Author : Nandan Dawda

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Published on Sep 10, 2025 Updated 0 Hours ago

भारत में स्वच्छ, समावेशी और लचीली शहरी मोबिलिटी को खड़ा करने की राह में PM-eBus सेवा योजना वित्तीय नवाचार को स्थिरता के साथ जोड़ने का काम कर रही है.

भारत में इलेक्ट्रिक पब्लिक मोबिलिटी का मार्ग प्रशस्त करती PM-eBus सेवा

Image Source: गेटी

दुनिया भर में स्वच्छ शहरी परिवहन पर बढ़ते ध्यान के चलते विद्युतीकृत सार्वजनिक परिवहन की ओर सबका ध्यान आकर्षित हुआ है. भारत में, जो एक तेजी से बढ़ती शहरी आबादी वाला देश है और जिसे एनवायरनमेंट फ्रेंडली ट्रांजिट विकल्पों की सख़्त आवश्यकता है, इलेक्ट्रिक वाहन (EV) के प्रति हो रही पहल का विशेष महत्व है. ऐसे समय में, PM-eBus सेवा का उद्देश्य इलेक्ट्रिक बसों को अपनाने की गति को बढ़ावा देकर शहरी बस ट्रांजिट सिस्टम को पूरी तरह बदलना है.

PM-eBus सेवा मौजूदा सार्वजनिक बस बेड़े में इलेक्ट्रिक बसों के सीमलेस इंटीग्रेशन के माध्यम से शहर के बस नेटवर्क की परिचालन क्षमता को बढ़ाने के लिए तैयार किया एक व्यापक कार्यक्रम है. इसका सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल शहरों में इलेक्ट्रिक बस बेड़े को संचालित करने के लिए मूल उपकरण निर्माताओं (OEM) और बस मालिकों की ताकत को साथ लाने का काम करता है. 

इसकी वायाबिलिटी यानी व्यवहार्यता और विस्तार-क्षमता को सुविधाजनक बनाने के लिए, यह योजना आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए 100 प्रतिशत केन्द्रीय सहायता (CA) प्रदान करती है, जिसमें 'बिहाइंड द मीटर' बिजली व्यवस्था, चार्जिंग स्टेशन और सिविल डिपो सुविधाएं शामिल हैं.  इसके अलावा, वित्तीय ख़र्चों को संतुलित करने और दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए, यह योजना तय की गई दूरी के अनुसार परिचालन सब्सिडी भी प्रदान करती है. यह वित्तीय सहायता 10 साल तक या 31 मार्च 2037 तक, जो भी पहले हो, के लिए गारंटीकृत की गई है. सब्सिडी दर को इलेक्ट्रिक बस के आकार के आधार पर निर्धारित किया गया है.  सामान्य (12 मीटर) बसों के लिए 24 रुपये प्रति किलोमीटर, मिडी (9 मीटर) बसों के लिए 22 रुपये प्रति किलोमीटर, और मिनी (7 मीटर) बसों के लिए 20 रुपये प्रति किलोमीटर. विभिन्न भौगोलिक और प्रशासनिक इकाइयों के अनुसार भिन्न-भिन्न रूप से निर्धारित की जाती है- राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों (UT), और पहाड़ी या पूर्वोत्तर इकाइयों के संदर्भ में अलग अलग तय  की जाती है.

इलेक्ट्रिक वाहन (EV) के प्रति हो रही पहल का विशेष महत्व है. ऐसे समय में, PM-eBus सेवा का उद्देश्य इलेक्ट्रिक बसों को अपनाने की गति को बढ़ावा देकर शहरी बस ट्रांजिट सिस्टम को पूरी तरह बदलना है.

यह स्ट्रेटेजिक योजना पब्लिक ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (PTA) की शुरुआती पूंजी के ख़र्च को कम करेगी, जबकि अभी चल रही सहायता के साथ इलेक्ट्रिक बस बेड़े की दीर्घकालिक परिचालन और वित्तीय व्यवहार्यता की भी गारंटी देगी.

