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Published on Jan 24, 2025 Updated 0 Hours ago

एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम के विकास के साथ पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना ने भारत के ख़िलाफ़ एक महत्वपूर्ण बढ़त बना ली है. भारत को इस मामले में आगे बढ़ने की ज़रूरत है. 

चीन: एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम के साथ आगे बढ़ते PLA के टैंक

Image Source: Getty

भारत और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC)- दोनों ही देश मीडियम मेन बैटल टैंक (MMBT) और लाइट बैटल टैंक (LBT) या तो विकसित कर रहे हैं या पहले से ही इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन भारत दो महत्वपूर्ण तकनीकी चुनौतियों- एडवांस प्रोटेक्शन सिस्टम (APS) और इस सिस्टम की मॉड्यूलेरिटी- का सामना कर रहा है जबकि चीन ने इस मामले में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल कर ली है. APS विशेष रूप से प्रासंगिक है क्योंकि ये सिस्टम LBT को सुरक्षा प्रदान करता है. दूसरी बात ये है कि अनमैन्ड एरियल सिस्टम (UAS) ने जहां टैंक को काफी असुरक्षित बना दिया है, वहीं वो टैंक के लिए टोही मिशन का काम भी करते हैं. APS क्षमता के माध्यम से UAS के साथ काउंटर-अनमैन्ड एरियल सिस्टम (C-UAS) को अब चीन के टैंक में जोड़ दिया गया है. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध ने आसमान से पैदा होने वाले मानवरहित ख़तरों के ख़िलाफ़ टैंक की कमज़ोरियों को बुरी तरह से उजागर कर दिया है और भारत समेत कई देश अपने MMBT और LBT के लिए APS क्षमता हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. 

APS क्षमता के माध्यम से UAS के साथ काउंटर-अनमैन्ड एरियल सिस्टम (C-UAS) को अब चीन के टैंक में जोड़ दिया गया है. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध ने आसमान से पैदा होने वाले मानवरहित ख़तरों के ख़िलाफ़ टैंक की कमज़ोरियों को बुरी तरह से उजागर कर दिया है

इसके बावजूद APS क्षमता को तैयार करने में चीन की प्रगति भारतीय थलसेना (IA) और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के बीच क्षमताओं में गंभीर अंतर के रूप में खड़ी है. चाइना नॉर्थ इंडस्ट्रीज़ कॉरपोरेशन (NORINCO) के द्वारा तैयार LBT के दो वेरिएंट चीन के पास हैं- VT5 और टाइप-15. फिर भी टाइप-15 VT5 का ही रूप है और VT5 को विशेष रूप से निर्यात बाज़ार के लिए विकसित किया गया है (बांग्लादेश चीन का पहला ग्राहक बन गया है). हाल के दिनों के प्रमाण संकेत देते हैं कि चीन ने अपने टैंक के लिए APS के डिज़ाइन में सुधार किया है. LBT के VT5 निर्यात वेरिएंट को APS क्षमता के साथ लैस किया गया है. दिसंबर 2018 में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLAA) में शामिल चीन के सभी LBT, विशेष रूप से टाइप-15 जिनका वज़न लगभग 33-36 टन के बीच है और जिन्हें भारत के ख़िलाफ़ तैनात किया गया है, APS से लैस हैं. LBT के लिए APS के महत्व को कम करके नहीं आंका जाना चाहिए. पहली बात ये कि आने वाली एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) और ड्रोन के ख़िलाफ़ सुरक्षा कवच के मामले में LBT की सीमाएं हैं. इसलिए MMBT के उलट उनका “निष्क्रिय कवच” केवल हल्के और मध्यम गोला-बारूद से रक्षा करने में सक्षम है. इस वजह से APS सिस्टम सॉफ्ट किल (लक्ष्य पर निशाना साधने के लिए गैर-घातक माध्यम का इस्तेमाल) और हार्ड किल (लक्ष्य को ख़त्म करने के लिए सीधा और मज़बूत तरीका)- दोनों तरह की रक्षात्मक क्षमता प्रदान करता है. वैसे तो चीन के LBT के दोनों वेरिएंट में आने वाली मिसाइल से अतिरिक्त सुरक्षा के लिए विस्फोटक प्रतिक्रियाशील कवच (एक्सप्लोज़िव रिएक्टिव आर्मर या ERA) है लेकिन अधिक उन्नत टाइप-15 में बेहतर संचार और जानकारी साझा करने की क्षमताएं हैं. 

