27 जून 2021 की सुबह जम्मू में भारतीय वायु सेना स्टेशन के तकनीकी क्षेत्र में ड्रोन के द्वारा भेजे गए इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) से हमला किया गया. इस हमले के फ़ौरन बाद जम्मू के आस-पास के कुछ ज़िलों ने ड्रोन की बिक्री, ड्रोन रखने और उसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी लेकिन नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने सोच-समझ वाला दृष्टिकोण अपनाते हुए जम्मू में हुए हमले के तीन हफ़्तों के भीतर ड्रोन नियम, 2021 को जारी किया. नये नियम ड्रोन उद्योग को लेकर बनी अनिश्चितता, ख़ास तौर पर जम्मू हमले के बाद, से छुटकारा दिलाते हैं. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने नये नियमों के तहत आर्थिक अवसरों को ड्रोन के द्वारा लोगों की सुरक्षा को जोख़िम के साथ संतुलित करने की कोशिश की है. लेकिन इसके बावजूद कुछ मुनासिब चिंताएं हैं जिनका समाधान करने की ज़रूरत है ताकि लोगों की सुरक्षा आवश्यकता को जोड़ा जा सके क्योंकि ये नियम सार्वजनिक क्षेत्र में ड्रोन से जुड़ी कार्य प्रणाली की व्यवस्था तय करेंगे. इन चिंताओं में आयात के लिए मानक, डाटा कम्युनिकेशन और तकनीकी समर्थन शामिल हैं.
प्रस्तावित व्यवस्था: ड्रोन नियम 2021
ड्रोन के उत्पादन, रजिस्ट्रेशन और संचालन को लेकर मानदंड तय करने वाला पहला व्यापक दस्तावेज़ नागरिक उड्डयन आवश्यकता (सीएआर) 2018 था जिसे दिसंबर 2018 में जारी किया गया था. सीएआर के बाद मानवरहित एयरक्राफ्ट सिस्टम (यूएएस) नियम 2021 इस साल मार्च में आया. सिविल सोसायटी संगठनों और नागरिक उड्डयन उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों ने सीएआर और यूएएस दोनों की तीखी आलोचना की क्योंकि इन दोनों नियमों में नये-नवेले ड्रोन उद्योग पर सख़्त नियम लागू किए गए थे. दोनों में से किसी भी नियम में विदेशी संस्थाओं या उनके सहयोगियों को भारत में अधिकृत व्यक्ति यानी अधिकृत यूएएस ऑपरेटर या स्वामी के तौर पर रजिस्टर करने की इजाज़त नहीं थी. उन नियमों के द्वारा ड्रोन के उत्पादन, ऑपरेशन और ड्रोन पर रिसर्च के लिए आयात नियंत्रण और मंज़ूरी के लिए ज़रूरतों को और मुश्किल बना दिया गया. नया ड्रोन नियम यूएएस नियमों की जगह लेगा.
इन दोनों नियमों में नये-नवेले ड्रोन उद्योग पर सख़्त नियम लागू किए गए थे. दोनों में से किसी भी नियम में विदेशी संस्थाओं या उनके सहयोगियों को भारत में अधिकृत व्यक्ति यानी अधिकृत यूएएस ऑपरेटर या स्वामी के तौर पर रजिस्टर करने की इजाज़त नहीं थी.
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने वर्तमान विधेयक के साथ नियमों से जुड़े परिवेश को काफ़ी हद तक सरल बना दिया है. मंज़ूरियों और सर्टिफिकेट की संख्या को 25 से घटाकर छह कर दिया गया है जिनमें दूसरी बातों के अलावा यूनिक ऑथॉराइज़ेशन नंबर, रिसर्च एंड डेवलपमेंट संगठनों को अधिकार पत्र, आयात चालान, और यूनिक प्रोटोटाइप आइडेंटिफिकेशन नंबर शामिल हैं. विधेयक में विदेशी निवेशकों और भारत में ड्रोन उत्पादकों के लिए संचालन की प्रक्रिया को भी आसान बना दिया गया है. देसी ड्रोन स्टार्टअप्स और उपभोक्ताओं को बढ़ावा देने की कोशिश के तहत ड्रोन को ऑपरेट करने और उत्पादन की प्रक्रिया को समावेशी बनाया गया है जिसके लिए उड़ने की योग्यता के सर्टिफिकेट, यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर और रिमोट पायलट लाइसेंस को सूचीबद्ध करने की फीस घटा दी गई है. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने अधिकार पत्र की ज़रूरत जैसे उड़ने की योग्यता का सर्टिफिकेट, यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर, रिमोट पायलट लाइसेंस और भारत में ड्रोन के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट की इजाज़त को भी हटा दिया है.
