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क्वॉड के ज़रिए ज़ोर ज़बरदस्ती वाले आर्थिक हथकंडों और हिंद-प्रशांत में बेचैन करने वाली फ़ौजी पैंतरेबाज़ियों से ज़्यादा समग्र रूप से निपटने की क़वायद की जा रही है.
सितंबर 2021 में वॉशिंगटन में पहली बार क्वॉड (QUAD) का ऐसा शिखर सम्मेलन हुआ जिसमें सभी नेता आमने-सामने इकट्ठा हुए थे. सम्मेलन में क्वॉड के चारों सदस्य देशों- भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं ने हिस्सा लिया. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्वॉड को “दुनिया की भलाई के लिए काम करने वाली ताक़त” के तौर पर देखे जाने की वक़ालत की. उन्होंने इस गठजोड़ के ज़रिए सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने का मंत्र दिया. भारत के विचार से क्वॉड में सहयोग के ज़रिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साथ-साथ पूरी दुनिया में शांति, स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. इसी संदर्भ में क्वॉड की भूमिका और दायरे को बड़ी समझदारी और नए सिरे से तय किया गया है. एक समान सोच रखने वाले लोकतंत्रों के इस गठजोड़ को सर्व-समावेशी बनाने की कोशिश की गई है. इस समूह का लक्ष्य अस्थिरता पैदा करने वाली ताक़तों पर प्रभावी रूप से नकेल कसना है. क्वॉड के ज़रिए ज़ोर ज़बरदस्ती वाले आर्थिक हथकंडों और हिंद-प्रशांत में बेचैन करने वाली फ़ौजी पैंतरेबाज़ियों से ज़्यादा समग्र रूप से निपटने की क़वायद की जा रही है.
इन मकसदों को पूरा करते हुए तमाम सामरिक मुद्दों पर संतुलन बनाए रखने की ज़रूरत भी इस समूह की प्राथमिकताओं में काफ़ी ऊपर है. आज वैश्विक परिदृश्य निरंतर और बड़ी तेज़ी से बदल रहा है. ऊपर जिन सामरिक मुद्दों का ज़िक्र किया गया है, वही उभरती हुई भूराजनीति का दायरा तय करते हैं. भारत क्वॉड के लिए एक व्यापक और बहुआयामी भूमिका का पक्षधर है. भारत का ये रुख उसकी उभरती प्राथमिकताओं से मेल खाता है. भारत वैश्विक प्रशासन में संशोधित स्वरूप वाले बहुपक्षवाद और पारदर्शिता को लगातार आगे बढ़ाए जाने की वक़ालत करता है. हिंद-प्रशांत में सामुद्रिक सुरक्षा की मज़बूती और क्षेत्रीय संप्रभुता की सुरक्षा के लिए क्वॉड गठजोड़ मददगार साबित होगा. इतना ही नहीं इससे हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के व्यापक मोर्चों को जोड़ने के लिए भी और ज़्यादा सामंजस्य बनाना संभव हो सकेगा.
एक समान सोच रखने वाले लोकतंत्रों के इस गठजोड़ को सर्व-समावेशी बनाने की कोशिश की गई है. इस समूह का लक्ष्य अस्थिरता पैदा करने वाली ताक़तों पर प्रभावी रूप से नकेल कसना है.
क्वॉड के शीर्ष नेताओं की आमने-सामने हुई इस पहली मीटिंग के बाद क्वॉड देशों द्वारा निकट भविष्य में कई मसलों पर सहयोग में तेज़ी लाए जाने की उम्मीद है. इन मसलों में अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी, आपूर्ति श्रृंखला से जुड़ी पहलों में सुधार, 5जी की तैनाती पर सहयोग और हिंद-प्रशांत जैसे नाज़ुक क्षेत्र की ज़रूरतों के साथ ठोस तरीक़े से तालमेल बिठाते हुए विकेंद्रीकरण के प्रयास शामिल हैं. इतना ही नहीं, जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 महामारी से निपटने के उपायों में भी तेज़ी लाए जाने के आसार हैं. इस संदर्भ में ये दलील दी जा सकती है कि दुनिया के इन चार बड़े लोकतांत्रिक देशों में राजनीतिक और कूटनीतिक प्रयास क्वॉड के कार्यकारी दायरे को बढ़ाने की दिशा में कारगर हैं. दरअसल मकसद इस जमावड़े को सर्व-समावेशी बनाना है. दुनिया की भलाई के लिए क्वॉड को एक अहम ताक़त के तौर पर आगे बढ़ाने का लक्ष्य है. भूराजनीति के मोर्चे पर ज्वलंत मुद्दों और चुनौतियों का निपटारा ज़रूरी है. निश्चित तौर पर इस पूरी क़वायद का न केवल हिंद-प्रशांत बल्कि वैश्विक परिप्रेक्ष्य में लंबे समय से चले आ रहे तमाम मुद्दों के समाधान पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा. सुस्थापित अंतरराष्ट्रीय मान्यताओं के तहत भावी भूसामरिक संतुलन के संरक्षण के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने में इससे काफी सहायता मिलेगी.
