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हिंद महासागर का भू-राजनीतिक महत्व बढ़ने के साथ समुद्री क्षेत्र में जागरूकता इस क्षेत्र में भारत की सुरक्षा और सहयोग का एक महत्वपूर्ण पहलू बन गई है.
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2018 में स्थापित और भारतीय नौसेना के द्वारा संचालित सूचना संलयन केंद्र- हिंद महासागर क्षेत्र (इंफॉर्मेशन फ्यूज़न सेंटर- इंडियन ओशन रीजन या IFC-IOR) हिंद महासागर में भारत की समुद्री सुरक्षा और उससे जुड़े प्रयासों में एक महत्वपूर्ण पहलू बनकर उभरा है. समुद्री सुरक्षा की तैयारी में समुद्री क्षेत्र की जागरूकता (मैरिटाइम डोमेन अवेयरनेस या MDA) को दी गई प्राथमिकता में बढ़ोतरी को देखते हुए IFC-IOR समुद्र में आने वाली चुनौतियों से जुड़ी सूचनाओं के आदान-प्रदान और प्रसार को सुविधाजनक बनाता है. इस केंद्र की स्थापना से भारत की समुद्री सुरक्षा से जुड़ी तैयारियों और समुद्री सहयोग में बढ़ोतरी हुई है.
हिंद महासागर में गैर-पारंपरिक समुद्री सुरक्षा की चुनौतियों जैसे कि समुद्री आतंकवाद, लूट, तस्करी और IUU फिशिंग के बढ़ने के साथ समुद्री क्षेत्र की जागरूकता समुद्री सुरक्षा से जुड़ी तैयारी में एक महत्वपूर्ण बुनियाद के रूप में उभरी है.
भारत का समुद्री भूगोल उसकी व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा की सोच में समुद्री सुरक्षा को एक प्रमुख प्राथमिकता बनाता है. समुद्र में मुश्किल चुनौतियों को देखते हुए इस क्षेत्र में सतर्कता भारत के ज़रूरी समुद्री हितों को सुरक्षित रखने के लिए महत्वपूर्ण है. हिंद महासागर में गैर-पारंपरिक समुद्री सुरक्षा की चुनौतियों जैसे कि समुद्री आतंकवाद, लूट, तस्करी और IUU फिशिंग (इलीगल, अनरिपोर्टेड एंड अनरेगुलेटेड यानी अवैध, असूचित एवं अनियंत्रित ढंग से मछली पकड़ना) के बढ़ने के साथ समुद्री क्षेत्र की जागरूकता समुद्री सुरक्षा से जुड़ी तैयारी में एक महत्वपूर्ण बुनियाद के रूप में उभरी है. नई तकनीकों के उभरने के साथ वास्तविक समय के डेटा ने सुरक्षा सुनिश्चित करने में महासागर की निगरानी के लिए एजेंसियों और संगठनों के बीच सहयोग की गुंजाइश प्रदान की है. भारत के SAGAR (सिक्युरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन यानी क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) के दृष्टिकोण के साथ सूचना का प्रसार समुद्री सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने में एक अहम घटक के रूप में भी उभरा है.
समुद्री क्षेत्र की जागरूकता
इस संदर्भ में IFC-IOR समुद्री सुरक्षा से जुड़ी तैयारी को बढ़ाने के लिए भारत की लगातार कोशिशों का एक महत्वपूर्ण पहलू बनकर उभरा है. अहम बात ये है कि हिंद महासागर के विशाल भूगोल और क्षेत्रीय देशों के बीच क्षमता में अंतर को देखते हुए सूचना को साझा करने के माध्यम से सहयोग ने भारत और उसके साझेदारों के लिए मेलजोल का एक महत्वपूर्ण आधार प्रदान किया है. भारत ने समुद्री क्षेत्र की जागरूकता के लिए समन्वय और सहयोग के उद्देश्य से 2017 में जकार्ता में इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) के नेताओं के शिखर सम्मेलन के दौरान IFC-IOR की स्थापना की घोषणा की थी. इससे ये सवाल खड़ा होता है कि समुद्री क्षेत्र में जागरूकता महत्वपूर्ण क्यों है? महासागर विशाल और जटिल स्थान हैं जहां गतिशील चुनौतियां होती हैं जो किसी देश की राष्ट्रीय सुरक्षा पर गहरा असर डालने की क्षमता रखती हैं. इस तरह महासागरों की उभरती गतिशीलता को समझना ज़रूरी है. ये जागरूकता महासागरों से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का जवाब तैयार कर सकती है.
