Author : Gurjit Singh

Published on Jul 12, 2023 Updated 0 Hours ago
क्वॉड और आसियान: बदलते संबंध, नए सपने

इस बात की संभावना अब बन रही है कि क्वॉड– जो कि ऑस्ट्रेलियाभारतजापान और अमेरिका के बीच एक सामरिक सुरक्षा संवाद है– और ऑकस– जो कि ऑस्ट्रेलियायूनाइटेड किंगडम (UK) और अमेरिका के बीच एक त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौता है– के साथ एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संघ यानी ASEAN या आसियानकामकाजी संबंधों के मामले में ज्यादा तैयार दिख रहा हैअकादमिक जगत से इस तरह के संकेत मिल रहे हैं लेकिन आसियान के देशों की ज्यादातर सरकारों के सूत्र इसे ज्यादा महत्व नहीं दे रहे हैं

“आसियान इकलौता क्षेत्रीय संगठन है जो अलग-अलग तरह की कूटनीति की पेशकश करता है. आसियान का सिद्धांत तालमेल, सहयोग और सक्रिय भागीदारी है. हम कोई संघर्ष नहीं चाहते हैं. हम अलग-थलग नहीं होना चाहते हैं.

हालांकि पिछले दिनों न्यू स्ट्रेट टाइम्स के साथ एक इंटरव्यू में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोकोवीजो कि 2023 के लिए आसियान के अध्यक्ष भी हैंसे पूछा गया कि क्या इंडोपैसिफिक क्षेत्र में आसियान की प्रमुखता के कारण बेचैनी हैखास तौर पर क्वॉड और ऑकस के उभरने के बाद से जो आसियान केंद्रित क्षेत्रीय सुरक्षा व्यवस्था नहीं हैंआसियान के अध्यक्ष के तौर पर इंडोनेशिया इस संदर्भ में उसकी प्रासंगिकता को कैसे सुनिश्चित कर सकता हैइसका गंभीर जवाब देते हुए जोकोवी ने कहाआसियान इकलौता क्षेत्रीय संगठन है जो अलगअलग तरह की कूटनीति की पेशकश करता हैआसियान का सिद्धांत तालमेलसहयोग और सक्रिय भागीदारी हैहम कोई संघर्ष नहीं चाहते हैंहम अलगथलग नहीं होना चाहते हैं. हमें क्वॉड और ऑकस को एक साझेदार के तौर पर देखना चाहिएप्रतिस्पर्धी के रूप में नहीं.” 

इसके बाद इंडोनेशिया के प्रतिनिधियों के द्वारा गलत संदेश पहुंचने से रोकने के लिए एक अभियान चलाया गयाहालांकि उन्होंने इंडोनेशिया की अध्यक्षता में क्वॉड और ऑकस के साथ संबंधों में बेहतरी से इनकार नहीं कियाआसियान में इंडोनेशिया के स्थायी प्रतिनिधि एंबेसडर देरी अमान ने 15 मई को फॉरेन पॉलिसी कम्यूनिटी ऑफ इंडोनेशिया (FPCI) के फॉरेन पॉलिसी फोरम पर जवाब दिया

अपने डायलॉग पार्टनर के साथ सहयोग को लेकर आसियान का रवैया खुला हैइसमें क्वॉड और ऑकस– दोनों की सदस्यता शामिल हैआसियान और इन संगठनों के बीच कोई औपचारिक जुड़ाव नहीं थाजोकोवी का जवाब क्वॉड और ऑकस के साथ पूरी तरह जुड़ने के मुकाबले आसियान के खुलेपन को जाहिर करता है क्योंकि ये 42वें आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान अध्यक्ष के बयान में नहीं दिखा थालेकिन क्या ये सितंबर 2023 में इंडोनेशिया की अध्यक्षता में होने वाले 43वें आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान उभर सकता है

जोकोवी के शुरुआती विदेश नीति सलाहकार रिजल सुकमा ने उसी सम्मेलन के दौरान कहा था कि परमाणु पनडुब्बी जैसे मुद्दे वो क्षेत्र नहीं हैं जहां ऑकस के साथ आसियान सहयोग कर सकता है लेकिन उभरती तकनीकों जैसे पहलू आपसी हितों से जुड़े हुए हैंउन्होंने जोकोवी के जवाब को इसी संदर्भ में बतायाजहां तक बात क्वॉड की है तो कई क्षेत्रोंजिनमें आपदा प्रबंधन और महामारी से निपटना शामिल हैंमें आसियान इसके साथ अच्छी तरह सहयोग कर सकता है