क्वॉड का मुख्य ज़ोर वैश्विक प्रशासकीय तंत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग और पारदर्शिता को बढ़ावा देने पर है. दरअसल क्वॉड के ढांचे को इन्हीं मौलिक सिद्धांतों की बुनियाद पर खड़ा किया गया था. हाल में संपन्न क्वॉड के शिखर सम्मेलन में भी इसे दोहराया गया. सम्मेलन में शामिल नेताओं ने टेक्नोलॉजी डिज़ाइन, विकास, प्रशासन और भावी कार्ययोजनाओं को दिशा देने वाले प्रयोगों पर विचार-विमर्श किया. इन तमाम मसलों पर क्वॉड के सिद्धांत भी जारी किए गए. न सिर्फ़ हिंद-प्रशांत क्षेत्र बल्कि पूरी दुनिया के लिए ज़िम्मेदार, मुक्त और उच्च-मानकों वाले नवाचारों को लेकर क्वॉड ने अपनी सोच साफ़-साफ़ और स्पष्ट रूप से दुनिया के सामने रखी. भारत क्वॉड के तंत्र को व्यापक रूप से मानवता के हित में एक सार्थक और प्रभावी वैश्विक ताक़त के तौर पर उभारने का हिमायती है. क्वॉड सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी के विचारों से भी भारत की यही प्रतिबद्धता सामने आई.
हिंद-प्रशांत में सामुद्रिक सुरक्षा की मज़बूती और क्षेत्रीय संप्रभुता की सुरक्षा के लिए क्वॉड गठजोड़ मददगार साबित होगा. इतना ही नहीं इससे हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के व्यापक मोर्चों को जोड़ने के लिए भी और ज़्यादा सामंजस्य बनाना संभव हो सकेगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “एक ऐसे समय में जब दुनिया कोविड-19 महामारी से दो-दो हाथ कर रही है, क्वॉड के रूप में हमने एक बार फिर मानवता के हित में हाथ मिलाया है…अपने साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के बूते क्वॉड ने सकारात्मक सोच और रचनात्मक रुख़ के साथ आगे बढ़ने का फ़ैसला किया है…हमारा क्वॉड पूरे विश्व की भलाई के लिए एक ताक़त के तौर पर काम करेगा…क्वॉड के ज़रिए हम न सिर्फ़ हिंद-प्रशांत बल्कि पूरी दुनिया में शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य करेंगे.”
क्वॉड शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री ने वैश्विक मंच पर भारत द्वारा एक व्यापक और प्रमुख किरदार निभाए जाने का मज़बूत इरादा दोहराया. भारत समान सोच वाले लोकतंत्रों के साथ मिलकर वैश्विक स्तर पर क्वॉड को और शक्तिशाली बनाने का हिमायती है. आपूर्ति श्रृंखला के टिकाऊ ढांचे, वैश्विक सुरक्षा, जलवायु संकट और पर्यावरण सुरक्षा, टेक्नोलॉजी और कनेक्टिविटी से जुड़े मुद्दे क्वॉड के लिए बेहद अहम हैं. ज़ाहिर है इन तमाम मसलों पर भारत बड़ी भूमिका निभाना चाहता है. इसके अलावा कोविड-19 वैक्सीन के वितरण से जुड़े मसले भी क्वॉड की प्राथमिकताओं में शुमार है. इनमें वैक्सीन तक पहुंच सुनिश्चित करना और स्वास्थ्य सेवाओं और बुनियादी ढांचे से जुड़ी क्षमताओं को बढ़ावा देने का लक्ष्य शामिल है. भारत ने इन मकसदों को लेकर बार-बार अपना गहन नज़रिया सामने रखा है. इसके साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को ज़रूरी दिशा भी दिखाई है. इनमें सुरक्षा सहयोग के अलावा दुनिया के सामने खड़े तमाम दूसरे ज्वलंत मुद्दे शामिल हैं. इस संदर्भ में भारत ने जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य के सामने मौजूद ख़तरों और प्राकृतिक या मानवीय गतिविधियों के चलते होने वाली आपदाओं के बीच के संबंधों पर ख़ासतौर से ज़ोर दिया है. भारत साझा सामुद्रिक विरासत का इस्तेमाल सुनिश्चित किए जाने का पक्षधर है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के साथ-साथ विश्व बिरादरी का एक ज़िम्मेदार सदस्य है. क्वॉड समेत तमाम वैश्विक मंचों पर अपने रुख़ के चलते भारत वैश्विक प्रशासन में संशोधित बहुपक्षीय सहयोग और पारदर्शिता के शीर्ष मानकों के केंद्र में आ गया है. क्वॉड भविष्य के लिए साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और दृष्टिकोण के साथ एक प्रभावी और सर्व-समावेशी मंच के तौर पर उभरा है. दुनियाभर में मौजूद असंतुलनकारी ताक़तों से मुक़ाबला करते हुए मानवता की भलाई को बढ़ावा देना ही क्वॉड का मकसद है.
