Published on Dec 23, 2022 Updated 0 Hours ago

डिजिटल प्लेटफॉर्म को अपनाने की राह में सबसे बड़ी बाधा इस प्लेटफॉर्म में विश्वास से परे, इससे जुड़ी ‘‘वैल्यू को-क्रिएशन’’ अर्थात ‘‘मूल्य सह-निर्माण’’ से जुड़ी है.

सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म और value co-creation यानी मूल्यों के सह निर्माण की अहमियत!

पिछले कुछ महीनों में सरकार की ओर से अनेक डिजिटल पहलों की शुरूआत की गई हैं. इसमें सबसे पहले, हमने पांच शहरों में ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) का पायलट रन देखा है. दूसरा, ऑटोमोबाइल निर्माताओं द्वारा डेटा साझा करने और मूल्यवर्धन पर नज़र रखने के लिए वर्तमान पेपर-आधारित सब्सिडी दावा तंत्र को पीछे छोड़ते हुए भारी उद्योग मंत्रालय ने एक डिजिटल प्लेटफॉर्म अर्थात मंच बनाने की घोषणा की है. तीसरा, नीति आयोग ने इंडियाज बूमिंग गिग एंड प्लेटफॉर्म इकोनॉमी पर्सपेक्टिव्स एंड रिकमेंडेशन्स ऑन द फ्यूचर ऑफ वर्क अर्थात भारत के हल्के-फुल्के कार्य एवं मंच अर्थशास्त्र तथा भविष्य के कार्य को लेकर सिफारिशों के शीर्षक से एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की है. इन सभी पहलों का प्रमुख अंतनिर्हित विषय है, ‘‘सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म’’ का निर्माण करना. हालांकि, सरकार इसके इकोसिस्टम अर्थात पारिस्थितिक तंत्रों के निर्माण में अपनी भूमिका निभा रही है, लेकिन नागरिकों और इन प्लेटफॉर्मो के उपयोगकर्ताओं के रूप में हमारे सामने भी ‘‘मूल्य सह-निर्माण’’ में सहयोग करते हुए सकारात्मक भूमिका अदा करना महत्वपूर्ण अनिवार्य हो गया है. ‘‘मूल्य सह-निर्माणगतिविधियों में प्लेटफॉर्मो को अपनाने और नागरिक भागीदारी को प्रभावित करने की राह में सबसे बड़ी बाधा और प्रमुख कारक इन प्लेटफॉर्मो मेंविश्वाससे जुड़ा है. हम में से एक प्लेटफॉर्म में विश्वास पर शोध कर रहा है, जबकि दूसरा संगठनात्मक प्रथाओं के संदर्भ में मूल्य सह-निर्माण की खोज कर रहा है. इस लेख के माध्यम से, हम सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉर्मस् के लिए दो दृष्टिकोणों - प्लेटफॉर्म में विश्वास और संगठनात्मक प्रथाओं के संदर्भ में मूल्य सह-निर्माण - को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं.

इस लेख के माध्यम से, हम सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉर्मस् के लिए दो दृष्टिकोणों – प्लेटफॉर्म में विश्वास और संगठनात्मक प्रथाओं के संदर्भ में मूल्य सह-निर्माण – को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं.

सार्वजनिक सेवाओं के लिए एक बाजार 

ओसीईडी डिजिटल गवर्नेंस फ्रेमवर्क पूरी तरह से डिजिटल सरकार के छह स्तंभों को परिभाषित करता है. ए) डिजाइन से डिजिटल अर्थात नियत से डिजिटलबी) डेटा-ड्रीवन पब्लिक सेक्टर अर्थात डेटा-संचालित सार्वजनिक क्षेत्र सी) गर्वनमेंट एज ए प्लेटफॉर्म अर्थात एक मंच के रूप में सरकार डी) ओपन बाय डिफ़ॉल्ट अर्थात अभाव के रूप से खुला ई) यूजर ड्रीवन अर्थात उपयोगकर्ता-संचालित एफ) प्रोएक्टिवनेस अर्थात सक्रियता. विशेष रूप से ‘‘गवर्नमेंट एज ए प्लेटफॉर्म अर्थात एक मंच के रूप में सरकार’’ के स्तंभ में व्यापक पैमाने पर परिवर्तन हासिल करने पर जोर दिया गया है. सेवा दर सेवा आधार पर परिवर्तन लागू करने की बजाय इस मॉडल में ऐसे इकोसिस्टम अर्थात पारिस्थितिकी तंत्र  को विकसित करने पर बल दिया गया हैजिसमें सरकारी सेवा मुहैया करवाने वाली डिलीवरी टीम यूजर अर्थात उपयोगकर्ता अर्थात नागरिकों की विशेष आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करने का मौका देता है. इसके अलावायह सरकार के बाहर के लोगों के साथ सार्वजनिक सेवा वितरण के विभिन्न मॉडलों को प्रोत्साहित करते हुए नागरिकों और सरकार के बीच संबंध स्थापित करने के नए तरीके मुहैया करवाता है.

