कोरियाई प्रायद्वीप में कुछ दिनों के अंतराल में उत्तर और दक्षिण कोरिया दोनों के द्वारा किये गए मिसाइल परीक्षण के बाद तनाव बढ़ गया है. यह परीक्षण, जो कई हफ्तों से उत्तर कोरिया की ओर से लगातार बढ़ते उकसावे की कार्रवाई के बाद हुए हैं, इस बात को उजागर करता है कि क्षेत्र में सुरक्षा की स्थिति कितनी तनावपूर्ण हो चुकी है. अगर शुरुआत की जाए तो उत्तर कोरिया व्यस्त है. पिछले कुछ हफ्तों में, उत्तर कोरिया ने पूर्व में निष्क्रिय परमाणु संयंत्र को दोबारा शुरू कर दिया है, नये क्रूज़ मिसाइल का परीक्षण किया है और बैलिस्टिक मिसाइल को लॉन्च किया है जिसने जापान सागर में लैंड किया. उकसावे की कार्रवाई का यह सिलसिला, जो यती देश के परमाणु प्रदर्शन की लंबी कहानी में नयी कड़ी है, एकमात्र दर्शक के लिए लक्षित था- जो बाइडेन.
अगस्त महीने के अंत में, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा अभिकरण (आईएईए) ने रिपोर्ट दी थी कि उसने उत्तर कोरिया के योंगब्योन परमाणु संयंत्र में संदिग्ध गतिविधियों का पता लगाया है. लंबे समय तक एकांतप्रिय देश के परमाणु कार्यक्रम का आधार, योंगब्योन को 2018 में, किम जोंग उन के तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप के साथ खुशमिज़ाज रिश्तों के दौर में, तानाशाह की अमेरिका के साथ अपने परमाणु हथियारों के जख़ीरे को लेकर समझौता करने की प्रतिबद्धता के संकेत के रूप में अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था. उत्तर कोरिया की परमाणु योजना के लिए कभी महत्वपूर्ण रहा योंगब्योन, देश के लिए अभी भी प्लूटोनियम और ट्रिटियम दोनों का एकमात्र स्रोत है, जो अग्रणी थर्मोन्यूक्लियर हथियार के निर्माण में मुख्य तत्व हैं जिसे उत्तर कोरिया को बनाने की उम्मीद है जो क्षेत्र में व्याप्त भय को और बढ़ा रहा है.
अपने मिसाइल लॉन्च और डिलीवरी प्रणाली को विस्तृत करके, उत्तर कोरिया को अपने मज़बूत शस्त्रागार के स्थायित्व को बेहतर करने की उम्मीद है. अमेरिका और दक्षिण कोरिया के सैन्य खोजी और खुफ़िया शक्ति को अब, इन डिलीवरी प्रणाली का पता लगाने और आपातकाल की स्थिति में उन पर निशाना साधने के लिए, उत्तर कोरियाई रेल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए योजना बनानी होगी.
कुछ ही समय बाद, उत्तर कोरिया की मीडिया की रिपोर्ट में बताया गया कि देश के रक्षा प्रतिष्ठान ने नये क्रूज़ मिसाइल का सफल परीक्षण कर लिया है. यह मिसाइल, राज्य की मीडिया ने दावा किया, एक “स्ट्रैटेजिक वेपन” था, जो प्योंगयांग के मुताबिक संभावित परमाणु क्षमता वाले उपकरण के लिए है. पहले से ही पर्याप्त और लगातार बढ़ रहे शस्त्रागार में इस नई वृद्धि के साथ इस लड़ाकू राज्य ने अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया के लिए रक्षा और रणनीतिक गणना को और भी जटिल कर दिया है. इसके फौरन बाद बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च किया गया जो जापान सागर में गिरा और क्षेत्र की राजधानियों में खतरे की घंटी बज उठी. इस लॉन्च ने, जो रेलवे आधारित मिसाइल लॉन्चर के सहयोग से किया गया था, विशेषज्ञों और सरकारी अधिकारियों को चौकन्ना कर दिया है. अपने मिसाइल लॉन्च और डिलीवरी प्रणाली को विस्तृत करके, उत्तर कोरिया को अपने मज़बूत शस्त्रागार के स्थायित्व को बेहतर करने की उम्मीद है. अमेरिका और दक्षिण कोरिया के सैन्य खोजी और खुफ़िया शक्ति को अब, इन डिलीवरी प्रणाली का पता लगाने और आपातकाल की स्थिति में उन पर निशाना साधने के लिए, उत्तर कोरियाई रेल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए योजना बनानी होगी. उत्तर कोरिया के कई सैन्य साजो सामान के मद्देनज़र, जिन पर सिओल और वॉशिंगटन नज़र बनाये हुए हैं, इस नयी घटना ने दोनों सहयोगियों की खोजी और अपने चिंताजनक उत्तरी दुश्मन द्वारा उकसाये जाने पर प्रतिक्रिया करने की क्षमता पर अतिरिक्त दबाव डाला है.
