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यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के समय से अब तक रूस की अर्थव्यवस्था ने प्रतिबंधों के ख़िलाफ़ सामर्थ्य विकसित कर लिया है. हालांकि, सेना पर बढ़ता खर्च अल्पकालीन विकास को तो बढ़ाएगा लेकिन दीर्घकालीन चिंताएं पैदा करता है.
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के शुरुआती हफ्तों के बाद रूस की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे ज़्यादा पाबंदियों से घिरी हो गई. महामारी के बाद आर्थिक बर्बादी की आशंकाओं, क्योंकि रूस की अर्थव्यवस्था -4.5 प्रतिशत की GDP विकास दर के साथ शुरुआत में लड़खड़ा रही थी, के बावजूद 2022 के अंत तक रूस -1.2 प्रतिशत के GDP विकास पर पहुंचकर उबरने लगा और 2023 में 3.6 प्रतिशत की विकास दर के साथ ठोस शुरुआत की. इसके अलावा रूस में वास्तविक मेहनताना (रियल वेजेज़) में जुलाई 2022 की तुलना में 9.4 प्रतिशत की तेज़ बढ़ोतरी हुई. इससे ये सवाल खड़ा होता है: रूस ने व्यापक स्तर पर पश्चिमी देशों का प्रतिबंध और यूक्रेन युद्ध की वजह से वित्तीय दबाव झेलने के बावजूद 2023 में पूरे साल सकारात्मक विकास कैसे बनाए रखा?
रूस की अर्थव्यवस्था बहुत अधिक केंद्रीकृत है और ऊर्जा, बैंकिंग, रक्षा और परिवहन के क्षेत्रों में ज़्यादातर मालिकाना हक़ सरकार के पास है. ऊर्जा और रक्षा के निर्यात से राजस्व की बड़ी रक़म इकट्ठा की जाती है. अर्थव्यवस्था पर पाबंदी के तात्कालिक असर से 2022 की दूसरी तिमाही में महंगाई दर बढ़कर 17.9 प्रतिशत हो गई. रूस के बैंकिंग सिस्टम पर पाबंदी की वजह से रूस के आयात पर भी असर पड़ा. रूस के विदेशी मुद्रा भंडार में मौजूद 600 अरब अमेरिकी डॉलर में से 300 अरब अमेरिकी डॉलर पाबंदी की चपेट में आ गया जिसकी वजह से अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली तक उसकी पहुंच ख़त्म हो गई.
रूस की अर्थव्यवस्था बहुत अधिक केंद्रीकृत है और ऊर्जा, बैंकिंग, रक्षा और परिवहन के क्षेत्रों में ज़्यादातर मालिकाना हक़ सरकार के पास है. ऊर्जा और रक्षा के निर्यात से राजस्व की बड़ी रक़म इकट्ठा की जाती है. अर्थव्यवस्था पर पाबंदी के तात्कालिक असर से 2022 की दूसरी तिमाही में महंगाई दर बढ़कर 17.9 प्रतिशत हो गई.
नीति निर्माता 2014 से अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन की तैयारी में लगे हुए हैं. इसके तहत अलग-अलग क्षेत्रों को टैक्स जमा करने वालों और टैक्स पर निर्भर क्षेत्रों में बांटा गया था. टैक्स जमा करने वालों में रूस के लाभदायक ऊर्जा, कृषि और रक्षा क्षेत्र शामिल हैं. ये टैक्स पर निर्भर क्षेत्रों जैसे कि ऑटोमोबाइल, तेल एवं गैस के हिस्से, जहाज़ निर्माण और सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों में पूंजी लगाते हैं. अर्थव्यवस्था के इस पुनर्गठन ने अर्थव्यवस्था का विस्तार किया और एक तरह के सामर्थ्य (रिज़िलियंस) का निर्माण किया. यूक्रेन में युद्ध ने सेना की सप्लाई के लिए मांग बढ़ाई है. इससे सैन्य कारखानों में रोज़गार बढ़ा है और यूक्रेन में नए कब्ज़े में आए क्षेत्रों के पुनर्निर्माण के लिए लोगों की मांग बढ़ी है. निझनी नॉवगोरोद, स्वेयरलोवस्क, तुला, समारा और नोवोसिबिर्स्क जैसे क्षेत्रों में रक्षा कारखानों की सघनता के कारण कामगारों की काफी मांग देखी गई है. इन कारखानों में मेहनताना असैन्य कारखानों की तुलना में अधिक है. इसकी वजह से रूस में श्रम बल (लेबर फोर्स) ज़्यादा फायदेमंद रक्षा उद्योग की तरफ जाने लगा. कामगारों के अचानक रक्षा सेक्टर में जाने और रूस के नागरिकों के देश छोड़ने का नतीजा असैन्य क्षेत्र में बहुत ज़्यादा नौकरियों के खोने के रूप में निकला है. 2023 में रूस में 48 लाख कामगारों की कमी थी. ये सभी बातें आर्थिक विकास की तरफ इशारा करती हैं जो सैन्य खर्च से प्रेरित है.
