Author : Rouhin Deb

Published on Aug 19, 2021 Updated 0 Hours ago

असम पूर्वोत्तर का सबसे बड़ा राज्य है. इसका क्षेत्रफल 78,438 वर्ग किलोमीटर और आबादी 3.2 करोड़ है. हाल के वर्षों में केंद्र सरकार ने पूर्वोतर पर लगातार ध्यान दिया है

आर्थिक विकास के लिहाज़ से भारत के टॉप 5 राज्यों में शुमार होने की जद्दोजहद में पूर्वोत्तर का राज्य असम

परिचय

पिछले एक दशक में असम उन राज्यों में शामिल हो गया है जिन्होंने विकास की नई ऊंचाइयां हासिल की हैं. दशकों तक चले उग्रवाद के दौर से बाहर निकलने के बाद असम ने ये कमाल कर दिखाया है. असम पूर्वोत्तर का सबसे बड़ा राज्य है. इसका क्षेत्रफल 78,438 वर्ग किलोमीटर और आबादी 3.2 करोड़ है. हाल के वर्षों में केंद्र सरकार ने पूर्वोतर पर लगातार ध्यान दिया है. इसके चलते असम को स्थानीय मुद्दों से पार पाने में मदद मिली है. नतीजतन असम समावेशी विकास के रास्ते पर निरंतर आगे बढ़ता जा रहा है. राजनीति, अफ़सरशाही और सामाजिक क्षेत्रों समेत तमाम किरदारों के सम्मिलत प्रयासों का परिणाम अब सामने दिखाई देने लगा है. इंडिया टुडे के स्टेट ऑफ़ द स्टेट्स सर्वे में तेज़ी से सुधरते हालातों वाले बड़े राज्यों की सूची में असम लगातार तीन वर्षों से अपने प्रदर्शन के बूते शिखर के राज्यों में शुमार है. बहरहाल, तमाम क्षेत्रों में भारी सुधार के बावजूद देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में योगदान के मामले में असम का स्थान अब भी 17वां हैं. लिहाज़ा मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की अगुवाई वाली सरकार ने इस यथास्थिति को बदलने और असम को भारत के विकास को गति देने वाले शीर्ष राज्यों में शुमार करने का लक्ष्य रखा है. असम सरकार का लक्ष्य है कि राज्य 2026 तक देश में विकास के पैमाने पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले पांच राज्यों में शामिल हो जाए. ये लक्ष्य जितना भी मुश्किल दिखाई देता हो, नामुमकिन नहीं लगता. ख़ासतौर से राज्य में कैबिनेट मंत्री रहते हुए शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार को लेकर सरमा ने जो कामयाबी हासिल की थी, उसे देखते हुए असम के इस मुकाम को हासिल कर लेने की उम्मीद जगती है. हालांकि, इस तरह के आशावाद के बावजूद इस मामले में एक हद तक हक़ीक़त को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए. दरअसल असम में आर्थिक और सामाजिक विकास की गति में तेज़ी लाने के लिए सरकार को विभिन्न स्तरों पर दखल देकर कई अहम उपाय करने होंगे.   

असम सरकार का लक्ष्य है कि राज्य 2026 तक देश में विकास के पैमाने पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले पांच राज्यों में शामिल हो जाए. ये लक्ष्य जितना भी मुश्किल दिखाई देता हो, नामुमकिन नहीं लगता.

मुख्य क्षेत्र और सरकारी दख़ल

“जहां और जब आंकड़े उपलब्ध होते हैं वहीं और तब-तब लक्ष्य हासिल होते हैं.” किसी राज्य की विकास यात्रा में चाहे जिन क्षेत्रों को वरीयता दी जाए, लेकिन विकास के रास्ते में सही दिशा की ओर बढ़ने के लिए तमाम क्षेत्रों से सही-सही आंकड़ों की दरकार होती है. इसके लिए एक ऐसी व्यवस्था की ज़रूरत होती है जिसमें प्रखंड स्तर से रियल टाइम डेटा हासिल कर उनको सही ढंग से सहेज कर रखा जा सके. इससे सरकार को विभिन्न क्षेत्रों में हो रही तरक्की का जायज़ा लेने और उसपर निगरानी रखने में मदद मिलेगी. इतना ही नहीं ज़रूरत पड़ने पर किसी ख़ास सेक्टर में सरकार उचित समय पर आवश्यक दखल भी दे सकती है. विकास का आकलन करने के लिए उनकी ठीक से गणना करने से जुड़े मापदंडों की उपलब्धता विकास प्रक्रिया को पटरी पर बनाए रखने का सबसे प्रभावी उपाय है.

 

