Author : Kriti Kapur

Published on Mar 06, 2021 Updated 0 Hours ago

अनिश्चितता के इस दौर में, भारत लगातार दुनिया की मदद कर रहा है और घरेलू स्तर पर महामारी से भी लड़ रहा है.

भारत में वैक्सीनेशन के दूसरे दौर को हरी झंडी: सही दिशा में प्रगति, लेकिन क्या यह काफ़ी है?

भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान पूरी तरह से सुचारु ढंग से चल रहा है. इसके तहत भारत में अब तक 244 मिलियन से अधिक ख़ुराक लोगों तक पहुंच चुकी हैं. पिछले हफ़्ते, दुनिया भर में कोविड-19 के लगभग 31 मिलियन टीके लगाए गए. पिछले तीन हफ़्तों में, कोविड-19 वैक्सीन से जुड़ा अभियान 73 देशों से बढ़कर 103 देशों तक पहुंच गया है. लोगों को दी जा रही ख़ुराक की औसत दैनिक दर लगभग 6.73 मिलियन ख़ुराक प्रति दिन है, जो तीन सप्ताह की अवधि में 44 तक प्रतिशत बढ़ी है. टिकाकरण की औसत दर भले ही बढ़ रही हो लेकिन इस गति से वैश्विक रूप से वायरस से प्रतिरक्षा प्राप्त करना अब भी एक बेहद लंबी प्रक्रिया है. टिकाकरण की इस औसत दर को देखते हुए, दो-ख़ुराक के साथ वैश्विक आबादी के 75 प्रतिशत हिस्से को कवर करने में भी लगभग 4.6 साल लग सकते हैं.

इस सप्ताह कोविड वैक्सीन के चार नए टीके क्लीनिकल परीक्षणों के लिए भेजे गए हैं, जबकि जॉनसन एंड जॉनसन के टीके को संयुक्त राज्य अमेरिका और बहरीन में आपातकालीन उपयोग के लिए अनुमोदित किया गया है. साथ ही कनाडाई अधिकारियों द्वारा ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका (Oxford-AstraZeneca) वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग के लिए अधिकृत किया गया, और भारत में भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने 16 फ़रवरी को टीके के रूप में नाक में स्प्रे करने वाली दवा के पहले चरण का परीक्षण शुरु किया है, जिस की एक अकेली ख़ुराक ही काफ़ी होगी.

भारत में भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने 16 फ़रवरी को टीके के रूप में नाक में स्प्रे करने वाली दवा के पहले चरण का परीक्षण शुरु किया है, जिस की एक अकेली ख़ुराक ही काफ़ी होगी.

फिलहाल, क्लिनिकल परीक्षण के तहत 74 टीकों पर अलग अलग परीक्षण जारी हैं, और वैक्सीन के 182 अन्य उम्मीदवार, क्लीनिकल परीक्षण से पहले की जांच चरणों में हैं. वैक्सीन के 20 उम्मीदवार, वैक्सीन की प्रभावशीलता को ले कर बड़े पैमाने पर होने वाले परीक्षणों में के अंतिम चरण तक पहुंच चुके हैं और छह उम्मीदवारों को पूर्ण उपयोग के लिए अनुमोदित किया गया है जिसमें, फ़ाइज़र-बायोएनटेक, मॉडर्ना (फ़ाइज़र और मॉडर्न दोनों ही कई देशों में पूरी तरह से अनुमोदित हैं और अमेरिका, यूरोपीय संघ व अन्य देशों में आपातकालीन उपयोग में भी),  साइनोफार्म (जो चीन, यूएई, बहरीन में अनुमोदित है); साइनोवैक (जो चीन में सशर्त अनुमोदित है), सिनोफ़ार्म-वुहान (चीन में सीमित उपयोग) और कैनसाइनो (चीन में अनुमोदित).

कोविड वैक्सीन के टीकाकरण अभियान का नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका कर रहा है, जहां 28 फरवरी तक 75 मिलियन ख़ुराक दी जा चुकी हैं, इसके बाद चीन का नंबर है जहां (40 मिलियन[1]) ख़ुराक दी जा चुकी हैं. इसके बाद ब्रिटेन (20.8 मिलियन) और भारत (14.3 मिलियन) का स्थान है. संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन, पूर्ण ख़ुराक के मामले में आगे हैं लेकिन जनसंख्या के आधार पर प्रति 100 व्यक्ति में केवल 22.7 को अमेरिका में और 2.8 को चीन में ख़ुराक मिल पाई है. इस की एक बड़ी वजह जनसंख्या का बड़ा आधार है. इज़राइल का टीकाकरण अभियान बाक़ी देशों से आगे निकल चुका है और यहां प्रति 100 व्यक्ति पर 88.5 को ख़ुराक मिल चुकी है.