टेबल: उत्तर कोरिया के परीक्षण और हथियारों का प्रदर्शन उसकी मिसाइल क्षमता को प्रदर्शित करता है
Date |
Tests |
October 2020 |
Military parade that displays new and improved Hwasong ballistic missile and new Submarine Launched Ballistic Missile (SLBM) |
March 25, 2021 |
North Korea carried out test-launch of two upgraded KN-23 short-range ballistic missiles carrying a 2.5 live warhead each that correctly hit the simulated targets |
11th and 12th September 2021 |
New long-range cruise missile tested which flew for 1,500 kilometres and were termed “strategic” weapons (euphemism for nuclear capable) |
15 September 2021 |
Ballistic missile fired through new railway borne system and lands in Japan’s Exclusive Economic Zone |
Source: Forbes
यह पूरा घटनाक्रम एक सरल सवाल खड़ा करती है: क्यों?
2018-19 में जब से उत्तर कोरिया की अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की खुशामद असफ़ल साबित हुई, प्योंगयांग ने अपने सैन्य आधुनिकीकरण की योजना को स्पष्ट कर दिया है. शुरुआत के तौर पर, किम जोंग-उन ने 2019 में मिसाइल परीक्षण पर से प्रतिबंध हटा दिया. अक्टूबर 2020, रात्रिकालीन सैन्य परेड का गवाह बना जब इस धूर्त राज्य ने पहले से भी ज़्यादा विशाल इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल्स (ICBMs) का प्रदर्शन किया. इसके अलावा, उत्तर कोरिया ने पनडुब्बी से लॉन्च की जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल के अपने मॉडल को भी प्रदर्शित किया, जिसे हाल ही में सिओल ने भी हासिल किया जिसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया में बढ़चढ़कर दिखाया गया. चिंता की बात यह है कि चेयरमैन किम ने साफ़ कर दिया है कि उनका देश हथियार निर्माण और आधुनिकीकरण की राह पर चलना जारी रखेगा. इस साल की शुरुआत में हुए आठवीं पार्टी कांग्रेस में, प्योंगयांग के नेतृत्व ने टैक्टिकल परमाणु हथियार, नौसेना परमाणु संचालक शक्ति और बेहतर उपग्रह क्षमताओं को प्राप्त करने की विस्तार से योजना बनाई.
प्रत्यक्ष लक्ष्य
उत्तर कोरिया की सोच समझकर की गई उकसावे की कार्रवाई यह संकेत देती है कि किम जोंग-उन एक बार फिर अमेरिका से बातचीत के लिए तैयार है. किम ने उत्तर कोरिया की स्थापित प्लेबुक का अनुसरण किया है: एक कृत्रिम संकट खड़ा करो, विरोधी पक्ष को बातचीत की मेज़ तक आने को मजबूर करो, रियायत पाओ और इसे फिर दोहराओ. योंगब्योन को दोबारा शुरू करके और अपने देश की परमाणु शक्ति का दिखावा करके किम को, राष्ट्रपति बाइडेन पर अमेरिका-उत्तर कोरिया बातचीत फिर शुरू करने के लिए पर्याप्त दबाव बनाने की उम्मीद है, जो 2019 में स्टॉकहोम में बेनतीजा रही थी. समीक्षकों का विश्वास है कि चेयरमैन किम कुछ आर्थिक दबावों से राहत चाहते हैं जिसका सामना उनका देश तब से कर रहा है जब 2016 और 2017 में इसी तरह के मिसाइल परीक्षण के बाद संयुक्त राष्ट्र ने उस पर प्रतिबंध लगा दिये थे. इस पृथक देश की लंबे समय से प्रभावित अर्थव्यवस्था तभी से काफी हद तक चीनी उदारता पर निर्भर है. हालांकि, कोविड 19 की शुरुआत के साथ चेयरमैन किम अपने देश की सीमाएं बंद करने पर मजबूर हो गये, जिससे चीन के साथ व्यापार में भारी गिरावट आयी जिसकी वजह से उत्तर कोरिया के आर्थिक हालात पिछले 20 सालों में सबसे बदतर हो गए. बाइडेन के साथ बातचीत के ज़रिए, चेयरमैन किम अपने विशाल परमाणु शस्त्रागार में से कुछ साजो- सामान के बदले प्रतिबंध से राहत पाने की आशा रखते हैं ताकि देश संतुलित रूप से चलता रहे.
समीक्षकों का विश्वास है कि चेयरमैन किम कुछ आर्थिक दबावों से राहत चाहते हैं जिसका सामना उनका देश तब से कर रहा है जब 2016 और 2017 में इसी तरह के मिसाइल परीक्षण के बाद संयुक्त राष्ट्र ने उस पर प्रतिबंध लगा दिये थे. इस पृथक देश की लंबे समय से प्रभावित अर्थव्यवस्था तभी से काफी हद तक चीनी उदारता पर निर्भर है.