निस्संदेह जब से क्वॉड 2.0 शिखर सम्मेलन के तरीके में आया हैतब से उसने अपनी सैन्य दलीलों को छोड़ दिया हैउसका संदेश और फोकस भविष्य को ध्यान में रखकर कामकाज से जुड़े सहयोग पर हैभौगोलिक तौर पर उसने बड़े इरादे के साथ इंडोपैसिफिक पर ध्यान दिया और हर शिखर सम्मेलन के साथ प्रमुखता और एकजुटता के लिए आसियान की चाहत को लेकर तारीफ बढ़ती गईये थोड़ा अजीब लग सकता है कि क्वॉडजो कि चीन का मुकाबला करने के लिए उभरा है क्योंकि आसियान ऐसा करने में नाकाम रहासम्मान के साथ आसियान तक पहुंच रहा है क्योंकि इस क्षेत्र में दिल और दिमाग का युद्ध शामिल हो गया है.  

क्वॉड के द्वारा गैरसैन्य शर्तों के साथ आसियान और साउथ पैसिफिक तक पहुंचने को जिस तरह जाहिर किया गयाउसमें भारत की भूमिका की तारीफ हो रही हैपिछले दिनों सिंगापुर में आयोजित एक परिचर्चा (सिंपोजियम), जिसकी मेजबानी एसराजारत्नम स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज (RSIS) ने की थीके दौरान चीन के प्रतिनिधि रिटायर्ड कर्नल झाऊ बो ने अपनी बात रखी कि कैसे  ऑकस चीन विरोधी हैजबकि क्वॉड नहीं हैउन्होंने कहा कि चीन क्वॉड को इस तरह नहीं देखता कि वो चीन को उकसा रहा हैउन्होंने कहा कि ये बदलाव मुख्य रूप से भारत के द्वारा क्वॉड को एक दिशाजो गैरसैन्य और सहयोगी हैदेने में निभाई गई भूमिका की वजह से आया है.

सिंगापुर के अकादमिक जगत में इसके महत्व पर जोर दिया गया और इस मौके पर भारतीय भागीदारों ने इस बात की पुष्टि की कि ये शायद एक व्यापक संदर्भ में कहा गया हैचूंकि चीन की आपत्तियां कम हो रही हैं तो क्या इसका ये मतलब है कि क्वॉड और आसियान एक सार्थक साझेदारी की तरफ बढ़ सकते हैंये वही चीज है जो क्वॉड पिछले दो वर्षों से चाह रहा था यानी आसियान के साथ गैरसैन्यसार्थक तरीके से जुड़नालगता है कि जोकोवी भी इसी बात को स्वीकार कर रहे थे

चीन क्वॉड को इस तरह नहीं देखता कि वो चीन को उकसा रहा है. उन्होंने कहा कि ये बदलाव मुख्य रूप से भारत के द्वारा क्वॉड को एक दिशा, जो गैर-सैन्य और सहयोगी है, देने में निभाई गई भूमिका की वजह से आया है.

महाशक्तियों के बीच दुश्मनी आसियान के लिए असुविधाजनक हैशुरुआत में उसे लगा कि क्वॉड और ऑकस चीन के लिए चुनौती हैं और वो आसियान को एक पक्ष की तरफ करना चाहते हैंक्वॉड के धीरेधीरे आगे बढ़ने और इंडोपैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) के तहत बातचीत में छह आसियान देशों की भागीदारीजिसकी शुरुआत क्वॉड शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थीइशारा करती है कि अपनी सामरिक स्वायत्तता के हिस्से के तौर पर वो अपने साझेदारों के साथ जुड़ने के लिए तैयार हैंये फायदेमंद है

आसियान की प्रमुखता को क्वॉड के द्वारा कमजोर करने से जुड़े डर को लेकर बेचैनी के बावजूद साउथ ईस्ट एशिया की स्थिति को लेकर 2023 के सर्वे में भाग लेने वाले आसियान के 50.4 प्रतिशत लोग इस बात को लेकर सहमत हैं कि क्वॉड की मजबूती मददगार साबित होगीइस विचार को सबसे ज्यादा समर्थन ब्रुनेईइंडोनेशियामलेशियाम्यांमारफिलीपींससिंगापुरथाईलैंड और वियतनाम से मिला हैकेवल 12.2 प्रतिशत लोग असहमत हुए जो कि 2022 के 13.1 प्रतिशत के आंकड़े से थोड़ा कम हैअसहमत होने वाले में सिंगापुर (19.7 प्रतिशत), थाईलैंड (15.3 प्रतिशतऔर इंडोनेशिया (14.9 प्रतिशतके लोग क्वॉड को लेकर सबसे ज्यादा निराशावादी हैंतटस्थ होने वाले लोगों की संख्या 28.5 प्रतिशत से बढ़कर 37.4 प्रतिशत हो गईइनमें सबसे ज्यादा कंबोडिया (67.2 प्रतिशतऔर लाओस (60.7 प्रतिशतके लोग हैं

