Published on Jun 16, 2023 Updated 0 Hours ago
“ग्रीन इंडिया” रिपोर्ट के साथ RBI ने जलवायु वित्त से जुड़ी अपनी सोच साझा की!

वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए करेंसी (मुद्रा) और फाइनेंस (वित्त) पर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की ताज़ा रिपोर्ट में ‘हरित स्वच्छ भारत की तरफ़ (टूवार्ड्स ए ग्रीनर क्लीनर इंडिया)’ ध्यान दिया गया है. जलवायु को लेकर पर्याप्त पैसे की कमी जैसी चुनौती के बावजूद सतत विकास के मामले में भारत सबसे आगे रहा है. जलवायु पर कार्रवाई के मामले में भारत महत्वाकांक्षी रहा है और उसने नेट ज़ीरो (शून्य उत्सर्जन) के लक्ष्य की तरफ़ साहसी नीतिगत क़दम उठाए हैं. RBI की ये रिपोर्ट भारत की इस साख को और मज़बूत करती है. हरे-भरे और स्वच्छ भारत के लक्ष्य को हासिल करने पर ध्यान देकर ये रिपोर्ट ज़्यादा सतत (सस्टेनेबल) और पर्यावरण अनुकूल अर्थव्यवस्था की तरफ़ बदलाव के लिए एक व्यापक रोडमैप तय करती है. 

रिपोर्ट भारत में सतत विकास की पद्धतियों के लिए ज़रूरत के बारे में बताती है और इसमें कार्बन उत्सर्जन कम करने और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर ख़ास ज़ोर दिया गया है. इस विस्तृत रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन को लेकर चर्चा के मामले में कई बदलने वाली चीज़ें शामिल हैं जिनका मक़सद वैचारिक नेतृत्व, विचार और कोशिशों को तेज़ करना है ताकि भारत के लिए ज़्यादा विकास की राह में आने वाली संभावित चुनौतियों के बारे में सक्रिय तौर पर सोचा जा सके. इनमें जलवायु परिवर्तन की रफ़्तार के साथ-साथ इसका व्यापक आर्थिक असर भी शामिल है. ये सावधान भी करती है कि कैसे ये सभी चीज़ें वित्तीय स्थिरता को प्रभावित कर सकती हैं और जलवायु से जुड़े जोखिमों के बारे में विस्तार से बताती है. 

इस विस्तृत रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन को लेकर चर्चा के मामले में कई बदलने वाली चीज़ें शामिल हैं जिनका मक़सद वैचारिक नेतृत्व, विचार और कोशिशों को तेज़ करना है ताकि भारत के लिए ज़्यादा विकास की राह में आने वाली संभावित चुनौतियों के बारे में सक्रिय तौर पर सोचा जा सके.

रिपोर्ट में निरंतरता (सस्टेनेबिलिटी) के महत्व और ज़्यादा सतत एवं पर्यावरण अनुकूल अर्थव्यवस्था की तरफ़ बदलाव की ज़रूरत पर विशेष ध्यान दिया गया है. रिपोर्ट में बदलाव की कम लागत के साथ एक सतत अर्थव्यवस्था का समर्थन करने में वित्तीय सेक्टर- जैसे कि बैंक, नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC), इंश्योरेंस, एसेट मैनेजमेंट जैसे सेगमेंट- की भूमिका को लेकर चर्चा की गई है. महत्वपूर्ण बात ये है कि ये रिपोर्ट वित्तीय संस्थानों के लिए एक आह्वान है कि वो पर्यावरण, सामाजिक और शासन व्यवस्था (ESG) के विचार को अपनी निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल करें. इसके साथ-साथ कारोबार और निवेश की दीर्घकालीन निरंतरता की समीक्षा में भी शामिल करें. RBI के द्वारा ESG को लेकर सोच-विचार को बढ़ावा देना दुनिया भर के रुझानों के मुताबिक़ है क्योंकि ज़्यादा-से-ज़्यादा निवेशक मांग कर रहे हैं कि कंपनियां अपने ESG प्रदर्शन के बारे में स्पष्ट करें