बाहरी झटकों से रूबल को स्थिर रखने में रूस के केंद्रीय बैंक की भूमिका महत्वपूर्ण रही है. बैंक ऑफ रशिया की गवर्नर एलविरा नबीउल्लीना को 2015 और 2017 में सेंट्रल बैंकर ऑफ द ईयर के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. ये सम्मान उन्हें बाहरी झटकों से आर्थिक सामर्थ्य का निर्माण करने, महंगाई दर को काबू में रखने और बैंकिंग सेक्टर में सुधारों के लिए दिया गया था. यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस के केंद्रीय बैंक ने पूंजी नियंत्रण कानूनों (कैपिटल कंट्रोल लॉ) को लागू कर दिया. बैंक ऑफ रशिया ने ब्याज दर 9.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दी. इसकी वजह से पूंजी का बाहर जाना थम गया और रूबल को स्थिर करने में मदद मिली. इसके अलावा रूस की कंपनियों को विदेशी मुद्रा बाहर ट्रांसफर करने से रोक दिया गया और रूस के बैंकों से निकाली गई रक़म पर उन्हें छह महीने की सीमा का सामना करना पड़ा. विदेशी मुद्रा में भुगतान हासिल करने वाली रूसी कंपनियों को अपनी कमाई का 80 प्रतिशत (बाद में हटा दिया गया) रूबल में बदलना था. यही वजह है कि यूक्रेन पर आक्रमण के पहले साल में रूस की अर्थव्यवस्था झटकों को बर्दाश्त करने में कामयाब रही. हालांकि 2023 के मध्य तक रूबल का अवमूल्यन (डिवैल्यू) शुरू हो गया. इसका मुख्य कारण बढ़ते आयात की वजह से रूस का ट्रेड सरप्लस सिमटना था. रूबल के अवमूल्यन को रोकने के लिए सेंट्रल बैंक ने ब्याज दर में बढ़ोतरी कर दी और आक्रामक होकर महंगाई पर निशाना साधा. एलविरा नबीउल्लीना ने चिंता जताई है और चेतावनी दी है कि रूस के ख़िलाफ़ पाबंदियां बढ़ सकती हैं. उन्होंने ये भी कहा कि अर्थव्यवस्था बढ़ती मांग को पूरा नहीं कर पाने के ख़तरे का सामना कर रही है. इसके अलावा कानूनी तौर पर न्यूनतम मज़दूरी बढ़ाकर 212.60 अमेरिकी डॉलर (20,000 रूबल) कर दिया गया और यूक्रेन युद्ध शुरू होने से एक महीने पहले पेंशन में 10 प्रतिशत वृद्धि की गई.