ये अनुमान लगाना सरल है कि आर्थिक साझेदार के तौर पर आसियान चीन को प्राथमिकता देता है लेकिन इसके बावजूद IPEF में भागीदारी करने के लिए तैयार हैवो सामरिक पसंद से परहेज करना चाहता है लेकिन क्वॉड के साथ जुड़ने के लिए तैयार हैये आधीअधूरी सोच है और इसमें आसियान के फैसला लेने की जटिलता का ध्यान नहीं रखा गया हैआसियान के अलगअलग देश क्वॉड के देशों के साथ कामकाजी तौर पर जुड़े हुए हैंये क्वॉड के साथ भागीदारी नहीं है बल्कि उसके सदस्य देशों के साथ हैमिसाल के तौर पर भारतइंडोनेशियाऑस्ट्रेलिया त्रिपक्षीय गठबंधन एक सीमित कोशिश हैफिलीपींस मजबूती के साथ सैन्य मामलों में जापान और अमेरिका के साथ जुड़ रहा हैये आसियान के सदस्य देशों की अपनीअपनी पसंद हैअब इंडोनेशिया जिस बात की कोशिश कर रहा है वो है आसियानक्वॉड के बीच भागीदारीअगर ये संभव है

एक संभावना?

किन परिस्थितियों के तहत आसियान क्वॉड के साथ काम करेगासबसे पहले तो क्वॉड को चीन विरोधी बयानों से खुद को अलग कर लेना चाहिएशायद अधिक समावेशी बन जाना चाहिए और उसे आसियान को तो ये बिल्कुल नहीं कहना चाहिए कि वो चीन के खिलाफ रवैया अपनाएदूसरी परिस्थिति ये है कि क्वॉड आसियान को बड़ी ताकतों के बीच दुश्मनी से अलग रखेंतीसरी परिस्थिति ये है कि क्वॉड आसियान के सामने ऐसा प्रस्ताव रखे जो दूसरे नहीं रख सकते हैं.  

क्वॉड के पास कई तकनीक और कामकाज के विचार हैं जिन्हें वो आसियान के सामने पेश करने का इरादा रखता हैइनमें क्वॉड वैक्सीन पार्टनरशिपव्यापक क्वॉड हेल्थ सिक्योरिटी पार्टनरशिपबेहतरटिकाऊ और जलवायु अनुकूल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए निवेश तक पहुंच; इंडोपैसिफिक में समुद्र के भीतर अच्छे केबल नेटवर्क में समर्थन देने के उद्देश्य से केबल कनेक्टिविटी और लचीलेपन के लिए क्वॉड के साथ साझेदारीसार्वजनिक इस्तेमाल के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चरइंडोपैसिफिक में टिकाऊ विकाससप्लाई चेन के लचीलेपन को मजबूत करना और 5G नेटवर्क समेत महत्वपूर्ण और उभरती तकनीकों एवं आधुनिक दूरसंचार तकनीक तक पहुंच के जरिए क्षेत्रीय डिजिटल कनेक्टिविटी में सुधार शामिल हैंक्वॉड इन्वेस्टर्स नेटवर्क (QUIN) स्वच्छ ऊर्जासेमीकंडक्टरमहत्वपूर्ण खनिजों और क्वांटम समेत सामरिक तकनीकों में निवेश को आसान बना सकता हैमहत्वपूर्ण पहल में इंडोपैसिफिक पार्टनरशिप फॉर मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (IPMDA) शामिल है

फिलहाल ये सभी विचार पर्याप्त ढंग से काम नहीं करते हैंउदाहरण के लिएक्वॉड वैक्सीन पार्टनरशिप अपने उद्देश्यों को उस ढंग से पूरा नहीं कर पाई है जैसा उसे करना चाहिए थालेकिन इस पहल के तहत थाईलैंड और कंबोडिया तक वैक्सीन पहुंचाई गई है

जब तक आसियान को एक सामरिक विकल्प चुनने के लिए मजबूर नहीं किया जाता है और उसे आपसी फायदे के लिए कामकाज से जुड़ा सहयोग पेश किया जाता हैतब तक उसके द्वारा तालमेल बनाने की संभावना ज्यादा हैये शायद सबसे अच्छा समय है क्योंकि आसियान के अध्यक्ष के रूप में इंडोनेशिया आगे कदम बढ़ाने के बारे में तय कर चुका है