भारत के साथ-साथ क्वॉड के बाक़ी तीन देशों- अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने भी एक समग्र एजेंडे को लेकर साथ काम करने का इरादा ज़ाहिर किया है. इन सभी देशों ने कड़े उपायों के साथ-साथ अपनी-अपनी सॉफ़्ट-पावर का प्रभावी और असरदार मिश्रण तैयार करने पर ज़ोर दिया है. न केवल संवेदनशील हिंद-प्रशांत क्षेत्र बल्कि उसके बाहर भी साझा प्रगति, शांति और सुरक्षा, क्षेत्रीय अखंडता और आर्थिक समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए ये तमाम उपाय बेहद ज़रूरी हैं. सम्मेलन में और भी कई अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया. इनमें उभरती तकनीक, कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा, साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा, मानवीय सहायता, आपदा राहत, जलवायु परिवर्तन और शिक्षा जैसे मुद्दे शामिल हैं. समग्र रूप से विश्व बिरादरी के हितों को बढ़ावा देते हुए भूसामरिक संतुलन को संरक्षित करने में इन तमाम मुद्दों की बेहद अहम भूमिका रहने की उम्मीद है. भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र की एक बड़ी ताक़त है. हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के संगम पर स्थित होने की वजह से भारत की भौगोलिक स्थिति अनोखी है. भारत के नज़दीक ही भूराजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक और कारोबारी अहमियतों वाले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सामुद्रिक दायरों का सम्मिलन होता है. वैश्विक सहयोग के लिए पहचान किए तमाम मसलों में भारत की विशेषज्ञता है. भारत इन तमाम मुद्दों से लंबे समय से जुड़ा रहा है. कुल मिलाकर इनके प्रभाव और कार्यक्षमता पर भारत की कार्यकुशलता का बड़ा प्रभाव पड़ना तय है. भारत इस क्षेत्र में रचनात्मक सक्रियता और हस्तक्षेप दर्शाता रहा है. भारत लगातार इस इलाक़े में शांति, सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता बनाए रखने की कोशिशें करता रहा है. इसके साथ ही नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय ढांचे से तालमेल खाती साझा प्रगति की क़वायद पर भी भारत का ज़ोर रहा है.
भारत क्वॉड का एक प्रमुख रणनीतिक सदस्य है. 2023 में भारत को जी-20 समूह की अध्यक्षता भी मिलने वाली है. नए सिरे से तय की गई क्वॉड की भूमिकाओं और लक्ष्यों के अनुरूप क्षेत्रीय और वैश्विक परिदृश्य में महासागरीय सुरक्षा को बढ़ावा देने में भारत कूटनीतिक रूप से सक्रिय रहा है. आस-पड़ोस में सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने से जुड़ा एजेंडा पूरा करने के लिए भारत ने हिंद-प्रशांत महासागरीय पहल (IPOI) की शुरुआत की. भारत की इस अगुवाई की सामरिक मोर्चे पर मास्टरस्ट्रोक के तौर पर सराहना की गई. इसका मकसद इस इलाक़े में समान सोच वाले देशों के साथ संशोधित बहुपक्षीय भागीदारी को मज़बूती देना है. इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए क्षेत्रीय भूराजनीतिक संतुलन को बढ़ावा देने और साथ ही साथ स्थिरता सुनिश्चित करने की ज़रूरत है. नई जटिल चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने और कूटनीतिक प्रयासों में जान भरने के लिए ये प्रयास बेहद अहम हैं. बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी, कारोबार और क्षमता वर्धन के नज़रिए से ये काफ़ी महत्वपूर्ण हैं. इनसे साझा आर्थिक प्रगति को गति मिलती है और वैश्विक भूराजनीतिक ढांचे में बड़ी ताक़त के तौर पर भारत की भूमिका पर भरोसा जगता है.
दुनियाभर में मौजूद असंतुलनकारी ताक़तों से मुक़ाबला करते हुए मानवता की भलाई को बढ़ावा देना ही क्वॉड का मकसद है.