इस संदर्भ मेंजनता के सामने आने वाली सरकारी सेवा में अंतनिर्हित चुनौतियों को डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग करते हुए हल करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉर्मविभिन्न सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के लिए सेवाओं को वितरित करने का एक बाज़ार बन जाता है. ऐसा बाज़ार जो डेटा साझा करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोणनागरिक डेटा से निपटने के लिए एक विश्वसनीय सहमति मॉडल (जैसेआधार आधारित)इंटर प्लेटफॉर्म संचालन के लिए खुले मानक और गुणवत्ता आश्वासन के लिए विभिन्न तंत्र का उपयोग करने में सक्षम हैं. ये मूलभूत तत्व किसी समस्या को हल करने के लिए अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाकर सार्वजनिक सेवाओं के प्रावधान में योगदान करने वाले अनेक अन्य प्रतिभागियों को भी सक्षम करने का काम करते हैं. ऐसे में देश के नागरिकों को भी यह सुविधा मिल जाती है कि वे उसी प्लेटफॉर्म का उपयोग करेंजो उनकी दृष्टि में उनके लिए सबसे ज्यादा उपयोगी साबित होगा. इनमें से कोई भी देश के नागरिकों के सक्रिय सहभाग के बगैर सफल नहीं हो सकता.

मूल्य सह-निर्माण की अनिवार्यता

उपरोक्त स्थिति पर काम करते हुए और यह देखते हुए कि सेवाओं केयहां संदर्भ विभिन्न क्षेत्रों में (जैसेयात्नास्वास्थ्य देखभालकृषि) होने वाली दैनिक प्रथाओं की सहायता करने वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़ा हैवितरण में प्लेटफॉर्म क्या सुविधा प्रदान करते हैं. इस मामले मेंप्लेटफॉर्म को उपयोगकर्ता की गतिविधियों या प्रक्रियाओं का समर्थन करने वाला होना चाहिए. भले ही वह उपयोगकर्ता ग्राहक एक व्यक्तिएक घर या व्यावसायिक संगठन ही क्यों ना हो.

सह-निर्माण वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा आपसी मूल्य का एक साथ विस्तार किया जाता है, जहां मूल्य भाग लेने वाले व्यक्तियों के कार्य से जुड़े उनके अनुभवों का होता है. इस अनुभव में मंच पर उनके जुड़ाव और परिणामी उत्पादक और सार्थक मानव अनुभव दोनों का समावेश होता है.

आगे जारी रखते हुए मार्केटिंग अर्थात विपणन क्षेत्र में पिछले दो दशकों से हुए शोध ने दो प्रकार के मूल्यों के बीच अंतर किया हैजो उपयोगकर्ता और ग्राहक को हासिल होते हैं. एक उपभोग की वस्तु खरीदना एक ‘‘वैल्यू इन एक्सचेंज अर्थात विनिमय अर्थात अदला-बदली में मूल्य’’ हैजिसमें एक उपभोक्ता पैसा देकर भौतिक सामान प्राप्त करता है. इस प्रक्रिया के पूर्ण होते ही इस रिश्ते का अंत हो जाता है. इसकी तुलना मेंसेवाओं की परिस्थिति में सेवाओं का लाभ उठाना ‘‘वैल्यू इन यूज अर्थात उपयोग में मूल्य’’ हैंजिसमें उपभोक्ता केवल प्लेटफॉर्म के साथ संवाद साधते हुए प्लेटफॉर्म मूल्य प्राप्त करता है. स्वर्गीय प्रो. सी. के. प्रहलाद और उनके सह-शोधकर्ता प्रो. वेंकट रामास्वामी ने मूल्य के इस पहलू पर शोध करते हुए इसे ‘‘मूल्य सह-निर्माण’’ कहा था. सह-निर्माण तब होता है जब इंटरएक्टिव सिस्टम-एन्वाइरन्मन्ट (जैसेइंटरएक्टिव प्लेटफॉर्म) द्वारा विभिन्न इंटरएक्शन अर्थात पारस्परिक क्रिया की सुविधा प्रदान की जाती है. उदाहरण के तौर पर जब देश के नागरिक अपना आधार नंबर किसी बैंक के खाते अथवा अपने ड्राइविंग लाइसेंस के साथ जोड़ते हैंतो हम एक ऐसे मूल्य का निर्माण करते हैंजिसका उपयोग करते हुए हमें डायरेक्ट बेनिफिटस ट्रान्सफर (डीबीटी) अथवा डिजीलॉकर (डिजिटल डॉक्यूमेंट्स डिलीवरी) समेत अन्य सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं. सह-निर्माण वह प्रक्रिया हैजिसके द्वारा आपसी मूल्य का एक साथ विस्तार किया जाता हैजहां मूल्य भाग लेने वाले व्यक्तियों के कार्य से जुड़े उनके अनुभवों का होता है. इस अनुभव में मंच पर उनके जुड़ाव और परिणामी उत्पादक और सार्थक मानव अनुभव दोनों का समावेश होता है. इस मामले में सरकार की भूमिका एक सह-रचनात्मक उद्यम की होती है. इस भूमिका में वह ‘‘बिल्ड इट एंड दे (सिटीजन्स) विल कम’’ अर्थात इसे बनाएं और वे (नागरिक) आएंगे का दृष्टिकोण रखने की बजाय, ‘‘बिल्ड इट विथ देमएंड दे (सिटीजन्स) आ ऑलरेडी देयर’’ अर्थात उनके साथ बनाएं  हैऔर वे (नागरिक) पहले से ही वहां पर हैंका दृष्टिकोण अपनाता है.