समुद्री देशों के लिए ये महत्वपूर्ण है क्योंकि ये सुरक्षा के लिए भयानक ख़तरा है- न केवल पारंपरिक समुद्री सुरक्षा बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा, मानव सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा के लिए भी. हिंद महासागर में इसकी भू-राजनीतिक अहमियत में बढ़ोतरी के बाद समुद्री क्षेत्र की जागरूकता में तेज़ी आई है. वैसे तो ये क्षेत्र शीत युद्ध के बाद के समय में रणनीतिक जड़ता की शुरुआत के लिए जाना जाता था लेकिन नए आर्थिक किरदारों के उदय और इस क्षेत्र में संचार की समुद्री लाइन (SLOC) के बढ़ते महत्व के साथ हिंद महासागर में सुरक्षा और स्थिरता इसके हितधारकों के लिए एक प्रमुख प्राथमिकता के रूप में तेज़ी से उभरी है. इस संदर्भ में समुद्री क्षेत्र की जागरूकता के माध्यम से जानकारी को साझा करना क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा के एजेंडे के एक महत्वपूर्ण पहलू के रूप में सामने आया है. ये इस क्षेत्र को लेकर भारत के दृष्टिकोण से अच्छी तरह मेल खाता है. हिंद महासागर में MDA भारत के लिए न केवल अपने समुद्री हितों को सुरक्षित रखने के हिसाब से बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा की तैयारी को सुविधाजनक बनाने के उसके घोषित लक्ष्य की दिशा में काम करने के लिए भी महत्वपूर्ण है.
समुद्री सुरक्षा के लिए समुद्री सुरक्षा की जागरूकता एक महत्वपूर्ण एजेंडे के रूप में उभरने और हिंद महासागर के तटीय देशों के बीच क्षमता के अंतर को देखते हुए भारत जैसे देशों ने समुद्र में सतर्कता और सूचना साझा करने के लिए सहयोग को सक्षम बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की मांग की है.
IFC-IOR ने समुद्री क्षेत्र की जागरूकता के प्रयासों में सहयोग को सुविधाजनक बनाने में लगातार प्रगति की है. उदाहरण के लिए, जब इसकी स्थापना हुई तो IFC-IOR साझेदारों के साथ वर्चुअल तरीके से जानकारी साझा करता था. अब 12 साझेदार देशों के अंतर्राष्ट्रीय लाइज़न अधिकारी हैं जिनके ज़रिए सूचना के प्रसार में सुविधा होती है. महत्वपूर्ण बात ये है कि MDA में सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक और बड़ा घटनाक्रम बहुपक्षीय (मल्टीलेटरल) और लघुपक्षीय (मिनीलेटरल) समूहों में इसको मिलाना है. समुद्री सुरक्षा के लिए समुद्री सुरक्षा की जागरूकता एक महत्वपूर्ण एजेंडे के रूप में उभरने और हिंद महासागर के तटीय देशों के बीच क्षमता के अंतर को देखते हुए भारत जैसे देशों ने समुद्र में सतर्कता और सूचना साझा करने के लिए सहयोग को सक्षम बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की मांग की है. इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन- जो कि पूरे हिंद महासागर में एकमात्र क्षेत्रीय मंच है- इस क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा की दिशा में प्रयासों को बढ़ावा देना चाहता है. महासागरों में उत्पन्न होने वाले ख़तरों से क्षेत्रीय तटीय देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा पर सीधा असर पड़ने के साथ-साथ इन देशों की तटीय आबादी के जीवन और आजीविका को भी ख़तरे में डालने की क्षमता है. इसलिए समुद्री सुरक्षा की तैयारी को मज़बूत करने का प्रयास चाहने