ड्रोन के आयात और संचालन के लिए समान मानक
कुल यूएवी आयात के 6.8 प्रतिशत के साथ वर्तमान में भारत मिलिट्री ग्रेड ड्रोन का तीसरा सबसे बड़ा आयातक है और भारत में व्यावसायिक ड्रोन बाज़ार 2020 से 2026 तक सालाना 12.6 प्रतिशत की वृद्धि दर के हिसाब से बढ़ने का अनुमान है. ताज़ा विधेयक के मसौदे के अनुसार विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ड्रोन और ड्रोन के उपकरणों के आयात पर नज़र रखेगा जबकि क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (क्यूसीआई) अपने द्वारा विकसित सर्टिफकेशन के मानक के आधार पर उड़ने की योग्यता का सर्टिफिकेट मुहैया कराएगी. भारत में ड्रोन चलाने के लिए उड़ने की योग्यता का सर्टिफिकेट ज़रूरी है. सार्वजनिक जगहों पर ड्रोन की तैनाती के लिए सुरक्षा के न्यूनतम मानकों को लेकर हिस्सेदारों के बीच अलग-अलग समझ रही है. उदाहरण के लिए, भारत में सुरक्षा की प्रक्रिया सुनिश्चित करने और उड़ने की योग्यता तय करने के लिए बिना इजाज़त उड़ान नहीं (नो परममिशन नो टेकऑफ यानी एनपीएनटी) एक प्रमुख तकनीकी ज़रूरत है. एनपीएनटी से ड्रोन को लैस करने के लिए किसी उत्पादक को हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की क्षमता में महत्वपूर्ण बदलाव करने की ज़रूरत पड़ती है. व्यावसायिक ड्रोन का उत्पादन करने वाली सबसे बड़ी कंपनियों में से एक चीन की डीजेआई ने एनपीएनटी को लेकर आशंका जताई है क्योंकि इसकी वजह से 2019 में ड्रोन के संचालन पर काफ़ी ज़्यादा पाबंदियां लगाई गई. डीजेआई ने अभी तक इस तकनीक को नहीं अपनाया है. लेकिन डीजेआई द्वारा बनाए गए ड्रोन को यूपी, दिल्ली और पंजाब की पुलिस ने 2020 की शुरुआत में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) विरोधी प्रदर्शन के दौरान इस्तेमाल किया था. भारत में सिर्फ़ कुछ कंपनियों जैसे आरव अनमैन्ड सिस्टम्स, आइडियाफोर्ज, एस्टेरिया एरोस्पेस, स्काईलार्क ड्रोन्स और थ्रोटल एरोस्पेस सिस्टम्स ने ही अभी तक एनपीएनटी के मानकों का पालन किया है. भारत सरकार अभी भी सबसे ज़्यादा ड्रोन तैनात कर रही है. पुलिस के काम-काज, डिजिटल मैपिंग और हाइवे परियोजनाओं की प्रगति पर निगरानी के क्षेत्र में भारत सरकार ड्रोन का इस्तेमाल करती है. ड्रोन और ड्रोन के उपकरण घरेलू उद्योग की ज़रूरत को पूरा करें और सार्वजनिक सुरक्षा के प्रोटोकॉल का पालन करें- इसको सुनिश्चित करने के लिए क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ मिलकर नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के द्वारा संचालन और आयात का मानक तय करना ज़रूरी है. दोनों संगठनों को ख़रीद और ड्रोन के संचालन के मानक को एक समान अपनाने को सुनिश्चित करने के साथ ऑडिट के तौर-तरीक़ों को तय करने की ज़रूरत है ताकि किसी भी तरह की असंगति उत्पन्न नहीं हो ख़ास तौर पर सार्वजनिक तैनाती के मामले में. यूनाइटेड किंगडम में पुलिस बल को ड्रोन के मामले में उन्हीं सुरक्षा मानदंडों से गुज़रना पड़ता है जो प्राइवेट लोगों के लिए हैं.
व्यावसायिक ड्रोन का उत्पादन करने वाली सबसे बड़ी कंपनियों में से एक चीन की डीजेआई ने एनपीएनटी को लेकर आशंका जताई है क्योंकि इसकी वजह से 2019 में ड्रोन के संचालन पर काफ़ी ज़्यादा पाबंदियां लगाई गई.