राष्ट्रपति बाइडेन अब खुद को बंधा हुआ महसूस कर रहे हैं. अगर बाइडेन उत्तर कोरिया की बातचीत को लेकर संकेतों को नज़रअंदाज़ करते हैं तो किम जोंग-उन के पास और अधिक खतरनाक हथियारों को विकसित और परीक्षण करने की हर वजह होगी. अमेरिकियों के लिए यह अस्वीकार्य होगा क्योंकि उत्तर कोरिया के पास महाद्वीपीय संयुक्त राज्य अमेरिका पर निशाना साधने की क्षमता पहले से ही है. बेशक, अक्टूबर 2020 परेड के दौरान, प्योंगयांग ने 2017 के Hwasong मिसाइल का अपडेटेड मॉडल प्रदर्शित किया जो अमेरिकी ज़मीन तक विनाश पहुंचा सकती है. हालांकि, उत्तर कोरिया शासन के साथ काम करने की बाइडेन की इच्छा के बावजूद, प्योंगयांग ने बाइडेन के उत्तर कोरियाई मामलों के लिए विशेष प्रतिनिधि से मिलने से इनकार कर दिया है. अटकलें हैं कि भूतपूर्व राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा उच्चतम स्तर पर सम्मान पाकर, किम जोंग-उन और उनके शीर्ष सलाहकारों को बाइडेन और किम के बीच सीधी बातचीत से नीचे और कुछ स्वीकार्य नहीं होगा. ट्रंप के व्यक्तिगत फॉर्मूले से दूर बाइडेन के पारंपरिक कूटनीतिक दृष्टिकोण के मद्देनज़र, दोनों पक्षों के बीच एक खाई बन गई है. अगर प्रोटोकॉल के यह मामले सुलझा भी लिये जाते हैं तो दूसरे अधिक जटिल मामले शेष रह जाएंगे. एक तरफ अमेरिका लंबे समय से इस बात पर अडिग है कि वो उत्तर कोरिया की परमाणु क्षमता पूरी तरह से खत्म होने पर ही संतुष्ट होगा, दूसरी ओर यह साफ होता जा रहा है कि प्योंगयांग का मुश्किल से हासिल किये गए हथियारों को छोड़ने का कोई इरादा नहीं है. उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार न सिर्फ़ कोरियाई प्रायद्वीप पर संभावित अमेरिकी सैन्य कार्रवाई के ख़िलाफ प्रभावी रूप से बचाव करेंगे, बल्कि एक संघर्षशील और गरीब राज्य को दुनिया के सबसे ताकतवर देश के साथ बराबर का मुक़ाबला करने में सक्षम बनाएंगे.
उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार न सिर्फ़ कोरियाई प्रायद्वीप पर संभावित अमेरिकी सैन्य कार्रवाई के ख़िलाफ प्रभावी रूप से बचाव करेंगे, बल्कि एक संघर्षशील और गरीब राज्य को दुनिया के सबसे ताकतवर देश के साथ बराबर का मुक़ाबला करने में सक्षम बनाएंगे.
फिर भी, बाइडेन के पास रचनात्मक शासन कला की गुंजाइश है. अमेरिका सैद्धांतिक रूप से पूरी तरह परमाणु निरस्त्रीकरण की मांग को बरकरार रख सकता है, साथ ही बाइडेन की टीम चरणबद्ध हथियार नियंत्रण समझौते पर बातचीत का विचार कर सकती है. इस तरह का समझौता योंगब्योन को बंद करने और नये हथियारों को विकसित और परीक्षण करने पर पाबंदी लगाने जैसे उत्तर कोरिया की कार्रवाई के लिए स्पष्ट और निश्चित समय तय करेगा. एक बार अमेरिका और उसके सहयोगी जैसे दक्षिण कोरिया इस सहमति को भरोसेमंद पायेंगे, प्योंगयांग में शासन को प्रतिबंधों से छूट और अर्थव्यवस्था में निवेश प्रदान किया जा सकता है. यह सुनिश्चित है कि इस तरह का सौदा किसी भी तरीके से परफेक्ट नहीं होगा. इसके लिए विस्तृत निरीक्षण व्यवस्था की आवश्यकता होगा जिसकी अनुमति देने में पूर्व में प्योंगयांग राज़ी नहीं था. इसके अलावा, घर पर यह बाइडेन के कंज़र्वेटिव विरोधियों की मुश्किलों को ज़रूर बढ़ाएगा. हालांकि, यह सौदा बाइडेन को वहां सफलता देगा जहां ट्रंप असफल रहे जिसके लिए एक साधारण सच्चाई को पहचानना होगा: अमेरिका प्योंगयांग के परमाणु कद को नकार नहीं सकता, वो सृजनात्म तरीके से उत्तर कोरिया की क्षमताओं को इस तरह से आकार दे सकता है जिससे अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए खतरा कम हो जाए. वैश्विक सुरक्षा के लिए क्या दांव पर लगा है, इसके मद्देनज़र यही उम्मीद की जा सकती है कि बाइडेन की टीम सही कदम उठाएगी.
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