वाले एक क्षेत्रीय संगठन के लिए MDA स्वाभाविक रूप से एक प्रमुख प्राथमिकता है. ये भारत के SAGAR दृष्टिकोण और समुद्री क्षेत्र की जागरूकता में सहयोग को बढ़ावा देने के उसके प्रयासों से मेल खाता है. इसके अलावा समुद्री क्षेत्र की जागरूकता क्वाड्रीलेटरल सिक्युरिटी डायलॉग या क्वॉड- जो कि ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका का एक समूह है- सहयोग के एक महत्वपूर्ण पहलू के रूप में उभरा है ताकि इंडो-पैसिफिक में समुद्री सुरक्षा की तैयारियों को मज़बूत किया जा सके. पिछले दिनों सितंबर 2024 में विल्मिंगटन में क्वॉड नेताओं के शिखर सम्मेलन में IFC-IOR के साथ तालमेल बनाने के उद्देश्य से समुद्री क्षेत्र की जागरूकता के लिए इंडो-पैसिफिक साझेदारी को बढ़ाने की घोषणा की गई. इस संबंध में हिंद महासागर में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण बनी हुई है. महत्वपूर्ण बात ये है कि हिंद महासागर के केंद्र में भारत का स्थान उसे इस क्षेत्र में MDA के प्रयासों का नेतृत्व करने के लिए ज़रूरी बनाता है. IFC-IOR और समान विचार वाले देशों में इसके जैसे दूसरे संगठनों के बीच सहयोग समुद्री सुरक्षा को मज़बूत करने के उद्देश्य से महासागरों की प्रभावी निगरानी और सूचना साझा करने के लिए महत्वपूर्ण है.
आगे की राह
आगे बढ़ें तो जो गतिशील समुद्री चुनौतियां सामने आ रही हैं, वो समुद्री सुरक्षा में सूचना साझा करने की ज़रूरत को बढ़ा सकती हैं. हिंद महासागर में भारत के अपने समुद्री सुरक्षा हितों के लिए इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल पर निगरानी रखना महत्वपूर्ण है. दक्षिणी चीन सागर के विपरीत हिंद महासागर में चीन की नौसेना की घुसपैठ नहीं देखी गई है. इसके बदले चीन ने हिंद महासागर में रिसर्च और सर्वे जहाज़ों को भेजने की रणनीति अपनाई है. चीन के ये जहाज़ कभी-कभी हिंद महासागर के देशों जैसे कि श्रीलंका और मालदीव में महत्वपूर्ण जगह पर आते हैं. इसने भारत के लिए सुरक्षा के मामले में दुविधा की स्थिति उत्पन्न कर दी है क्योंकि हिंद महासागर में चीन की मौजूदगी को लेकर भारत चिंतित है. इस क्षेत्र में चीन के आगे बढ़ने पर नज़र रखने और उसी के अनुसार समुद्री सुरक्षा की तैयारी को बढ़ाने के लिए समुद्री क्षेत्र की जागरूकता को बढ़ाना महत्वपूर्ण है. सामूहिक स्तर पर देखें तो समुद्री डकैती, समुद्री आतंकवाद और IUU फिशिंग के बढ़ते ख़तरे ने हिंद महासागर के समुद्री सुरक्षा के माहौल को मज़बूत करने के लिए सामूहिक दृष्टिकोण की तत्काल आवश्यकता को बढ़ा दिया है. हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा की तैयारी में प्रयासों का नेतृत्व करने के भारत के घोषित उद्देश्य के अनुरूप IFC-IOR के माध्यम से MDA को और गति मिलने की संभावना है.
सायंतन हालदार ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटजिक स्टडीज़ प्रोग्राम में रिसर्च असिस्टेंट हैं.
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Sayantan Haldar is a Research Assistant at ORF’s Strategic Studies Programme. At ORF, Sayantan’s research focuses on Maritime Studies. He is interested in questions of ...
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