ख़िलाफ़ एक साज़िश है” और इसने ज़्यादातर लोगों की कीमत पर कुछ लोगों को अमीर बनाया है. एडम स्मिथ ने कहा कि मुक्त व्यापार ने अलग-अलग देशों को विशेषज्ञता हासिल करने और सामानों के आदान-प्रदान की अनुमति दी. इस तरह सभी के लिए अधिक प्रचुरता आती है जिसे प्रतिस्पर्धी लाभ के मौलिक विचार के रूप में सिद्धांत बनाया गया है. 

  • एक दशक से ज़्यादा समय में ये भारत का पहला बड़ा FTA है.
  • कई देशों ने मुक्त व्यापार को ठुकराया है—भले ही प्रतिस्पर्धी लाभ खोने का जोखिम हो.
  • UK-भारत FTA दिखाता है कि एडम स्मिथ के सिद्धांतों को आज की जटिल वैश्विक व्यापार स्थिति में कैसे ढाला जा सकता है.

 हालांकि ऐसा लगता है कि कई देशों ने मुक्त व्यापार के इस विचार को पूरी तरह से ठुकरा दिया है, भले ही उनके सामने अपना प्रतिस्पर्धी लाभ गंवाने का ख़तरा है. हाल के दिनों में कई देश संरक्षणवाद के पक्ष में स्मिथ के द्वारा खींचे गए खाके से दूर चले गए हैं. 

“UK-भारत FTA न केवल इन दोनों देशों के लिए ऐतिहासिक है बल्कि ये उन देशों के लिए भी एक मज़बूत उदाहरण भी है जो मुक्त व्यापार को लेकर झिझक रखते हैं.”

इस पृष्ठभूमि में पिछले दिनों लागू UK-भारत मुक्त व्यापार समझौता (FTA) व्यापार संबंधों के वैश्विक मंच पर ताज़ा हवा के झोंके के रूप में आया है. 

UK-भारत मुक्त व्यापार समझौता: द्विपक्षीय व्यापार संधियों के लिए एक आदर्श

तीन साल से ज़्यादा लंबी बातचीत के बाद 24 जुलाई 2025 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और UK के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने भारत-UK व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौता (CETA) पर हस्ताक्षर किए. पिछले एक दशक से ज़्यादा समय में ये भारत का पहला बड़ा FTA है. वहीं 2020 में यूरोपीय यूनियन से विवादित ढंग से अलग होने के बाद से UK का चौथा FTA है. 

UK-भारत FTA न केवल इन दोनों देशों के लिए ऐतिहासिक है बल्कि ये उन देशों के लिए भी एक मज़बूत उदाहरण भी है जो मुक्त व्यापार को लेकर झिझक रखते हैं. ये एक ऐसा ब्लूप्रिंट है जिस पर इन देशों को अपने भविष्य के समझौतों को तय करते समय विचार करना चाहिए. 

“UK को निर्यात किए जाने वाले भारत के लगभग 99 प्रतिशत सामान पर कोई ड्यूटी नहीं लगेगी.”

मज़बूत आर्थिक संबंध और विश्वास ऐतिहासिक रूप से भारत-UK के रिश्तों की विशेषता रही है जैसा कि यथास्थिति से पता चलता है. 

बढ़ते द्विपक्षीय आर्थिक प्रवाह के रुझान के साथ वित्त वर्ष 2024 में UK-भारत व्यापार 21.3 अरब अमेरिकी डॉलर था जबकि वित्त वर्ष 2025 में इसके 23.1 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. UK के साथ व्यापार में भारत का फिलहाल 5.9 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार सरप्लस है. FTA लागू होने के साथ दोनों सरकारों का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 120 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाना है. ये दोनों देशों के बीच बेहतर तालमेल की दिशा में एक कदम है. अप्रैल 2000 से मार्च 2025 के बीच मज़बूत निवेश संबंधों के कारण UK, भारत का छठा सबसे बड़ा विदेशी प्रत्यक्ष निवेशक था. UK ने कुल मिलाकर 35.8 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया. ये महत्वपूर्ण निवेश दीर्घकालिक पूंजी प्रतिबद्धताओं पर आधारित स्थिर आर्थिक साझेदारी के बारे में बताता है. 

लंबे समय से जिस FTA का इंतज़ार किया जा रहा था, उसके साकार होने के साथ दोनों देश अपने आर्थिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को और गहरा करने के लिए तैयार हैं. 

किसको ज़्यादा फायदा?

वैसे तो दोनों देश FTA से सार्थक आर्थिक लाभ उठाने की स्थिति में हैं लेकिन मौजूदा व्यापार संबंधों के आकार के हिसाब से भारत को ज़्यादा फायदा हो सकता है. UK के व्यवसाय एवं व्यापार विभाग ने दीर्घकाल में भारत से UK के आयात में 25 प्रतिशत बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है. 