चीन के टैंक

पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के द्वारा टाइप-15 LBT के साथ-साथ अपने आधुनिक MMBT की सुरक्षा के लिए APS को बहुत आवश्यक माना जाता है और चीन ने टाइप-15 को APS से लैस करने के लिए 2019 से ही पर्याप्त APS क्षमताओं का निर्माण किया है. GL5 APS के इस वेरिएंट में तीन घटक हैं- चार गोला-बारूद लॉन्चर, चार बहुउद्देशीय मिलीमीटर-वेव रडार और एक कंप्यूटर कंट्रोल सिस्टम. बांग्लादेश को जो VT5 बेचे गए वो GL5 APS से लैस हो सकते हैं. GL5 की तुलना में अधिक उन्नत वेरिएंट GL6 को पाकिस्तान के कराची में नवंबर 2024 में आयोजित 12वें इंटरनेशनल डिफेंस एग्ज़ीबिशन एंड सेमिनार (IDEAS 2024) के दौरान प्रदर्शित किया गया. चीन के APS का ये नवीनतम वेरिएंट भी C-UAS से सुसज्जित है जो ड्रोन को मार गिरा सकता है. चीन के सबसे उन्नत युद्धक टैंक 58 टन के टाइप-99A, जो टाइप-15 LBT के मुकाबले अधिक वज़न वर्ग का है, के बारे में माना जाता है कि वो GL6 से लैस है. GL6 का परीक्षण सबसे पहले VT-A41 टैंक के निर्यात वेरिएंट, जिसे VT-4 कहा जाता है, पर किया गया और PLA के द्वारा परीक्षण का जो वीडियो जारी किया गया उसमें दिखाया गया कि इसके इंटरसेप्टर ने 120mm के एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) को नष्ट कर दिया. VT-A41 टैंक में चार रोटर वाला टोही ड्रोन है जो 10 किलोमीटर के दायरे में काम करने में सक्षम है और इस तरह ये टैंक के चालक दल को युद्ध क्षेत्र के बारे में बहुत अधिक जानकारी मुहैया कराता है. GL6 का काउंटर-अनमैन्ड एरियल सिस्टम (C-UAS) एक खुली वास्तुकला (ओपन आर्किटेक्चर) पर आधारित है जिसका अर्थ ये है कि इसके रेडियो फ्रीक्वेंसी जैमर (RFJ) एवं ड्रोन जैमर, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल इंफ्रारेड (EOIR) सिस्टम, पैसिव रेडियो फ्रीक्वेंसी एंड डायरेक्शन फाइंडिंग (PRFDF), एक्टिव रडार (AR) और मास्ट कन्फिगरेशन को उपयोग करने वाले की ज़रूरत के मुताबिक तैयार किया जा सकता है. माना जाता है कि GL6 इज़रायल के “आयरन फिस्ट” APS की तरह है जो कि अलग-अलग कोणों से आने वाली हाई एक्सप्लोज़िव एंटी-टैंक (HEAT) मिसाइल, रिकॉइललेस म्यूनिशन, लॉइटरिंग म्यूनिशन और आर्मर-पीयरसिंग फिन-स्टेबलाइज़्ड डिस्कार्डिंग सैबोट (APFSDS) का पता लगाने और उसका मुकाबला करने में सक्षम है जिससे टैंक के सुरक्षित रहने की उम्मीद बढ़ जाती है. 

माना जाता है कि GL6 इज़रायल के “आयरन फिस्ट” APS की तरह है जो कि अलग-अलग कोणों से आने वाली हाई एक्सप्लोज़िव एंटी-टैंक (HEAT) मिसाइल, रिकॉइललेस म्यूनिशन, लॉइटरिंग म्यूनिशन और आर्मर-पीयरसिंग फिन-स्टेबलाइज़्ड डिस्कार्डिंग सैबोट (APFSDS) का पता लगाने और उसका मुकाबला करने में सक्षम है जिससे टैंक के सुरक्षित रहने की उम्मीद बढ़ जाती है. 