भारत में कोविडवैक्सीन का अपडेट

पिछले कुछ दिनों में भारत में कोविड-19 के नए मामले 95,613 तक पहुंच गए हैं. इसके साथ भारत में कुल पुष्ट मामले 11.1 मिलियन को पार कर गए हैं. 21 फ़रवरी को खत्म हुए सप्ताह की तुलना में पिछले सप्ताह में मामलों में 20 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जिस के चलते यह डर सामने आ रहा है कि देश में कोरोनावायरस की दूसरी लहर शुरू हो सकती है. पिछले 24 घंटों में कोविड-19 के चलते 108 लोगों की मौत हुई, जिस से 28 फरवरी तक मरने वालों की संख्या कुल मिलाकर 157,194 हो गई है.

भारत ने 14.3 मिलियन ख़ुराक का प्रबंध किया है, वैक्सीन की कुल ख़ुराक के मामले में यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश है, जिसमें प्रति 100 लोगों पर 1.05 खुराक दी गई गै. पिछले सप्ताह में, भारत ने लगभग 3.1 मिलियन टीकाकरण किए. भारत के औसत दैनिक टीकाकरण की दर में पिछले हफ्ते 12 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो 404,508 (फरवरी के अंतिम सप्ताह में) से बढ़कर 454,916 (फरवरी -28 को समाप्त सप्ताह के अनुसार) तक हो गई है. वैक्सीन लेने वालों की दैनिक संख्या में तेज़ी नहीं दिखाई जा रही है. भारत को उच्च प्राथमिकता वाली 300 मिलियन आबादी को जल्द से जल्द से कवर करने की आवश्यकता है, और यह महंगा साबित हो सकता है अगर कोविड-19 की एक और लहर सामने आ जाती है. हालांकि, इस हफ्ते के सात-दिन के औसत वाले आंकड़े कम दिख रहे हैं क्योंकि को-विन (Co-Win) ऐप के रखरखाव के कारण आंकड़े पूरी तरह दर्ज नहीं हो पाए.

भारत में परीक्षणों के विभिन्न चरणों में वैक्सीन के आठ उम्मीदवार हैं. इसके अतिरिक्त, अन्य अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन उम्मीदवारों को भारत में लाने के बारे में विचार-विमर्श चल रहा है. भारतीय अधिकारी दवा कंपनी मॉडर्ना के साथ बातचीत कर रहे हैं, लेकिन अभी तक विज्ञापनों और विनिर्माण की दिशा में चर्चा को आगे ले जाना बाक़ी है. 

भारत में राज्यों के भीतर, उत्तर प्रदेश 1.4 मिलियन से अधिक खुराक के साथ देश का नेतृत्व कर रहा है, लेकिन राज्य को अपने बड़े जनसंख्या आधार के कारण लक्षित रूप से इस दिशा में आगे बढ़ने की आवश्यकता हो सकती है. यहां तक कि सबसे अधिक टीकाकरण की संख्या के बावजूद, उत्तर प्रदेश प्रति 100 जनसंख्या पर केवल 0.62 लोगों तक पहुंच पाया है, जो देश में सबसे कम है. दूसरी ओर, केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप 3,078 ख़ुराक के साथ, पूर्ण ख़ुराक के मामले में अब भी पीछे है, लेकिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्रति 100 लोगों पर 4.2 ख़ुराक के मामले में आगे है. बिहार प्रति 100 लोगों पर 0.5 खुराक के साथ पिछड़ रहा है.

पहली मार्च को, भारत ने अपनी टीकाकरण रणनीति के दूसरे चरण की शुरुआत की. देश ने उन लोगों के लिए टीकाकरण शुरू किया है जो 60 वर्ष से अधिक आयु के हैं या 45 वर्ष या उससे अधिक आयु के वह लोग जो और किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, दूसरे चरण के पहले दिन सह-रुग्णता (co-morbid conditions) वाले 45 से 60 वर्ष की उम्र वाले 18,850 लोगों और 60 से ऊपर की उम्र वाले 128,630 लोगों को टीका लगाया गया. इस चरण में 60+ के वर्ग में 130 मिलियन से अधिक आबादी को कवर किए जाने की उम्मीद है, जो कि कमज़ोर व असुरक्षित आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा हैं.