भारत को लाभ

UK को निर्यात किए जाने वाले भारत के लगभग 99 प्रतिशत सामान पर कोई ड्यूटी नहीं लगेगी. इनमें वस्त्र एवं परिधान, चमड़ा, जूते और रत्न एवं आभूषण जैसे सेक्टर शामिल हैं. UK के व्यवसाय एवं व्यापार विभाग के आकलन के मुताबिक 2040 तक अनुमानित व्यापार मात्रा में भारत से UK का आयात दीर्घ काल में लगभग 9.8 अरब पाउंड हो जाएगा. भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को उम्मीद है कि इससे 23 अरब अमेरिकी डॉलर की कीमत के अतिरिक्त निर्यात को ड्यूटी-फ्री पहुंच मिलेगी.  

“स्कॉच व्हिस्की का टैरिफ 150% से घटकर 40% होगा.”

FTA भारतीय व्यवसायों को UK के बाज़ारों में अपना विस्तार करने में सक्षम बनाएगा, विशेष रूप से वहां के आकर्षक सार्वजनिक ख़रीद के इकोसिस्टम में. भारतीय कंपनियों को UK के बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य देखभाल जैसे ज़्यादा कीमत वाले क्षेत्रों के सरकारी ठेकों में बिना किसी भेदभाव के पहुंच मिलेगी. भारत के घरेलू क्षेत्र (जिनमें कृषि, कुछ छोटे व्यवसाय और दूसरे संवेदनशील क्षेत्र शामिल हैं) गंभीर रुकावट से परहेज करने के लिए पर्याप्त रूप से सुरक्षित हैं. 

UK को भी महत्वपूर्ण लाभ होगा. ये लाभ उम्मीद के मुताबिक न केवल सामानों में होगा बल्कि भारत (जिसे दुनिया भर में स्वीकार्यता मिली है और जो तेज़ी से बढ़ता साझेदार है) के साथ निवेश, R&D और तकनीकी तालमेल में बढ़ोतरी के माध्यम से भी होगा

UK को लाभ 

UK के निर्यातकों को भारत में अपने लगभग 64 प्रतिशत सामानों के लिए ड्यूटी-फ्री पहुंच मिलेगी. प्रमुख क्षेत्रों के लिए टैरिफ में महत्वपूर्ण कटौती होगी. इनमें अल्कोहल वाले पेय पदार्थ, कॉस्मेटिक, प्रोसेस्ड फूड और डिजिटल सेवाएं शामिल हैं. इससे 2040 तक 15.7 अरब पाउंड का लाभ होने की उम्मीद है. स्कॉच व्हिस्की के मामले में तो टैरिफ में नाटकीय कमी आएगी और ये एक दशक में 150 प्रतिशत से घटकर लगभग 40 प्रतिशत रह जाएगा. कोटा व्यवस्था के तहत UK में बनी कार पर 100-110 प्रतिशत का भारी टैरिफ घटकर 10 प्रतिशत रह जाएगा. टैरिफ हटने के साथ UK के उपभोक्ताओं को सस्ते भारतीय कपड़े, आभूषण, दवाई और प्रोसेस्ड फूड का लाभ मिलेगा. 

वित्त, कानून और पर्यावरण के क्षेत्रों में UK के सेवा उद्योग की पहुंच भारत के बढ़ते कॉरपोरेट बाज़ार तक होगी. 20 प्रतिशत घरेलू सोर्सिंग की सीमा को पूरा करने वाली UK की कंपनियां अब भारत की सरकारी ख़रीद प्रणाली तक पहुंच के लिए योग्य होंगी. इसके तहत हर साल कम-से-कम 38 अरब पाउंड के लगभग 40,000 टेंडर शामिल हैं. इससे UK और भारतीय व्यवसायों के बीच ज्वाइंट वेंचर, हाइब्रिड सप्लाई चेन और सार्थक मेलजोल को बढ़ावा मिलेगा. 

अंतिम परिणाम में लाभ के आंकड़े 

ये समझौता प्रतीकात्मकता से आगे तक जाता है. इससे दोनों देशों की GDP में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. 