वैसे तो कुछ रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि GL6 निर्यात के लिए नहीं है लेकिन कराची में IDEAS 2024 में इसका प्रदर्शन कुछ और ही इशारा करता है. GL6 के निर्यात के संभावित लक्ष्यों में से एक पाकिस्तान है. पाकिस्तान 2021 से ही VT-4 का इस्तेमाल कर रहा है और बहुत अधिक संभावना इस बात की है कि बांग्लादेशियों की तरह पाकिस्तानी भी पहले से ही कम उन्नत GL5 APS का परिचालन कर रहे हैं. इसलिए चीन के दूसरे बख्तरबंद प्लैटफॉर्म की तरह टाइप-15 LBT को भी इसकी मॉड्यूलेरिटी के कारण GL6 APS के साथ जोड़ा जा सकता है. वो दिन बहुत दूर नहीं है जब पाकिस्तान GL6 APS को अपने VT-4 MBT में जोड़ सकता है. 

चीन को बढ़त

अल्जीरिया जैसे देशों के विपरीत, जो रूसी मूल का T-90 टैंक भी संचालित करता है और अब सप्लाई चेन की समस्या एवं ख़राब रख-रखाव और रूस से अपग्रेड का समर्थन नहीं मिलने के कारण चीन का VT4 MBT हासिल करने या परीक्षण करने की तरफ बढ़ रहा है, भारत को अपने सबसे उन्नत रूसी मूल के T-90 युद्धक टैंक, जिसका उत्पादन लाइसेंस के माध्यम से हेवी व्हीकल फैक्ट्री (HVF) करती है, को अपग्रेड करने या मरम्मत करने में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है. इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मेकेनिकल इंजीनयर्स (EME) कोर ने अक्टूबर 2024 में दिल्ली छावनी के 505 आर्मी बेस वर्कशॉप में उनकी मरम्मत पूरी की. इसके बावजूद APS क्षमता की अनुपस्थिति एक ऐसा खालीपन है जिसे सरकार और भारतीय थल सेना (IA) को बख्त़रबंद कोर के MMBT और अभी बनने वाले LBT के लिए भरना है. व्यापक APS पैकेज के हिस्से के रूप में अपने सभी टैंक, विशेष रूप से ज़ोरावर LBT के लिए जिसको विकसित करने का परीक्षण अभी शुरू हुआ है, के लिए टोही ड्रोन के साथ-साथ C-UAS की तैनाती में जल्दबाज़ी करनी होगी. चीन ने महत्वपूर्ण बढ़त हासिल कर ली है और संभावना ये है कि वो अपनी सबसे आधुनिक APS क्षमताओं की सप्लाई पाकिस्तान को करने वाला है.  

 अगर एक प्रभावी APS को विकसित करने के मौजूदा प्रयास नाकाम रहते हैं तो भारतीय थल सेना को इज़रायल के दो APS वेरिएंट- रफाल के द्वारा निर्मित “ट्रॉफी” और एल्बिट के द्वारा बनाए गए “आयरन फिस्ट”- की तरफ रुख़ करना होगा. 

इन घटनाक्रमों के परिणामस्वरूप भारत को अपने टैंक के लिए APS क्षमताओं को जल्द-से-जल्द हासिल करने में ज़ोर लगाने की आवश्यकता है. दुर्भाग्य की बात ये है कि कई तरह के एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम का स्वदेशी विकास जो चल रहा है, ने उसके असर के मामले में कोई आशाजनक परिणाम नहीं दिखाया है. अगर एक प्रभावी APS को विकसित करने के मौजूदा प्रयास नाकाम रहते हैं तो भारतीय थल सेना को इज़रायल के दो APS वेरिएंट- रफाल के द्वारा निर्मित “ट्रॉफी” और एल्बिट के द्वारा बनाए गए “आयरन फिस्ट”- की तरफ रुख़ करना होगा. 


कार्तिक बोम्माकांति ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटजिक स्टडीज़ प्रोग्राम में सीनियर फेलो हैं. 

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