यह वैक्सीन सरकारी सुविधाओं पर नि:शुल्क प्रदान की जाएगी, और निजी चिकित्सा सुविधाओं पर बाजार मूल्य यनी 250 रुपए प्रति ख़ुराक पर तय किया गया है. शुरुआत के लिए, वैक्सीन देश भर में 7,935 निजी सुविधाओं और केंद्रीय सरकार हेल्थ योजना के अंतर्गत आने वाले 687 सीजीएचएस (CGHS) अस्पतालों में उपलब्ध होगी.

ब्रिटेन और कनाडा के पास अपनी संबंधित आबादी के तीन गुना से भी अधिक को कवर करने के लिए पर्याप्त ख़ुराक है; इसके उलट, कई अफ्रीकी देश ऐसे हैं जहां उनकी जनसंख्या का 5-6 प्रतिशत हिस्सा ही वर्तमान वैक्सीन अनुबंधों द्वारा कवर किया जा सका है और इस मायने में वो पिछड़ रहे हैं.

वर्तमान में, भारत में परीक्षणों के विभिन्न चरणों में वैक्सीन के आठ उम्मीदवार हैं. इसके अतिरिक्त, अन्य अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन उम्मीदवारों को भारत में लाने के बारे में विचार-विमर्श चल रहा है. भारतीय अधिकारी दवा कंपनी मॉडर्ना के साथ बातचीत कर रहे हैं, लेकिन अभी तक विज्ञापनों और विनिर्माण की दिशा में चर्चा को आगे ले जाना बाक़ी है. इसके विपरीत, रूस के स्पुतनिक-वी (Sputnik V) को देश में आपातकालीन उपयोग के लिए अधिकृत नहीं किया गया है. भारत के ड्रग नियामक ने डॉ रेड्डी जो एक भारतीय फार्मा कंपनी है और स्पुतनिक-वी के परीक्षणों को सुविधा प्रदान कर रही है से पूछा है कि वह इसे लेकर अतिरिक्त इम्युनोजेनेसिटी डेटा (immunogenicity data) उपलब्ध कराए. इसी तरह, फाइज़र ने भारत में आपातकालीन उपयोग के लिए अपना आवेदन वापस ले लिया, जब उसे अतिरिक्त डेटा और अध्ययन के लिए कहा गया.

समान भविष्य है ज़रूरी

इस सप्ताह में कई नए देशों ने अपने वैक्सीन ड्राइव की शुरुआत की. पिछले तीन हफ्तों में कोविड वैक्सीन अभियान चलाने वाले देशों की संख्या 73 से बढ़कर 103 हो गई. वायरस से राहत पाने की दिशा में अनुमान बताते हैं कि देशों ने पहले से ही अलग-अलग वैक्सीन की 9.59 बिलियन ख़ुराकें आरक्षित कर रखी हैं. हालांकि, टीकों की पहुंच अब भी उच्च और उच्च व मध्यम आय वाले देशों तक सीमित है.

कम से कम 42 देशों-जिनमें ज़्यादातर उत्तरी अमेरिकी और यूरोपीय क्षेत्र से हैं- ने अपनी आबादी के 110 प्रतिशत से अधिक हिस्से को कवर करने के लिए वैक्सीन अनुबंध हासिल किए हैं. ब्रिटेन और कनाडा के पास अपनी संबंधित आबादी के तीन गुना से भी अधिक को कवर करने के लिए पर्याप्त ख़ुराक है; इसके उलट, कई अफ्रीकी देश ऐसे हैं जहां उनकी जनसंख्या का 5-6 प्रतिशत हिस्सा ही वर्तमान वैक्सीन अनुबंधों द्वारा कवर किया जा सका है और इस मायने में वो पिछड़ रहे हैं.

दुनिया की 16 प्रतिशत आबादी ने कोविड वैक्सीन की 60 प्रतिशत ख़ुराक हासिल कर ली है. भले ही दुनिया भर में वैक्सीन निर्माताओं ने टीकों के लिए ‘समान पहुंच’ का वादा किया था, लेकिन अब तक, अधिकांश अनुबंध अमीर देशों को दिए गए हैं.

नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च (National Bureau of Economic Research) द्वारा प्रकाशित शोध ने संकेत दिया है कि ऐसे परिदृश्य में, जिसमें समृद्ध / उन्नत अर्थव्यवस्थाएँ अपनी आबादी का टीकाकरण करती हैं, लेकिन गरीब देशों की उपेक्षा करती हैं, जिसके परिणामस्वरूप वैक्सीन असमानता पैदा हो सकती है, वैश्विक अर्थव्यवस्था की लागत को 9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ा सकती है. ऐसे में वैक्सीन के असमान वितरण के परिणामस्वरूप होने वाली वैश्विक हानि का 49 प्रतिशत, उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के हिस्से आ सकता है.

फ़िगर-5 यह दर्शाती है कि वैश्विक स्तर पर टीका वितरण में खासी असमानता है. दो महीने से अधिक समय से चल रहे टीकाकरण अभियान के बाद, केवल 11 निम्न मध्यम आय वाले और कम आय वाले देशों ने टीकाकरण अभियान शुरू किया है. विकासशील दुनिया में वैश्विक जनसंख्या का 84 प्रतिशत और प्राथमिक जनसंख्या का 71 प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन यह अभी तक केवल 38 प्रतिशत वैक्सीन अनुबंध रखती है.

वायरस फैल रहा है और जैविक रूप में अपनी प्रकृति को बदल रहा है, वह अपने नए प्रकारों के साथ साथ टीकों के लिए प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पैदा कर रहा है

विकासशील देशों में वैक्सीन के समान वितरण और प्रभावी टीकाकरण प्रणालियों की कमी में कोविड-19 के अलग अलग व वेरिएंट यानी संक्रमण का प्रसार भी शामिल है, जैसे ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राज़ील में उभरने वाले कोरोनावायरस के नए प्रकार. इस बात की संभावना जताई गई है कि ब्रिटेन में पाया जाने वाला वेरिएंट (B.1.1.7) 30-50 प्रतिशत तक अधिक संक्रामक है और 90 से अधिक देशों तक पहुंच चुका है और अधिक ख़तरनाक हो सकता है. इस से भविष्य के लिए संदेह पैदा होता है.

जैसे-जैसे वायरस फैल रहा है और जैविक रूप में अपनी प्रकृति को बदल रहा है, वह अपने नए प्रकारों के साथ साथ टीकों के लिए प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पैदा कर रहा है. बड़ी संख्या में वैक्सीन से वंचित जनसंख्या वायरस के नए वेरिएंट यानी प्रकारों के पनपने का कारण बन सकती है. वायरस के इन नए प्रकारों में मौजूदा वैक्सीन के प्रति प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो सकती है जिसके चलते मौजूदा वैक्सीन नाकाफ़ी साबित हो सकती हैं और यह जनसंख्या नए वेरिएंट की प्रसारकर्ता बन सकती है. इस स्थिति के चलते भविष्य में दुनिया को ख़तरे में डालते हुए यह जनसंख्या पूरी तरह से टीकाकरण वाले देशों में प्रवेश कर संक्रमण के नए दौर का कारण बन सकती है. वितरण प्रणाली में असमानताएं वायरस के संभावित अधिक संक्रमणीय, वैक्सीन-प्रतिरोधी वेरिएंट के विकास को बढ़ावा देकर, महामारी को लम्बा खींचने की दिशा में काम कर सकती है, जो अंततः अमीर और गरीब देशों को समान रूप से पीछे खींचेगा.

अनिश्चितता के इस दौर में, भारत लगातार दुनिया की मदद कर रहा है और घरेलू स्तर पर महामारी से भी लड़ रहा है. हाल ही में घाना के राष्ट्रपति कोविशील्ड वैक्सीन को लेने वाले पहले नागरिक बने, जो भारत द्वारा कोवैक्स (COVAX) पहल के तहत प्रदान की गईथी. यह टीकों की समान पहुंच की दिशा में एक वैश्विक पहल है. जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं, एक साथ और सभी के लिए समान रूप से काम करना एकमात्र संभव मार्ग लगता है ताकि सभी के लिए एक स्वस्थ भविष्य के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके.


[1] China’s vaccination data not updated after Feb 9

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