PSM योजना और भुगतान सुरक्षा

PM-eBus सेवा, जिसका कुल बजटीय ऑउटले  3,435.33 करोड़ रुपये है, भुगतान डिफ़ॉल्ट के जोख़िम से निपटने के उद्देश्य को पूरा करने का काम करेगी. इस जोख़िम ने अब तक इलेक्ट्रिक बसों की बड़े पैमाने पर तैनाती में बाधा डाली है. यह योजना 2024-25 से 2028-29 तक पांच वर्षों में 38,000 से अधिक eBus के अधिग्रहण और संचालन के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान करेगी. PM-eBus सेवा का नीतिगत फ़ैसला सीधे उन वित्तपोषण जोख़िमों का मुकाबला करती है जिन्होंने इलेक्ट्रिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट के विकास को धीमा कर दिया था. 

यह योजना एक मजबूत भुगतान गारंटी मॉडल के दम पर काम करती है. इस योजना के तहत किसी डिफ़ॉल्ट करने वाली सार्वजनिक परिवहन प्राधिकरण (PTA) द्वारा किसी OEM को भुगतान नहीं किया जाता है, तो कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (CESL) एक समर्पित फंड के माध्यम से OEM को समय पर भुगतान करने के लिए कदम उठा सकता है. डिफ़ॉल्ट करने वाले (PTA) को 90 दिनों के भीतर इस फंड को चुकाना होगा. यदि यह भुगतान भी नहीं किया जाता है, तो भारतीय रिजर्व बैंक इसे पूरा करने के लिए एक प्रत्यक्ष डेबिट मैंडेट (DDM) लागू कर सकता है. इसके लिए भारतीय स्टेट बैंक की 3-वर्षीय मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स-आधारित लेंडिंग रेट (MCLR) के आधार पर निर्धारित एक लेट पेमेंट सरचार्ज (LPS) देना होगा, जिसका सालाना हिसाब लगाया जाएगा, साथ ही प्रति वर्ष 1 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क भी लगेगा. 

वर्तमान ग्रिड बाधाओं के बावजूद, ये बसें डीजल बसों की तुलना में लाइफटाइम ग्रीनहाउस गैस एमिशन को लगभग 19 प्रतिशत कम करेंगी. 12 वर्षों में वे 1,200 टन NOx और 700 टन CO के एमिशन को रोकेगी, जिससे शहरी वायु गुणवत्ता और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार होगा. 

यह भुगतान गारंटी मॉडल बदले में eBus अनुबंधों की वित्तीय व्यवहार्यता में सुधार कर OEMs के लिए काउंटरपार्टी जोख़िमों को कम करता है और उद्योग में निवेश को अधिक आकर्षक बनाता है. वित्तीय सुरक्षा में सुधार करके, यह योजना भारतीय EV उद्योग में प्रवेश करने के इच्छुक विदेशी फर्मों सहित निवेशकों की एक विस्तृत श्रृंखला को आकर्षित करने के लिए सक्षम है. 

PM eBus सेवा योजना की वर्तमान स्थिति

योजना का पहला चरण, जिसमें 3,825 ई-बसें शामिल हैं, इस योजना की संभावना और फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता को कम करने में इसके योगदान की एक झलक पेश करता है. वर्तमान ग्रिड बाधाओं के बावजूद, ये बसें डीजल बसों की तुलना में लाइफटाइम ग्रीनहाउस गैस एमिशन को लगभग 19 प्रतिशत कम करेंगी. 12 वर्षों में वे 1,200 टन NOx और 700 टन CO के एमिशन को रोकेगी, जिससे शहरी वायु गुणवत्ता और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार होगा. इसके अतिरिक्त, यह योजना 45,000 से 55,000 प्रत्यक्ष नौकरियां पैदा करेगी, जिससे आर्थिक गतिविधि बढ़ेगी.

ये सब गतिविधियां राज्य स्तर पर अपनाई जा रही विविध और गतिशील रणनीतियों को भी दर्शाती हैं. केंद्र ने चंडीगढ़ के लिए 328 eBuses को मंजूरी दी है, जो किसी भी शहर के लिए मंजूर की गई eBuses में सबसे अधिक है. केंद्र सरकार भी इन बसों की ख़रीद के लिए धन मुहैया करा रही है. दूसरी ओर, कर्नाटक राज्य में, मंगलुरु ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी एक अलग दृष्टिकोण का समर्थन कर रहे हैं, जहां राज्य सरकारों को सब्सिडी प्रदान की जाती है न कि निजी ऑपरेटरों को. ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी इस बात पर जोर दे रहे हैं कि इससे राज्य-संचालित परिवहन संचालन बढ़ेगा और कार्यान्वयन प्रक्रिया सरल होगी. ये उदाहरण एक केंद्रीय रूप से डिजाइन की गई नीति की क्षेत्रीय संस्थागत प्राथमिकताओं और सर्वोत्तम शासन प्रथाओं के बीच चल रहे जटिल रिश्ते की ओर इशारा करते हैं.