चौतरफ़ा विकास सुनिश्चित करने के विशिष्ट मापदंडों के तहत प्राथमिक तौर पर जिस क्षेत्र पर ध्यान देने की ज़रूरत है वो है एसडीजी( सतत विकास लक्ष्य) इंडेक्स. हाल ही में प्रकाशित एसडीजी रिपोर्ट में असम का स्थान 24वां है. हालांकि राज्य सरकार एसडीजी इंडेक्स में ऐसे निराशाजनक प्रदर्शन के संदर्भ में काफ़ी सक्रिय रही है. सरकार ने रियल-टाइम डेटा संग्रहण सुनिश्चित करने के लिए कई क़दम उठाए हैं. नीतिगत स्तर पर भी असम की सरकार ट्रांसफ़ॉरमेशन एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट, NITI से जुड़े अधिकारियों और अनेक बाहरी एजेंसियों के साथ जुड़ावों के ज़रिए कई ज़रूरी उपायों को अंजाम देती आ रही है. दूसरी बात ये कि अतीत में अनेक सामाजिक और भौगोलिक चुनौतियों के चलते असम में पूंजी निवेश और औद्योगिकीरण की रफ़्तार हमेशा से ही सुस्त रही है. ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस (ईओडीबी) मानक में असम 20वें पायदान पर है. पिछले वित्त वर्ष में असम को मात्र 1.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) ही हासिल हो सका है. वैसे तो उद्योग और आंतरिक व्यापार प्रोत्साहन विभाग द्वारा सुझाए गए सुधारों को असम में अतीत में अमल में लाया जा चुका है. फिर भी इस दिशा में कुछ और ठोस क़दम उठाए जाने बाक़ी हैं. निर्यात की प्रतिस्पर्धी क्षमता और नवाचार से जुड़े मानकों में भी असम का प्रदर्शन फीका रहा है. इन दोनों सूचकांकों में असम क्रमश: 21वें और 29वें पायदान पर है. हालांकि राज्य सरकार ने इन तमाम मानकों पर असम का प्रदर्शन सुधारने के लिए सही दिशा में कई क़दम उठाए हैं. इनमें सिंगल विंडो क्लियरेंस की सुविधा शुरू करना, नवाचार की संस्कृति को प्रोत्साहन देने के लिए तमाम उच्च शिक्षा संस्थानों में ज़्यादा से ज़्यादा पेंटेट दाखिल किए जाने को बढ़ावा देना, जैसे उपाय शामिल हैं. इतना ही नहीं नियमन प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में भी राज्य सरकार ने ज़रूरी दखल दिए हैं. नियामक बाधाओं को दूर करने के लिए नियम पालन और प्रक्रिया से जुड़े दिशानिर्देशों को अलग-अलग कर दिया गया है. इसके साथ ही पालन के लिए ज़रूरी नियम-क़ायदों की संख्या में भी कटौती की गई है. 

वैसे तो उद्योग और आंतरिक व्यापार प्रोत्साहन विभाग द्वारा सुझाए गए सुधारों को असम में अतीत में अमल में लाया जा चुका है. फिर भी इस दिशा में कुछ और ठोस क़दम उठाए जाने बाक़ी हैं.

आगे का रास्ता

 

Average Growth Rate Assam Tamil Nadu Karnataka Maharashtra Uttar Pradesh Gujrat
2012-20 12.00% 11.71% 13.77% 10.87% 11.86% 13.61%
GDP (Lac Crore, 20-21) 3.5 19.43 16.65 28.18 17.05 16.39

GDP per capita Assam Goa Sikkim Haryana Kerela Odisha
In INR (2019) 92533 476000 435000 260287 225484 111892

राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) और प्रति व्यक्ति जीएसडीपी के आंकड़ों पर नज़र डालें (चित्र 2 और चित्र 3) तो हम पाते हैं कि शीर्ष पांच राज्यों में शामिल होने से पहले असम को इन ज़रूरी पैमानों पर काफ़ी प्रगति करनी होगी. निश्चित तौर पर एक राज्य के रूप में असम को तत्काल प्रति व्यक्ति जीएसडीपी के स्तर को बढ़ाने की दिशा में सक्रिय रूप से जुट जाना चाहिए. केरल और ओडिशा की जनसंख्या लगभग असम के बराबर है, लिहाज़ा असम को सबसे पहले जीएसडीपी के पैमाने पर इन राज्यों के स्तर तक पहुंचने की कोशिश करनी चाहिए. राज्य को आर्थिक विकास में रुकावटें डालने वाली जटिल समस्याओं के समाधान के लिए अभूतपूर्व और नए-नए उपायों की ज़रूरत है. ऐसे उपाय सुझाने के लिए ज़रूरी प्रक्रियाओं में असम को अपनी संस्था SITA (स्टेट इनोवेशन एंड ट्रांसफ़ॉरमेशन आयोग) को सक्रिय तौर पर भागीदारी लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. 

असम की अर्थव्यवस्था प्राथमिक तौर पर कृषि पर आधारित है. लिहाज़ा यहां का आर्थिक तानाबाना खेती से बेहद क़रीब से जुड़ा है. असम जैसी अर्थव्यवस्था के लिए भारत सरकार की एक ज़िला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना क्रांतिकारी साबित हो सकती है. ग़ौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की सरकार ने ओडीओपी योजना को काफ़ी आगे बढ़ाया है. नतीजतन उत्तर प्रदेश से होने वाले निर्यातों में 36 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. जीएसडीपी के प्रतिशत के तौर पर क्षेत्रवार जीवीए और औसत विकास दर (चित्र 4) से पता चलता है कि निर्माण, हॉस्पिटैलिटी और वित्तीय सेवाओं से जुड़े सेक्टर असम के तेज़ी से आगे बढ़ते क्षेत्रों में शामिल हैं. भविष्य में ये सेक्टर्स राज्य के विकास के मुख्य निर्धारक बन सकते हैं, लिहाज़ा इन क्षेत्रों पर सरकार द्वारा विशेष ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है. हाल के समय में कई क्षेत्रों में असम का प्रदर्शन बेहद सराहनीय रहा है. चाहे वो कोविड-19 महामारी हो या लघु-ऋण से जुड़ा संकट, असम सरकार बेहद सधे हुए तरीके से इनसे निपटने में कामयाब रही है. ऐसे में निकट भविष्य में असम उन राज्यों में रहेगा जिनके प्रदर्शन पर सबकी नज़रें टिकी रहेंगी. 

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