डाटा कम्युनिकेशन, सुरक्षा और प्राइवेसी
नवंबर 2020 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने राष्ट्रीय मानव रहित एयरक्राफ्ट सिस्टम ट्रैफिक प्रबंधन नीति पर चर्चा का एक मसौदा जारी किया था जिसमें एक अध्याय मानव रहित एयरक्राफ्ट सिस्टम ट्रैफिक प्रबंधन डाटा कम्युनिकेशन, सुरक्षा और प्राइवेसी पर था. इस अध्याय में डाटा के स्थानीयकरण पर ज़ोर दिया गया है जिसके लिए हर तरह के डाटा की मांग की गई है जिनमें मुहैया कराया गया डाटा, उत्पन्न डाटा, जमा डाटा और यूज़र द्वारा विश्लेषित डाटा के साथ-साथ सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर सिस्टम शामिल हैं. इसमें भारत से बाहर के संस्थानों के द्वारा डाटा तक पहुंच पर रोक भी लगाई गई है. इससे पहले के मसौदे में विदेशी संस्थानों या उनके सहयोगियों को अधिकृत व्यक्ति यानी अधिकृत यूएएस संचालक या स्वामी के तौर पर रजिस्टर करने की इजाज़त नहीं थी. इस तरह डाटा स्थानीयकरण के मानदंड यूएवी नियमों के साथ मेल खाते थे.
लेकिन नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने मौजूदा नियमों में इस पाबंदी को हटा दिया है. इसका उद्देश्य संभवत: भारत में नये-नवेले ड्रोन उद्योग में विदेशी निवेश को बढ़ावा देना है. इससे ज़रूरी आर्थिक प्रोत्साहन मिलेगा ताकि भारत में रिसर्च, डेवलपमेंट और इनोवेशन को बढ़ावा दिया जा सकेगा. सरकारों, स्टार्टअप्स और शैक्षणिक संस्थानों के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट को लेकर क़ानूनी रुकावटों को भी हटा दिया गया है और ये विदेशी संस्थानों के लिए घरेलू उद्योग के साथ मिलकर काम करने में बड़ा प्रोत्साहन हो सकता है. वैक्सीन और दवाई पहुंचाने की सुविधा के लिए विश्व आर्थिक मंच और हेल्थनेट ग्लोबल के साथ मिलकर तेलंगाना सरकार द्वारा चलाई जा रही परियोजना मेडिसिन फ्रॉम द स्काई ऐसा ही एक उदाहरण है. विशाल उपभोक्ता आधार मुहैया कराने के साथ-साथ भारत विदेशी ड्रोन उत्पादकों के लिए श्रम की मांग को पूरा करने में भी मदद कर सकता है.
लेकिन इस तरह की साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए स्थानीयकरण की ज़रूरत की पूरी तरह से दोबारा समीक्षा करने की आवश्यकता है. निवेश करने वाले संस्थान को न सिर्फ़ पूंजी प्रधान डाटा सेंटर खोलने की ज़रूरत होगी बल्कि फैक्ट्री भी खोलनी होगी क्योंकि मौजूदा नीतियों के मुताबिक सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर सिस्टम को भी डाटा के साथ भारत में रखना होगा. इससे विदेशी संस्थान के लिए नियमों के पालन की लागत में बढ़ोतरी होगी और ये उनके लिए भारतीय बाज़ार में आने की राह में रुकावट साबित हो सकता है.
इसके अलावा मसौदे के अध्याय में इस बात का भी ज़िक्र है कि डाटा प्राइवेसी को बनाए रखने के लिए प्रस्तावित व्यक्तिगत डाटा सुरक्षा अधिनियम के लागू होते ही उसके प्रावधानों का पालन किया जाएगा. ड्रोन के इस्तेमाल से जमा पहचान योग्य व्यक्तियों की तस्वीर को रखने की सीमा का प्रारूप बताने वाले प्रावधान विधेयक के मसौदे में हैं क्योंकि ये बायोमीट्रिक डाटा के तहत आते हैं. लेकिन ड्रोन के इस्तेमाल से इकट्ठा सभी डाटा संवेदनशील डाटा की श्रेणी में नहीं आएंगे. उदाहरण के लिए, सड़कों की हालत का सर्वेक्षण और राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की निगरानी को मौजूदा विधेयक के तहत संवेदनशील डाटा के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा. इन मामलों में डाटा स्थानीयकरण के मानदंडों में छूट दी जा सकती है. इसके अलावा नीतिगत दस्तावेज़ और ड्रोन नियमों का ताज़ा मसौदा आकाशीय निजता का समाधान नहीं करता. भारत जैसे सघन आबादी वाले देश में ड्रोन के इस्तेमाल से आकाशीय निजता का उल्लंघन होने से भी डाटा प्राइवेसी का नियम टूट सकता है. जब कोई व्यक्ति किसी निजी, व्यक्तिगत या पारिवारिक गतिविधि में शामिल है तो उसकी ज़मीन या हवाई क्षेत्र में इरादतन बिना इजाज़त या अनधिकार घुसकर और उस व्यक्ति के लिए अपमानजनक तरीक़े से किसी तरह की तस्वीर या साउंड की रिकॉर्डिंग की मनाही का प्रावधान ड्रोन नियमों में जोड़ा जाना चाहिए. ये कैलिफोर्निया के असेंबली बिल नंबर 856 जैसे प्रावधान की तरह है.