रूस में घरेलू उत्पादन को बढ़ाना 2014 से नीति निर्माताओं की सोच में रहा है. आयात की जगह लेने वाली चीजों के लिए सरकारी आयोग का गठन 2015 में किया गया. 20 ब्रांच में 2000 प्रोजेक्ट और 1.5 ट्रिलियन रूबल के बजट के साथ 2030 तक के रोडमैप के साथ ये आयोग बनाया गया. 2014 से गैर-प्रतिबंधित उद्योगों जैसे कि फार्मा, IT और नागरिक उड्डयन पर ज़ोर दिया गया है (2022 से पहले). उदाहरण के लिए, रूस की उड्डयन कंपनियों ने देश में तैयार MC-21 और सुखोई सुपरजेट-100 ख़रीदने के लिए ऑर्डर दिया है क्योंकि एयरबस और बोइंग ने रूस पर आयात पाबंदियां लगा रखी हैं. मॉस्को की नेशनल रिसर्च यूनिवर्सिटी ऑफ हायर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अनुसार रूस का उद्योग क्षेत्र मौजूदा समय में 40 प्रतिशत से कम आयात पर निर्भर है. अलग-अलग क्षेत्रों में आयात पर निर्भरता की दर अलग-अलग है. मशीनरी, फार्मास्यूटिकल्स, फर्टिलाइज़र, इलेक्ट्रिकल मशीनरी और मेडिकल उपकरणों के आयात पर निर्भरता ज़्यादा है. चूंकि आयात पर निर्भरता घटाने का काम चालू है, ऐसे में रूस अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों जैसे कि खनन और उत्पादन में कठिनाई का सामना कर रहा है. आयात की जगह लेने की नीति ने रोज़गार पैदा किया है और रूस के कुछ क्षेत्रों में आर्थिक विकास को तेज़ किया है.
क्रीमिया पर अवैध कब्ज़े के जवाब में 2014 में लगाए गए प्रतिबंध से हटकर 2022 में लगाई गई पाबंदियां काफी व्यापक हैं, ठीक उसी तरह जैसे ईरान पर दस्तावेज़ों में लगाई गई पाबंदियां हैं. हालांकि वास्तविकता प्रतिबंधों के पीछे के इरादे के उलट है. रूस की प्राकृतिक गैस और तेल यूरोप के बाज़ारों से बहुत ज़्यादा जुड़ी हुई है. जब अमेरिका ने 2015 में रूस की ऊर्जा पर प्रतिबंध लगाया था, तब भी यूरोपियन यूनियन (EU) ने रूस की बड़ी प्राकृतिक गैस कंपनियों गैज़प्रॉम या रोसनेफ्ट (रूस की सबसे बड़ी तेल कंपनी) पर पाबंदी नहीं लगाई थी. EU ने रूस से ऊर्जा की ख़रीद जारी रखी क्योंकि मध्य यूरोप, बाल्टिक और पूर्वी यूरोप के कई देश रूसी ऊर्जा के वैल्यू चेन के काम-काज का अभिन्न हिस्सा हैं. उदाहरण के लिए, हंगरी का MOL ग्रुप और चेक रिपब्लिक की यूनीपेट्रोल यूरोप की उन कई कंपनियों में शामिल हैं जो रूस के तेल को रिफाइन करते हैं और जिन्हें पाबंदियों से बाहर रखा गया है. रूसी ऊर्जा के दिग्गज मिडस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम प्रोसेस में शामिल पूरे यूरोप की कंपनियों में हिस्सेदारी रखते हैं. इस तरह की निर्भरता अलग-अलग देशों के लिए रूस के साथ ऊर्जा संबंधों को तोड़ना बहुत मुश्किल बनाती है. इसके अलावा, साल-दर-साल रूसी निर्यात में बढ़ोतरी हुई है. मिसाल के तौर पर, 2022 में रूस का निर्यात 591 अरब अमेरिकी डॉलर था जो 2021 की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक था.
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस के केंद्रीय बैंक ने पूंजी नियंत्रण कानूनों (कैपिटल कंट्रोल लॉ) को लागू कर दिया. बैंक ऑफ रशिया ने ब्याज दर 9.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दी. इसकी वजह से पूंजी का बाहर जाना थम गया और रूबल को स्थिर करने में मदद मिली.