भारत की ये तमाम पहलक़दमियां “वैश्विक भलाई के लिए एक ताक़त” के तौर पर क्वॉड के मुख्य सिद्धांत के साथ पूरी तरह से मेल खाती हैं. इससे ये जमावड़ा एक शक्तिशाली भूराजनीतिक ढांचे के तौर पर उभरता है. इसके पास ताक़त और क्षमता मौजूद है. सैनिक, आर्थिक, वाणिज्यिक और सामाजिक-सांस्कृतिक दायरों में भारत की ताक़त को आगे बढ़ाने के लिए इसके पास पर्याप्त राजनीतिक झुकाव मौजूद है. इन तमाम दायरों में सामरिक गठजोड़ को बढ़ावा देने, भारत के प्रति भरोसा जगाने और इलाक़े में सुरक्षा परिदृश्य के संरक्षण के लिए ये पूरी क़वायद बेहद अहम हो जाती है. एक और अहम बात ये है कि पिछले कुछ वर्षों में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक बड़ी ताक़त के तौर पर भारत का उभार अमेरिका और क्वॉड गठजोड़ के लिए निर्णायक रहा है. क्वॉड वैश्विक भलाई की दिशा में अपनी भूमिका निभाने को तत्पर है. दूसरी ओर IPOI द्वारा भूराजनीति की बिसात पर एक अभिन्न घटक के तौर पर भूमिका निभाना तय है. इसके साथ ही इंडियन ओशियन रिम एसोसिएशन (IORA) में बहुपक्षीय सहयोग पर बल देने के लिए भारत लगातार सामरिक रूप से जुड़ाव के रास्ते पर चल रहा है. इस सिलसिले में भारत ने सागर (SAGAR- Security and Growth for All in the Region) की नीति अपना रखी है. इससे वृहत हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा हितों के संरक्षण के लिए पहली प्रतिक्रियात्मक शक्ति के तौर पर भारत की क्षमताओं का पता चलता है.
हालिया दौर में भूराजनीतिक प्रतिस्पर्धा का माहौल बन गया है. इस पृष्ठभूमि में क्वॉड की सर्व-समावेशी भूमिका को “वैश्विक हित की ताक़त” पर परिवर्तनकारी प्रभाव के तौर पर देखा जा रहा है.
कोविड-19 महामारी के दौरान इलाक़े में वैक्सीन की आपूर्ति सुनिश्चित करने में भारत ने सकारात्मक भूमिका निभाई. वैक्सीन से जुड़े क्वॉड के उपक्रमों में भारत ने परिवर्तनकारी मानवीय हस्तक्षेप किया है. इसके साथ ही अमेरिका ने हाल ही में क्वॉड के चारों सदस्य देशों के छात्रों के लिए क्वॉड फ़ेलोशिप की घोषणा की है. इसके ज़रिए चारों देशों के छात्र STEM प्रोग्रामों में एडवांस डिग्रियां हासिल कर सकते हैं. इस पूरी क़वायद से मोटे तौर पर क्वॉड की गतिशीलता को और भी ज़्यादा बल मिलता है.
हालिया दौर में भूराजनीतिक प्रतिस्पर्धा का माहौल बन गया है. इस पृष्ठभूमि में क्वॉड की सर्व-समावेशी भूमिका को “वैश्विक हित की ताक़त” पर परिवर्तनकारी प्रभाव के तौर पर देखा जा रहा है. चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में लगातार अपना दबदबा बनाने की जुगत कर रहा है. ऐसे में भारत और अमेरिका समेत दुनिया की कई ताक़तें हिंद-प्रशांत क्षेत्र को तत्काल मुक्त, खुला और फूलता-फलता इलाक़ा बनाने की ज़रूरतों पर मंथन कर रहे हैं. इस संदर्भ में क्वॉड की भूमिका को नए सिरे से तय किया गया है ताकि वो इस इलाक़े से जुड़े तमाम मसलों का प्रभावी तौर पर निपटारा कर सके. क्वॉड के गूढ़ प्रभाव के आगे चलकर अधिक गतिशील रूप में दिखाई देने के आसार हैं. दरअसल ये हिंद-प्रशांत क्षेत्र की भूसामरिक, भूआर्थिक, मानवतावादी आकांक्षाओं और ज़रूरतों से जुड़ते हैं. इसके साथ ही वहां शांति, सुरक्षा, साझा आर्थिक तरक्की और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नियम-आधारित वैश्विक प्रशासकीय व्यवस्था की स्थापना में भी मदद मिलती है.
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Debasis Bhattacharya is currently working as Professor at Amity Business School Amity University Gurugram. He is also Managing Editor of the Centre for BRICS Studies ...
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