रिपोर्ट में ये स्वीकार किया गया है कि भारत के सामने पर्यावरण से जुड़ी कई चुनौतियां हैं जिनमें प्रदूषण, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं. रिपोर्ट में सावधान किया गया है कि इन चुनौतियों का बड़े पैमाने पर आर्थिक और सामाजिक असर होगा और इनका समाधान करने के लिए सरकार, उद्योग और सिविल सोसायटी की मिली-जुली कोशिशों की ज़रूरत होगी. रिपोर्ट में भारत की पर्यावरण से जुड़ी चुनौतियों के आर्थिक और सामाजिक प्रभाव पर विशेष ध्यान दिया गया है. दूसरे अध्ययन भी हैं जिनमें वायु प्रदूषण का संबंध सांस से जुड़ी बीमारियों में बढ़ोतरी से दिखाया गया है और ये भी कि पानी के प्रदूषण की वजह से स्वच्छ पीने के पानी की उपलब्धता में कमी आई है. ये चुनौतियां न सिर्फ़ भारत के लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण पर असर डालती हैं बल्कि इनकी महत्वपूर्ण आर्थिक क़ीमत भी चुकानी पड़ती है. 

साझा-योजना

ये रिपोर्ट नीति बनाने वालों के लिए जलवायु परिवर्तन को लेकर साझा योजना बनाने की एक शुरुआत है. आर्थिक विकास से समझौता किए बिना मज़बूत नीतिगत हस्तक्षेपों की ज़रूरत स्पष्ट है. ये नीतिगत हस्तक्षेप 2030 तक भारत के हरित परिवर्तन के लक्ष्यों के लिए काम करेंगे और बाद में 2070 तक नेट ज़ीरो (शून्य उत्सर्जन) के लक्ष्य को वास्तविक रास्ते की ओर ले जाएंगे. RBI ने कम ऊर्जा का इस्तेमाल करने वाले (एनर्जी एफिशिएंट) सेक्टर को संसाधनों की कमी न होने देने के लिए कुछ मौद्रिक (मॉनेटरी) उपायों का प्रस्ताव दिया है. RBI ने ये भी सुझाव दिया है कि रिन्यूएबल एनर्जी के सेक्टर में काम करने वाली कंपनियों की कर्ज़ की लागत कम करने में मदद के उद्देश्य से बैंकों को कम लागत पर फंड देने की शुरुआत की जाए. इसके अलावा RBI ने हरित परियोजनाओं (ग्रीन प्रोजेक्ट) को कर्ज देने के लिए कम रिज़र्व रखने की ज़रूरत के बारे में भी बताया है. 

“भारत की ग्रीन फाइनेंसिंग की ज़रूरत 2030 तक हर साल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का कम-से-कम 2.5 प्रतिशत होने का अनुमान है.” भारत को 2070 तक नेट ज़ीरो का लक्ष्य हासिल करने के लिए हर साल GDP की एनर्जी इंटेंसिटी (किसी देश की एनर्जी इनएफिशिएंशी की माप) लगभग 5 प्रतिशत कम करने की ज़रूरत होगी और ये तब तक करना होगा जब तक कि लक्ष्य हासिल न हो जाए. इसके अलावा, उसे मौजूदा 5.5 प्रतिशत के मुक़ाबले 2070-71 तक 70% रिन्यूएबल एनर्जी मिक्स को वितरित करना होगा. 

RBI के मुताबिक़ ग्रीन फाइनेंस रिन्यूएबल एनर्जी के प्रोजेक्ट, ऊर्जा सक्षम (एनर्जी एफिशिएंट) इमारतों और सतत परिवहन सिस्टम को फंड देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