रूस की अर्थव्यवस्था के बढ़ने का एक और कारण लॉन्ड्रोमैट देश (रूस से कच्चा तेल ख़रीदकर बेचने वाले देश) हैं जो रूस का तेल ख़रीदकर प्रसंस्कृत/अप्रसंस्कृत (प्रोसेस्ड/अनप्रोसेस्ड) उत्पादों को यूरोपीय देशों को बेचते हैं. भारत, संयुक्त अरब अमीरात, तुर्किए, चीन और सिंगापुर ऐसे देशों में अहम हैं और वो G7 के द्वारा निर्धारित मूल्य सीमा पर तेल नहीं ख़रीदते हैं. इसका ये मतलब है कि पश्चिमी पाबंदियों की वजह से रूस की अर्थव्यवस्था कमज़ोर नहीं हुई है.
उद्योग और व्यापार मंत्रालय ने समानांतर आयातों की एक सूची जारी की है जिसमें ऑटोमोबाइल पार्ट्स, रेल परिवहन के लिए विशेष पुर्जे, उड्डयन के स्पेयर पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, कॉस्मेटिक्स और यहां तक कि विलासिता (लग्ज़री) के सामान भी शामिल हैं. समानांतर आयात से तात्पर्य उन सामानों से है जिन्हें किसी बाज़ार में उत्पादक की मंज़ूरी के बिना आयात किया जाता है. कज़ाख़स्तान, आर्मीनिया और बेलारूस से कई अनधिकृत आयात रूस में होते हैं. मई 2022 से नवंबर 2022 के बीच रूस में 17 अरब अमेरिकी डॉलर का समानांतर आयात हुआ है. 2023 में मॉस्को ने 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर का आधुनिक सेमीकंडक्टर चिप्स आयात किया है जिनका इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध में ड्रोन में हो रहा है. यहां तक कि बेहद विनियमित (रेगुलेटेड) दोहरे इस्तेमाल के सामान भी रूस में पहुंच रहे हैं.
मई 2022 से नवंबर 2022 के बीच रूस में 17 अरब अमेरिकी डॉलर का समानांतर आयात हुआ है. 2023 में मॉस्को ने 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर का आधुनिक सेमीकंडक्टर चिप्स आयात किया है जिनका इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध में ड्रोन में हो रहा है.
यूक्रेन में युद्ध की शुरुआत के समय से रूस की अर्थव्यवस्था ने प्रतिबंधों के ख़िलाफ़ सामर्थ्य विकसित कर लिया है; टेक्नोक्रैट्स ने रात-दिन काम करके रूबल की स्थिरता को सुनिश्चित किया है. 2023 के मध्य से रूबल के अवमूल्यन की शुरुआत के बावजूद प्रतिबंधों के ख़िलाफ़ एक हद तक सामर्थ्य बनाने के उद्देश्य से सामाजिक सुरक्षा के उपाय रूस के लोगों के लिए संतोषजनक रहे हैं. यहां तक कहा जा सकता है कि रूस के विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी की मौत के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के द्वारा लगाई गई 500 पाबंदियों की हालिया सूची भी मंशा के अनुरूप रूस की अर्थव्यवस्था पर असर नहीं डाल सकती है. इन मानदंडों को ध्यान में रखते हुए रूस ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है और मार्च में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रपति पुतिन के संभावित पांचवें कार्यकाल का रास्ता तैयार कर दिया है. हालांकि सेना पर बढ़ता खर्च, जो आर्थिक विकास को बढ़ा रहा है, दीर्घकालीन चिंताएं पैदा करता है क्योंकि सैन्य खर्च पर ज़रूरत से ज़्यादा निर्भरता यूक्रेन में युद्ध ख़त्म होने के बाद भी आर्थिक गतिहीनता (स्टैगनेशन) की ओर ले जा सकता है.
राजोली सिद्धार्थ ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटजिक स्टडीज़ प्रोग्राम में इंटर्न हैं.
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Rajoli Siddharth Jayaprakash is a Research Assistant with the ORF Strategic Studies programme, focusing on Russia's domestic politics and economy, Russia's grand strategy, and India-Russia ...
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