UK सरकार की इंपैक्ट असेसमेंट रिपोर्ट का अनुमान है कि इससे दीर्घ काल में UK की GDP में हर साल 4.8 अरब पाउंड की बढ़ोतरी होगी. इसके साथ-साथ बिना समझौते की स्थिति की तुलना में हर साल वेतन के रूप में 2.2 अरब पाउंड की वृद्धि होगी. ये उम्मीद भी है कि UK नए निवेश और निर्यात अवसर में लगभग 6 अरब पाउंड आकर्षित करेगा जिससे पूरे देश में 2,200 से अधिक नई नौकरियां पैदा होने की संभावना है. यही अध्ययन समझौते के पूरी तरह लागू हो जाने के बाद भारत के मामले में 0.06 प्रतिशत की GDP बढ़ोतरी का अनुमान लगाता है जो कि लगभग 5.1 अरब पाउंड प्रति वर्ष के बराबर है. ये विश्लेषण संकेत देता है कि भारत-UK FTA दोनों अर्थव्यवस्थाओं के लिए फायदेमंद है. साथ ही आने वाले वर्षों में और अधिक लाभ की संभावना है. 

द्विपक्षीय व्यापार समझौतों में नीतिगत नयापन

UK-भारत मुक्त व्यापार समझौता न केवल अपने फायदों के लिहाज़ से अलग है बल्कि अपने बहुआयामी दृष्टिकोण के कारण भी ख़ास है. वस्तुओं पर एक समझौते से परे ये समझौता रणनीतिक रूप से सेवाओं, शिक्षा और तकनीक के खांचे का भी विस्तार करता है. 

अपने व्यापक अधिकार के बावजूद सार्थक रूप से FTA दोनों देशों को महत्वपूर्ण क्षेत्रों को सुरक्षित रखने में सक्षम बनाता है. भारत के मामले में ये कृषि और SME (लघु और मध्यम उद्यम) है और UK के लिए उसकी ऊंची कीमत वाली मैन्युफैक्चरिंग. ये समझौता स्वच्छ तकनीकों, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सेमीकंडक्टर जैसे इनोवेशन के प्रमुख मोर्चों में संभावनाएं प्रदान करता है जिससे दोनों पक्षों को महत्वपूर्ण लाभ होगा. 

UK-भारत समझौता आर्थिक सहयोग के एक इनोवेटिव मॉडल का प्रतिनिधित्व करता है. ये इस धारणा को खारिज करता है कि अलग-अलग देशों को हर हाल में थके हुए वैश्वीकरण और लोकलुभावन संरक्षणवाद के बीच चयन करना चाहिए. 

“ये समझौता प्रतीकात्मकता से आगे तक जाता है. इससे दोनों देशों की GDP में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है.”

एक मज़बूत बुनियाद की स्थापना करने के बाद ये समझौता दोनों देशों के लिए और अधिक अवसरों का पता लगाने की गुंजाइश छोड़ता है. वैसे तो व्यापार समझौते शायद ही राजकोषीय नीति पर विचार करते हैं लेकिन ये FTA साझा दृष्टिकोण तैयार करने का अवसर पेश करता है. उदाहरण के लिए, दोहरे कराधान (डबल टैक्सेशन) और डिजिटल सेवा कराधान का समाधान करने के लिए कर नीतियों को व्यवस्थित करने से अधिक मूल्य प्राप्त हो सकता है. मौजूदा FTA के तहत टैरिफ में कमी की परिकल्पना से आगे भी लाभ का मूल्यांकन करना ज़रूरी है. उदाहरण के लिए, साझा इनोवेशन कार्यक्रम को शामिल करने वाली राजकोषीय नीतियां दोनों देशों के लिए दीर्घकाल में अधिक मूल्य उत्पन्न कर सकती हैं. 

एडम स्मिथ की आर्थिक सोच का आधुनिक रूप 

UK-भारत समझौता आर्थिक सहयोग के लिए एक नए मॉडल का प्रतिनिधित्व करता है. ये उस सोच को गलत ठहराता है कि दुनिया भर के देशों को थके हुए वैश्वीकरण और लोकलुभावन संरक्षणवाद के बीच चुनना होगा. FTA का महत्व दोनों देशों के लिए तात्कालिक आर्थिक लाभ से कहीं अधिक है; ये स्मार्ट व्यापार के लिए एक ताज़ा और आधुनिक नज़रिए की नुमाइंदगी करता है जो ये स्वीकार करता है कि अलग-अलग देशों को अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुसार बातचीत को संतुलित करते हुए टिकाऊ संबंध बनाने की ज़रूरत है. 

सार्थक रूप से कहें तो ये समझौता मौजूदा समय में दुनिया को एडम स्मिथ के आर्थिक सिद्धांतों की याद दिलाता है यानी पारस्परिक रूप से फायदेमंद विदेशी व्यापार घरेलू समृद्धि को बढ़ावा दे सकता है. जिस ज़माने में अलग-अलग देश संरक्षणवादी आर्थिक दीवार खड़ी कर रहे हैं, वहां UK-भारत FTA एक द्विपक्षीय पुल की तरह है. 

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