सार्वजनिक डिजिटल मंचों में विश्वास

हमारा मानना है कि मूल्य सह-निर्माण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में से एक डिजिटल प्लेटफॉर्म में निहित ‘‘विश्वास’’ है. यह उस वक्त और भी महत्वपूर्ण हो जाता हैजब ऐसे मंच का स्वामित्व सरकार के पास होता है और इसमें विभिन्न प्रतिभागी देश के ही नागरिक होते हैं. हाल के अनुसंधान इस बात का संकेत देते हैं कि बात जहां तक डिजिटल प्लेटफॉर्म के विश्वास की आती है तो दुनिया भर में इसे लेकर भिन्नता दिखाई देती हैं. इस शोध के अनुसारइस माहौल (डिजिटल को लेकर विश्वास बनाने के लिए अपनाया जाने वाला तंत्र)अनुभव (उपयोगकर्ता को डिजिटल माहौल का कैसा अनुभव मिलता है)दृष्टिकोण (उपयोगकर्ता डिजिटल माहौल को लेकर कैसा महसूस करते हैं) और व्यवहार (उपयोगकर्ता डिजिटल के साथ कितना जुड़ा हैं) इस बात में अहम भूमिका अदा करते हैं कि उपयोगकर्ता डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भरोसा करते हैं या नहीं. यूनिवर्सल पेमेंट इंटरफेस (यीपीआई) और कोविन जैसे सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म की सफलता में उपरोक्त सभी कारकों के एकजुट होने की प्रक्रिया शामिल थी. उदाहरण के रूप में डिजिटल भुगतान अब लोगों की आदत में शामिल होने लगा है. और अब सेंट्रल बैंक डिजिटल करंसी (सीबीडीसी) का लॉन्च ब्लॉकचेन जैसी नवीन तकनीकों के उपयोग के माध्यम से इसे अगले स्तर पर ले जा रहा है.

कुछ सवालों के एक सेट के साथ ओएनडीसी पर हाल में जारी किया गया कंसल्टेशन पेपर अर्थात परामर्श पत्र भारत के नागरिकों के साथ संवाद साधने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है और यह सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म में विश्वास हासिल करने की दिशा में एक और कदम कहा जाएगा. ओएनडीसी द्वारा पूछे गए सवालों पर एक करीबी नज़र डालने से ओएनडीसी के विभिन्न हितधारकों (जैसे प्रतिभागियोंप्रदाताओंखरीदारोंआपूर्तिकर्ताओं) को प्लेटफॉर्म सुविधाओं की परिभाषा में योगदान करने का मौका देती है. उदाहरण के लिएअपने सभी हितधारकों के लिए प्लेटफॉर्म पर खोज और अविष्कार को निष्पक्ष बनाने के लिए ओएनडीसी को कैसे अधिक परिष्कृत अथवा अधिक सक्षम किया जा सकता हैकीमतों/शुल्कों/प्रभारों के अलावा खरीदार के लिए और क्या खुलासा करना आवश्यक होगाभुगतान प्रक्रिया में बिचौलियों के शामिल होने (सुलह सेवा प्रदाताओंनिपटान एजेंसियों) को अनुमति देने पर क्या खतरा उत्पन्न हो सकता हैमुद्दों को विवाद में बदलने से बचने के लिए ओएनडीसी और नेटवर्क सहभागी कौन का तंत्र विकसित कर उसे स्थापित कर सकते हैं?  इन सभी पहलों और मुद्दों पर अच्छी तरह से विचार किया गया है. ये वास्तव में भरोसेमंद ‘‘पब्लिक डिजिटल प्लेटफॉर्म’’ बनाने में प्लेटफॉर्म के मालिक (यानीसरकार) की गंभीरता का संकेत ही देते हैं.

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