जैसे-जैसे योजना से अधिक डेटा उपलब्ध होगा और इसका ऑपरेटिंग मॉडल बेहतर होगा, भारत हरित परिवहन में एक विश्व नेता बनने की राह पर अग्रसर होगा. नई तकनीक आयात करने से परे, PM-eBus सेवा एक स्केलेबल, इंक्लूसिव और टिकाऊ सार्वजनिक परिवहन प्रणाली विकसित कर रही है जो पूरे विश्व के लिए शहरी पॉलिसी में इनोवेशन का एक मॉडल बन सकती है. 

भविष्य की दिशा 

निम्नलिखित स्ट्रेटेजिक सुधार PM-eBus सेवा की क्षमता को अधिकतम बनाने में उपयोगी हो सकते हैं:

  • पहली बात, पेमेंट सिक्योरिटी मैकेनिज्म (PSM) के बेहतर उपयोग को प्रोत्साहित करने और इसके एस्क्रो मॉडल को और भी सरल बनाने से OEM के लिए जोख़िम को कम करेगा और यह बाज़ार भागीदारी को और प्रेरित करेगा. 

  • दूसरा, सरकार को डिपो विद्युतीकरण और चार्जिंग शेड्यूल ऑप्टीमाईसेशन को तेज करने के लिए प्रत्येक शहर की विशिष्ट ज़रूरतों के अनुसार बिजली आपूर्ति के बुनियादी ढांचे की योजना बनानी चाहिए. 

  • तीसरा, केंद्र को व्हीलचेयर रैंप और प्राथमिकता वाली सीटों सहित एक्सेस  सुविधाओं के कार्यान्वयन की निगरानी और रूट पर चल रही aBuses के पर्यावरणीय प्रदर्शन का आकलन करने के लिए एक राष्ट्रीय मंच विकसित करना चाहिए. 

  • चौथा, राज्य-स्तरीय संस्थाओं को सब्सिडी के हाइब्रिड मॉडल के साथ प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए जो सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) की दक्षता का लाभ उठाते हैं, जिसमें सार्वजनिक एजेंसियां चुने हुए क्षेत्रों में बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए कठोर निगरानी लागू कर सकती हैं. 

  • अंत में, अनुसंधान में सहयोग से योजना के वित्तीय स्वास्थ्य और एमिशन इम्प्लिकेशन्स के दीर्घकालिक विश्लेषण में मदद मिल सकती है. ऐसी जानकारी भविष्य में योजना के स्केलिंग और नीति निर्माण के लिए एक ठोस साक्ष्य बनकर उसका आधार बन सकती है. 

निष्कर्ष

PM-eBus सेवा योजना, अपने इनोवेटिव पब्लिक सेक्टर मॉडल (PSM) द्वारा केंद्रित होने के चलते भारत की अर्बन ट्रांसपोर्ट नीति में महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आया है. यह योजना पर्यावरणीय स्थिरता और सामाजिक इक्विटी के आदर्शों के साथ वित्तीय रचनात्मकता को बेहतर तरीके से अपने में समाए हुए है. जोख़िम से बचाव के साथ-साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत हजारों इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के माध्यम से, यह योजना स्वच्छ और अधिक समावेशी शहरी ट्रांसपोर्ट की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है.

यह योजना आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने और विषैले धुएं के उत्सर्जन को काफ़ी हद तक कम करने में भी मदद करेगी. जैसे-जैसे योजना से अधिक डेटा उपलब्ध होगा और इसका ऑपरेटिंग मॉडल बेहतर होगा, भारत हरित परिवहन में एक विश्व नेता बनने की राह पर अग्रसर होगा. नई तकनीक आयात करने से परे, PM-eBus सेवा एक स्केलेबल, इंक्लूसिव और टिकाऊ सार्वजनिक परिवहन प्रणाली विकसित कर रही है जो पूरे विश्व के लिए शहरी पॉलिसी में इनोवेशन का एक मॉडल बन सकती है. 


नंदन एच. दावड़ा ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में अर्बन स्टडीज़ प्रोग्राम के फेलो हैं. 

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