रिपोर्ट में सतत विकास का समर्थन करने में ग्रीन फाइनेंस के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया है. RBI के मुताबिक़ ग्रीन फाइनेंस रिन्यूएबल एनर्जी के प्रोजेक्ट, ऊर्जा सक्षम (एनर्जी एफिशिएंट) इमारतों और सतत परिवहन सिस्टम को फंड देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. रिपोर्ट में वित्तीय  संस्थानों के लिए ग्रीन फाइनेंस प्रोडक्ट और सर्विस तैयार करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया है ताकि एक ज़्यादा सतत अर्थव्यवस्था की तरफ़ बदलाव का समर्थन किया जा सके. ग्रीन फाइनेंस पर ये ज़ोर एक स्वागत योग्य घटनाक्रम है क्योंकि ग्रीन फाइनेंस न सिर्फ़ सतत विकास का समर्थन करता है बल्कि निवेश के लिए नये रास्तों को भी खोलता है. इसके अलावा RBI की रिपोर्ट कार्बन उत्सर्जन कम करने और ऊर्जा दक्षता में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए डिजिटल तकनीकों के इस्तेमाल का विचार भी सामने लाती है. डिजिटल तकनीकों पर ये ज़ोर ख़ास तौर पर सही है क्योंकि हम लगातार देख रहे हैं कि दुनिया एक ज़्यादा डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर बदल रही है. भारत के लिए ये उचित है क्योंकि भारत डिजिटल तकनीकों को बढ़ावा देने के मामले में सबसे आगे हैं और वो लोगों के काम में आने वाली डिजिटल चीज़ों को प्रोत्साहन दे रहा है. शुरुआत करते हुए RBI ने B2B (बिज़नेस टू बिज़नेस) और B2C (बिज़नेस टू कंज़्यूमर) के संदर्भ में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के इस्तेमाल को लॉन्च किया है ताकि कागज़ी करेंसी का उपयोग कम किया जा सके. 

नीतिगत हस्तक्षेप

सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए RBI ने कई नीतिगत हस्तक्षेपों की सिफ़ारिश की है. इनमें नवीकरणीय (रिन्यूएबल) ऊर्जा के स्रोतों को अपनाना, कम ऊर्जा का इस्तेमाल (एनर्जी एफिशिएंट) करने वाली तकनीकों को बढ़ावा और ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास शामिल हैं. रिपोर्ट में नई और सतत तकनीकों के विकास का समर्थन करने के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट (अनुसंधान और विकास) में ज़्यादा निवेश की ज़रूरत की बात भी कही गई है. नीतिगत सहारे के तौर पर RBI सतत विकास को बढ़ावा देने में वित्तीय समावेशन (फाइनेंशियल इन्क्लूज़न) के महत्व को भी सामने लाता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय सेवाओं की उपलब्धता लोगों और समुदायों को सतत तकनीकों और पद्धतियों में निवेश करने में मदद कर सकती है. साथ ही वित्तीय सेवाओं की उपलब्धता नये और हरे-भरे कारोबार के विकास को भी आसान बना सकती है. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े कृषि उत्पादकों में से एक है और सतत खेती की पद्धति प्राकृतिक संसाधनों के संतुलन की रक्षा में मदद कर सकती है और ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन को भी कम कर सकती है.

रिपोर्ट में एक और प्रमुख टिप्पणी सतत खेती और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन (मैनेजमेंट) के महत्व को लेकर है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े कृषि उत्पादकों में से एक है और सतत खेती की पद्धति प्राकृतिक संसाधनों के संतुलन की रक्षा में मदद कर सकती है और ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन को भी कम कर सकती है. रिपोर्ट में कृषि क्षेत्र में सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए सतत खेती की पद्धतियों जैसे कि संरक्षण कृषि (कंज़र्वेशन एग्रीकल्चर) और ऑर्गेनिक खेती को अपनाने की सिफ़ारिश की गई है. चूंकि, सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कृषि और ग्रामीण विकास महत्वपूर्ण है, ऐसे में वित्तीय संस्थानों को सतत कृषि पद्धतियों और ग्रामीण विकास की पहल का समर्थन करने के लिए RBI की तरफ़ से बढ़ावा देना अहम है. RBI का ये समर्थन ज़्यादा सतत रोज़गार का निर्माण करने में मदद कर सकता है और गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर को सुधार सकता है.  

कुल मिलाकर, ये रिपोर्ट नीति निर्माताओं, कारोबार और सिविल सोसायटी के लिए एकजुट होकर भारत की पर्यावरण से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने के मामले में वैचारिक नेतृत्व को बढ़ावा देती है. आख़िरकार जलवायु अनुकूलन (क्लाइमेट एडेप्टेशन) के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को कम करने के लिए जलवायु से जुड़े जोखिमों और स्थायी फाइनेंसिंग की समझ की ज़रूरत है.


श्रीनाथ श्रीधरन ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में विज़िटिंग फेलो हैं. 

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