सरकारों, स्टार्टअप्स और शैक्षणिक संस्थानों के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट को लेकर क़ानूनी रुकावटों को भी हटा दिया गया है और ये विदेशी संस्थानों के लिए घरेलू उद्योग के साथ मिलकर काम करने में बड़ा प्रोत्साहन हो सकता है.
सुरक्षा उपायों के लिए तकनीकी समर्थन
ड्रोन पर पहले के विधेयकों की तरह डिजिटल स्काई प्लैटफॉर्म पर ज़रूरत से ज़्यादा निर्भरता है. इस प्लैटफॉर्म का संचालन नागरिक उड्डयन महानिदेशालय करता है. इसे इस तरह बनाया गया है कि ये भारत में ड्रोन प्रबंधन से जुड़ी गतिविधियों के प्रबंधन के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की तरह काम करता है. ये ड्रोन, ऑपरेटर और रिमोट पायलट ट्रेनिंग संगठनों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को आसान बनाता है. इसका उद्देश्य न्यूनतम मानवीय भागीदारी के साथ ऑटोमैटिक मंज़ूरी को बढ़ावा देना है. ये प्लैटफॉर्म हवाई क्षेत्र को तीन ज़ोन- लाल, पीला और हरा- में बांटकर नक्शा मुहैया कराएगा. इसके अलावा एनपीएनटी तकनीक और ड्रोन की रियल टाइम ट्रैकिंग को भी प्लैटफॉर्म के ज़रिए समर्थन मिलेगा. एनपीएनटी मंज़ूर किए गए लाल या पीले ज़ोन में ड्रोन के उड़ने को सुनिश्चित करता है. ये तभी संभव है जब नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के डिजिटल स्काई प्लैटफॉर्म के ज़रिए मंज़ूरी दी जए. लेकिन इस महत्वाकांक्षी प्लैटफॉर्म के उद्देश्य को हासिल करने के लिए इसके पीछे के तकनीकी इंफ्रास्ट्रक्चर की दिक़्क़तें हटाकर और यूज़र इंटरफेस को आसान बनाकर इसे मज़बूत करने की ज़रूरत है. 2018 में प्लैटफॉर्म शुरू करने के समय से सभी हिस्सेदारों की ये लगातार चिंता रही है. इसके अलावा, प्लैटफॉर्म को ग्राउंड कंट्रोल सॉफ्टवेयर, अनमैन्ड ट्रैफिक सर्विस प्रोवाइडर्स और दूसरों के लिए एक मानक कम्युनिकेशन इंटरफेस बनाने की भी ज़रूरत है ताकि एनपीएनटी के हिस्से के तौर पर जो रजिस्टर्ड फ्लाइट मॉडयूल की इजाज़त दी गई है, उससे संवाद स्थापित कर सके.
ड्रोन पर पहले के विधेयकों की तरह डिजिटल स्काई प्लैटफॉर्म पर ज़रूरत से ज़्यादा निर्भरता है. इस प्लैटफॉर्म का संचालन नागरिक उड्डयन महानिदेशालय करता है. इसे इस तरह बनाया गया है कि ये भारत में ड्रोन प्रबंधन से जुड़ी गतिविधियों के प्रबंधन के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की तरह काम करता है
व्यावसायिक ड्रोन के लिए भारत सबसे तेज़ी से बढ़ते बाज़ारों में से एक है. प्रस्तावित ड्रोन नियम 2021 ने इस उद्योग के विकास को सीमित करने वाली ज़्यादातर चुनौतियों का समाधान किया है. आसान क़ानूनी माहौल बनने के साथ लोगों की सुरक्षा की ज़रूरतों को आयात, डाटा कम्युनिकेशन और तकनीकी समर्थन के लिए मानकों के साथ जोड़ने से भारतीय व्यावसायिक ड्रोन उद्योग के लिए मददगार परिवेश सुनिश्चित होगा.
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