भारत और आसियान पर हाल की एक किताब में कहा गया कि तीन ऐसी चीजें हैं जिन्होंने दोनों पक्षों में बंटवारा कियाये हैं चीनइंडोपैसिफिक और भारत के द्वारा रीजनल कंप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) से अलग होनाफिलहाल RCEP से अलग होने को छोड़ देंक्योंकि ये क्वॉड से जुड़ा मामला नहीं हैतो चीन और इंडोपैसिफिक के मामले में भारतआसियान की भागीदारी निश्चित रूप से परिपक्व दिख रही है और इसके नतीजतन शायद क्वॉड के साथ संबंधों पर भी असर हैभारत आसियान को ये नहीं कहता कि वो चीन की आलोचना करेसाथ ही नियम आधारित व्यवस्था और UNCLOS (यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑन  लॉ ऑफ  सी यानी संयुक्त राष्ट्र समुद्री  कानून संधिको लेकर भारत आसियान का समर्थन भी करता हैकोई भी आसियान देश भारतचीन सीमा गतिरोध को लेकर चीन की आलोचना नहीं करता हैइसलिएचीन की सीधा आलोचना से परहेज करके आसियान को जोड़ने का ये भारतीय तरीका क्वॉड को इसी तरह का दृष्टिकोण अपनाने और पूरी प्रक्रिया से फायदा उठाने में मदद करता है

जहां तक इंडोपैसिफिक की बात है तो आसियान को ये पता है कि चीन “इंडोपैसिफिक” की जगह “एशिया पैसिफिक” शब्द को तरजीह देता हैलेकिन इसके बावजूद इंडोनेशिया के नेतृत्व में आसियान ने 2019 में आसियान आउटलुक ऑन दी इंडोपैसिफिक (AOIP) को अपनाया था जो कि अब सभी के साथ उसके सहयोग का मंत्र बन गया हैभारत के अलावा क्वॉड के सभी सदस्य देशों और क्वॉड ने भी AOIP की शर्तों पर सहयोग को स्पष्ट रूप से कहा है जो कि आसियान को संतुष्ट करता है

जहां तक इंडो-पैसिफिक की बात है तो आसियान को ये पता है कि चीन “इंडो-पैसिफिक” की जगह “एशिया पैसिफिक” शब्द को तरजीह देता है. लेकिन इसके बावजूद इंडोनेशिया के नेतृत्व में आसियान ने 2019 में आसियान आउटलुक ऑन दी इंडो-पैसिफिक (AOIP) को अपनाया था

इंडोपैसिफिक की अधिक स्वीकार्यता के तहत इंडोनेशिया आसियान की अपनी अध्यक्षता के हिस्से के रूप में सितंबर 2023 में इंडोपैसिफिक फोरम का आयोजन करेगाआखिरी आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान अध्यक्ष ने कहा, “हमने इसके सहमत सिद्धांतों के आधार पर ठोस परियोजनाओं और गतिविधियों के जरिए AOIP के अमल को मुख्यधारा में लाने के लिए प्रतिबद्धता जताई और आसियानइंडोपैसिफिक फोरम की बैठक आयोजित करने को लेकर उम्मीद जताते हैंइसके तहत थिंक टैंककारोबारएंटरप्रेन्योरतकनीक और मिलतीजुलती चीजें शामिल होंगीये फोरम आसियान में इंडोपैसिफिक की धारणा की सबसे व्यापक स्वीकार्यता हैआम तौर पर इंडोनेशिया के नेतृत्व में इसका उदय हो रहा है.”

क्वॉडआसियान संबंध सामरिक नहीं बन सकता हैलेकिन तकनीक और कामकाज के मामले में सहयोग के लिए क्वॉड के प्रस्ताव को धीरेधीरे आसियान के द्वारा अपनाया जा सकता हैइसकी शुरुआत आसियान के अलगअलग देशों के साथ हो सकती है और फिर बाद में क्वॉड के प्रतिनिधियों के साथ आसियान इस तरह के सहयोग से जुड़ी कोशिशों के बारे में चर्चा कर सकता हैचूंकि क्वॉड अपनेआप में एक संस्थान नहीं हैइसलिए इस पर अमल आसियान के डायलॉग पार्टनरजो कि क्वॉड ही हैजैसी बहुपक्षीयों टीमों के जरिए कराना सबसे अच्छा होगानिकट भविष्य में इसको स्वीकार करने की संभावना है


गुरजीत सिंह जर्मनीइंडोनेशियाइथियोपियाआसियान और अफ्रीकन यूनियन में भारत के राजदूत रह चुके हैं.

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